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Date: 01/07/2015
भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश – मास्टर परिपत्र

आरबीआई/2015-16/66
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.पीपीआई.सं 2/02.14.006/2015-16

01 जुलाई 2015
(09 जुलाई 2015 को संशोधित)

सभी प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता, प्रणाली प्रदाता, सिस्टम सहभागी और अन्य सभी भावी प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता

महोदय/महोदया,

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश – मास्टर परिपत्र

जैसा कि आप जानते हैं कि समय समय पर भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश देने वाले कई परिपत्र जारी किए हैं। इस मास्टर परिपत्र को तैयार करने के पीछे उदेश्य यह है कि प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता, प्रणाली प्रदाता, सिस्टम सहभागी और अन्य सभी भावी प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ताओं को इस विषय पर सभी मौजूदा निर्देश एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकें।

2. इस मास्टर परिपत्र में 09 जुलाई 2015 तक भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में जारी किए गए सभी निर्देशों / दिशानिर्देशों को शामिल करते हुए अद्यतन किया गया है और इसे भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट (http://www.rbi.org.in) पर उपलब्ध करा दिया गया है। इस मास्टर परिपत्र में जिन परिपत्रों का संदर्भ लिया गया है, उनकी सूची परिशिष्ट के रूप में संलग्न है।

भवदीय,

नन्दा दवे
मुख्य महाप्रबंधक


विषयवस्तु

पैरा नं विषय
क. उद्देश्य
ख. वर्गीकरण
ग. पिछला समेकित दिशानिर्देश
घ. दायरा
ङ. संरचना
1 परिचय
2 परिभाषाएँ
3 प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की पात्रता
4 छूट
5 पूंजीगत आवश्यकताएँ
6 धन शोधन (केवाईसी/एएमएल/सीएफटी) के विरुद्ध रक्षोपाय के प्रावधान
7 प्रीपेड भुगतान लिखतों की श्रेणियाँ
8 संग्रहीत धन का अभिनियोजन
9 प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करना और पुन: लोड करना
10 वैधता
11 लेनदेन सीमाएं
12 मोचन
13 धोखाधड़ी रोकना और सुरक्षा मानक
14 ग्राहक सुरक्षा संबंधी मामला
  लेखापरीक्षक द्वारा एस्क्रो खाते में बकाए संबंधी तिमाही प्रमाणपत्र का प्रारूप
  परिशिष्ट

क. प्रयोजन

देश में प्रीपेड भुगतान लिखत ( पीपीआई ) को जारी करने में शामिल भुगतान प्रणाली का परिचालन करने वाले व्यक्तियों के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना और विवेकपूर्ण और ग्राहकों के अनुकूल तरीके से भुगतान और निपटान प्रणाली के इस क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करना। इन दिशानिर्देशों के उद्देश्य के लिए, शब्द 'व्यक्तियों' का आशय ऐसी “संस्थाओं” से है जो प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने के लिए अधिकृत है और जिन “संस्थाओं” ने प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने का प्रस्ताव किया है।

ख. वर्गीकरण

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम , 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 सहपठित धारा 10 (2) के तहत जारी सांविधिक दिशानिर्देश।

ग. पिछले दिशानिर्देश समेकित किए गए हैं

इस मास्टर परिपत्र में परिशिष्ट में दी गई सूची के अनुसार भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देशों को समेकित किया गया है।

घ. दायरा

ये दिशानिर्देश देश में प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने में शामिल भुगतान प्रणाली परिचालकों के लिए पात्रता मानदंड और बुनियादी शर्तें निर्धारित करते हैं। भारत में प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने में शामिल एवं भुगतान प्रणालियों को परिचालित करने वाले सभी प्राधिकृत व्यक्ति इन दिशानिर्देशों का पालन करें। ऐसे सभी व्यक्ति जो प्रीपेड भुगतान प्रणाली परिचालित करने का प्रस्ताव करते हैं एवं प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने में शामिल हैं वे भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक से प्राधिकार प्राप्त करेंगे।

ङ.संरचना

1 . परिचय
2 . परिभाषाएँ
3 . प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की पात्रता
4 . छूट
5 . पूंजी आवश्यकताएं
6 . धन शोधन (केवाईसी / एएमएल / सीएफटी ) के विरुद्ध रक्षोपाय प्रावधान
7 . प्रीपेड भुगतान लिखतों की श्रेणियाँ
8 . संग्रहित धन का अभिनियोजन
9. प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करना और रीलोड करना
10 . वैधता
11 . लेनदेन सीमाएं
12 . प्रतिदान (मोचन)
13 . धोखाधड़ी की रोकथाम और सुरक्षा मानक
14 . ग्राहक सुरक्षा मामला

1 . परिचय

1.1. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के पारित होने के परिणामस्वरूप बैंक और गैर बैंक संस्थाएं भारतीय रिजर्व बैंक से आवश्यक अनुमोदन / प्राधिकरण प्राप्त करने के उपरांत देश में प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करती रही हैं और वे इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों के अधीन परिचालित हो रही हैं। अप्रैल 2009 में जारी किए गए " प्रीपेड भुगतान लिखत (पीपीआई) जारी करना एवं उनका परिचालन" पर प्रारंभिक दिशा निर्देशों को पीपीआई जारीकर्ताओं द्वारा की गई प्रगति और इस क्षेत्र में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए समय - समय पर संशोधित जाता रहा है। अतीत में किए गए संशोधनों की संख्या को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि, सभी निर्देश एक ही स्थान पर हों।

1.2 इसके अलावा , पीपीआई के परिचालन से संबंधित कुछ मुद्दों पर पीपीआई जारीकर्ताओं से प्राप्त संदर्भों को ध्यान में रखते हुए, हितधारकों के परामर्श से मौजूदा दिशानिर्देशों और अनुदेशों की व्यापक समीक्षा भी की गई है। बैंक और गैर बैंक दोनों ही व्यक्तियों को शामिल करने वाले ये दिशानिर्देश देश में भुगतान प्रणालियों के परिचालन हेतु बुनियादी पात्रता मानदंड निर्धारित करते हैं।

2 . परिभाषाएँ

2.1 जारीकर्ता: व्यक्तियों / संगठनों को प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने वाली भुगतान प्रणालियों को परिचालित करने वाले व्यक्ति। संग्रहीत धन इन व्यक्तियों द्वारा रखा जाता है तथा वे ऐसे व्यापारियों को भुगतान करते हैं जो स्वीकृति की व्यवस्था का सीधे अथवा निपटान व्यवस्था के माध्यम से एक हिस्सा हो।

2.2 धारक: ऐसे व्यक्ति/ संगठन जो वित्तीय सेवाओं सहित माल और सेवाओं की खरीद के लिए प्रीपेड भुगतान लिखत प्राप्त करते हैं।

2.3 प्रीपेड भुगतान लिखत : प्रीपेड भुगतान लिखत ऐसे भुगतान लिखत हैं जो निधि हस्तांतरण सहित ऐसे लिखतों पर जमा मूल्य के बदले माल और सेवाएँ खरीदने की सुविधा देते हैं। ऐसे लिखतों पर जमा मूल्य, धारक द्वारा नकद रूप में बैंक खाते को नामे अथवा क्रेडिट कार्ड द्वारा भुगतान किए गए मूल्य को दर्शाता है। प्रीपेड भुगतान लिखत स्मार्ट कार्ड, मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड, इन्टरनेट एकाउंट्स, इन्टरनेट वालेट्स, मोबाइल एकाउंट्स, मोबाइल वालेट्स, पेपर वाउचर और अन्य ऐसे किसी लिखत के रूप में जारी किया जा सकता है जो प्रीपेड राशि (इसके बाद सामूहिक रूप से प्रीपेड भुगतान लिखत के रूप में जाना जाएगा) प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। देश में जारी किए जा सकने वाले प्रीपेड भुगतान लिखतों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: (i) क्लोज्ड सिस्टम भुगतान लिखत (ii) सेमी क्लोज्ड सिस्टम भुगतान लिखत और (iii)ओपेन सिस्टम भुगतान लिखत।

