"जब क्षितिज तमोमय हो जाता है और तर्क शक्ति धराशायी हो जाती है
तब विश्वास की चमकती किरण हमें बचा लेती है"1
हमें एक राष्ट्र के रूप में सभी बाधाओं से बचा लेने के भारत के लचीलेपन और क्षमता पर हमें विश्वास होना चाहिए। COVID-19, 0.12 माइक्रोन आकार के एक वायरस ने 300,000 से अधिक मृत्युओं से और दुनिया भर में आर्थिक गतिविधि को ठप कर के वैश्विक अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया है। एक बार फिर केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में आकर इस समस्या का मुकाबला करना पडेगा।
2. वृहद आर्थिक आंकड़ों की हालिया प्रकाशनी से पहली बार COVID-19 द्वारा गढे गए नुकसान का संज्ञान हुआ है जिससे मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 3 से 5 जून, 2020 के दौरान निर्धारित बैठक को समय से पूर्व आयोजित करने की आवश्यकता महसूस की गई। पिछले तीन दिनों में यानी 20, 21 और 22 मई 2020 को एमपीसी ने संभावनाओं का पता करने के लिये घरेलू और वैश्विक घटनाक्रमों और उनके निहितार्थों की समीक्षा की। यह सुनिश्चित करते हुए कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर बनी रहे, एमपीसी ने विकास को पुनर्जीवित करने और अर्थव्यवस्था पर COVID -19 के प्रभाव को कम करने के लिए जब तक आवश्यक हो निभावकारी रुख बनाए रखने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया। कटौती की मात्रा पर एमपीसी ने 5-1 बहुमत के साथ मतदान कर नीतिगत दर को 4.4 प्रतिशत से 40 आधार अंकों से घटाकर 4.0 प्रतिशत कर दिया । नतीजतन, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 4.65% से घटकर 4.25% हो गई है। रिवर्स रेपो रेट 3.75% से घटकर 3.35% हो गई है।
3. इससे पहले कि मैं एमपीसी के निर्णय की पृष्ठभूमि, औचित्य और अपेक्षित परिणाम को पर बात करुं, मैं समिति के सदस्यों को आज लिए गए मौद्रिक नीति निर्णय में समिति के कार्य में बहुमूल्य योगदान देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं भारतीय रिजर्व बैंक में अपने सहयोगियों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जो COVID-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में अथक परिश्रम कर रहे हैं। मेरी कृतज्ञता हमारी टीमों के प्रति भी व्यक्त करता हूं जो हमें बौद्धिक समर्थन, विश्लेषणात्मक काम और लोजिस्टिकल व्यवस्था में सहायता करते हैं। मैं 200 से अधिक उन अधिकारियों, कर्मचारियों और सेवा प्रदाताओं की हमारी टीम की विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं जो भारतीय रिजर्व बैंक की आवश्यक सेवाओं को राष्ट्र के लिए उपलब्ध रखने के लिए अलगाव में 24X7 काम कर रहे हैं। मैं डॉक्टरों, स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा कर्मचारियों, पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सरकारी कार्यकर्ताओं और कर्मियों, निजी क्षेत्र, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त करना चाहता हूं, जो सभी आवश्यक सेवाओं के प्रावधान में निरंतरता सुनिश्चित करते हुए महामारी के बीच दिन-प्रतिदिन ड्यूटी के आह्वान को पूर्ण करने के लिये बढ़कर आगे आ गए हैं । उनके परिवारों के प्रति भी हमारी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
I. आकलन
