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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश – भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों / भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन

भा.रि.बैंक/विमुवि/2015-16/2
एफ़ईडी मास्टर निदेश सं.06/2015-16

1 जनवरी 2016

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक

महोदया / महोदय

मास्टर निदेश – भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों /
भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन

भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए (INR) में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 4/2000-आरबी के जरिए अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा-6 की उप-धारा 3 के खंड (ई) द्वारा विनियमित किए जाते हैं। इन विनियमों में विनियामक ढाँचे में हुए परिवर्तनों को अंतर्निहित करने के लिए समय-समय पर संशोधन किया जाता है और संशोधित अधिसूचनाओं के जरिए प्रकाशित किया जाता है।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक इन विनियमों की रूपरेखा के भीतर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है। ये निदेश प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा विनियमों के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए अपने ग्राहकों/घटकों के साथ किए जाने वाले विदेशी मुद्रा कारोबार के तौर-तरीके निर्धारित करते हैं।

3. इस मास्टर निदेश में उपर्युक्त लेनदेनों के संबंध में जारी अनुदेशों को और भारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास भारत से बाहर किसी बैंक द्वारा रखे गए भारतीय रुपए (INR) केखाते में ओवरड्राफ्ट से संबंधित अनुदेशों को भी समेकित किया गया है क्योंकि बाद वाले अनुदेशों का सेट भी उपर्युक्त विनियमावली का भाग है। इस मास्टर निदेश के आधार स्वरूप निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग अनुदेश, रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में पाये जा सकते हैं (1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 18)।

4. यह नोट किया जाए कि जब कभी आवश्यक हो, रिज़र्व बैंक विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों/घटकों के साथ किए जाने वाले संबंधी लेनदेनों के तरीके में किसी परिवर्तन के संबंध में ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्रों के जरिए प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी मास्टर निदेश में साथ-साथ यथोचित रूप से संशोधन किया जाएगा।

भवदीय,

(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

भाग I
1. मास्टर निदेश में प्रयुक्त महत्वपूर्ण शब्द (Terms)
2. भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा अनिवासी भारतीयों (NRIs)/ भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIOs)से भारतीय रुपए में उधार लेना
2.1 उधार लेने के दो मार्ग
2.1.1 भारत में कंपनियों से अन्य व्यक्तियों द्वारा भारतीय रुपए में उधार लेना
2.1.2 भारत में कंपनियों द्वारा भारतीय रुपए में उधार लेना
2.1.3 उधार ली गई निधियों के उपयोग पर प्रतिबंध
2.2 रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ
3. प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा अनिवासी भारतीयों को भारतीय रुपए में उधार देना
3.1 निजी आवश्यकताओं तथा निजी कारोबार प्रयोजनों के लिए उधार देना
3.2 कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के अंतर्गत शेयर अर्जित करने हेतु उधार देना
4. प्राधिकृत व्यापारी अथवा आवास वित्त संस्था द्वारा NRIs/ PIOs को आवास प्रयोजन हेतु भारतीय रुपए में उधार देना
5. भारतीय निकाय निगमों द्वारा अपने NRI/ PIO कर्मचारियों को भारतीय रुपए में ऋण
6. निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी भारतीय को भारतीय रुपए में ऋण
7. उधारकर्ता /उधारदाता की स्थिति मेंभारत में निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर के निवासी व्यक्तिके रूप में परिवर्तन
7.1 उधारकर्ता की स्थिति में भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति के रूप में परिवर्तन
7.2 उधारदाता की स्थिति में भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति के रूप में परिवर्तन
भाग II
8. प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अपनी शाखाओं/संपर्ककर्ता बैंकों/भारत के बाहर के प्रधान कार्यालय के लिए ओवरड्राफ्ट
परिशिष्ट