2.4 क्लोज्ड सिस्टम भुगतान लिखत: ऐसे भुगतान लिखत हैं जो किसी व्यक्ति द्वारा द्वारा माल और सेवाओं की खरीद में सुविधा हो इसलिए किसी व्यक्ति द्वारा जारी किए जाते हैं। इन लिखतों में नकदी आहरण अथवा प्रतिदान करने की अनुमति नहीं होती। चूंकि इन लिखतों में तीसरी पार्टी की सेवाओं के लिए भुगतान और निपटान की सुविधा नहीं होती, अत: ऐसे लिखतों को जारी करने तथा उनके परिचालन को भुगतान प्रणालियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।

2.5 सेमी-क्लोज्ड सिस्टम भुगतान लिखत : ये ऐसे भुगतान लिखत हैं जिनका उपयोग स्पष्ट रूप से पहचान किए गए व्यापार स्स्थानों/प्रतिष्ठानों के समूह जिनका भुगतान लिखतों को स्वीकार करने के संबंध में जारीकर्ता के साथ विशिष्ट करार है, से वित्तीय सेवाओं सहित माल और सेवाएँ खरीदने के लिए किया जा सकता है। इसमें धारक को नकदी आहरण अथवा प्रतिदान की अनुमति नहीं होती है।

2.6 ओपेन सिस्टम भुगतान लिखत: ये ऐसे भुगतान लिखत हैं जिन्हें कार्ड स्वीकारने वाले किसी भी व्यापार स्थान (पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल) पर निधि अंतरण जैसी वित्तीय सेवाओं सहित माल और सेवाओं की खरीद के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैं। इसमें एटीएम/बीसी से नकदी आहरण की भी अनुमति है।

2.7 सीमाएं : दिशानिर्देशों में उल्लिखित लिखतों के मूल्य में सभी “सीमाएं” ऐसे लिखतों का अधिकतम मूल्य दर्शाती हैं जिन्हें किसी भी धारक को जारी किया जा सकता है।

2.8 व्यापारी: ऐसे प्रतिष्ठान जो प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ताओं द्वारा जारी किए गए, प्रीपेड भुगतान लिखत, माल और सेवाओं की खरीद के बदले स्वीकार करते हैं।

3. प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की पात्रता

3.1 ऐसे बैंक जो पात्रता मानदंड का अनुपालन करते हैं, उन्हें सभी श्रेणियों के प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।

3.2 तथापि, केवल वे ही बैंक जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मोबाइल बैंकिंग लेनदेनों की सुविधा को प्रदान करने की अनुमति दी गई है, को मोबाइल आधारित प्रीपेड भुगतान लिखत (मोबाइल वालेट और मोबाइल खाते) को प्रारम्भ करने की अनुमति दी जाएगी।

3.3 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) तथा अन्य व्यक्तियों को मोबाइल फोन आधारित प्रीपेड भुगतान लिखतों सहित केवल सेमी क्लोज्ड सिस्टम भुगतान लिखतों को जारी करने की अनुमति दी जाएगी।

4 . छूट

4.1 विदेशी मुद्रा प्रीपेड भुगतान लिखत : विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के अंतर्गत विदेशी मुद्रा प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों को और जहां ऐसे व्यक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों के सहभागियों के रूप में ऐसे लिखतों को जारी करते हैं, उन्हें इन दिशानिर्देशों के संबंध में छूट प्राप्त है। ऐसे भुगतान लिखतों का उपयोग अनुमत चालू खाता लेनदेनों तक ही सीमित रहेगा और समय-समय पर संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेनदेन) नियमावली 2000 के तहत निर्धारित सीमाओं के अधीन रहेगा।

5 . पूंजीगत आवश्यकताएं

5.1 बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित पूंजी पर्याप्तता आवश्यकताओं का अनुपालन करती हैं, उन्हें प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की अनुमति दी जाएगी।

5.2 इसके पश्चात प्राधिकरण की मांग करने वाले अन्य सभी व्यक्तियों को 500 लाख रुपए की न्यूनतम चुकता पूंजी और 100 लाख रुपये की न्यूनतम सकारात्मक निवल मालियत हमेशा रखनी होगी। बढ़ी हुई पूंजीगत आवश्यकताओं के अनुपालन के लिए मौजूदा पीपीआई जारीकर्ताओं के लिए आवश्यक निर्देश , यदि कोई हों, अलग से अधिसूचित किए जाएंगे।

5.3 एफडीआई/एफआईआई वाली आवेदक कंपनियों को भारत सरकार की समेकित एफडीआई नीति के दिशा निर्देशों के तहत लागू न्यूनतम पूंजी की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए।

5.4 केवल भारत में निगमित कंपनियों को प्राधिकार हेतु आवेदन करने की पात्रता होगी।

6 . धन शोधन ( केवाईसी / एएमएल / सीएफटी ) के विरुद्ध रक्षोपाय के प्रावधान

6.1. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के लिए समय-समय पर अपने ग्राहक को जानें/धन शोधन निवारण/ आतंकवाद वित्तपोषण का प्रतिरोध के संबंध में जारी दिशानिर्देश यथोचित परिवर्तनों के साथ उन सभी व्यक्तियों पर लागू होंगे जो प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करते हैं।

6.2 चूंकि प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता भुगतान प्रणाली का परिचालन कर रहे हैं अत: धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधान और उसके अंतर्गत बनाए गए विनियम, समय - समय पर यथासंशोधित, भी प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ताओं पर लागू होंगे। इन दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रणाली स्थापित की जाएगी।

6.3 दिशा निर्देशों के पैरा 4.1 में उल्लिखित भुगतान लिखतों को छोड़कर सीमा-पारीय लेनदेन के लिए प्रीपेड भुगतान लिखतों के उपयोग की अनुमति नहीं होगी।

6.4 प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने वाले व्यक्तियों को इन लिखतों का उपयोग करते हुए किए गए सभी लेनदेनों का हिसाब रखना होगा। यह आंकड़ा रिजर्व बैंक अथवा किसी अन्य एजेंसी / रिजर्व बैंक द्वारा सूचित की गई एजेंसियों द्वारा जांच के लिए उपलब्ध होना चाहिए। इन व्यक्तियों को वित्तीय आसूचना इकाई- भारत (एफआईयू - इंड) के समक्ष संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) भी फाइल करना चाहिए।

7. प्रीपेड भुगतान लिखतों की श्रेणियाँ

7.1 किसी भी प्रीपेड भुगतान लिखत का अधिकतम मूल्य रुपये 50,000 / से अधिक नहीं होगा (जहां पैराग्राफ 10.2 के अनुसार हस्तांतरित राशि सहित विशिष्ट सीमा निर्धारित नहीं की गई है)।

7.2 ग्राहक के बारे में समुचित सावधानी बरतने के बाद निम्नलिखित प्रकार के सेमीक्लोज्ड भुगतान लिखत जारी किए जा सकते हैं : -

  1. 10,000/- रुपये तक, ग्राहक के न्यूनतम विवरण स्वीकार करते हुए बशर्ते किसी भी समय बकाया राशि 10,000/- रुपये से अधिक न हो और किसी भी महीने में रीलोड्स का कुल मूल्य 10,000/- रुपये से अधिक न हो। इन्हें केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में जारी किया जा सकता है;