4. सभी मामलों में वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थितियां दबावग्रस्त हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह से मंदी की ओर बढ़ रही है। वैश्विक विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अप्रैल 2020 में 11 साल के निचले स्तर तक संकुचित हुआ है। वैश्विक सेवाएं पीएमआई ने सूचकांक के इतिहास में अपनी सबसे तेज गिरावट दर्ज की है। 2020 की पहली तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद के आंकडे जारी करने वाली उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एईएस) में संकुचन 3.4 प्रतिशत से 14.2 प्रतिशत (तिमाही–दर-तिमाही, वार्षिकीकृत) की सीमा में रहे हैं; उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमएस) के लिए विकास दर 2.9 प्रतिशत और (-) 6.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर) के बीच रही है। अशांत वित्तीय बाजारों के झटकों से प्रभावित ईएमईज़ को पूंजी बहिर्वाह और परिसंपत्ति मूल्य अस्थिरता के रूप में अतिरिक्त दबावों का सामना करना पड़ रहा है । कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से तेल निर्यातकों के लिए बजटीय राजस्व सूख गया है; दूसरी ओर, महामारी द्वारा कुचल दी गई मांग ने तेल आयातकों को व्यापारिक लाभ से वंचित कर दिया है। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीएडी) के अनुसार, वैश्विक व्यापार का मूल्य 2020 की पहली तिमाही में 3.0 प्रतिशत तक संकुचित हो गया है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुमान के अनुसार विश्व व्यापार की मात्रा 2020 में 13-32 प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है। यात्री हवाई यात्रा, कंटेनर शिपिंग, वित्तीय और आईसीटी सेवाओं में व्यापक गतिहीनता के कारण 2020 की पहली तिमाही में विश्व सेवा व्यापार की हानि हुई है। व्यापक लॉकडाउन के बीच कमोडिटी की कीमतों में बड़े मांग झटके से हालांकि नरमी आई, लेकिन आपूर्ति अवरोधों के कारण मुद्रास्फीति प्रिंट में खाद्य मूल्य का दबाव दिखाई दे रहा है, विशेष रूप से उन देशों में जहां परिवारों के उपभोग व्यय का एक प्रमुख मद खाद्य पदार्थ है। वैश्विक वित्तीय बाजार मार्च में एक अशांत अवधि के बाद शांत हो गए हैं और अस्थिरता कम हो गई है लेकिन बाजार आम तौर पर वास्तविक अर्थव्यवस्था के विकास से नहीं जुडे हैं।
5. केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा अभूतपूर्व वैश्विक नीति प्रतिक्रिया अपेक्षाकृत गुमनाम रही है।
6. अब मैं घरेलू विकास की ओर मुड़ता हूं। घरेलू आर्थिक गतिविधि 2 महीने के लॉकडाउन से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। करीब 60 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन देने वाले शीर्ष 6 औद्योगीकृत राज्य काफी हद तक लाल या नारंगी क्षेत्रों में हैं। मार्च 2020 की शुरूआत में उच्च आवृत्ति संकेतक शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग में गिरावट की ओर इशारा करते हैं। बिजली और पेट्रोलियम उत्पादों की खपत - दिन-प्रतिदिन की मांग के संकेतक - भारी गिरावट में डूब गए हैं। मांग और उत्पादन दोनों के नुकसान के मामले में दोहरी मार ने राजकोषीय राजस्व में गिरावट आई है। मार्च में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 36 प्रतिशत की गिरावट ने निवेश की मांग पर लगभग रोक लगा दी है, संयोग से मार्च में पूंजीगत वस्तुओं के आयात में 27 प्रतिशत और अप्रैल में 57.5 प्रतिशत संकुचन भी हुआ है। यह अप्रैल में तैयार इस्पात खपत में 91 प्रतिशत की गिरावट और मार्च में सीमेंट उत्पादन में 25 प्रतिशत सिकुड़न में भी परिलक्षित हो रहा है। COVID-19 से सबसे बड़ा झटका निजी खपत को लगा है, जो घरेलू मांग के करीब 60 फीसदी है। उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन का उत्पादन मार्च 2020 में 33 फीसदी गिर गया, साथ ही गैर-उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में 16 फीसदी की गिरावट आई। इसी तरह के संकेत तेजी से बढ़ती उपभोक्ता वस्तुओं के सर्वेक्षणों में परिलक्षित हुए हैं।
