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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम

मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन (एमटीटी) - संशोधित दिशानिर्देश

भारिबैंक/2019-20/152
ए.पी. (डीआईआरसीरीज) परिपत्रसं. 20

23 जनवरी 2020

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन (एमटीटी) - संशोधित दिशानिर्देश

प्राधिकृत व्यापरी श्रेणी-I बैंक (एडी बैंक) का ध्यान दिनांक 28 मार्च 2014 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 115 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन (एमटीटी) से संबंधित निर्देश दिए गए हैं।

2. मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन (एमटीटी) को और भी अधिक सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है और नीचे दिए गए अनुसार संशोधित दिशानिर्देश पूर्वोक्त ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र के अधिक्रमण में जारी किए जा रहे हैं:

  1. किसी ट्रेड को मर्चेंटिंग ट्रेड के रूप में वर्गीकृत होने के लिए, अर्जित माल घरेलू टैरिफ एरिया में प्रवेश नहीं करेगा;

  2. इस बात को स्वीकार करते हुए कि कुछ मामलों में अर्जित किए गए माल पर कुछ विशिष्ट प्रसंस्करण/ मूल्य वर्धन आवश्यक हो सकता है, एडी बैंक ऐसे मामलों में दस्तावेजी साक्ष्य तथा लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट होने पर इस प्रकार से अर्जित माल के स्वरूप में परिवर्तन की अनुमति दे सकता है।

  3. मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों में वह माल शामिल हो सकेगा जिसके निर्यात / आयात के लिए अनुमति, पोतलदान की तारीख को प्रचलित भारत की विदेश व्यापार (एफ़टीपी) नीति में दी गई हो। निर्यात (निर्यात घोषणा-पत्र को छोड़कर) तथा आयात (बिल आफ एंट्री को छोड़कर) के लिए लागू तत्संबंधी सभी नियमों, विनियमों तथा दिशानिर्देशों का पालन क्रमश: निर्यात लेग तथा आयात लेग के लिए किया गया हो;

  4. प्राधिकृत व्यापारी बैंक लेनदेन की वास्तविकता (bonafides) से संतुष्ट हो। इसके अलावा, ऐसे लेनदेन करते समय प्राधिकृत व्यापारी बैंक को 'अपने ग्राहक को जानने (KYC)' / 'धनशोधन निवारण (AML)' संबंधी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए;

  5. संपूर्ण मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन एक ही प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से पूरा होना चाहिए। बैंक को इन्वाइस, पैकिंग लिस्ट, परिवहन दस्तावेज और बीमा दस्तावेज {यदि मूल दस्तावेज उपलब्ध न हों तो दस्तावेजों पर कार्रवाई करने वाले बैंक से विधिवत रूप से प्रमाणित अपरक्राम्य (not negotiable) प्रतियां प्राप्त की जाएं} का सत्यापन करेगा और व्यापार की वास्तविकता के प्रति संतुष्ट हो लेना चाहिए; एडी बैंक यदि संतुष्ट हो तो इंटरनेशनल मैरिटाइम ब्यूरो की वेबसाइट पर लदान-पत्र/ एयर-वे बिल अथवा एयर लाइन वेब चेक-इन सुविधाओं के ऑनलाइन सत्यापन पर भरोसा कर सकते हैं। तथापि एडी बैंक इस बात को सुनिश्चित करेगा कि अपेक्षित ब्यौरे लेनदेन के निरीक्षण/ लेखापरीक्षा/ जांच के समय उपलब्ध कराये जाते हैं/ पुनः प्रापणीय हैं।

  6. मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन संबंधी संपूर्ण प्रक्रिया नौ माह की समग्र अवधि के भीतर पूर्ण होनी चाहिए और उसके लिए विदेशी मुद्रा परिव्यय (outlay) चार माह से अधिक अवधि के लिए नहीं होना चाहिए। मर्चेंटिंग ट्रेड के प्रारंभ की तिथि पोतलदान / निर्यात लेग रसीद अथवा आयात लेग भुगतान की तारीख, इन में से जो भी पहले हो, मानी जाएगी । इसके पूरे होने की तारीख पोतलदान / निर्यात लेग रसीद अथवा आयात लेग भुगतान की तारीख इनमें से जो भी अंतिम तारीख हो, वह मानी जाएगी ।

  7. मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों के लिए अल्पावधि क्रेडिट या तो आपूर्तिकर्ता का क्रेडिट अथवा क्रेता का क्रेडिट, उस सीमा तक उपलब्ध होगा जो निर्यात लेग के लिए अग्रिम विप्रेषण द्वारा समर्थित न हो, इसमें, आयात लेनदेनों की भांति, प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा निर्यात लेग के लिए एलसी की डिस्काउंटिंग शामिल है। तथापि आपूर्तिकर्ता/ क्रेता के क्रेडिट हेतु वचन-पत्र (LoU) / चुकौती आश्वासन पत्र (LoC) जारी नहीं किया जाएगा ।