  2. 10,001/- रुपये से 50,000/- रुपये तक समय - समय पर यथासंशोधित पीएमएल नियम 2005 के नियम 2 ( घ) के तहत परिभाषित कोई “आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़” स्वीकार करते हुए। इस तरह के प्रीपेड भुगतान लिखत केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में जारी किए जा सकते हैं और ये नॉन- रीलोडेबल प्रकृति के होने चाहिए;

  3. 1,00,000/- रुपये तक पूर्ण केवाईसी, और यह रीलोडेबल प्रकृति का हो सकता है। प्रीपेड भुगतान लिखत में बकाया किसी भी समय 1,00,000/- रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।

7.3 उपर्युक्त सूचीबद्ध सेमीक्लोज्ड भुगतान लिखत के अतिरिक्त बैंक पूर्ण केवाईसी के साथ ओपेन प्रीपेड भुगतान लिखत जारी कर सकते हैं।

7.4 को- ब्रांडेड प्रीपेड भुगतान लिखत

प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने के लिए अधिकृत /अनुमोदित सभी व्यक्तियों को ऐसे लिखतों को वित्तीय संस्था का नाम / सरकारी संगठन इत्यादि जिनके ग्राहकों / लाभार्थियों के लिए ऐसे को-ब्रांडेड लिखत जारी किए जाते हैं के नाम/लोगो के साथ को-ब्रांड करने की अनुमति दी जाती है। जारीकर्ता का नाम भुगतान लिखत पर प्रमुखता से स्पष्ट होगा। ऐसे को-ब्रांडेड प्रीपेड लिखतों को जारी करने के इच्छुक एनबीएफसी / अन्य व्यक्ति भारतीय रिजर्व बैंक से एक बार प्राप्त किया जाने वाला अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।

तथापि, बैंकों को रुपया मूल्यवर्ग के को–ब्रांडेड प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की साधारण अनुमति दी गई है बशर्ते कि वे दिनांक 12 दिसंबर 2012 के परिपत्र आरबीआई/2012-13/325 डीबीओडी.सं.एफ़एसडी.बीसी.67/24.01.019/2012-13 का अनुपालन करें।

7.5 बैंकों, एनबीएफसी और अन्य व्यक्तियों द्वारा प्रीपेड उपहार लिखत जारी करना

बैंकों,एनबीएफसी और अन्य व्यक्तियों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्रीपेड उपहार लिखत जारी करने की अनुमति दी जाती है :

  1. प्रीपेड उपहार लिखत की अधिकतम वैधता एक वर्ष के लिए होगी।

  2. ऐसे प्रत्येक भुगतान लिखत का अधिकतम मूल्य 50,000/- रुपये से अधिक नहीं होगा।

  3. ये लिखत रीलोडेबल नहीं होंगे।

  4. ऐसे लिखत के लिए नकद आहरण की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  5. ऐसे लिखतों के खरीददारों की पूर्ण केवाईसी रखी जाएगी। (ऐसे ग्राहक जिन्हें ये लिखत भारत में उनके बैंक खाते जो पूरी तरह से केवाईसी के अनुरूप हैं के लिए डेबिट के संबंध में जारी किए गए हैं, उनके मामले में अलग से केवाईसी की आवश्यकता नहीं होगी)।

  6. जारीकर्ता उन व्यक्तियों का ब्यौरा रखेगा जिन्हें इस तरह के लिखत जारी किए गए हैं और मांगे जान पर उन्हें उपलब्ध करवाएगा। जारीकर्ता इस बात को भी सुनिश्चित करेगा कि अंतिम लाभार्थी का पूरा विवरण प्राप्त किया जाए ताकि जब कभी भी आवश्यक हो तो उसे विनियामक या सरकार को मांगे जाने पर प्रस्तुत किया जा सके।

  7. संस्थाएं अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाकर ग्राहकों को जारी किए जा सकने वाले ऐसे लिखतों की संख्या, लेनदेन की सीमा इत्यादि के संबंध में निर्णय ले सकते हैं।

7.6 सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लाभार्थियों को जारी करने के लिए सरकार के संगठनों को बैंकों द्वारा जारी किए गए प्रीपेड लिखत।

बैंकों को सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लाभार्थियों को जारी करने के लिए सरकार के संगठनों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्रीपेड लिखत जारी करने की अनुमति दी जाती है: -

  1. लाभार्थियों की पहचान के सत्यापन की जिम्मेदारी सरकारी संगठन की होगी।

  2. ये भुगतान लिखत केवल सरकारी संगठनों के उसी बैंक के खाते में डेबिट कर ही लोड /रीलोड किए जाएंगे।

  3. ऐसे प्रत्येक भुगतान लिखत का अधिकतम मूल्य 50,000/ रुपये से अधिक नहीं होगा।

  4. यदि अनुरोध किया जाए, तो बैंक लाभार्थी के नियमित बैंक खाते में ऐसे भुगतान लिखत से धन के हस्तांतरण की सुविधा उपलब्ध कराएगा।

  5. बैंकों इन लिखतों से संबंधित सभी ग्राहक सेवा पहलुओं के लिए जिम्मेदार होंगे।

7.7 बैंकों द्वारा अन्य वित्तीय संस्थानों को जारी किए गए प्रीपेड भुगतान लिखत जिससे ये संगठन अपने ग्राहकों को एक बार/आवधिक भुगतान का क्रेडिट कर सकें।

बैंकों द्वारा अन्य वित्तीय संस्थानों को प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी जाती है जिससे ये संगठन अपने ग्राहकों को एक बार/आवधिक भुगतान का क्रेडिट कर सकें :-

  1. बैंकों को इन लिखतों को जारी करने से पहले इन संगठनों द्वारा अपनाई जा रही केवाईसी की प्रक्रियाओं के अनुपालन की पर्याप्तता के बारे में स्वयं संतुष्ट होना चाहिए।

  2. इन भुगतान लिखतों को वित्तीय संस्थाओं के उसी बैंक के खाते में डेबिट के माध्यम से लोड / रीलोड किया जाएगा।

  3. ऐसे भुगतान लिखतों का अधिकतम मूल्य 50,000 रुपये से अधिक नहीं होगा।

  4. अनुरोध किए जाने पर, बैंक इस प्रकार के भुगतान लिखतों से लाभार्थी के नियमित बैंक खाते में निधियों के अंतरण की सुविधा प्रदान करेंगे।

  5. बैंक इन लिखतों से संबंधित सभी ग्राहक सेवा पहलुओं के लिए जिम्मेदार होंगे।

7.8 सीमा पारीय आवक धनप्रेषण के क्रेडिट के लिए बैंकों द्वारा जारी किए गए प्रीपेड लिखत।

आवक धनप्रेषणों से निधियों की लोडिंग के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की मनी ट्रांसफर सेवा योजना (एमटीएसएस ) के तहत अनुमोदित प्रमुख एजेंटों अथवा इस योजना के तहत लाभार्थी को सीधेतौर लोडिंग के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन बैंकों को प्रीपेड लिखत जारी करने की अनुमति दी जाती है : -

  1. बैंक सीधेतौर पर इस प्रकार के प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करते समय लाभार्थियों की उचित पहचान सुनिश्चित करेगा।

  2. बैंक इन लिखतों को जारी करने से पहले लाभार्थियों की पहचान करने के लिए एजेंट के द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया के बारे में स्वयं संतुष्ट होंगे।

  3. कार्ड को केवल एमटीएसएस दिशानिर्देशों के अंतर्गत प्राप्त प्रेषण राशि से ही लोड किया जाएगा।

