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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के तहत निदेश – कोलिकाता महिला को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोलकाता, पश्चिम बंगाल – निदेश की अवधि का विस्तार

14 जनवरी 2020

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के तहत निदेश –
कोलिकाता महिला को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोलकाता, पश्चिम बंगाल – निदेश की अवधि का विस्तार

सार्वजनिक हित में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए की उप-धारा (1) के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए कोलिकाता महिला को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कोलकाता, पश्चिम बंगाल को 09 जुलाई 2019 के कारोबार की समाप्ति से निदेश जारी किया था, जो 09 जनवरी 2020 तक वैध था। भारतीय रिज़र्व बैंक ने सार्वजनिक हित में अब निदेश की अवधि को 10 जनवरी 2020 से 09 जुलाई 2020 तक अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के अवलोकन के लिए प्रदर्शित की गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेश को बैंक को प्रदत्त लाइसेन्स के निरस्तीकरण के रूप में न देखा जाए। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार जारी रखेगा। परिस्थितियों के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक समय समय पर इन निदेशों में संशोधन पर विचार कर सकता है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1693

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