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बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 में संशोधन

उप गवर्नर

बैंकिंग लोकपाल योजना 2006

अधिसूचना

संदर्भ उशिसंवि पीआरएस सं. 6317/13.01.001/2016-17

जून 16, 2017

बैंकिंग अधिनियम 1949 (1949 का 10) की धारा 35 - क में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और 26 दिसंबर 2005 की अधिसूचना सं आरपीसीडी बीओएस सं 441/13.01.01/2005-06, 24 मई 2007 की अधिसूचना सं आरपीसीडी बीओएस सं 4638/13.01.01/2006-07, तथा 3 फरवरी 2009 की अधिसूचना सं सीएसडी बीओएस सं 4736/13.01.01/2008-09 में आंशिक संशोधन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा संलग्नक में बताए अनुसार बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 में संशोधन करता है । भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा सभी वाणिज्य बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों को निर्देश देता है कि वे यथासंशोधित बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 का अनुपालन करें ।

2. योजना में सभी संशोधन 1 जुलाई 2017 से लागू होंगे ।

(एस.एस.मूंदड़ा)


अनुबंध

बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 में संशोधन

1. बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 (इसमें इसके पश्चात 'मुख्य योजना' के रूप में संदर्भित) के पैरा 7 के उप पैरा (2) को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्-

(2) बैंकिंग लोकपाल, खण्ड 8 में उल्लिखित आधार पर दर्ज की गई बैंकिंग अथवा अन्य सेवाओं में कमियों से संबंधीत शिकायतें, शिकायत की गई सेवा में कमी के वित्तीय मूल्य को ध्यान मे लिए बिना, प्राप्त करेगा तथा उनका संतोषजनक हल निकालेगा तथा संबंधित बैंक और पीड़ित पक्ष के बीच करार, समायोजन तथा मध्यस्थता से निपटारा करेगा अथवा योजना के अनुरूप निर्णय देगा ।

2. मुख्य योजना में, पैरा 8 के उप पैरा (1) के खंड (ठ) को हटाया जाएगा और पैरा 8 के उप पैरा (1) में खण्ड (ट) के बाद निम्नलिखित खंड (ठ), (ड) और (ढ) को सम्मिलित किया जाएगा-

(ठ) बैंक या उनके अनुषंगियों द्वारा एटीएम / डेबिट कार्ड और प्रीपेड कार्ड के भारत में परिचालन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के निम्नलिखित में से किसी से संबन्धित अनुदेशों का, अनुपालन न करना :

  1. एटीएम द्वारा राशि नहीं निकली पर खाते से नामे की गई

  2. एटीएम में से एक आहरण या पीओएस पर एक ही लेनदेन के लिए एक से अधिक बार खाता नामे किया जाना

  3. एटीएम द्वारा कम / अधिक राशि प्रदत्त करना

  4. कार्ड अथवा कार्ड के विवरण का उपयोग किए बिना खाता नामे करना

  5. चोरी /क्लोन किए गए कार्ड का उपयोग

  6. अन्य

(ड) बैंक या उनके अनुषंगियों द्वारा क्रेडिट कार्ड के संचालन के परिचालन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के निम्नलिखित में से किसी से संबन्धित अनुदेश का अनुपालन न करना

  1. एड-ऑन कार्ड, कार्ड के लिए बीमा आदि संबंधी अवांछित कॉल

  2. जीवनभर के लिए निःशुल्क जारी किए गए कार्ड पर वार्षिक शुल्क लगाना

  3. गलत बिलिंग /गलत नामे

  4. धमकी भरे कॉल / वसूली एजेंटों द्वारा वसूली के लिए अनुचित व्यवहार तथा वसूली एजेंटों को तैनात करने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्दशों का अनुपालन न करना

  5. साख सूचना ब्यूरो को साख जानकारी की गलत रिपोर्टिंग

  6. साख सूचना ब्यूरो को रिपोर्ट की गई गलत साख सूचना से गलत क्रेडिट पात्रता को सही करने में विलंब या असफल होना

  7. अन्य

(ढ) बैंक द्वारा भारत में मोबाइल बैंकिंग / इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवा के संबंध में रिज़र्व बैंक के निर्देशों, निम्नलिखित में किसी का भी अनुपालन न करना:

  1. ऑनलाइन भुगतान / निधि अंतरण में देरी या विफलता

  2. अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान / निधि अंतरण,

3. मुख्य योजना के पैरा 8 के उप पैरा 1 के (ड) से (न) के खंड क्रमशः (ण) से (फ) के रूप में नामित किए जाएंगे।

4. मुख्य योजना में, खंड (न) के बाद पैरा 8 के उप पैरा (1) में निम्नलिखित खंड (ब) सम्मिलित किया जाएगा: -

(ब). पैरा-बैंकिंग गतिविधियों जैसे कि बीमा / म्यूचुअल फंड / अन्य पक्ष के निवेश उत्पादों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के निम्न से संबन्धित दिशानिर्देशों का बैंकों द्वारा अनुपालन न करना:

  1. अन्य पक्ष के वित्तीय उत्पादों की अनुचित, अनुपयुक्त बिक्री

  2. बिक्री में गैर-पारदर्शिता / पर्याप्त पारदर्शिता की कमी

  3. उपलब्ध शिकायत निवारण तंत्र की जानकारी न देना

  4. बैंकों द्वारा बिक्री के बाद सेवा सुविधा देने में देरी या इनकार

5. मुख्य योजना के पैरा 8 के उप पैरा 1 में खंड (प) को खंड (भ) के रूप में नामित किया गया है ।

6. 'मुख्य योजना' में, पैरा 11 के उप पैरा (2) को उप-पैरा (2) और (3) द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात,