  4. ऐसे भुगतान लिखत का अधिकतम मूल्य. 50,000 रुपये से अधिक नहीं होगा।

  5. एक क्रेडिट को भुगतान के विभिन्न तरीकों के बीच बांटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। एमटीएसएस के अंतर्गत प्राप्त 50,000 /-रुपए से अधिक की राशि को एक बैंक खाते में क्रेडिट द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए।

  6. अनुरोध किए जाने पर, बैंक इस तरह के भुगतान के लिखत से नियमित बैंक खाते में धन के अंतरण की सुविधा लाभार्थी को उपलब्ध कराएंगे।

  7. बैंक इन लिखतों से संबन्धित सभी ग्राहक सेवा पहलुओं के लिए जिम्मेदार होंगे।

7.9 अपने कर्मचारियों को जारी करने के लिए कार्पोरेटों को बैंकों द्वारा जारी किए गए प्रीपेड भुगतान लिखत

बैंकों को कार्पोरेटों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी करने के लिए कार्पोरेटों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने की अनुमति दी जाती है : -

  1. भारत में किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कॉर्पोरेट संस्थाओं को प्रीपेड भुगतान लिखत जारी किए जा सकते हैं।

  2. कर्मचारी की पहचान के सत्यापन की जिम्मेदारी संबन्धित कारपोरेट की होगी। बैंक उन कर्मचारियों के संबंध में विस्तृत विवरण प्राप्त कर उन्हें बनाए रखने के लिए यथोचित प्रणाली स्थापित करेगा जिन्हें कारपोरेट द्वारा कार्ड जारी किए गए हैं और इसके साथ इस प्रकार के कर्मचारियों के फोटोग्राफ और पहचान संबंधी साक्ष्य की प्रतियों को भी रखेगा। कॉर्पोरेट को बैंक कर्मचारियों के बैंक खातों (यदि हों तो ) का विवरण उपलब्ध कराना अपेक्षित होगा।

  3. बैंकों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कारपोरेट इकाई के बोर्ड द्वारा अनुमोदित अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची का रिकॉर्ड रखा जाए और केवल ऐसे अधिकृत व्यक्तियों से प्राप्त अनुरोध प्रीपेड भुगतान लिखत को लोड करने / आरंभ करने के लिए स्वीकार किए जाएँ।

  4. इन प्रीपेड भुगतान लिखतों को लोड /रीलोड केवल कारपोरेट के उसी बैंक खाते में डेबिट द्वारा किया जाएगा, जिसकी पूर्ण केवाईसी की जाती है और जो कि कारपोरेट द्वारा उसी बैंक में रखा जाता है।

  5. किसी भी समय किसी प्रीपेड भुगतान लिखत पर बकाया अधिकतम मूल्य. 50,000 / - रुपये से अधिक नहीं होगी।

  6. मांगे जाने पर, बैंक इस तरह के भुगतान लिखत से धन के अंतरण की सुविधा लाभार्थी के नियमित बैंक खाते में उपलब्ध कराएंगे।

  7. बैंक इन लिखतों से संबंधित सभी ग्राहक सेवा पहलुओं के लिए जिम्मेदार होंगे।

7.10 आश्रित / परिवार के सदस्यों के लिए पूर्ण केवाईसी वाले बैंक खातों से कई प्री-पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को जारी करना

निम्नलिखित शर्तों के अधीन ओपेन सिस्टम प्रीपेड भुगतान लिखतों की नई श्रेणी की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है:

  1. इस प्रकार के प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को केवल खरीददार के पूरी तरह से केवाईसी का अनुपालन करने वाले बैंक खाते से धन आहरण (लोडिंग दी वैल्यू ) के माध्यम से जारी किया जा सकता है। खरीददार के आश्रित/परिवार के सदस्य ही लाभार्थी हो सकते हैं।

  2. प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) का क्रय करने वाले खाता धारकों को भावी लाभार्थी /लाभार्थियों , जो कि उसके आश्रित और परिवार के सदस्य हैं के न्यूनतम विवरण (जैसे नाम, पता और संपर्क के विवरण ) प्रदान करने होंगे।

  3. एक लाभार्थी को केवल एक कार्ड जारी किया जा सकता है।

  4. इस प्रकार के प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) पर समय -समय पर यथा संशोधित देशी धन अंतरण (डीएमटी) दिशानिर्देशों (वर्तमान में 25,000 रुपये की मासिक सीमा के साथ प्रति लेनदेन पर 10,000 रुपये ) के अंतर्गत कैश पे - आउट व्यवस्था के लिए लागू लेनदेन और मासिक सीमाएं लागू होंगी।

  5. बैंक इन प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) में संदिग्ध लेनदेन की निगरानी और इनकी रिपोर्ट भारतीय वित्तीय आसूचना इकाई (एफ़आईयू आईएनडी ) को करने के लिए एक तंत्र की की स्थापना करेगा।

  6. ओपेन सिस्टम प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) पर लागू अन्य दिशानिर्देश इन कार्डों पर भी लागू होंगे।

  7. इस तरह के प्री -पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में जारी किए जाएंगे।

7.11 भारत आने वाले विदेशी नागरिकों और अनिवासी भारतीयों के लिए बैंकों द्वारा जारी किए गए रुपये मूल्यवर्ग के प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई)

बैंकों को ओपेन सिस्टम रुपये मूल्य वर्ग के नॉन-रीलोडेबल पीपीआई (क) भारत की यात्रा पर आने वाले अनिवासी भारतीयों और विदेशी नागरिकों को प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) और (ख) भारत की यात्रा पर आने वाले अनिवासी भारतीयों और विदेशी नागरिकों को विनिमय गृहों/ मुद्रा प्रेषकों (मनी ट्रांसमिटर्स) (आरबीआई द्वारा अनुमोदित) के साथ को-ब्रांडेड प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) जारी करने की अनुमति है, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी:

  1. भारत में स्थित बैंकों की विदेशी शाखाओं द्वारा सीधे तौर पर अथवा विनिमय गृहों / मुद्रा प्रेषकों (मनी ट्रांसमिटर्स) के साथ को-ब्रांडिंग के माध्यम से केवाईसी का अनुपालन करने वाले बैंक खाते से अधिकतम 2 लाख रुपये की राशि लोड करके कार्ड जारी किए जा सकते हैं।

  2. इस प्रकार के प्री -पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) बैंक द्वारा तभी सक्रिय किए जाने चाहिए जब यात्री भारत में आ जाता है।

  3. इस प्रकार के प्री -पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) से प्रति माह नकदी आहरण की सीमा प्रति माह 50,000 रुपये की होगी।

  4. कार्डों को अनिवार्य रूप से भारत में उपयोग किए जाने और भारतीय रुपये में निपटाए जाने हेतु जारी किया जाना चाहिए।

  5. बैंकों को समय -समय पर जारी किए गए संगत केवाईसी / एएमएल / सीएफटी अपेक्षाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करना चाहिए।

  6. एक व्यक्ति एक समय में केवल एक कार्ड ही रख सकता है और यह कार्ड अहस्तांतरणीय होना चाहिए। जारीकर्ता बैंक को यह सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक व्यवस्था करनी होगी।

  7. इन प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) का उपयोग केवल मौजूदा विदेशी मुद्रा विनियमों के अंतर्गत स्वीकृत लेनदेनों के लिए किया जा सकता है।

  8. लेन -देन संबंधी समस्त विवरण बैंकों को रखना होगा।

  9. भारत में प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) की राशि के अप्रयुक्त हिस्से की वापसी के लिए बैंकों द्वारा प्रयुक्त प्रक्रिया को मौजूदा विदेशी मुद्रा विनियमों का पालन करना होगा।

  10. इस तरह के प्री -पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में जारी किया जाएगा।

