10 जून 2015
वर्ष 2014-15 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान
भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति
वित्तीय वर्ष 2014-15 की चौथी तिमाही अर्थात् जनवरी-मार्च के लिए भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) से संबंधित प्रारंभिक आंकड़े विवरण-। (बीपीएम6 फॉर्मेट) और ।। (पुराना फॉर्मेट) में प्रस्तुत किए गए हैं।
2014-15 की चौथी तिमाही के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति के प्रमुख अंश
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तिमाही-दर-तिमाही (क्यूओक्यू) आधार पर तुलना करें तो 2014-15 की चौथी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटे (सीएडी) में भारी कमी आकर वह 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 0.2 प्रतिशत) हो गया, जबकि तीसरी तिमाही में यह 8.3 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 1.6 प्रतिशत) दर्ज हुआ था; तथापि, वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर तुलना करें तो सीएडी (जो 2013-14 की चौथी तिमाही में 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से या जीडीपी के 0.2 प्रतिशत से) अपेक्षाकृत अधिक रहा।
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तिमाही-दर-तिमाही आधार पर देखें तो मर्चन्डाइज़ निर्यातों (10.4 प्रतिशत) की तुलना में मर्चन्डाइस आयातों (13.4 प्रतिशत) की मात्रा में भारी गिरावट आने के कारण मर्चन्डाइज़ व्यापार घाटे (2014-15 की चौथी तिमाही में 31.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) में काफी कमी आई; वहीं वर्ष-दर-वर्ष आधार को लें तो 2014-15 की चौथी तिमाही में आयातों (10.4 प्रतिशत) की मात्रा की तुलना में निर्यात की मात्रा में अत्यधिक कमी (15.4 प्रतिशत) आने के कारण व्यापार घाटे में मामूली गिरावट दर्ज हुई।
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2014-15 की चौथी तिमाही में मुख्य रूप से व्यापार घाटे के कम रहने के कारण चालू खाता घाटे में कमी आई, क्योंकि सेवाओं और प्राथमिक आय (लाभ, लाभांश और ब्याज) के माध्यम से निवल अर्जन में तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर कमी आई, तथापि, द्वितीयक आय में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज हुई।
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सकल निजी अंतरण प्राप्तियां, जिनका तात्पर्य विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा किए जाने वाले धनप्रेषण से है, 17.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही और तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई तथा पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
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जहां तक वित्तीय लेखे का प्रश्न है तिमाही-दर-तिमाही आधार पर देखें तो प्रत्यक्ष विदेशी और संविभाग निवेश के निवल अंतर्वाह में बढ़ोतरी हुई, तथापि, मुख्य रूप से बैंकों द्वारा विदेशों में रखी गई चालू आस्तियों की शेष राशि में बढ़ोतरी होने की वजह से बैंकों द्वारा लिए गए निवल ऋणों में 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बहिर्वाह हुआ।
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बीओपी के आधार पर 2014-15 की चौथी तिमाही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 30.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निवल अभिवृद्धि हुई, जोकि किसी एक तिमाही में दर्ज सर्वोच्च स्तर है; पिछली तिमाही के स्तर से यह दुगुना है और 2013-14 की चौथी तिमाही में उपचित भंडार की तुलना में इसमें लगभग चार गुना वृद्धि हुई है (सारणी 1)। इससे यह पता चलता है कि पूंजी अंतर्वाहों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और चालू खाता घाटे में अभूतपूर्व कमी दर्ज हुई है।
अप्रैल-मार्च 2015 के दौरान भुगतान संतुलन
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संचयी आधार पर वर्ष 2014-15 के दौरान समग्र भुगतान संतुलन ने पिछले वर्ष की तुलना में सुधार दर्शाया। निवल वित्तीय प्रवाहों में काफी बढ़ोतरी के साथ व्यापार घाटे में कमी और निवल अदृश्य अर्जन में हल्के से सुधार के कारण कम चालू खाता घाटे से बड़े विदेशी मुद्रा भंडार का निर्माण हो सका।
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भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2014-15 में घटकर 144.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो वर्ष 2013-14 में 147.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। निवल सेवा प्राप्तियों में कुछ सुधार के कारण अदृश्य मदों में हल्की बढ़ोतरी से व्यापार घाटे के अनुरूप ही चालू खाता घाटा रहा और यह पिछले वर्ष के 32.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.7 प्रतिशत) से घटकर वर्ष 2014-15 में 27.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) हो गया।
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पूंजी और वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाह (विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन को छोड़कर) पिछले वर्ष के 48.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 89.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वर्ष 2013-14 के 15.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2014-15 में 61.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई।
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मार्च 2015 के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 341.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर रहा।
सारणी 1: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें |
(बिलियन अमेरिकी डॉलर) |
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जनवरी-मार्च 2015 (प्रा.) |
जनवरी-मार्च 2014 (आं. सं.) |
अप्रैल-मार्च 2014-15 (प्रा.) |
अप्रैल-मार्च 2013-14 (आं.सं.) |
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जमा |
नामे |
निवल |
जमा |
नामे |
निवल |
जमा |
नामे |
निवल |
जमा |
नामे |
निवल |
क. चालू खाता |
131.4 |
132.7 |
-1.3 |
144.4 |
145.6 |
-1.2 |
553.7 |
581.2 |
-27.5 |
551.4 |
583.7 |
-32.4 |
1. माल |
70.8 |
102.5 |
-31.7 |
83.7 |
114.3 |
-30.7 |
316.7 |
460.9 |
-144.2 |
318.6 |
466.2 |
-147.6 |
जिसमें सेः |
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|
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|
पीओएल |
7.7 |
21.8 |
-14.1 |
15.1 |
42.6 |
-27.4 |
55.2 |
138.3 |
-83.1 |
63.2 |
164.8 |
-101.6 |
2. सेवा |
39.8 |
20.4 |
19.4 |
40.6 |
21.0 |
19.6 |
155.4 |
79.8 |
75.7 |
151.5 |
78.5 |
73.0 |
3. प्राथमिक आय |
3.2 |
8.8 |
-5.6 |
2.8 |
9.2 |
-6.4 |
11.5 |
36.5 |
-25.0 |
11.4 |
34.4 |
-23.0 |
4. द्वितीयक आय |
17.5 |
0.9 |
16.6 |
17.3 |
1.0 |
16.3 |
70.0 |
4.0 |
66.0 |
69.9 |
4.6 |
65.3 |
ख. पूंजी लेखा और वित्तीय लेखा |
149.2 |
148.9 |
0.3 |
127.1 |
125.1 |
2.0 |
548.4 |
520.3 |
28.1 |
523.2 |
490.0 |
33.2 |
जिसमें सेः: |
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|
|
|
|
|
|
|
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मुद्रा भंडार में परिवर्तन (वृद्धि (-)/कमी (+)) |
0.0 |
30.1 |
-30.1 |
0.0 |
7.1 |
-7.1 |
0.0 |
61.4 |
-61.4 |
0.0 |
15.5 |
-15.5 |
ग. भुल-चूक (-) (ए+बी) |
1.0 |
|
1.0 |
|
0.7 |
-0.7 |
|
0.6 |
-0.6 |
|
0.9 |
-0.9 |
प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
नोट: पूर्णांकन के कारण उप घटकों का योग कुल योग से भिन्न हो सकता है। |
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/2616 |