संक्षेपाक्षर

एफसीएनआर (बी): विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक)
एफइडी: विदेशी मुद्रा विभाग
एफइएमए: विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999
इएसओपी: कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना
एचएफआई: आवास वित्त संस्था
आइएनआर: भारतीय रुपया
एलआरएस: उदारीकृत विप्रेषण योजना
एनएचबी: राष्ट्रीय आवास बैंक
एनसीडी: अपरिवर्तनीय डिबेंचर
एनआरइ: अनिवासी बाह्य
एनआरआई: अनिवासी भारतीय
एनआरओ: अनिवासी साधारण
एनआरएनआर: अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय
एनआरएसआर: अनिवासी विशेष रुपया
पीआईओ: भारतीय मूल का व्यक्ति
आरबीआई: भारतीय रिज़र्व बैंक
टीडीआर: अंतरणीय विकास अधिकार

मास्टर निदेश - भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन

भाग I

1.इस मास्टर निदेश में प्रयुक्त महत्वपूर्ण शब्द (Terms)

1.1 इस विनियमावली में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,‘प्राधिकृत व्यापारी’,‘प्राधिकृत बैंक’,‘अनिवासी भारतीय’‘भारतीय मूल का व्यक्ति’, ‘एनआरई खाता’,‘एनआरओ खाता’,‘एनआरएनआर’ खाता’,‘एनआरएसआर खाता’ तथा एफसीएनआर (बी) खाता’ का अर्थ वही होगा, जो 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 5/2000-आरबी के जरिए अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 में क्रमश: उन्हें दिया गया है।

1.2 ‘आवास वित्त संस्था’ और ‘राष्ट्रीय आवास बैंक’ का अर्थ वही होगा जो राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 में उन्हें दिया गया है।

1.3 ‘उदारीकृत विप्रेषण योजना’ का अर्थ 4 फरवरी 2004 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 64 और समय-समय पर यथा संशोधित (विनियमावली) के अनुसार तैयार की गई योजना है।

1.4 ‘भारतीय मूल का व्यक्ति’ और ‘भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति’ का अर्थ वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धाराएँ 2(v) और 2(w) में उन्हें दिया गया है।

1.5 ‘रिश्तेदार’ का अर्थ कंपनी अधिनियम, 1956/2013 के अंतर्गत यथा परिभाषित ‘रिश्तेदार’ है:

1956 का अधिनियम 2013 का अधिनियम

धारा 6 के अंतर्गत: ‘रिश्तेदार’ का अर्थ

कोई व्यक्ति दूसरे का रिश्तेदार समझा जाएगा, यदि, और केवल यदि,

(ए) वे हिन्दू अविभक्त परिवार के सदस्य हैं; अथवा

(बी) वे पति और पत्नी है; अथवा

(सी) एक दूसरे से अनुसूची IA में दर्शाए गए तरीके से संबंधित है।

धारा 2(77) के अंतर्गत:किसी व्यक्ति के संदर्भ में ‘रिश्तेदार’ का अर्थ ऐसा कोई व्यक्ति जो दूसरे से संबंधित है, यदि –

(i) वे हिन्दू अविभक्त परिवार के सदस्य हैं;

(ii) वे पति और पत्नी है; अथवा

(iii) एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से यथा विनिर्दिष्ट तरीके से संबंधित है।

अनुसूची IA यथा विनिर्दिष्ट
पिता पिता (सौतेले पिता सहित)
माता (सौतेली माता सहित) माता (सौतेली माता सहित)
पुत्र (सौतेले पुत्र सहित) पुत्र (सौतेले पुत्र सहित)
पुत्र की पत्नी पुत्र की पत्नी
कन्या (सौतेली कन्या सहित) कन्या
1956 का अधिनियम 2013 का अधिनियम
दादा कन्या का पति
दादी भाई (सौतेले भाई सहित)
नाना बहन (सौतेली बहन सहित)
नानी -
पुत्र का पुत्र -
पुत्र की पुत्र की पत्नी -
पुत्र की कन्या -
पुत्र की कन्या का पति -
कन्या का पति -
कन्या का पुत्र -
कन्या के पुत्र की पत्नी -
कन्या की कन्या -
कन्या की कन्या का पति -
भाई (सौतेले भाई सहित) -
भाई की पत्नी -
बहन (सौतेली बहन सहित) -
बहन का पति -