7.12 मास ट्रांजिट सिस्टम (पीपीआई-एमटीएस) के लिए प्रीपेड भुगतान लिखत

कम - नकदी वाले समाज के विजन को प्राप्त करने के लिए नकदी आधारित भुगतानों से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की ओर बढ़ने की प्रक्रिया में, सेमी क्लोज्ड प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) की एक नई श्रेणी निम्नलिखित विशेषताओं के साथ लागू की जा रही है: -

  1. सेमी क्लोज्ड प्रीपेड भुगतान लिखतों को मास ट्रांज़िट सिस्टम ऑपरेटर (पीपीआई-एमटीएस) के द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत इस प्रकार के सेमी क्लोज्ड प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी एवं परिचालित करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त होने के बाद जारी किया जाएगा;

  2. पीपीआई-एमटीएस में ट्रांज़िट सेवा से संबन्धित स्वचालित किराया संग्रह एप्लीकेशन आवश्यक रूप से शामिल होगी ताकि, यह पीपीआई-एमटीएस के रूप में अर्हता प्राप्त कर सके;

  3. मास ट्रांज़िट सिस्टम के अलावा, इस प्रकार के पीपीआई-एमटीएस का उपयोग केवल अन्य व्यापारियों के यहाँ किया जा सकता है जिनकी गतिविधियां ट्रांजिट सिस्टम के परिसर के भीतर की जाती हैं या संबद्ध हैं;

  4. पीपीआई-एमटीएस जारीकर्ता किसी अन्य पीपीआई जारीकर्ता पर लागू यथोचित प्रक्रिया का पालन करके व्यापारियों (केवल उपर्युक्त (iii) के अंतर्गत अनुमति प्राप्त) की ऑन बोर्डिंग सुनिश्चित करेंगे;

  5. पीपीआई-एमटीएस की न्यूनतम वैधता जारी होने की तारीख से छह महीने की होगी;

  6. जारीकर्ता इस तरह के पीपीआई के लिए केवाईसी के वांछित स्तर, यदि कोई हो, के संबंध में निर्णय ले सकता है;

  7. जारी किए गए पीपीआई-एमटीएस रीलोड करने की प्रकृति के हो सकते हैं और किसी भी समय पीपीआई का मूल्य / बकाया रुपये 2,000 / - (दो हजार रुपए मात्र) से अधिक नहीं होना चाहिए;

  8. इन प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) से नकदी निकासी अथवा धन वापसी की अनुमति नहीं दी जाएगी;

  9. घरेलू धन अंतरण (डीएमटी) दिशा-निर्देशों के अंतर्गत धन अंतरण भी इन प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) पर लागू नहीं होगा;

  10. पीपीआई जारी करने के लिए एस्क्रो व्यवस्था, ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र, एजेंट / व्यापारी के उचित मूल्यांकन, रिपोर्टिंग और एमआईएस आवश्यकताओं आदि पर लागू अन्य सभी मौजूदा दिशानिर्देशों का पीपीआई-एमटीएस के संबंध में लागू होना जारी रहेगा।

8. संग्रहीत धन का अभिनियोजन

8.1 प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करके किसी भी समय जुटाया गया धन ज्यादा भी हो सकता है। इसके अलावा, निधियों का आना –जाना भी काफी तेज हो सकता है। जनता और व्यापारिक प्रतिष्ठान उनपर कितना भरोसा करते हैं, यह बात ऐसे लिखतों के प्रयोग से उत्पन्न होने वाले दावों के समय पर निपटान पर निर्भर करेगी। समय पर निपटान हो, यह देखने के लिए जारीकर्ता जमा किए गए निधि का उसी तरह से निवेश करेंगे जैसाकि, यहाँ बताया गया है।

8.2 बैंकों द्वारा परिचालित योजनाओं के लिए बकाया राशि प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं के प्रयोजन के लिए आवश्यक “निवल मांग और मीयादी देयताओं ” के अंश के रूप में होंगी। इस स्थिति की गणना रिपोर्टिंग की तारीख के अनुसार बैंक की बहियों में दर्ज शेष राशियों के आधार पर की जाएगी।

8.3 भुगतान लिखत जारी करने वाले अन्य गैर-बैंक व्यक्ति निम्नलिखित शर्तों के अधीन बकाया शेष राशि किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में निलंब (एस्क्रो) खाते में बनाए रखेंगे :-

  1. किसी भी समय केवल एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में एस्क्रो बैलेंस अनिवार्यत : रखा जाना चाहिए।

  2. यदि किसी एस्क्रो खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में अंतरित करने की आवश्यकता है तो उसे अनावश्यक रूप से व्यापारियों के लिए भुगतान चक्र को प्रभावित किए बिना एक समयबद्ध ढंग से किया जा सकता है। यह माइग्रेशन न्यूनतम संभावित अवधि में और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के साथ पूरा किया जाना चाहिए।

  3. एस्क्रो खाते में शेष राशि, किसी भी समय में बकाया पीपीआई और व्यापारियों को देय भुगतान के मूल्य से कम नहीं होनी चाहिए। जहाँ तक संभव हो पीपीआई जारीकर्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहकों को पीपीआई की बिक्री / रीलोड की राशि को एस्क्रो में तुरंत जमा (क्रेडिट) कर दिया जाए , एस्क्रो खाते में इस प्रकार का क्रेडिट किसी भी परिस्थिति में कारोबार की समाप्ति के दिन (जिस दिन पीपीआई की बिक्री/रीलोड किया गया है) के पश्चात नहीं होना चाहिए।

  4. एस्क्रो खाते में इस प्रकार जमा रखी गई राशि का उपयोग केवल सहभागी कारोबारी प्रतिष्ठानों और अन्य अनुमत्य भुगतानों के लिए किया जाएगा। एस्क्रो खाते से केवल निम्नलिखित डेबिट और क्रेडिट की अनुमति होगी :-

क्रेडिट

क. पीपीआई की बिक्री / रीलोड करने से प्राप्त भुगतान, जिसमें एजेंट स्थान भी शामिल हैं।

ख. विफल / विवादित / लौटाए गए / रद्द किए गए लेनदेनों से प्राप्त प्रतिदान।

डेबिट

ग. विभिन्न व्यापारियों / सेवा प्रदाताओं को उनसे प्राप्त दावों की प्रतिपूर्ति के मद में किए गए भुगतान

घ. पीपीआई धारकों से प्राप्त निधि अंतरण अनुदेशों के प्रसंस्करण के लिए प्रायोजक बैंक को भुगतान जिसे, समय -समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमति प्रदान की गई है।

ड: लागू सरकारी करों का भुगतान (खरीदारों से पीपीआई बिक्री / रीलोड राशि के साथ प्राप्त )

च. पीपीआई को गलती से अथवा धोखाधड़ी साधनों (गलत अंतरण / धोखाधड़ी सिद्ध होने पर ) के माध्यम से लोड / रीलोड करने के मामले में लेनदेन को रद्द करने पर धन वापसी। इन निधियों को उसी स्रोत पर क्रेडिट किया जाना चाहिए जहां से ये प्राप्त हुई थीं। ये निधियाँ मामले के निपटने तक जब्त नहीं की जा सकती हैं।

छ. पीपीआई व्यापार के सामान्य परिचालन के दौरान पीपीआई जारीकर्ता को देय कोई अन्य भुगतान (उदाहरण के लिए सेवा शुल्क, जब्त राशि, कमीशन )।

ज. विनियामक / न्यायालयों / कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा निर्देशित कोई अन्य डेबिट।