(2) शिकायत के निवारण के प्रयोजन से बैंकिंग लोकपाल ऐसी किसी प्रक्रिया को अपना सकता है जिसे वह न्यायोचित समझें और वह साक्ष्य के संबंध मे किसी भी कानूनी नियम से बाध्य नहीं होगा, हालांकि, ऐसी प्रक्रिया मे बैंकिंग लोकपाल के लिए जरूरी है कि, वह कम से कम बैंक द्वारा दिए गए लिखित निवेदन पर शिकायतकर्ता को अपना कहना दस्तावेजी साक्ष्य के साथ लिखित रूप में समय सीमा के भीतर प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करें।

बशर्ते, जहां बैंकिंग लोकपाल की राय में दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य और लिखित निवेदन, निर्णय पर पहुंचने के लिए पर्याप्त निश्चायक नहीं हैं, वह बैंक या संबंधित अनुषंगियों और शिकायतकर्ता की, एक साथ, बैठक कर सकता है ताकि सौहार्दपूर्ण निर्णय का संप्रवर्तन किया जा सके।

बशर्ते जहां ऐसी बैठक आयोजित की जाती है और शिकायत के समाधान हेतु पारस्परिक स्वीकार्य निर्णय लिया जाता है, इस बैठक के कार्यवृत्त को लिखा जाएगा और बैठक मे पक्षकारों द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव हस्ताक्षरित किया जाएगा और इसके पश्चात बैंकिंग लोकपाल, निपटान के तथ्यों को रिकॉर्ड करते हुए आदेश पारित करेगा जसके साथ निपटान की शर्तों को सम्मिलित किया जाएगा ।

(3) बैंकिंग लोकपाल निम्न में से किसी भी परिस्थिति में मान लेगा कि शिकायत का निवारण किया गया:

क. जहां शिकायतकर्ता द्वारा उठाई गई शिकायत को बैंक या बैंक की अनुषंगी द्वारा बैंकिंग लोकपाल के हस्तक्षेप से सुलझाया गया है; अथवा

ख. सुलह और मध्यस्थता के आधार पर बैंकिंग लोकपाल द्वारा प्रदत्त शिकायत निवारण का तरीका तथा समाधान सीमा से शिकायतकर्ता लिखित रूप में या अन्यथा सहमत हो।

ग. बैंकिंग लोकपाल के विचार में बैंक ने प्रचलित बैंकिंग मानदंड और पद्धति का पालन किया है और शिकायतकर्ता को इस संबंध में उचित ढंग से सूचित किया गया है और शिकायतकर्ता के आक्षेप, यदि कोई हो, तो बैंकिंग लोकपाल द्वारा निर्धारित समय सीमा में प्राप्त नहीं हुए है।

7. 'मुख्य योजना' में, पैरा 11 के उप पैरा (3) को उप-पैरा (4) के रूप में पुन: सांख्यांकित किया जाएगा।

8. 'मुख्य योजना' में, पैरा 12 के उप पैरा (5) और (6) को निम्नानुसार प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् –

(5) उपखंड (4) में किसी भी प्रकार का उल्लेख होने के बावजूद, बैंकिंग लोकपाल के पास ऐसी राशि के भुगतान हेतु अधिनिर्णय पारित करने की शक्ति नहीं होगी जो बैंक की भूलचूक के प्रत्यक्ष परिणाम स्वरूप शिकायतकर्ता को हुई वास्तविक हानि से अधिक अथवा 20 लाख रुपए, जो भी कम हो। बैंकिंग लोकपाल द्वारा अधिनिर्णीत हानि की क्षतिपूर्ति, विवाद की राशि से अतिरिक्त होगी।

(6) शिकायतकर्ता के समय की फिजूलखर्ची, शिकायतकर्ता द्वारा किया गया व्यय, शिकायतकर्ता को हुई परेशानी और मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए, बैंकिंग लोकपाल, शिकायतकर्ता को उपर्युक्त के अलावा, एक लाख रुपये तक का मुआवजा दिला सकता है ।

9. 'मुख्य योजना' में, पैरा 13 के उप पैरा (क) को उप पैरा (क) और (ख) द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात –

क. खण्ड 8 में संदर्भित शिकायत के आधार पर नहीं; अथवा

ख. अन्यथा खण्ड 9 के उपखंड (3) के अनुरूप नहीं; अथवा

'मुख्य योजना' में, पैरा 13 के उप पैरा (ख) से (च) को क्रमशः उप पैरा (ग) से (छ) के रूप में क्रमश: पुन: सांख्यांकित किया जाएगा

10. 'मुख्य योजना' में, पैरा 13 के तहत, निम्न उप-पैरा (2) सम्मिलित किया जाएगा: -

2. बैंकिंग लोकपाल को यदि कार्यवाही के किसी भी स्तर पर यह प्रतीत होता है कि शिकायत उसी कारण से संबंधित नहीं है जिसके लिए किसी भी न्यायालय, न्यायाधिकरण या मध्यस्थ या किसी अन्य फोरम़ मे कार्यवाही लंबित है अथवा ऐसे किसी न्यायालय, न्यायाधिकण, मध्यस्थ या फोरम द्वारा कोई निर्णय या अधिनिर्णय दिया गया है यह कारण बताते हुए बैंकिंग लोकपाल शिकायत को खारिज करते हुए एक आदेश पारित कर सकता हैं।

11. 'मुख्य योजना' में, खण्ड 14 के उप पैरा (1) को उप पैरा (1) द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात

14.(1) खण्ड 12 के अधीन किसी अधिनिर्णय या खण्ड 13 के उप खण्ड (घ) से (छ) तक उल्लिखित कारणों से शिकायत की नामंजूरी से व्यथित कोई भी व्यक्ति अधिनिर्णय या शिकायत की नामंजूरी की सूचना प्राप्ति की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकता है;


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