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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अराकोणम को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, तमिल नाडु पर मौद्रिक दंड लगाया

18 दिसंबर 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि अराकोणम को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, तमिल नाडु पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 दिसंबर 2025 के आदेश द्वारा दि अराकोणम को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, तमिल नाडु (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 17 के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक / अन्य प्रतिबंध – यूसीबी’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 2.50 (दो लाख पचास हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1949 की धाराओं 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2025 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधानों और निदेश के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक:

  1. वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए अपने शुद्ध लाभ का 20% सांविधिक आरक्षित निधि में अंतरित करने में विफल रहा;

  2. कुछ नाममात्र सदस्यों को निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत किए;

  3. बुलेट पुनर्भुगतान योजना के तहत स्वर्ण ऋण स्वीकृत किए, जो निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक थे;

  4. केवाईसी आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होने वाले खाते खोले; और

  5. ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को निर्धारित समय- सीमा के भीतर केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(ब्रिज राज)   
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1732


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