नोट : (1) सेवा शुल्क, कमीशन और जब्त राशि का भुगतान पूर्व निर्धारित दरों / आवृत्ति पर किया जाएगा। इस प्रकार के अंतरण पीपीआई जारीकर्ता के नामित बैंक खाते में किए जाएंगे जो कि पीपीआई जारीकर्ता के एस्क्रो खाते वाले बैंक के साथ किए गए करार में निर्दिष्ट किया गया है। (2) ये सभी प्रावधान सेवा स्तर करार का हिस्सा होने चाहिए जिनपर पीपीआई जारीकर्ता और एस्क्रो खाते वाले बैंक के बीच हस्ताक्षर किए जाएंगे।

  1. पीपीआई जारीकर्ता को बैंक को स्वयं के द्वारा अधिग्रहीत व्यापारियों की सूची प्रस्तुत करनी होगी और समय -समय पर इसे अद्यतन करना होगा। बैंक को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि भुगतान केवल पात्र व्यापारियों / प्रयोजनों के लिए किए जाएं। केवल ऊपर वर्णित प्रयोजनों के लिए एस्क्रो खाते में शेष राशि के उपयोग के लिए पीपीआई जारीकर्ता और एस्क्रो खाते के बैंक के बीच हुए समझौते में एक विशेष खंड होना चाहिए।

  2. इसके अलावा, जारीकर्ता / ऑपरेटर और ' एस्क्रो खाते' वाले बैंक के बीच हस्ताक्षरित / हस्ताक्षर किए जाने वाले करार में एक विशेष खंड होना चाहिए, जो बैंक को जारीकर्ता के परिसमापन / दिवालिएपन की स्थिति में अन्य लेनदारों की अपेक्षा ' एस्क्रो खाते' में उपलब्ध धन को केवल व्यापारियों / धारकों के लिए भुगतान करने में समर्थ बनाएगा। तदनुसार, सभी बैंको को सूचित किया जाता है कि वे एस्क्रो खाते के परिचालन के लिए जारीकर्ता / ऑपरेटर के साथ किए गए करार में निम्नलिखित पैरा जोड़ें :

"यह बात स्पष्ट रूप से स्वीकृत एवं पक्की है कि प्रीपेड भुगतान लिखतों अथवा अन्यथा के उपयोग से उत्पन्न होने वाले देय के भुगतान के लिए एस्क्रो खाते में जमा राशि पर प्रभार प्रीपेड भुगतान लिखतों के धारकों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से लिया जाता है। इसके अतिरिक्त यह भी उल्लेखनीय है कि सहभागी व्यापारी प्रतिष्ठानों अथवा जारीकर्ता द्वारा जारी किए गए प्रीपेड भुगतान लिखतों के धारकों से एस्क्रो खाते में पड़ी हुई राशि पर सेक्योरिटी प्रभार लिया जाएगा जिसका उपयोग प्रथमतया उक्त प्रीपेड भुगतान लिखतों के उपयोग से उत्पन्न होने वाली देय राशियों अथवा अन्यथा लिखतों का समर्पण करने पर इनके धारकों को अदा करने के लिए और स्कीम की समाप्ति पर अथवा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने एवं उनका परिचालन करने के लिए 27 अप्रैल 2009 को जारी किए गए तथा समय - समय पर यथासंशोधित परिचालनात्मक दिशा निर्देशों में विहित किए गए अनुसार रिजर्व बैंक द्वारा समाप्त किए जाने के निर्देश दिये जाने के पश्चात देय राशियों का निपटान किया जाता है।"

  1. उपर्युक्त के अनुसार एस्क्रो खाता रखने वाले बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वे प्रीपेड भुगतान लिखतों के धारकों और /अथवा कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 125 के तहत कंपनियों के रजिस्ट्रार के पास व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के चार्ज को आवश्यक रूप से रिकॉर्ड करें।

  2. प्राधिकृत संस्थाओं को बैंक द्वारा विहित प्रमाण पत्र को तिमाही आधार पर लेखा परीक्षक /परीक्षकों द्वारा हस्ताक्षर करा के प्रस्तुत करना अपेक्षित है। यह प्रमाणपत्र यह प्रमाणित करते हुए प्रस्तुत किया जाएगा कि यह व्यक्ति अपने खाते में पर्याप्त राशि रखता है जो कि जारी किए गए प्रीपेड भुगतान लिखतों की बकाया राशि को कवर (भुगतान) करने हेतु पर्याप्त हैं। यह प्रमाण पत्र संबन्धित तिमाही की समाप्ती से एक पखवाड़े के भीतर प्रस्तुत किया जाएगा। प्रमाणपत्र का प्रारूप संलग्न है।

  3. प्राधिकृत संस्था भारतीय रिजर्व बैंक को अपने लेखा वर्ष के अनुसार उपर्युक्त प्रारूप में एक वार्षिक प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करेगी।

  4. बैंकों में एस्क्रो खातों में रखी हुई शेष राशियों की तुलना में बकाया लिखतों के मूल्य की दैनिक स्थिति दर्शाने वाले पर्याप्त रिकॉर्ड को संवीक्षा हेतु भारतीय रिजर्व बैंक अथवा उस बैंक को जिसमें खाता है को मांगे जाने पर उपलब्ध कराना होगा।

  5. यदि किसी पीपीआई जारीकर्ता द्वारा कोई अन्य व्यापार किया जा रहा हो तो उसे व्यापारियों के साथ धन के निपटान के साथ मिलाना नहीं चाहिए।

  6. इस प्रकार के बकायों के संबंध में बैंक द्वारा कोई भी ब्याज देय नहीं है।

8.4 उपर्युक्त (8.3 xii) अपवाद के रूप में संस्था राशि के “मुख्य हिस्से” को हस्तांतरित करने हेतु बैंक, जहां निलंब खाते बनाए रखा गया है, के साथ निम्नलिखित के अधीन एक अलग खाता जिस पर ब्याज देय है, के लिए करार कर सकता है:-

  1. बैंक इस बात की संतुष्टि करेगा कि आवश्यक दस्तावेजों के यथोचित सत्यापन के बाद जमा की गई राशि “मुख्य हिस्से” के रूप में है।

  2. राशि को निलंब खाते से जोड़ दिया जाएगा अर्थात ब्याज खाते में रखी गई राशियाँ निलंब खाते में किसी कमी के मामले में संस्था की भुगतान संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक को उपलब्ध कराई जाएंगी।

  3. यह सुविधा उन व्यक्तियों के लिए स्वीकार्य है जो कम से कम एक वर्ष से इस व्यवसाय में हैं और जिनके खाते की पूरे लेखांकन वर्ष के लिए विधिवत लेखा परीक्षा की गई है।

  4. इस प्रकार के जमाओं के संबंध में कोई भी ऋण लेने के अनुमति नहीं है। इस प्रकार की जमाओं के रूप में धारित राशि के संबंध में बैंक कोई भी जमा रशीद अथवा इस राशि के संबंध में पुनर्ग्रहणाधिकार जारी नहीं करेंगे।

  5. ऊपर की गई गणना के अनुसार मुख्य हिस्सा निलंब खाते से जुड़ा रहेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक को तिमाही एवं वार्षिक आधार पर लेखा परीक्षक के प्रमाणपत्र में निलंब शेष एवं मुख्य हिस्सा स्पष्टरूप से दर्शाया जाएगा।

टिप्पणी: इन दिशा निर्देशों के प्रयोजन के लिए “मुख्य हिस्से ” की निम्नानुसार गणना के जाएगी –

चरण 1: पूर्ववर्ती माह से एक वर्ष (26 पखवाड़े) के लिए एक पखवाड़े (एफ एन) के आधार पर न्यूनतम दैनिक बकाया शेष राशि (एल बी ) की गणना की जाए।