7. उत्पादन क्षेत्रों में, औद्योगिक उत्पादन मार्च 2020 में करीब 17 प्रतिशत तक सिकुड़ गया, विनिर्माण गतिविधियों में 21 प्रतिशत की गिरावट आई। कोर उद्योग जिनका कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा होता है, उनका उत्पादन 6.5 प्रतिशत तक संकुचित हुआ। अप्रैल के लिए विनिर्माण पीएमआई ने 27.4 की अपनी सबसे तेज गिरावट दर्ज की जो सभी क्षेत्रों में फैल गई। अप्रैल 2020 में सेवा पीएमआई में 5.4 के सर्वकालिक निचले स्तर तक की गिरावट हुई।
8. इस घोर निराशा के बीच, कृषि और संबद्ध गतिविधियों ने खाद्यान्न उत्पादन में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि के एक नए रिकॉर्ड (15 मई 2020 को जारी कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार) ने आशा की किरण प्रदान की है । भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के 2020 में सामान्य दक्षिण पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान में भी उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है। 10 मई 2020 की उपलब्ध नवीनतम जानकारी के अनुसार खरीफ की बुवाई पिछले साल के एकडों की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक थी। तिलहन, दलहन और गेहूं के संबंध में रबी की खरीद प्रक्रिया जारी है, जिससे बंपर फसल लाभान्वित हो रही है । इन घटनाक्रमों से कृषि आय में सहायता मिलेगी, कृषि क्षेत्र के सम्मुख व्यापारिक शर्तों में सुधार होगा और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी । आगे, खाद्य मूल्य के दबाव पर भी इनका हितकारी प्रभाव पड़ेगा।
9. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के बारे में आंशिक जानकारी जारी करने से मुद्रास्फीति का संभावनाएं जटिल हो गई है, क्योंकि इससे मूल्य की स्थिति का व्यापक और स्पष्ट आकलन प्राप्त नहीं हो रहा है। जो अधूरे आंकड़े उपलब्ध कराए गए हैं, खाद्य मुद्रास्फीति, जो मार्च में लगातार दूसरे महीने के लिए अपने जनवरी 2020 शिखर से कम हो गई थी, अचानक पलट कर अप्रैल में 8.6 प्रतिशत तक बढ़ी क्योंकि आपूर्ति अवरोधों ने अपना टोल और जारी मांग संकुचन ने अपनी प्रतिरक्षा की वसूली की। सब्जियों, दालों, खाद्य तेलों, दूध और अनाज के दाम दबाव बिंदू के रूप में उभरे।2
10. बाहरी क्षेत्र में, भारत के निर्यात और आयात माल में पिछले 30 वर्षों में सबसे ज्यादा मंदी आई क्योंकि COVID-19 ने विश्व उत्पादन और मांग को पंगु बना दिया । अप्रैल 2020 में भारत का माल निर्यात 60.3 प्रतिशत गिर गया जबकि आयात में 58.6 प्रतिशत का संकूचन हुआ। अप्रैल 2020 में व्यापार घाटा, जून 2016 के बाद सबसे कम 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक कम हुआ। वित्तपोषण के मामले में, निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह मार्च 2020 में 0.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढे। 2020-21 में अब तक (18 मई तक) इक्विटी में निवल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) भी एक साल पहले 0.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। हालांकि, ऋण खंड में, इसी अवधि के दौरान पोर्टफोलियो बहिर्वाह एक साल पहले 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बहिर्गमन के मुकाबले 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। इसके विपरीत, स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग के तहत निवल निवेश में इसी अवधि के दौरान 0.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2020-21 में अब तक (15 मई तक) 9.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 487.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है- जो एक साल के आयात के बराबर है।