1.6 ‘अंतरणीय विकास अधिकार’का अर्थ वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000 में उसे दिया गया है।

टिप्पणी :

01 अप्रैल 2002 से, NRNR खाता योजना अथवा NRSR खाता योजना के अंतर्गत कोई जमाराशि, भले मौजूदा राशि के नवीकरण के रूप में अथवा अन्यथा के रूप में, का स्वीकार नहीं किया जा सकता है। मास्टर निदेश में उल्लिखित प्रावधान तदनुसार पढ़े जाएँ।

2. भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों से भारतीय रुपए मेंउधार लेना

2.1 उधार लेने के लिए अनुमत मार्ग: भारत में निवासी व्यक्ति अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों से निम्नलिखित दो मार्गों के अंतर्गत भारतीय रुपए में उधार ले सकते हैं:

2.1.1 भारत में कंपनियों को छोड़कर व्यक्तियों द्वारा भारतीय रुपए में उधार लेना: भारत में निवास करने वाला कोई व्यक्ति, भारत में निगमित कंपनी न होने पर,अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों सेनिम्नलिखित शर्तों के अधीन रुपए में उधार ले सकता है:

  1. ऐसा उधार केवल अप्रत्यावर्तनीय आधार पर होगा;

  2. ऋण की राशि भारत के बाहर से आवक विप्रेषण के द्वारा अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी या प्राधिकृत बैंक के पास रखे गए उधारदाता के NRE/NRO/FCNR(B)/NRNR/NRSR खाते में नामे डालकर प्राप्त की जाएगी;

  3. ऋण की अवधि तीन वर्षों से अधिक नहीं होगी;

  4. ऋण पर ब्याज की दर ऋण प्राप्त करने की तारीख को प्रचलित बैंक दर से दो प्रतिशत अंक से अधिक नहीं होगी;

  5. ब्याज की अदायगी और ऋण की चुकौती केवल उधारदाता के अनिवासी साधारण (NRO) खाते में जमा करके की जाएगी।

2.1.2 भारत में कंपनियों द्वारा भारतीय रुपए में उधार लेना: भारत में निगमित कोई कंपनीअनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों सेप्रत्यावर्तन या अप्रत्यावर्तन के आधार पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारतीय रुपए में उधार ले सकती है:

i. उधार लेने वाली कंपनी निम्न व्यवसाय नहीं करती है और नहीं करेगी:

ए. कृषि/बागान/भूमि-भवन कारोबार; अथवा

बी. अंतरणीय विकास अधिकारों में व्यापार; अथवा

सी. निधि या चिट फंड कंपनी के रूप में कार्य ।

ii. उधार अपरिवर्तनीय डिबेंचर (NCDs) जारी करते हुए लिया जाता है;

iii. अपरिवर्तनीय डिबेंचरों का निर्गम सार्वजनिक प्रस्ताव द्वारा किया जाता है;

iv. ब्याज की दर उधार लेने वाली कंपनी की आम सभा में उक्त निर्गम का अनुमोदन करते हुए संकल्प को पारित करने की तारीख को विद्यमान भारतीय स्टेट बैंक की मूल उधार दर और तीन प्रतिशत से अधिक न हो;

v. ऋण की अवधि तीन वर्षों से कम नहीं होगी;

vi. यदि उधार प्रत्यावर्तन आधार पर है, तो जारी किए गए सभी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों के कुल प्रदत्त मूल्य में से अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल केव्यक्तियों को जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (NCDs) का प्रतिशत,भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए इक्विटी शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों के निर्गम हेतु निर्धारित उच्चतम सीमा से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा, उधार के लिए निधियाँ, भारत के बाहर से आवक विप्रेषण के जरिए अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास रखे गए निवेशक के अनिवासी बाह्य/ विदेशी मुद्रा अनिवासी खाते (बैंक) में नामे डालते हुए प्राप्त की जाएगी।

vii. यदि उधार अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों से अप्रत्यावर्तन आधार पर है, तो ऋण की राशि भारत के बाहर से आवक विप्रेषण के जरिए अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास रखे गए निवेशक के NRE/NRO/FCNR(B)/NRNR/NRSR खाते में नामे डालते हुए प्राप्त की जाएगी। ब्याज की अदायगी और मूल राशि की चुकौती केवल उधारदाता के NRO खाते में की जाएगी।