चरण 2 : न्यूनतम पाक्षिक बकाया शेष राशि के औसत की गणना की जाए [(एफ़एन2 का एलबी1+एफ़एन2 का एलबी2+.........+एफ़एन26 का एलबी 26) 26 द्वारा विभाजित]

चरण 3 : इस तरह से गिनी गई औसत शेष राशि ब्याज पाने के लिए पात्र मुख्य हिस्से के रूप में होगी।

9. प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करना और पुन: लोड करना

9.1 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पीपीआई की अनुमति प्राप्त श्रेणी के अनुसार प्रीपेड भुगतान संबंधी लिखत जारी करने वाले सभी व्यक्तियों को पुन: लोड किए जा सकने वाले और पुन: लोड न किए जा सकने वाले प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने की अनुमति है।

9.2 बैंकों को अपनी शाखाओं और एटीएम में बैंक खाते/क्रेडिट कार्ड में नकदी /नामे और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त बिजनेस करेस्पोंडेंट द्वारा भुगतान पर ऐसे भुगतान लिखतों को जारी करने और उन्हें पुन: लोड करने की अनुमति दी जाती है। बैंकों को एजेन्टों के माध्यम से (बिजनेस करेस्पोंडेंट से इतर) निम्नलिखित शर्तों के अधीन बैंक खाते/क्रेडिट कार्ड में नकदी /नामे में भुगतान करने के माध्यम से सेमी क्लोज्ड प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने एवं रीलोड करने की अनुमति है:-

  1. जारीकर्ता ऐसे लिखतों की बिक्री के लिए अधिकृत एजेन्टों के रूप में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में समुचित सावधानी बरतें।

  2. जारीकर्ता नियुक्त एजेन्टों द्वारा जारी अपने सभी भुगतान लिखतों के लिए जिम्मेदार होंगे।

  3. प्रीपेड भुगतान लिखत जरीकर्ता अपने एजेन्टों की भूल –चूक के लिए प्रमुख के रूप में जिम्मेदार होंगे।

9.3 अन्य व्यक्तियों को अपने प्राधिकृत निर्गमों अथवा एजेन्टों के माध्यम से बैंक खाते/क्रेडिट कार्ड में नकदी /नामे द्वारा भुगतान पर ऐसे भुगतान लिखतों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन जारी करने एवं रीलोड करने की अनुमति दी जाएगी:-

  1. जारीकर्ता ऐसे लिखतों की बिक्री के लिए अधिकृत एजेन्टों के रूप में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में समुचित सावधानी बरतें।

  2. जारीकर्ता नियुक्त एजेन्टों द्वारा जारी अपने सभी भुगतान लिखतों के लिए जिम्मेदार होंगे।

  3. प्रीपेड भुगतान लिखत जरीकर्ता अपने एजेन्टों की भूल –चूक और कमीशन के लिए प्रमुख के रूप में जिम्मेदार होंगे।

10. वैधता

10.1 देश में जारी सभी प्रीपेड भुगतान लिखत एक्टीवेशन/धारक को जारी करने की तारीख से छह माह की न्यूनतम अवधि के लिए वैध होंगे।

10.2 नॉन रीलोडेबल प्रीपेड भुगतान लिखतों के मामले में धारक द्वारा खरीदे गए भुगतान लिखत की समाप्ति पर बकाया राशि के उसी जारीकर्ता के नए एवं उसी प्रकार के भुगतान लिखत में अंतरण को अनुमति दी जा सकती है।

10.3 पीपीआई जारीकर्ता, यदि पीपीआई में कोई बकाया शेष हैं तो उन्हें जब्त करने से पहले के पीपीआई की वैधता अवधि की समाप्ति के 30 दिन पहले की अवधि के दौरान उचित अंतराल पर पीपीआई धारक को सावधान करेंगे। चेतावनी की यह सूचना धारक की पसंद की भाषा में जो कि उसने ऑन –बोर्डिंग दि कस्टमर (पीपीआई की बिक्री) के समय बताई थी, एसएमएस / ई - मेल / डाक अथवा किसी अन्य माध्यम से भेजी जाएगी। इसके अलावा, समाप्ति की अवधि के बारे में जानकारी के साथ ही जब्त करने संबंधी नीति के बारे में जानकारी ग्राहक को पीपीआई की बिक्री / पुनः लोड करते समय दे दी जानी चाहिए और इसे स्पष्ट रूप से पीपीआई की बिक्री की सेवा शर्तों में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जहाँ लागू हो, इसे स्पष्ट रूप से जारीकर्ता की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

11 . लेनदेन सीमाएं

11.1 पीपीआई का उपयोग कर माल और सेवाओं की खरीद पर अलग से कोई सीमा नहीं है और धारक को यह अनुमति है कि वह लागू समग्र पीपीआई सीमा के भीतर इन उद्देश्यों के लिए पीपीआई का उपयोग करे।

11.2 तथापि, लेनदेन सीमा और मासिक कैप्स घरेलू धन अंतरण (डीएमटी) दिशानिर्देशों के अंतर्गत अनुमति प्राप्त धन अंतरण के संबंध में लागू हैं। पीपीआई जारीकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डीएमटी के तहत पीपीआई में आने वाली सभी निधियाँ पीपीआई श्रेणी की समग्र अनुमति प्राप्त सीमा के अंदर हैं।

11.3 विफल / लौटे / अस्वीकृत / रद्द लेनदेन के मामले में रीफंड के लिए संबन्धित पीपीआई खाते में तुरंत आवेदन किया जा सकता है चाहे यह निधियों के संबंध में इस प्रकार का आवेदन करने के कारण पीपीआई की उस श्रेणी के लिए विहित सीमा से अधिक ही क्यों न हो। तथापि, पीपीआई जारीकर्ताओं से यह अपेक्षित होगा कि वे इस प्रकार की वापसियों/ रीफंड्स इत्यादि का पूरा विवरण तैयार रखें और जब कभी भी आवश्यक हो, उसे उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहें। इसके अलावा , पीपीआई जारीकर्ताओं से यह अपेक्षित होगा कि वे ऐसी आवश्यक प्रणाली की स्थापना करें जो उन्हें विशिष्ट खातों में जल्दी-जल्दी होने वाले रीफंड्स के मामलों की निगरानी रखने में सहायता करे और यदि आवश्यक हो/मांगा जाए तो वे उन्हें लेखापरीक्षा के प्रयोजनार्थ, विनियामक को सबूतों सहित प्रस्तुत करने में सक्षम हों।

11.4 भारत में बैंकों द्वारा जारी किए गए ओपेन सिस्टम प्रीपेड भुगतान लिखतों के मामले में पीओएस से प्रतिदिन के हिसाब से 1000/- रुपये की सीमा तक की नकदी का आहरण करने की अनुमति है और इस संबंध में अभी तक डेबिट कार्डों पर लागू शर्तें ही लागू होंगी (पीओएस पर नकदी आहरण हेतु)।

12. मोचन

12.1 यदि लिखत पर पर्याप्त बकाया शेष राशि हो तो ऐसे लिखतों के जारीकर्ता अनुमोदित स्थानों पर भुगतानों/धन अंतरण के लिए ग्राहक के अनुदेशों को अस्वीकृत नहीं करेंगे।

12.2 यदि किसी भी कारणवश योजना समाप्त की जा रही हो या उसे बंद किए जाने हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा निर्देश दिये गए हों तो प्रीपेड भुगतान लिखतों के धारकों को समाप्ति की तारीख के भीतर बकाया शेष राशि के मोचन की अनुमति दी जाएगी।

12.3 जहां उपर्युक्त 10.2 के अनुसार मोचन की अनुमति हो, वहाँ मोचन मूल्य लिखत की बकाया राशि या अंकित मूल्य (लोडिंग सीमा) से अधिक नहीं होगा।