II. संभावना
11. इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, एमपीसी ने मूल्यांकन किया कि मुद्रास्फीति संभावनाएं अत्यधिक अनिश्चित है। अप्रैल में खाद्य कीमतों में आपूर्ति आघात की स्थिति अगले कुछ महीनों तक बनी रह सकती है, जो लॉकडाउन की स्थिति और उसके बाद आपूर्ति श्रृंखला को बहाल करने में लगने वाले समय पर निर्भर करती है। दबाव बिंदुओं में से , दाल की मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर चिंताजनक है, और समय पर और तेजी से आपूर्ति प्रबंधन हस्तक्षेपों की आवश्यकता है, जिसमें आयात शुल्कों का पुन: मूल्यांकन शामिल है। अतिरिक्त स्टॉक के कुछ भाग के भारी मात्रा में बिक्री के लिए एफसीआई द्वारा खुले बाजार में बिक्री / पीडीएस-ऑफटेक के तत्काल उपाय से अनाज की कीमतें कम हो सकती हैं और रबी खरीद के लिए जगह भी बन सकती है। वर्तमान वैश्विक मांग-आपूर्ति संतुलन को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें, धातुओं और औद्योगिक कच्चे माल की कीमतें सौम्य बने रहने की संभावना है। इससे घरेलू कंपनियों के लिए लागत मूल्यों को कम करेगी। न्यून मांग मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव डाल सकता है, हालांकि आपूर्ति की लगातार अव्यवस्था के कारण निकट अवधि की संभावनाओं के लिए अनिश्चितता पैदा होती है। बहुत कुछ COVID के बाद रिकवरी के आकार पर निर्भर करेगा। तदनुसार, एमपीसी का मानना है कि हेडलाइन मुद्रास्फीति 2020-21 की पहली छमाही में स्थिर रह सकती है, लेकिन अनुकूल आधार प्रभावों के कारण दूसरी छमाही में भी इसमें आसानी होनी चाहिए। वित्तीय वर्ष 20-21 के तीसरी और चौथी तिमाही तक, यह लक्ष्य से नीचे गिरने की उम्मीद है। इस प्रकार, मुद्रास्फीति के संबंध में एमपीसी का आगे के दिशानिर्देश स्तरों के संदर्भ में न होकर निदेशात्मक है। आगे, जब और अधिक आंकड़े उपलब्ध होंगे, तब अधिक निश्चितता के साथ मुद्रास्फीति के मार्ग का अनुमान लगाना संभव होना चाहिए।
12. यह संवृद्धि संभावना में है कि एमपीसी ने जोखिम को सबसे गंभीर माना। मांग संपीड़न और आपूर्ति में व्यवधान का संयुक्त प्रभाव वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करेगा। यह मानते हुए कि आर्थिक गतिविधि चरणबद्ध तरीके से बहाल होगी, विशेष रूप से इस वर्ष की दूसरी छमाही में, और अनुकूल आधार प्रभावों को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि वर्तमान में किए जा रहे राजकोषीय, मौद्रिक और प्रशासनिक उपायों के संयोजन से 2020-21 की दूसरी छमाही में गतिविधि में क्रमिक पुनरुद्धार के लिए शर्तें पैदा करेंगी। बहरहाल, इस मूल्यांकन के लिए नकारात्मक जोखिम महत्वपूर्ण हैं और सामाजिक अलगाव / लॉकडाउन द्वारा महामारी और त्वरित चरणबद्धता पर नियंत्रण के लिए आकस्मिक हैं। इन सभी अनिश्चितताओं को देखते हुए, 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2020-21 की दूसरी छमाही के बाद से संवृद्धि आवेगों में कुछ संवृद्धि के साथ नकारात्मक क्षेत्र में रहने का अनुमान है। राष्ट्रीय आय पर एनएसओ के मई 2020 के विमोचन से अधिक स्पष्टता मिलनी चाहिए, जिससे जीडीपी वृद्धि के अधिक विशिष्ट अनुमानों को परिमाण और दिशा दोनों के संदर्भ में सक्षम बनाया जा सके। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि COVID वक्र कितनी जल्दी समतल और धीमा होना शुरू होता है। जैसे ही राष्ट्र इस भविष्य के लिए तैयार होता है, महात्मा गांधी के शब्दों से हमें लड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए: "हम ठोकर खा सकते हैं और गिर सकते हैं, लेकिन फिर से उठेंगे ....”3।
