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प्रेस प्रकाशनी

डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर द्वारा तीसरा द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य, 2014-15

5 अगस्‍त 2014

डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर द्वारा तीसरा द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य, 2014-15

मौद्रिक चलनिधि उपाय

वर्तमान और उभरती हुई समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि :

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीति रिपो दर को 8.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए;

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 4.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए;

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) में 50 आधार अंकों तक कमी करते हुए उसे 9 अगस्‍त 2014 को शुरू होने वाले पखवाड़े से उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं के 22.5 प्रतिशत से घटाकर 22.0 प्रतिशत किया जाए; और

  • बैंक-वार निवल मांग और मीयादी देयताओं के 0.25 प्रतिशत पर ओवर नाईट रिपो के अंतर्गत चलनिधि तथा बैंकिंग प्रणाली की निवल मांग और मीयादी देयताओं के 0.75 प्रतिशत तक 7-दिवसीय और 14-दिवसीय रिपो के अंतर्गत चलनिधि उपलब्‍ध कराना जारी रखा जाए।

इसके परिणामस्‍वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर 7.0 प्रतिशत तथा सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (एमएसएफ) और बैंक दर 9.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तनीय बनी रहेंगी।

आकलन

2. जून 2014 के दूसरे द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य के बाद से पहली तीमाही में तेज़ मंदी से कुछ धीमी गति से वैश्विक आर्थिक गतिविधि में तेज़ी आई है। निवेशक जोखिम में तेज़ी ने अंशत: औद्योगिक देशों में जारी मौद्रिक नीति सहायता के आश्‍वासनों से बल पाकर वित्तीय बाज़ारों में तेज़ हुई है। उभरती हुई बाजार अर्थव्‍यवस्‍थाओं (ईएमई) में पोर्टफोलियो प्रवाह मज़बूती से बढ़े हैं। तथापि, अमरीकी मौद्रिक नीति के भविष्‍य के किसी पुनराकलन अथवा भौगोलिक-राजनीतिक तनावों में संभावित बढ़ोतरी से संचालित होकर निवेशक जोखिम इच्‍छा में परिवर्तनों के प्रति उभरती हुई बाजार अर्थव्‍यवस्‍थाएं संवेदनशील बनी हुई है।

3. घरेलू आर्थिक गतिविधि पर भावनाएं औद्यौगिक वृद्धि और निर्यात में मजबूती का प्रस्‍ताव करने वाली आवक आंकड़ों के साथ पुन: तेज़ होती हुई दिखाई देती हैं। रिज़र्व बैंक की औद्योगिक संभावना का जून दौर भी दूसरी तिमाही में कारोबारी प्रत्‍याशाओं में सुधार का उल्‍लेख करता है। सेवा क्षेत्र के अग्रणी संकेतक मिले-जुले हैं यद्यपि कंपनी बिक्री और कारोबारी प्रवाहों के हल्‍की मजबूती के पूर्व संकेत भी हैं जबकि मानसून की प्रारंभिक धीमी प्रगति तथा इसके असमान स्‍थानिक वितरण ने कृषि उत्‍पादन के संबंध में गंभीर चिंताएं प्रस्‍तुत की हैं, इनमें कमी आई हैं यद्यपि जुलाई में देशभर में मानसून की तेज़ी के द्वारा इसे संपूर्ण रूप से स्‍वीकारा नहीं जा सकता। घोषित की गई सरकारी नीति कार्रवाईयों का कार्यान्‍वयन घरेलू मांग और आपूर्ति स्थितियों में तेज़ सुधार के लिए अनुकूलता सृजित करेंगी।

4. उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापित खुदरा मुद्रास्‍फीति गति में गिरावट के द्वारा व्‍यापक आधारित नरमी से जुड़कर लगातार जून में दूसरी महीने तक कम हुई है। सब्जियों, फलों और प्रोटिन आधारित खाद्य मदों के उच्‍चतर मूल्‍य गैर-खाद्य मदों खासकर पारिवारिक जरूरतों तथा परिवहन संचार की कीमतों में मौन वृद्धि के द्वारा शुरू हुए थे। खाद्य और ईंधन को छोड़कर उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक मुद्रास्‍फीति में सितंबर 2013 में शुरू हुई गिरावट को आगे बढ़ाते हुए और गिरावट आई है। तथापि, मानसून के मार्ग के बारे में जारी कुछ अनिश्चितता के साथ अभी यह कहना सही नहीं होगा कि भविष्‍य में खाद्य मुद्रास्‍फीति तथा व्‍यापक मुद्रास्‍फीति पर इसके प्रभाव रूक सकते हैं।