2.1.3 उधार ली गई निधियों के प्रयोग पर प्रतिबंध : उपर्युक्त 2.1.1 और 2.1.2 के तहत दिये गए प्रावधानों के भीतर उधार ली गई निधियों की आगम राशि का उपयोग निम्नलिखित प्रतिबंधों के अधीन किया जा सकता है:

  1. आगम राशि का उपयोग उधारकर्ता के उपर्युक्त 2.1.2 i में उल्लिखित से अन्य निजी व्यवसाय के लिए ही किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, फार्म हाउसेस के निर्माण के लिए भी अनुमति नहीं दी जाएगी। भूमि और भवन के कारोबार पर इस प्रतिबंध में उपनगरों का विकास, आवासीय/वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों और पुलों का निर्माण शामिल नहीं है।

  2. आगम राशि का उपयोग निवेश अथवा किसी भी तरीके से पुन: उधार देने के लिए नहीं किया जाएगा। तथापि, रिज़र्व बैंक इन उधारकर्ताओं को इस प्रकार उधार ली गई राशि का उपयोग, अनुमत अंतिम उपयोग के लिए प्रयोग किए जाने तक इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पुन: उधार देने अथवा भारत में बैंकों के पास मीयादी जमाराशि में रखने के लिए करने हेतु अनुमति दे सकता है।

2.2 रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ : उपर्युक्त 2.1.2 के तहत उधार के लिए, उधारकर्ता कंपनी को निम्न की तारीख से 30 दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक के नजदीकतम कार्यालय में फाइल करना होगा:

2.2.1 NCDs में निवेश के लिए विप्रेषण की रसीद, प्राप्त किए गए विप्रेषणों के पूरे ब्योरे, अर्थात (ए) ऐसे अनिवासी भारतीयों के नाम और पतों की सूची, जिन्होंने प्रत्यावर्तन और/अथवा अप्रत्यावर्तन आधार पर निवेश के लिए निधियाँ प्रेषित की हैं, (बी) विप्रेषण की राशि और प्राप्त होने की तारीख तथा उसके समकक्ष रुपए; और (सी) प्राधिकृत व्यापारियों के नाम और पते, जिनके जरिए विप्रेषण प्राप्त किए गए हैं; साथ ही

2.2.2 अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स के निर्गम, निवेश के पूरे व्योरे, अर्थात (ए) अनिवासी भारतीयों के नाम और पतों की सूची तथा प्रत्यावर्तन और/अथवा अप्रत्यावर्तन आधार पर उनमें से प्रत्येक को जारी किए गए अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स की संख्या और (बी) उनके कंपनी सचिव से इस आशय का प्रमाणपत्र कि NCDs के निर्गम के संबंध में सभी लागू प्रावधानों का विधिवत पालन किया गया है।

3. प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अनिवासी भारतीयों को भारतीय रुपए में उधार देना

3.1 निजी आवश्यकताएँ अथवा निजी व्यवसाय प्रयोजनों के लिए उधार देना: भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी किसी अनिवासी भारतीय को, बाद वाले द्वारा धारित शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों की जमानत पर अथवा अचल संपत्ति (कृषि अथवा बागान अथवा फार्म हाउस को छोड़कर) की जमानत पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारतीय रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:

  1. ऋण का उपयोग उपर्युक्त 2.1.3.i में दिये गए प्रावधानों की पूर्ति के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, ऋण की राशि का उपयोग किसी अन्य क्रियाकलाप के लिए नहीं किया जा सकता जिसमें विदेशी निवेश के लिए अनुमति नहीं है। यह तभी भी लागू होगा जब ऋण का उपयोग किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर किया जाता है;