13. एमपीसी का विचार है कि महामारी का समष्टि आर्थिक प्रभाव पहले से प्रत्याशित रूप से अधिक गंभीर हो रहा है। आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों के विनाश से परे, आजीविका और स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह देखते हुए कि वृद्धि के जोखिम तीव्र हैं, जबकि मुद्रास्फीति के जोखिम अल्पकालिक होने की संभावना है, एमपीसी का मानना है कि अब आत्मविश्वास पैदा करना आवश्यक है और वित्तीय स्थिति में और सुधार किया जाए। इससे किफ़ायती दरों पर धन के प्रवाह में मदद मिलेगी और निवेश आवेगों को फिर से बढ़ावा मिलेगा। यह इस संदर्भ में है कि एमपीसी ने पॉलिसी रेपो दर को 40 आधार अंकों से घटाकर 4.4 प्रतिशत से 4.0 प्रतिशत करने के लिए मतदान किया। यदि मुद्रास्फीति ट्राजेक्टरी अपेक्षित रूप से विकसित होता है, तो वृद्धि के जोखिमों को निपटने के लिए काफी स्पेस मिलेगा।
III. विनियामक और विकासात्मक उपाय
14. मैं अब एमपीसी द्वारा तय की गई नीति दर में कमी को पूरक और बढ़ाने के लिए विभिन्न विनियामक और विकासात्मक उपायों की घोषणा करता हूं। ऐसा करते समय, मैं आरबीआई द्वारा पहले से तय की गई नीतिगत कार्रवाइयों, उनके औचित्य और उनके संभावित प्रभाव पर थोड़ा समय बिताऊंगा। फरवरी 2020 में एमपीसी की बैठक के समय अपने बयान में, मैंने कोरोनोवायरस के प्रकोप के संदर्भ में वैश्विक विकास के लिए बढ़ते नकारात्मक जोखिमों को इंगित किया था, जिसके पूर्ण प्रभाव अनिश्चित और अप्रत्यक्ष थे। तब से, अपने पारंपरिक और अपरंपरागत दोनों तरह के उपायों की श्रेणी का विस्तार करते हुए अग्र-सक्रिय चलनिधि प्रबंधन स्थिति में बना रहा,ताकि रुपया और विदेशी मुद्रा दोनों में प्रणाली स्तरीय चलनिधि को बढ़ाया जा सके और साथ ही वित्तपोषण की कमी का सामना करने वाले विशिष्ट क्षेत्रों को भी चलनिधि उपलब्ध करवा सके। इन तरलता उपायों का उद्देश्य इन परिस्थितियों में वित्तीय प्रणाली और वित्तीय बाजारों को सामान्य रूप से कार्य कराना है ताकि वित्तीय स्थितियां फ्रीज़ न हों।
15. इस बीच, बैंकों की उधार दरों में मौद्रिक नीति संचरण में सुधार जारी रहा है। निधि आधारित उधार दर (एमसीएलआर) की 1 वर्ष की औसत सीमांत लागत 90 बीपीएस (फरवरी 2019- 15 मई 2020) तक घट गई। फरवरी 2019 से नए रुपये के ऋणों पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में संचयी रूप से 114 बीपीएस की गिरावट आई है, जिसमें से 43 बीपीएस की गिरावट अकेले मार्च 2020 में आई है। अक्टूबर 2019-मार्च 2020 के दौरान बकाया रुपये के ऋणों पर डबल्यूएएलआर में 29 बीपीएस की गिरावट दर्ज की गई। घरेलू वित्तीय स्थितियों में भी कमी आई है जैसा कि विभिन्न बाजार खंडों में चलनिधि प्रीमिया की संकीर्णता में परिलक्षित है। 17 अप्रैल के बाद जब मैंने आपसे आखिरी बार बात की थी, 3-महीने के सीपी, 3-महीने की सीडी, 5-वर्षीय एएए कॉरपोरेट बॉन्ड, 91-दिवसीय खजाना बिल, 5-वर्षीय और बेंचमार्क 10-वर्षीय सरकारी कागज पर ब्याज दरें 15 मई, 2020 तक क्रमशः 220 बीपीएस, 108 बीपीएस, 48 बीपीएस, 71 बीपीएस, 59 बीपीएस और 66 बीपीएस कम हो गई है।
16. नीतिगत रेपो दर को कम करने और मौद्रिक नीति के निभावकारी रुख को बनाए रखने का एमपीसी का निर्णय रिज़र्व बैंक को आर्थिक गतिविधि के लिए बिगड़ते संभावनाओं की पृष्ठभूमि के एवज में कुछ अतिरिक्त उपायों की घोषणा करने का अवसर प्रदान करता है। ये नीतिगत कार्य इरादे और पहुंच में एक दूसरे को पूरक और मजबूत करती हैं। आज घोषित किए जा रहे उपायों को मोटे तौर पर चार श्रेणियों के तहत निरूपित किया जा सकता है:
(क) बाजारों और बाजार सहभागियों के कामकाज में सुधार के उपाय;
(ख) निर्यात और आयात का समर्थन करने के उपाय;
(ग) ऋण सेवा पर राहत और कार्यशील पूंजी के एक्सेस में सुधार करके COVID-19 व्यवधानों के कारण उत्पन्न वित्तीय तनाव को और कम करने के लिए किए गए प्रयास; तथा
