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किस्से

किस्सा 2: डिविडेंड वारंट

भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना शेयर धारकों के बैंक के रूप में की गई थी। मार्च 1935 में किया गया यह शेयर फ्लोटेशन देश में अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा प्रयास था। इसके बावजूद, ईश्यू अति-अभिदत्त (ओवरसब्सक्राइब्ड) हो गया था। ऊपर की छवि शेयरधारकों को 1936 में जारी किए गए प्रथम लाभांश वारंटों में से है।

दिलचस्प बात है कि लाभांश की दर और आयकर की दर भी पूरी मात्रा में व्यक्त है, अर्थात्, रुपये, आना और पैसे में।

लाभांश दर 2 रुपये और 10 आने बताई गई है।

प्रमाणपत्र पर आयकर की दर 30 1/3 पाई प्रति रुपए है।

प्रश्न 1 क्या लाभांश दर हम प्रतिशत में निकाल सकते हैं?

प्रश्न । आयकर की दर भी प्रतिशत में बताएं।

संकेत:

प्रश्न 1: आपको जानना होगा कितने आने का एक रुपया।

प्रश्न 2: दर "पाई" प्रति रुपए में व्यक्त की गई है। आपको जानना होगा कितने "पाई" का एक रुपया, यानी आपको उस समय प्रचलित मौद्रिक प्रणाली को जानना होगा।

1935 में मौद्रिक प्रणाली में रुपए, आना, पैसे और पाई थी। कितने पाई का एक पैसा,कितने पैसे का एक आना और कितने आने का एक रुपया, यह जानने के लिए संग्रहालय (म्यूजियम) की साइट पर जाएं।आपको यह जानकारी रिपब्लिक इंडिया के तहत कॉइनेज सेक्शन में RBI Monetary Museum > Republic India Coinageपर मिलेगी।

जोड़ने का आनंद उठाइए! भारत दशमलव प्रणाली में 1957 में आया। इसने लेखांकन (अकाउंटिंग) को काफी आसान कर दिया। क्या आप खुश नहीं हैं कि हमारा समय पहले से आसान है!



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