  2. ऋण राशि भारत के बाहर विप्रेषित नहीं की जाएगी अथवा उधारकर्ता के NRE/FCNR(B)/NRNR खाते में जमा नहीं की जाएगी;

  3. ऐसे ऋणोंके संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशों और शेयरों/प्रतिभूतियों/अचल संपत्ति की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिमों के संबंध में निर्देशों का विधिवत पालन किया जाएगा;

  4. ऋण की चुकौती भारत के बाहर से आवक विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता के NRE/ NRO/FCNR(B)/NRNR/NRSR खाते में नामे डालकर और/अथवा प्रतिभूतियों की बिक्री से प्राप्त राशि में से, जिनकी जमानत पर ऐसा ऋण प्रदान किया गया हो, की जाएगी । इसके अलावा, इन ऋणों की चुकौती भारत में उधारकर्ता के किसी रिश्तेदार (कंपनी अधिनियम के तहत यथा परिभाषित) द्वारा खाते से खाते में अंतरण द्वारा भी की जा सकती है ;

  5. प्राधिकृत व्यापारी उपर्युक्त में उल्लिखित शर्तों के अधीन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के लागू विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुपालन जैसी अतिरिक्त आवश्यकताओं के साथ अनिवासी भारतीय को किसी अन्य प्रयोजन के लिए भी भारतीय रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है बशर्ते कि वह प्राधिकृत व्यापारी की बोर्ड अनुमोदित नीति के अनुसार हो और ऋण राशि का उपयोग मार्जिन ट्रेडिंग और डेरिवेटिव सहित पूंजी बाजार में निवेश के लिए नहीं किया गया हो। ऋण की चुकौती भारत के बाहर से विप्रेषण द्वारा अथवा NRE/ FCNR(B)/NRO खाते में नामे डालकर की जाएगी।

3.2 कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के अंतर्गत शेयर अर्जित करने के लिए उधार देना: भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी भारतीय कंपनियों के अनिवासी भारतीय कर्मचारियों को कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के अंतर्गत कंपनी के शेयर अर्जित करने के लिए निम्नलिखित शर्तों पर भारतीय रुपये में ऋण प्रदान कर सकता है :

  1. कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के लिए उधार प्राधिकृत व्यापारी के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार दिया जाएगा और भारतीय रिज़र्व बैंक के पूंजी बाजार एक्सपोजर मानदंडों तथा अन्य विवेकपूर्ण मानदंडों की शर्त के अधीन होगा;

  2. ऋण की राशि शेयर की खरीद की कीमत के 90 प्रतिशत से अधिक अथवा प्रति अनिवासी भारतीय कर्मचारी के लिए 20 लाख भारतीय रुपयोंसे अधिक,जो भी निम्नतर है,नहीं होनी चाहिए;

  3. बैंकों द्वारा ऐसे ऋणों पर ब्याज की दर और मार्जिन, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अधीन निर्धारित की जाए;

  4. उक्त राशि की अदायगी सीधे कंपनी को की जाएगी और भारत में उधारकर्ताओं के अनिवासी खातों में जमा नहीं की जाएगी।

  5. ऋण राशि की चुकौती केभारत के बाहर से आवक विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता NRE/ FCNR(B)/NRO खाते में नामे डालकर की जाएगी।

4. प्राधिकृत व्यापारी अथवा आवास वित्त संस्था द्वारा अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति को आवास प्रयोजन के लिए भारतीय रुपए में उधार देना

भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी अथवा राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा अनुमोदित कोई आवास वित्त संस्था अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति को भारत में आवासीय स्थान अधिग्रहण करने हेतु निम्नलिखित शर्तों के अधीन आवास ऋण प्रदान कर सकता है:

  1. ऋणों की मात्रा, मार्जिन राशि और चुकौती की अवधि, भारत में निवास करने वाले व्यक्ति को प्रदान किए गए आवासीय वित्त के संबंध में लागू उन शर्तों के समान ही होगी;