(घ) राज्य सरकारों द्वारा सामना की जाने वाली वित्तीय बाधाओं को कम करने के लिए कदम।
(क) बाज़ारों के कार्य में सुधार के लिए उपाय
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के लिए पुनर्वित्त सुविधा
17. भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहले सिडबी के लिए रिज़र्व बैंक की पॉलिसी रेपो दर पर 90 दिनों की अवधि के लिए उधार / पुनर्वित्त हेतु ₹15,000 करोड़ की विशेष पुनर्वित्त सुविधा की घोषणा की थी । सिडबी को अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए, 90 वें दिन के अंत में 90 दिनों की दूसरी अवधि के लिए रोल ओवर सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफ़पीआई) द्वारा निवेश
18. इसके आरंभ होने के बाद से, वीआरआर योजना ने योजना के तहत आवंटित सीमा की 90 प्रतिशत से अधिक निवेश के साथ मजबूत निवेशक भागीदारी को विकसित किया है। COVID-19 से संबंधित व्यवधानों के कारण एफ़पीआई और उनके संरक्षकों द्वारा तीन महीने के भीतर आवंटित सीमाओं का कम से कम 75 प्रतिशत निवेश किए जाने की शर्त का पालन करने में हो रही कठिनाई के मद्देनजर, यह निर्णय लिया गया है कि इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एफ़पीआई को अतिरिक्त तीन महीने की अनुमति दी जाएगी।
(ख) निर्यात और आयात का समर्थन करने के उपाय
19. COVID-19 के तेजी से प्रसार के कारण वैश्विक गतिविधि और व्यापार में संकुचन की गहनता से बाहरी मांग में कमी आई है। बदले में, इसने भारत के निर्यात और आयात को प्रभावित किया है, दोनों ही हाल के महीनों में तेजी से संकुचित हुए हैं। अर्थव्यवस्था में निर्यात और आयात के महत्व को देखते हुए विदेशी व्यापार क्षेत्र को समर्थन देने के लिए कुछ उपाय किए जा रहे हैं।
निर्यात ऋण
20. अपने उत्पादन और वसूली चक्रों में निर्यातकों द्वारा सामना की जा रही वास्तविक कठिनाइयों को कम करने के लिए, 31 जुलाई 2020 तक किए गए संवितरण हेतु बैंकों द्वारा मंजूर पोतलदान-पूर्व और पोतलदान-पश्चात निर्यात ऋण की अधिकतम अनुमेय अवधि को वर्तमान एक वर्ष से 15 महीनों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
भारतीय आयात-निर्यात बैंक के लिए चलनिधि की सुविधा
21. एक्जिम बैंक द्वारा अपनी विदेशी मुद्रा संसाधन आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से, यह निर्णय किया गया है कि एक्जिम बैंक को 90 दिनों की अवधि के लिए (एक वर्ष के रोलओवर के साथ) रू.15,000 करोड़ की ऋण सुविधा प्रदान की जाए, ताकि वह अमेरिकी डॉलर स्वैप सुविधा का लाभ उठा सके।
आयात के भुगतान के लिए समय-सीमा में विस्तार
22. COVID-19 के माहौल में आयातकों को उनके परिचालन चक्रों को प्रबंधित करने में अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए, यह निर्णय किया गया कि, भारत में सामान्य आयात (सोने/हीरे और बहुमूल्य पत्थरों/आभूषणों के आयात को छोड़कर) के लिए बाह्य विप्रेषण की समयावधि को, 31 जुलाई 2020 तक या उससे पहले किए गए इस तरह के आयात के लिए शिपमेंट की तारीख से छह महीने से बारह महीने तक बढ़ाया जाए।
(ग) वित्तीय दबाव को कम करने के उपाय
23. रिज़र्व बैंक ने पहले भी दो अलग-अलग अवसरों पर (27 मार्च और 17 अप्रैल 2020) (क) सावधि ऋण की किस्तों पर 3 महीने की ऋणस्थगन देने; (ख) कार्यशील पूंजी सुविधाओं पर 3 महीने के लिए ब्याज का आस्थगन; (ग) कार्यशील पूंजीगत चक्र के पुनर्मूल्यांकन या मार्जिन को कम कर कार्यशील पूंजीगत वित्तपोषण जरूरतों को सुगम बनाने ; (घ) पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग और क्रेडिट सूचना कंपनियों की रिपोर्टिंग में 'चूककर्ता' के रूप में वर्गीकृत होने से छूट़ देने; (ड.) दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान हेतु समयसीमा में विस्तार; तथा (च) ऋण प्रदान करने वाली संस्थानों द्वारा 3 महीने की ऋणस्थगन अवधि इत्यादि को छोड़कर आस्ति वर्गीकरण स्टैंड स्टिल से संबंधित कुछ नियामक उपायों की घोषणा की थी।