5. रिज़र्व बैंक के साथ रखे गए सरकारी के नकदी शेषों में गतिविधि के कारण कड़ाई के कुछ उदाहरणों को छोड़कर चलनिधि स्थितियां व्‍यापक रूप से स्थिर रही हैं। जबकि चलनिधि समायोजन सुविधा तथा नियमित और अतिरिक्‍त मीयादी रिपो से चलनिधि के प्रति प्रणाली की सहायता बैंकों की निवल मांग और मीयादी देयताओं के लगभग 1.0 प्रतिशत तक रही है। सीमांत स्‍थायी सुविधा तक पहुंच न्‍यूनतम और अस्‍थायी रही है। कर बहिर्वाह तथा सरकार द्वारा कम व्‍यय के साथ मिलकर क्षणिक चलनिधि दबावों का प्रबंध करने के लिए रिज़र्व बैंक ने जून और जुलाई महीने के दौरान विभिन्‍न परिपक्‍वता वाले नौ विशेष मीयादी रिपो के माध्‍यम से कुल मिलाकर `940 बिलियन से अधिक की अतिरिक्‍त चलनिधि डाली है। जून के प्रारंभ में निर्यात ऋण पुनर्वित्त में कमी के बावजूद इस सुविधा का औसत उपयोग उपलब्‍ध सीमा का लगभग 70 प्रतिशत रहा है। रिज़र्व बैंक विद्यमान चलनिधि व्‍यवस्‍था की समीक्षा करेगा और उत्‍पादक क्षेत्रों को ऋण का पर्याप्‍त प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए चलनिधि की निगरानी और प्रबंध जारी रखेगा।

6. पहली तिमाही से ही निर्यात कार्यनिष्‍पादन में उछाल के साथ व्‍यापार घाटा एक वर्ष पूर्व के अपने स्‍तर से कम हुआ है। जबकि तेल आयात अंशत: उच्‍चतर वृद्धिगत कच्‍चे तेल की कीमतों के कारण बढ़ा है, आयात प्रतिबंधों के कुछ उदारीकरण की प्रतिक्रिया में स्‍वर्ण आयात बढ़ा है तथा मई के बाद से गैर-तेल, गैर-स्‍वर्ण आयात वृद्धि सकारात्‍मक हुई है। बाह्य वित्तीय सहायता की ओर लौटते हुए पूंजी प्रवाहों की सभी श्रेणियां तेज़ बनी हुई हैं। चालू खाता वित्तीय अपेक्षा के आधिक्‍य में पूंजी अंतर्वाओं में उछाल तथा तेल विपणन कंपनियों द्वारा स्‍वैप की चुकौती से अंतर्राष्‍ट्रीय प्रारक्षित निधियों में बढ़ोतरी हुई हैं।

नीति रूझान और औचित्‍य

7. मार्च से फलों और सब्जियों की कीमतों में मौसमी मजबूती के बावजूद लगातार दो महीने तक उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक हेडलाईन मुद्रास्‍फीति में नरमी खाद्य और ईंधन को छोड़कर आधार प्रवाहों तथा उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक मुद्रास्‍फीति में तेज़ गिरावट दोनों के कारण है। अंर्राष्‍ट्रीय कच्‍चे तेल की कीमतों में हाल की गिरावट, वैश्विक गैर-तेल पण्‍य वस्‍तु कीमतों पर वास्‍तविक संभावना तथा अभी तक नियंत्रित कंपनी मूल्‍यांकन शक्ति मिलकर जारी अवस्‍फीति में सहायता करेंगी जैसेही शुरू किए गए उपाय खाद्य प्रबंध में सुधार लायेंगे। तथापि, लागू कीमतों में बढ़ोतरी, मानसून स्थितियों में जारी अनिश्चितता तथा खाद्य उत्‍पादन पर उनके प्रभाव, भौगोलिक राजनीतिक चिंताओं से उत्‍पन्‍न तेल की संभावित उच्‍चतर कीमतें और विनिमय दर उतार-चढ़ाव तथा जारी आपूर्ति बाध्‍यताओं के समक्ष वृद्धि को मजबूत करने के पास-थ्रू के रूप में वृद्धिशील जोखिम हैं। तदनुसार जनवरी 2015 तक उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक मुद्रास्‍फीति में 8 प्रतिशत अथवा इससे कम का लक्ष्‍य सुनिश्चित करने के प्रति वृद्धिशील जोखिम बने हुए हैं यद्यपि समग्र जोखिम जून (सरणी 1) की अपेक्षा अधिक संतुलित हैं। अत: यह समुचित होगा कि नीति दर में कोई परिवर्तन नहीं करते हुए एक सतर्क मौद्रिक नीति रूझान बनाए रखा जाए जैसाकि जून में था।