  2. ऋण की राशि उधारकर्ता के अनिवासी बाह्य/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बी) अनिवासी प्रत्यावर्तन खाते में जमा नहीं की जाएगी;

  3. उक्त ऋण, अधिग्रहण किए जाने हेतु प्रस्तावित संपत्ति के साम्यिकबंधक, और यदि आवश्यक हो तो उधारकर्ता की भारत में स्थित अन्य आस्तियों पर ग्रहणाधिकार द्वारा भी, पूर्णत: सुरक्षित रखा जाएगा;

  4. ऋण की किस्त, ब्याज और अन्य प्रभार, यदि कोई हो, की अदायगी भारत के बाहर से विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता के NRE/FCNR(B)/NRNR/NRO/NRSR खाते की निधियों में से अथवा अर्जित संपत्ति किराए पर देने से उत्पन्न किराया आय में से अथवा भारत में उधारकर्ता के किसी रिश्तेदार द्वारा खाते से खाते में अंतरण द्वारा उधारकर्ता के ऋण खाते में राशि जमा करते हुए की जाएगी।

  5. ऋण पर ब्याज की दर भारतीय रिज़र्व बैंक और/अथवा राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा जारी किए गए निर्देशों, यदि कोई हो, के अनुरूप होगी।

5. भारतीय निकाय निगम द्वारा अपने अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति होने वाले कर्मचारियों को भारतीय रुपए में ऋण

भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई निकाय निगम अपने अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति होने वाले कर्मचारियों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:

  1. उक्त ऋण भारत में आवास संपत्ति की खरीद के साथ निजी प्रयोजनों के लिए ही प्रदान किया जाएगा;

  2. उक्त ऋण उधारदाता की स्टाफ कल्याण योजना/स्टाफ आवास ऋण योजना के अनुसार तथा भारत में अपने निवासी स्टाफ को लागू अन्य शर्तों पर प्रदान किया जाएगा;

  3. उधारदाता यह सुनिश्चित करेगा कि ऋण राशि का उपयोग उपर्युक्त 2.1.3 के तहत उल्लिखित प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाता है;

  4. उधारदाता ऋण राशि उधारकर्ता के NRO खाते में जमा करेगा तथा भुगतान लिखत पर विशिष्ट संकेत करते हुए ऐसे खाते में जमा करना सुनिश्चित करेगा;

  5. ऋण की चुकौती भारत के बाहर से विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता के NRE/NRO/FCNR(B) खाते से की जाएगी तथा अन्य किसी स्त्रोत से नहीं की जाएगी। यह शर्त ऋण करार में अंतर्निहित होगी।

6. निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी भारतीय को भारतीय रुपए में ऋण

कोई निवासी व्यक्ति अनिवासी भारतीय रिश्तेदार को रेखांकित चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण के रूप में निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारतीय रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:

  1. ऐसा ऋण ब्याज मुक्त है और ऋण की न्यूनतम परिपक्वता अवधि एक वर्ष है;

  2. ऋण की राशि किसी निवासी व्यक्ति के लिए उपलब्ध प्रति वित्तीय वर्ष उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत समग्र सीमा के भीतर होनी चाहिए, जो यह सुनिश्चित करेगा की लागू सीमा का भंग नहीं किया जाता है।

  3. ऋण का उपयोग उपर्युक्त 2.1.3.i में दिये गए प्रावधानों को पूरा करने के लिए किया जाएगा;

  4. ऋण की राशि भारत के बाहर विप्रेषित नहीं की जाएगी परंतु उधारकर्ता के NRO खाते में जमा की जाएगी।

  5. ऋण की चुकौती भारत के बाहर से आवक विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता के NRO/NRE/FCNR(B) खाते में नामे डालकर अथवा शेयरों अथवा प्रतिभूतियों अथवा अचल संपत्ति, जिनकी जमानत पर ऐसा ऋण प्रदान किया गया हो, की बिक्री से प्राप्त राशि में से की जाएगी ।

