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विनियमों के समेकन पर व्याख्यात्मक नोट

पृष्ठभूमि

1. पिछले कुछ दशकों में, समय-समय पर प्रचलित विनियामक प्रतिमानों के अंतर्गत और विनियामक परिधि के उत्तरोत्तर विस्तार के फलस्वरूप, रिज़र्व बैंक द्वारा विविध अधिनियमों द्वारा प्रदत्त सांविधिक शक्तियों के अंतर्गत अनेक निदेश जारी किए गए हैं, जिन्हें अलग-अलग स्तरों पर विनियमित संस्थाओं पर लागू किया गया है। यद्यपि समय के साथ विनियामक ढाँचे की जटिलता में वृद्धि एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, फिर भी कुछ विनियमित संस्थाओं पर विनियामक और पर्यवेक्षी शक्तियों/अधिकारक्षेत्रों का विखंडन और नए निदेश जारी होने पर पिछले निदेशों के स्पष्ट अथवा औपचारिक अधिक्रमण अथवा निरसन में अंतराल ने विनियामक ढाँचे की जटिलता को और बढ़ा दिया है।

2. समेकन की वर्तमान प्रक्रिया विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए) द्वारा किए गए कार्य को आगे बढ़ाती है, जिसे जनता, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर विनियमों, परिपत्रों, रिपोर्टिंग प्रणालियों की समीक्षा के लिए स्थापित किया गया था, जैसा कि 15 अप्रैल, 2021 की प्रेस विज्ञप्ति में घोषित किया गया था। यह स्मरणीय है कि आरआरए ने अन्य बातों के साथ-साथ 714 परिपत्रों को वापस लेने और 65 रिटर्न को बंद करने/विलय करने/ऑनलाइन जमा करने की सिफारिश की थी।

समेकन के लिए अपनाया गया दृष्टिकोण

3. प्रत्येक प्रकार की विनियमित इकाई के लिए मास्टर निदेश अलग-अलग तैयार किए गए हैं। इस प्रयोजन हेतु, 11 प्रकार की विनियमित इकाइयो पर विचार किया गया है: (ए) वाणिज्यिक बैंक; (बी) लघु वित्त बैंक; (सी) भुगतान बैंक; (डी) स्थानीय क्षेत्र बैंक; (ई) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक; (एफ) शहरी सहकारी बैंक; (जी) ग्रामीण सहकारी बैंक; (एच) अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान; (आई) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ; (जे) आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ; और (के) क्रेडिट सूचना कंपनियाँ। इन्हें इन 11 प्रकार की विनियमित संस्थाओं के लिए विनियामक अनुरदेशों के लगभग 30 कार्यों/क्षेत्रों में व्यवस्थित किया गया है।

4. इस समेकन में रिज़र्व बैंक के विनियमन विभाग द्वारा प्रशासित सभी विनियामक अनुदेश शामिल हैं। इस प्रकार, समेकन में विनियमन विभाग (डीओआर) द्वारा जारी अनुदेश और उन पूर्ववर्ती विभागो (जिनका अब आंशिक अथवा पूर्ण रूप से डीओआर में विलय हो चुका है) द्वारा जारी अनुदेश भी शामिल हैं।

5. समेकन 'जैसा है' के आधार पर किया गया है, जिसमें केवल शब्दावली को अद्यतन करने अथवा विद्यमान भाषा में अस्पष्टता को दूर करने के लिए चुनिंदा संपादकीय हस्तक्षेप किए गए हैं, अर्थात, अनुदेशों की कोई समीक्षा नहीं की गई है।

6. अप्रचलित अथवा कालबाह्य माने जाने वाले विद्यमान अनुदेशों को समेकित मास्टर निदेशों में शामिल नहीं किया गया है तथा उन्हें निरस्त कर दिया जाएगा।

7. नाबार्ड द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य केंद्रीय सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों को जारी किए गए विनियामक अनुदेशों को भी नाबार्ड के परामर्श से समेकित किया गया है।

8. बैंकों का क्रम निर्धारण; बैंकों के नामों में परिवर्तन; एएमएल/टीएफ सूची अद्यतन; सीआरआर/एसएलआर में परिवर्तन; आदि जैसे क्षेत्रों पर जारी परिपत्रों/अनुदेशों को एकल परिपत्र के रूप में रखा गया है तथा संदर्भ प्राप्त करने में आसानी के लिए उन्हें समेकित किया गया है।

समेकित मास्टर निर्देशों का प्रारूप

9. समेकित मास्टर निदेशों का प्रारूपण एक सतत-प्रवाह दृष्टिकोण से किया गया है, जिसमें मास्टर निदेशों के प्रमुख तत्वों को मुख्य भाग में शामिल किया गया है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक द्वारा अपनाई गई वर्तमान पद्धति की तुलना में प्रारूपण में निम्नलिखित प्रमुख संशोधन किए गए हैं:

  1. अनुदेशों की सलाहकारी प्रकृति को अभिव्यक्त करने वाली उपयुक्त भाषा का प्रयोग करते हुए सलाहकारी तत्वों को मुख्य पाठ के भाग के रूप में शामिल किया गया है।

  2. एफएक्यू को युक्तिसंगत बनाया गया है। मौजूदा एफएक्यू, जिनमें विनियामक अनुदेश शामिल थे, को मास्टर निदेश के पैरा में परिवर्तित कर दिया गया है। एफएक्यू, जो विनियामक स्पष्टता प्रदान करते हैं अथवा विनियामक सिद्धांतों के अनुप्रयोगों को दर्शाते हैं, उन्हें उपयुक्त पैरा के बाद पाठ में शामिल कर दिया गया है।

  3. स्पष्टीकरण को भी मास्टर निर्देश के अनुलग्नक के रूप में शामिल करने के बजाय, उपयुक्त पैराग्राफ के बाद पाठ में शामिल किया गया है।

  4. मास्टर निदेश के अनुलग्नक मुख्यतः प्रारूपों/फार्म तक ही सीमित रखे गए हैं।

  5. बोर्ड की जिम्मेदारियों से संबंधित अनुदेशों को प्रत्येक मास्टर निदेश में एक ही स्थान पर एकत्रित किया गया है।

10. विनियामक अनुदेशों को पृथक विनियामक क्षेत्र/कार्यप्रणाली पर प्रत्येक प्रकार की विनियमित संस्था के लिए अलग-अलग मास्टर निदेशों में व्यवस्थित किया गया है। इसके अतिरिक्त, शेष विनियामक अनुदेशों को प्रत्येक विनियमित संस्था के लिए एक अलग विविध मास्टर निदेश में समेकित किया गया है।


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