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8. वृद्धि को पुनर्जीवित करने की संभावनाओं में हल्का सुधार हुआ है। निर्यात वृद्धि के दृढ़ होने से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र गतिविधि को सहायता मिलनी चाहिए। निजी उद्यम के लिए स्रोत प्रदान करने वाला चालू वित्तीय समेकन, बाह्य मांग के बढ़ने और अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता आने के साथ यदि निवेश के पुनरूत्थान और अवरूद्ध परियोजनाओं को पुनःशुरू करने के लिए अनुरूप वातावरण में हाल की वृद्धि गतिविधि कायम रहती है तो वर्ष 2014-15 के लिए अप्रैल अनुमान में निर्धारित 5.5 प्रतिशत की वार्षिक सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि के केंद्रीय अनुमान को 5 से 6 प्रतिशत की संभाव्य दायरे में बनाए रखा जा सकता है। दूसरी तरफ यदि वैश्विक सुधार, मानसून और भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से संबंधित जोखिमों में वृद्धि होती है तो जोखिम संतुलन नीचे की ओर जा सकता है (चार्ट 2)।

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9. रिज़र्व बैंक बारीकी से मुद्रास्फीति गतिविधियों पर निगरानी रखेगा और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को जनवरी 2015 तक 8 प्रतिशत और जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत पर ले जाने के लिए अवस्फीतिकारी पथ पर वचनबद्ध है। जबकि 2015 की शुरूआत में मुद्रास्फीति के लगभग 8 प्रतिशत पर रहने की संभावना है, यह महत्वपूर्ण है कि अवस्फीतिकारी प्रक्रिया को मध्यावधि में बनाए रखा जाए। मध्यावधि मुद्रास्फीति पथ के चारों ओर जोखिम संतुलन तथा विशेषकर जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत का लक्ष्य अभी भी बने हुए हैं, यदि ये जोखिम प्रकट होते हैं तो इन जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए अधिक उच्च नीतिगत तत्परता की जरूरत होगी। आने वाले महीनों में खाद्य प्रबंध और परियोजना समापन को सुगम बनाने के लिए सरकार की कार्रवाई से आपूर्ति में सुधार होना चाहिए किंतु जैसे ही ग्राहक और कारोबार विश्वास में वृद्धि होगी वैसे ही समग्र मांग में भी मजबूती आएगी। रिज़र्व बैंक संधारणीय मुद्रा अवस्फीति को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेगा।

10. जून 2014 के दूसरे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में रिज़र्व बैंक ने आर्थिक गतिविधि में सुधार की प्रत्याशा में सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को कम करके निवल मांग और समय देयताओं के 22.5 प्रतिशत तक कर दिया था। केंद्रीय बजट 2014-15 के साथ जिसमें इस वर्ष के लिए मध्यावधि राजकोषीय समेकन की रूपरेखा की वचनबद्धता का नवीकरण किया गया है और राजकोषीय घाटा का जीडीपी के 4.1 प्रतिशत पर अनुमान लगाया गया है, बैंकों के लिए और गुंजाइश है कि वे वृद्धि के गति पकड़ने के साथ-साथ उत्पादक क्षेत्रों की वित्तीय आवश्यकताओं के लिए ऋण का विस्तार करें। तदनुसार, एसएलआर को निवल मांग और समय देयताओं के 0.5 तक और कम किया गया है।

11.सांविधिक चलनिधि अनुपात में समायोजित कमी के अनुरूप यह आवश्यक है कि मुद्रा और ऋण बाजारों में चलनिधि में वृद्धि की जाए ताकि वित्तीय मध्यस्थ विस्तार वृद्धिशील अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ सके। वर्तमान में बैंकों को परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत कुल निवेश के 25 प्रतिशत तक की सीमा पार करने की अनुमति है बशर्ते कि अधिशेष में केवल एसएलआर प्रतिभूतियां ही हों और एचटीएम श्रेणी में बैंक की कुल एसएलआर प्रतिभूतियों की धारिता दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं के 24.5 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। वित्तीय बाजार में बैंकों की अधिक सहभागिता के लिए यह सीमा 9 अगस्त 2014 से शुरू होने वाले पखवाड़े से निवल मांग और समय देयताओं के 24 प्रतिशत तक कम की जा रही है।

12. रिज़र्व बैंक ने कार्यकुशलता में संवर्धन करने, प्रवेश में वृद्धि करने और समाधान प्रक्रिया को तेज करने और वित्तीय सेवाओं में पहुंच में सुधार करने के लिए अन्य बातों के साथ-साथ दीर्घावधि ऋण और उधार पर संशोधित विनियमों, भुगतान बैंकों और लघु बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए प्रस्ताव, चिंताजनक आस्तियों के निपटान के लिए एक रूपरेखा, बैंकिंग में मोबाइल फोन के उपयोग को बढ़ाने के लिए कार्रवाई तथा अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदंडों को सरल बनाने के प्रयास जैसे कदम उठाएं हैं। रिज़र्व बैंक अपनी बैंकिंग क्षेत्र सुधार कार्यसूची को आगे बढ़ाना जारी रखेगा।

13. चौथा द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य मंगलवार, 30 सितंबर 2014 को निर्धारित है।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/248


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