7. उधारकर्ता/ उधारदाता की भारत में निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन

7.1 उधारकर्ता की भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन: यदि उधारकर्ता, जिसने किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक से रुपये में ऋण/ओवरड्राफ्ट लिया है, की भारत में निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन होता है, तो प्राधिकृत व्यापारी बैंक उधारदाता की संतुष्टि की शर्त के अधीन ऋण/ओवरड्राफ्ट की मूल परिपक्वता तक उसे बनाए रखने के लिए अनुमति दे सकता है।जब तक उधारकर्ता भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्ति के रूप में रहना जारी रखता है, तब तक चुकौती भारत के बाहर से आवक विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता के NRE/FCNR(B)/NRNR/NRO/NRSR खाते से की जाएगी।

7.2 उधारदाता की भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन: यदि भारत में निवास करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा भारत में निवास करने वाले किसी अन्य व्यक्ति को रुपया ऋण प्रदान किया गया है तथा उधारदाता बाद में अनिवासी बन जाता है, तो निवासी उधारकर्ता द्वारा ऋण की चुकौती उधारदाता के अनिवासी साधारण (एनआरओ) खाते में राशि जमा करते हुए की जानी चाहिए।

भाग II

8. प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अपनी शाखाओं/संपर्ककर्ता बैंकों/भारत के बाहर के प्रधान कार्यालय को ओवरड्राफ्ट

प्राधिकृत व्यापारी अपनी भारत से बाहर स्थित शाखाओं, अथवा संपर्ककर्ता बैंकों अथवा प्रधान कार्यालय द्वारा उसके पास रखे गए भारतीय रुपया खातों में पाँच सौ लाख रुपये से अनधिक मूल्य के लिए अस्थायी ओवरड्राफ्ट की अनुमति रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों की शर्तों के अधीन दे सकता है। पाँच सौ लाख रुपये की उच्चतम सीमा का परिकलन करने के प्रयोजन के लिए, प्राधिकृत व्यापारी द्वारा उसकी भारत से बाहर स्थित शाखाओं, अथवा संपर्ककर्ता बैंकों अथवा प्रधान कार्यालय को अनुमत ओवरड्राफ्ट की कुल राशि हिसाब में ली जाएगी।


परिशिष्ट

इस मास्टर निदेश में समेकित अधिसूचनाओं / ए.पी.(डीआइआर सीरीज़) परिपत्रों की सूची

क्रम सं. अधिसूचना/ परिपत्र दिनांक
1. फेमा अधिसूचना सं.4/2000 –आरबी 3 मई 2000
2. फेमा अधिसूचना सं.31/2000 –आरबी 28 नवंबर 2000
3. फेमा अधिसूचना सं.52/2000 –आरबी 1 मार्च 2002
4. फेमा अधिसूचना सं.67/2000 –आरबी 20 अगस्त 2002
5. फेमा अधिसूचना सं.115/2000 –आरबी 25 मार्च 2004
6. फेमा अधिसूचना सं.117/2000 –आरबी 25 मई 2004
7. फेमा अधिसूचना सं.160/2000 –आरबी 18 मई 2007
8. फेमा अधिसूचना सं.238/2000 –आरबी 25 सितंबर 2012
9. फेमा अधिसूचना सं.287/2000 –आरबी 17 सितंबर 2013
  ए.डी.(एमए)/ ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र  
1. ए.डी.(एमए) परिपत्र सं.11 16 मई 2000
2. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं.28 30 मार्च 2001
3. 04 मार्च 2002
4. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 27 10 अक्तूबर 2003
5. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं.69 12 फरवरी 2004
6. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 9 01 सितंबर 2004
7. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 93 25 मई 2004
8. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 7 22 अगस्त 2007
9. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 18 16 सितंबर 2011
10. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 19 16 सितंबर 2011
11. ए.पी.(डीआइआरसीरीज) परिपत्र सं. 81 24 दिसंबर 2013

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