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बाजारों का विकास: उदारीकरण के बीज 1985 से 1991

दिनांक घटना
10 अप्रैल 1985 मौद्रिक प्रणाली के कार्य की समीक्षा के लिए एस. चक्रवर्ती समिति स्थापित। इसके परामर्शों के दूरगामी परिणाम हुए।
1985 1985 के मध्य तक, सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) और आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) द्वारा बैंकों के संसाधनों पर पूर्वनिवारण (प्रिएम्पशन) 45% से अधिक।
नवंबर 1986 182 दिनों के खजाना बिल (टीबी) की शुरुआत।
जनवरी 1987 182 दिवसीय का खजाना बिल शुरू किया गया।
जनवरी 1987 औद्योगिक रुग्णता को देखते हुए औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड बना और मई 1987 से कार्य शुरू।
मार्च 1987 चेक क्लीयरिंग के ले चुंबकीय स्याही चिह्न पहचान (माइकर) तकनीक की शुरुआत। चेक क्लीयरिंग के कार्यों के यांत्रिकीकरण का प्रयास।
28 दिसंबर 1987 बहु-विषयक दृष्टिकोण से विकास से जुड़े विषयों पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक उच्च अध्ययन संस्थान के रूप में इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आईजीआईडीआर) की स्थापना।
अप्रैल 1988 प्रतिभूति बाजार के नियमन व विकास तथा निवेशक सुरक्षा के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना।
अप्रैल 1988 मुद्रा बाजार (मनी मार्केट) संस्था के रूप में स्थापित द डिस्काउंट एंड फाइनैंस हाउस ऑफ़ इंडिया ने कार्य करना प्रारंभ किया।
जुलाई 1988 आवास वित्त की शीर्ष संस्था के रूप में तथा आवास विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक की स्थापना।
अगस्‍त 1988 डिपॉजिटरी संस्था स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (एसएचसीआईएल) ने कार्य करना शुरू किया।
अक्टूबर 1988 अधिकतम उधार दर हटा दी गई। बैंकों को ग्राहकों के ऋण रिकॉर्ड के अनुसार प्रभार लगाने (चार्ज करने) की छूट।
मार्च 1989 मौद्रिक उपकरणों/लिखतों (इन्सट्रूमेंट्स) का दायरा बढ़ाने और निवेशकों को अधिक लचीलापन देने के लिए भारत में जमा प्रमाणपत्र (सीडी) और वाणिज्य पत्र (सीपी) की शुरुआत।
अप्रैल 1989 भारत में चेकों के प्रयोग की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए बैंकिंग, लोक वित्तीय संस्था और परक्राम्य लिखत विधि (संशोधन) अधिनियम, बनाया गया 1988। इसके जरिये चेक अस्वीकृत होने पर जुर्माने की शुरुआत की गई।
अप्रैल 1989 ग्रामीण उधार के लिए सेवा क्षेत्र दृष्टिकोण (सर्विस एरिया एप्रोच) ने कार्य करना प्रारंभ किया।
1 जुलाई 1989 सीआरआर को बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया जिससे सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) और आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) द्वारा बैंकों के संसाधनों पर पूर्वनिवारण (प्रिएम्पशन) 53% से अधिक हुआ।
15 मई 1990 सरकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से लघु उधारकर्ताओं के लिए रु. 10,000 तक की ऋण राहत देने वाली कृषि और ग्रामीण ऋण राहत योजना, 1990 की घोषणा।
22 दिसंबर 1990 एस. वेंकिटारमणन गवर्नर।
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