13. धोखाधड़ी रोकना और सुरक्षा मानक

13.1 धोखाधड़ी रोकने और उसका पता लगाने के लिए प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता समुचित सूचना और डाटा सुरक्षा संबंधी मूलभूत ढांचे का प्रबंध करेंगे। यह आवश्यक है कि जारीकर्ता द्वारा केंद्रीकृत डाटाबेस/एमआईएस बनाया जाए ताकि भुगतान लिखतों की विभिन्न स्थानो पर की जाने वाली भिन्न-भिन्न ख़रीदों को रोका जा सके जिससे इस प्रकार के भुगतान लिखतों के लिए निर्धारित सीमाओं, यदि कोई हो, के उल्लंघन से बचा जा सके।

14. ग्राहक सुरक्षा संबंधी मामला

14.1 सभी प्रीपेड भुगतान लिखतों के जारीकर्ता, लिखतों को जारी करते समय सभी महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों को स्पष्ट एवं सरल भाषा में बताएँगे (हो सके तो अँग्रेजी, हिन्दी या अन्य स्थानीय भाषा में) जो धारकों की समझ में आए। ऐसे प्रकटन में निम्नलिखित शामिल होने चाहिए :-

  1. लिखत के प्रयोग से संबन्धित सभी प्रभार एवं शुल्क

  2. लिखत की समापन अवधि और उस की समाप्ति से संबन्धित नियम एवं शर्तें

  3. ग्राहक सेवा से संबन्धित दूरभाष संख्याएँ और वेबसाइट का यूआरएल

14.2 गैर बैंक पीपीआई जारीकर्ता एस्कलेशन मैट्रिक्स (संस्था के शीर्ष स्तर तक अपनी शिकायत ले जाने की व्यवस्था) के साथ ग्राहकों की शिकायतों के निवारण के लिए एक प्रभावी तंत्र की स्थापना करेंगे और ग्राहकों के लाभ के लिए इसका प्रचार करेंगे। प्रारूप में ग्राहकों की शिकायतों की रिपोर्टिंग और आवृत्ति जो पहले से ही अनिवार्य है, के अलावा पीपीआई जारीकर्ताओं से यह भी अपेक्षित है कि वे उनके द्वारा जारी पीपीआई से संबन्धित धोखाधड़ी, यदि कोई हो को तिमाही आधार पर (या उससे पहले) रिपोर्ट करें। धोखाधड़ी के मामलों के साथ अपराधियों द्वारा अपनाए गए तरीकों की यदि जानकारी हो और उनका विश्लेषण किया गया हो तो उसकी भी अलग से रिपोर्टिंग की जाए।

14.3 बैंकों द्वारा जारी प्रीपेड भुगतान लिखतों के मामले में ग्राहकों को शिकायत निवारण के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना तक पहुँच की सुविधा होगी।


एस्क्रो खाते में बकाए के संबंध में लेखापरीक्षक द्वारा दिया जाने वाला तिमाही प्रमाणपत्र

क्र.सं मद लेखा परीक्षकों की टिप्पणियां
1. कंपनी का नाम व पता  
2. लेखा परीक्षक का नाम व पता  
3. एस्क्रो बैंक विवरण जैसे बैंक का नाम
शाखा का पता
खाता संख्या आदि
 
4. तिमाही की शुरुआत में कंपनी की बकाया देयता रुपये
5.

तिमाही के दौरान एस्क्रो खामें में डेबिट

आई. विभिन्न व्यापारियों / सेवा प्रदाताओं को उनके पास से प्राप्त दावों की प्रतिपूर्ति हेतु भुगतान  
जे. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय समय पर दी गई अनुमति के अनुसार पीपीआई धारकों से प्राप्त धन अंतरण निर्देशों के संसाधन के लिए प्रायोजक बैंकों को भुगतान
के. लागू सरकारी करों के संबंध में भुगतान
एल. पीपीआई के ग़लती से या कपटपूर्ण ढंग से लोड / रीलोड होने के
एम. पीपीआई व्यापार के सामान्य रूप से संचालन में पीपीआई जारीकर्ता पर देय कोई अन्य भुगतान (उदाहरणार्थ सेवा शुल्क, जब्त की गई राशि, कमीशन इत्यादि) मामले में पीपीआई में लेनदेन को रद्द करने की दिशा में धन वापसी।
एन. विनियामक / न्यायालय / कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा निर्देशित कोई अन्य डेबिट

 

रुपये
रुपये

रुपये
रुपये
रुपये

रुपये

6. तिमाही के दौरान एस्क्रो खाते में क्रेडिट


रुपये
रुपये

ए. एजेंट स्थानों सहित, पीपीआई की बिक्री / रीलोड के संबंध में प्राप्त भुगतान
बी. विफल/विवादित/वापस किए गए/ रद्द किए गए लेनदेनों के संबंध में प्राप्त धन वापसियाँ
7. तिमाही के अंत में एस्क्रो बकाया  
8. क्या कंपनी की बकाया देयता को दैनिक आधार पर पूरा करने के लिए एस्क्रो खाते में पर्याप्त शेष था?
यदि नहीं, (i) बकाए में कमी के दिनों की संख्या
(ii) एस्क्रो खाते में कम पड़ने वाली राशि
 
9. (i) तिमाही के दौरान एस्क्रो खाते में न्यूनतम शेष (मुख्य हिस्से सहित)
(ii) तिमाही के दौरान एस्क्रो खाते में न्यूनतम शेष (मुख्य हिस्से सहित)
 
10. क्या एस्क्रो बकाए का मुख्य हिस्सा खाते वाले बैंक में ही है  
11. मुख्य बकाए का तिमाही औसत  
12. क्या कंपनी द्वारा मुख्य बकाए पर ब्याज अर्जित किया जाता है।  
13. भुगतान हेतु पंजीकृत व्यापारियों की संख्या
(i) तिमाही की शुरुआत में
(ii) तिमाही के अंत में
 
अन्य सूचना: व्यापरियों को किए जाने वाले भुगतान में लगने वाला औसत समय
किए गए कुल भुगतानों में निधि अंतरण का हिस्सा

परिशिष्ट

मास्टर परिपत्र के लिए समेकित परिपत्रों की सूची

क्रम संख्या

परिपत्र सं

तिथि

विषय

1

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 1873 /02.14.06/ 2008-09

27.04.2009

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

2

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 344/02.14.06/ 2009-10

14.08.2009

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

3

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 1041/02.14.006/ 2010-2011

04.11.2010

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

4

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2174/02.14.004/2010-2011

23.03.2011

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

5

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2501/02.14.06/ 2010-11

04.05.2011

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

6

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 225/02.14.006/2011-12

04.08.2011

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

7

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 62/02.27.019/2011-2012

05.10.2011

घरेलू धन अंतरण – छूट

8

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2256 /02.14.006/ 2011-12

14.06.2012

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

9

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 560/02.14.006/2012-13

01.10.2012

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने और उनका परिचालन करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश

10

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 563/02.14.003/2013-14

05.09.2013

पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) पर नकदी आहरण- बैंकों द्वारा जारी किए गए प्रीपेड भुगतान लिखत

11

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2074/02.14.006/2013-14

28.03.2014

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखत – समेकित संशोधित नीतिगत दिशानिर्देश

12

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2366/02.14.006/2013-14

13.05.2014

भारत में प्रीपेड भुगतान लिखत – समेकित संशोधित नीतिगत दिशानिर्देश

13

डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 980/02.14.006/2013-14

03.12.2014

भारत में प्री-पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को जारी करना और उनका परिचालन करना - रियायतें

 
   भारतीय रिज़र्व बैंक सर्वाधिकार सुरक्षित

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