  8. आयात लेग के लिए भुगतान करने से पूर्व निर्यात लेग के लिए प्राप्त की गई राशि को आयात लेग की देयता देय होने तक या तो विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफ़सी) खाते अथवा ब्याज सहित भारतीय रुपया खाते में रखा जा सकता है। उसे संबंधित आयात लेग के भुगतान के लिए चिह्नित / ग्रहणाधिकार हेतु निश्चित किया जाए तथा जब कभी आयात लेग की कोई देयता देय होती है, तब उसे अविलंब इन निधियों में से समाप्त किया जाएगा। यदि इस प्रकार से प्राप्त राशियों को ब्याज सहित खाते में रखा गया है तो एडी बैंक द्वारा ग्राहक के अनुरोध पर, मौजूदा विनियमों के अनुसार उनकी हेजिंग करने के लिए अनुमति दी जा सकती है। इन शेष राशियों की जमानत पर किसी प्रकार की निधि/ गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान नहीं की जाएंगी ।

  9. जहां आयात लेग के लिए भुगतान करना अभी शेष है (अंशतः होने पर भी) वहाँ निर्यात लेग साख –पत्र (एलसी) की भुनाई के मामले में, प्राप्त आय का उपयोग उपर्युक्त मद सं. 2(viii) में निर्धारित किए गए अनुसार किया जाएगा।

  10. मर्चेंट ट्रैडर के विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते (EEFC) में जमा शेष से आयात लेग के लिए भुगतान करने की भी अनुमति दी जा सकती है ।

  11. समुद्रपारीय विक्रेता द्वारा मांग किए जाने पर आयात लेग के लिए अग्रिम भुगतान की अनुमति मर्चेंटिंग ट्रेडर को दी जा सकती है। उन मामलों में जहां समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता को जावक विप्रेषण करने से पहले समुद्रपारीय क्रेता से आवक विप्रेषण प्राप्त नहीं हुआ है, वहां प्राधिकृत व्यापारी बैंक ऐसे लेनदेन के संबंध में अपने वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर कार्रवाई कर सकते हैं । हालांकि, इस संबंध में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 5,00,000/- अमेरिकी डॉलर प्रति लेनदेन से अधिक राशि के आयात लेग के लिए इस प्रकार का अग्रिम भुगतान, बैंक गारंटी / प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बैंक के शर्त रहित अप्रतिसंहरणीय स्टैंडबाइ साख-पत्र की जमानत पर दिया जाता है। ग्राहक द्वारा इस प्रकार के अग्रिम भुगतान के लिए अनुमति देने संबंधी समग्र विवेकपूर्ण सीमाएं एडी बैंक द्वारा निर्धारित की जाएंगी।

  12. चार महीने के विदेशी मुद्रा परिव्यय तथा नौ माह में एमटीटी के पूरे होने की बात को ध्यान में रखते हुए तथा बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा जारी एवं समय-समय पर यथासंशोधित “गारंटी तथा सह-स्वीकृतियां” विषय पर अनुदेशों के अनुपालन की शर्त के अधीन पुष्टिकृत निर्यात आदेशों पर आयात लेग के लिए आपूर्तिकर्ता को साख-पत्र (LC) की अनुमति दी जाती है ।

  13. प्राधिकृत व्यापारी बैंक प्रत्येक मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन के मामले में एक लेग की उसी प्रति लेग से मैचिंग (one to one matching) सुनिश्चित करे और, ट्रेडर द्वारा किसी लेग में की गई चूक को प्रत्येक अर्धवर्ष अर्थात जून और दिसंबर की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर अर्ध-वार्षिक आधार पर विनिर्दिष्ट फार्मेट (संलग्न) में भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को रिपोर्ट करे;

  14. जिन मेर्चेंट ट्रैडरों का बकाया उनके वार्षिक निर्यात की आय के 5% से अधिक है उन चूककर्ता मर्चेंटिंग ट्रेडरों के नाम सतर्कता सूची में डाले जाएंगे।

3. मर्चेंटिंग ट्रेडर वस्तुओं के वास्तविक (मूल) व्यापारी होने चाहिए, न कि केवल वित्तीय मध्यवर्ती। समुद्रपारीय क्रेताओं से उन्हें पुष्टिकृत आदेश प्राप्त होने चाहिए। मेर्चेंटिंग ट्रेडर द्वारा आदेश के दायित्व को पूरा करने की क्षमता के प्रति प्राधिकृत व्यापारी को संतुष्ट हो लेना चाहिए। मर्चेंटिंग ट्रेड से लाभ होगा जिसे उस विशिष्ट एमटीटी के लिए निर्यात से प्राप्त आय में से आयात भुगतान तथा संबंधित व्यय को घटाकर निर्धारित किया जाएगा।

4. निर्यात लेग की अप्राप्त राशि को बट्टे खाते डालना :

i. एडी बैंक निम्नलिखित परिस्थितियों में मेर्चंटिंग ट्रैडर द्वारा किए गए अनुरोध पर किसी भी सीमा के बिना निर्यात लेग की अप्राप्त राशि को बट्टे खाते डाल सकता है:

  1. एमटीटी क्रेता को दिवालिया घोषित किया गया है और शासकीय परिसमापक से एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया है जिसमें यह निर्दिष्ट किया गया है कि निर्यात की प्राप्य राशि को वसूल करने की कोई संभावना नहीं है।

  2. निर्यात किए गए माल को आयात करने वाले देश के पत्तन/ सीमा शुल्क/ स्वस्थ्य प्राधिकारियों द्वारा नीलाम अथवा नष्ट किया गया है और इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया है।

  3. निर्यात लेग की अप्राप्त राशि भारतीय दूतावास, फ़ॉरेन चेंबर ऑफ कॉमर्स अथवा इसी प्रकार के किसी संगठन के हस्तक्षेप के माध्यम से निपटाए गए मामले में देय शेष राशि का प्रतिनिधित्व करती है ।

बशर्ते, एमटीटी ने उपर्युक्त ए, बी, तथा सी में उल्लिखित कारणों से समय-सीमाओं (या तो परिव्यय अथवा एमटीटी की पूर्ति की अवधि या दोनों के लिए) में हुए विलंब को छोड़कर अन्य सभी प्रावधानों का पालन किया है।

ii. उपर्युक्त के अतिरिक्त (i) पर दिए गए अनुसार बट्टे खाते डालना निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:

  1. प्राधिकृत व्यापारी बैंक लेनदेन की वास्तविकता (bonafides) से संतुष्ट हो और यह सुनिश्चित करेगा कि केवाईसी/ एएमएल संबंधी कोई चिंता के कारण नहीं हैं।

  2. लेनदेन किसी भी जांच एजेंसी/ एजन्सियों द्वारा फेमा के अंतर्गत जांच के अधीन नहीं होगा।

  3. मर्चंट ट्रेडर की काउंटर पार्टी ऐसे देश अथवा क्षेत्राधिकार से नहीं है, जिन्हें उच्च जोखिम वाले तथा असहकारी क्षेत्राधिकारों पर एफ़एटीएफ़ के अद्यतन किए गए सार्वजनिक वक्तव्य में शामिल किया गया है और जिन पर एफ़एटीएफ़ ने प्रति उपाय करने के लिए कहा है।

5. एमटीटी के निर्यात तथा आयात चरणों के लिए थर्ड पार्टी भुगतान की अनुमति नहीं है।

6. एमटीटी पर एजेंसी कमीशन अनुमत नहीं है। तथापि, एडी बैंक अपवादतमक परिस्थितियों में उचित सीमा तक बाह्य विप्रेषण के माध्यम से एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए अनुमति दे सकते हैं जोकि निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:

  1. एमटीटी को हर तरह से पूर्ण किया गया है ।

  2. एजेंसी कमीशन का भुगतान करने के परिणामस्वरूप एमटीटी को घाटा नहीं होगा।

  3. मर्चेंटिंग ट्रैडर एडी बैंक को इस संबंध में विशिष्ट अनुरोध करेगा।

7. एमटीटी द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के मामले में की गई किसी प्रकार की चूक के विनियमन के लिए एडी बैंक रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय (आरओ) से संपर्क करे तथा रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त होने पर ही एमटीटी को बंद किया जाएगा।

8. फेटर्स (FETERS) के अंतर्गत मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों की रिपोर्टिंग सकल आधार पर निम्नलिखित कूट संख्याओं (codes) के समक्ष की जाए :

ट्रेड फेटर्स के अंतर्गत प्रयोजन कोड ब्योरा
निर्यात पी0108 मर्चेंटिंग के अंतर्गत बेची गई वस्तुएं/मर्चेंटिंग ट्रेड के निर्यात लेग के बदलेप्राप्ति (receipt)
आयात एस0108 मर्चेंटिंग के अंतर्गत अर्जित वस्तुएं/मर्चेंटिंग ट्रेड के आयात लेग के बदलेकिया गया भुगतान

9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु सेअपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं ताकि उसका कड़ाई के साथ अनुपालन हो।

10. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय

(आर. के. मूलचंदानी)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

30 जून 20 / 31 दिसंबर को समाप्त अर्ध-वर्ष के लिए मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों में चूक संबंधी विवरण

बैंक का नाम और पता:

क्र. ए.डी. कोड (भाग-I कोड) ए.डी. संदर्भ सं. मर्चेंटिंग ट्रेडर का नाम और पता विदेशी क्रेता का नाम और पता विदेशी आपूर्तिकर्ता का नाम और पता प्रारंभ होने की तारीख पूरा होने की तारीख निर्यात लेग (leg)
(अमेरिकी डॉलर के समतुल्य)
आयात लेग (leg)
(अमेरिकी डॉलर के समतुल्य)
विदेशी मुद्रा परिव्यय, यदि कोई हो (दिनों की सं.)
वसूलराशि बकायाराशि अदा की गई राशि बकायाराशि
                         
                         
                         
                         

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