24. COVID-19 के कारण लॉकडाउन के विस्तार और निरंतर अवरोधों के मद्देनजर, उपरोक्त उपायों को 1 जून 2020 से 31 अगस्त 2020 तक और तीन महीनों तक बढ़ाया जा रहा है, इस प्रकार उपायों की प्रयोज्यता की कुल अवधि छह महीने तक (अर्थात 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक) हो गई है। ऋण देने वाली संस्थानों को 31 मार्च 2021 तक कार्यशील पूंजी के लिए मार्जिन को उनके मूल स्तरों पर बहाल करने की अनुमति दी जा रही है। इसी प्रकार, कार्यशील पूंजी चक्र के पुन: निर्धारण से संबंधित उपायों को 31 मार्च 2021 तक बढ़ाया जा रहा है।
25. इसके अतिरिक्त, यह निर्णय किया गया है कि उधार देने वाले संस्थानों को 6 महीने (अर्थात 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक) की कुल आस्थगन अवधि के लिए कार्यशील पूंजीगत सुविधाओं पर संचित ब्याज को एक वित्तपोषित ब्याज अवधि ऋण में बदलने की अनुमति दी जाए, जिसे 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान पूरी तरह से चुकाया जाएगा।
26. पूंजीगत बाजारों से संसाधन जुटाने में मौजूदा कठिनाई को देखते हुए, कॉरपोरेट्स को बैंकों से उनकी वित्त पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए, बैंकों की समूह एक्सपोज़र सीमा को पात्र पूंजी आधार के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया जा रहा है। बढ़ी हुई सीमा 30 जून 2021 तक लागू रहेगी।
(घ) राज्य सरकारों द्वारा सामना की जाने वाली वित्तीय बाधाओं को कम करने के उपाय
राज्य सरकारों के समेकित ऋण शोधन निधि (सीएसएफ) - दिशानिर्देशों में ढील
27. राज्यों पर बांड मोचन दबाव को कम करने के लिए, यह निर्णय किया गया है कि सीएसएफ से आहरण नियंत्रित करने वाले नियमों में ढील दी जाए, जबकि उसी समय यह सुनिश्चित करना होगा कि निधि शेष की कमी विवेकपूर्ण तरीके से की जा रही है। सामान्य अनुमत आहरण के साथ, यह उपाय राज्यों को 2020-21 में देय उनके बाजार उधार के लगभग 45 प्रतिशत मोचन को पूरा करने में सक्षम करेगा। आहरण मानदंडों में यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू होगा और 31 मार्च 2021 तक मान्य रहेगा।
28. उपरोक्त सभी घोषणाओं के लिए विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
समापन टिप्पणी
29. केंद्रीय बैंकों को आमतौर पर रूढ़िवादी संस्थानों के रूप में देखा जाता है। फिर भी, जब हवा का रुख बदलता है और परिस्थितियाँ विपरित हो तब सहायता के लिए उनकी ओर ही देखता है। जैसा कि मैंने पहले कहा है, अज्ञात भविष्य की गतिशीलता को संबोधित करने के लिए रिज़र्व बैंक सतर्क रहना जारी रखेगा और, इस युद्ध में अपने सभी साधनों और यहां तक कि नए वाले का उपयोग करने में तत्पर होगा , जैसा कि हाल के अनुभव में दर्शाया गया है। जैसा कि मैंने पहले बताया हमारे लक्ष्य हैं, (i) वित्तीय प्रणाली और वित्तीय बाजारों को मजबूत, तरल, और सुचारू रूप से कार्य करने लायक बनाना; (ii) सभी तक वित्त की पहुंच सुनिश्चित करना, विशेष रूप से वित्तीय बाजारों से बाहर हुए लोगों के लिए; और (iii) वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना। यह हमारा प्रयास होगा कि रिज़र्व बैंक के कार्य और रुख, बेहतर कल की नींव रखने में योगदान कर सकें। आज की परीक्षा दर्दनाक हो सकती हैं, लेकिन साथ में हम जीतेंगे। धन्यवाद।
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