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Date: 04/06/2021
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

4 जून 2021

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) चलनिधि प्रबंधन और लक्षित क्षेत्रों को समर्थन; (ii) विनियमन और पर्यवेक्षण; (iii) वित्तीय बाजार; और (iv) भुगतान प्रणाली पर विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है।

I. चलनिधि उपाय

1. संपर्क-गहन क्षेत्रों के लिए ऑन-टैप चलनिधि विंडो

5 मई 2021 को, देश में कोविड से संबंधित स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचा और सेवाओं में सुधार के लिए तत्काल चलनिधि के प्रावधान को बढ़ावा देने के लिए 31 मार्च 2022 तक रेपो दर पर तीन वर्ष तक की अवधि के साथ 50,000 करोड़ की ऑन-टैप चलनिधि विंडो प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया था। अब 31 मार्च 2022 तक रेपो दर पर तीन वर्ष तक की अवधि के साथ 15,000 करोड़ की एक अलग चलनिधि विंडो, कुछ संपर्क-गहन क्षेत्रों अर्थात होटल और रेस्तरां; पर्यटन - ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटर और साहसिक कार्य/ विरासत सुविधाएं; विमानन सहायक सेवाएं - ग्राउंड हैंडलिंग और आपूर्ति श्रृंखला; और अन्य सेवाएं जिनमें निजी बस ऑपरेटर, कार मरम्मत सेवाएं, किराए पर कार सेवा प्रदाता, कार्यक्रम/सम्मेलन आयोजक, स्पा क्लीनिक और ब्यूटी पार्लर/सैलून शामिल है, के लिए प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया हैं। बैंकों से योजना के तहत एक कोविड ऋण बही बनाने की उम्मीद की जाती है। प्रोत्साहन के माध्यम से, ऐसे बैंकों को अपनी अधिशेष चलनिधि को इस योजना के तहत बनाई गई ऋण पुस्तिका के आकार तक रिज़र्व बैंक के पास प्रतिवर्ती रेपो विंडो के तहत उस दर पर रखने की अनुमति दी जाएगी जो रेपो दर से 25 बीपीएस कम है या, एक अलग तरीके से कहा जाए तो, जो प्रतिवर्ती रेपो दर से 40 बीपीएस अधिक है। इस योजना के तहत भारतीय रिजर्व बैंक से निधि प्राप्त किए बिना उपर्युक्त निर्दिष्ट क्षेत्रों को अपने स्वयं के संसाधनों से उधार देने के इच्छुक बैंक भी इस प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे।

2. सिडबी को विशेष चलनिधि सुविधा

अर्थव्यवस्था के अपरिपक्व संवृद्धि आवेगों को पोषित करने के लिए, रिज़र्व बैंक ने 7 अप्रैल 2021 को अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (एआईएफआई) को 2021-22 में नए ऋण देने के लिए 50,000 करोड़ का नया समर्थन दिया। इसमें, नाबार्ड को कृषि और संबद्ध गतिविधियों, ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों- सूक्ष्म वित्तीय फाइनेंस संस्थाओं(एनबीएफसी-एमएफ़आई) को सहायता प्रदान करने के लिए 25,000 करोड़ की एक विशेष चलनिधि सुविधा (एसएलएफ), आवास क्षेत्र को संबल प्रदान करने के लिए एनएचबी को 10,000 करोड़ का एसएलएफ और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सिडबी को 15,000 करोड़ शामिल हैं । छोटे एमएसएमई और व्यवसायों जो ऋण की कमी और आकांक्षी जिलों में है, पर अतिरिक्त ध्यान देने के साथ एमएसएमई के लघु और मध्यम अवधि की ऋण जरूरतों के निवेश चक्र शुरू करने के लिए सिडबी को 16,000 करोड़ की एक और विशेष चलनिधि सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इस सुविधा को डबल इंटरमीडिएशन, पूल्ड बॉन्ड/ऋण जारी करने इत्यादि सहित नए मॉडल और संरचनाओं के माध्यम से उधार / पुनर्वित्त के लिए बढ़ाया जाएगा। यह सुविधा प्रचलित पॉलिसी रेपो दर पर एक वर्ष तक की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। रिज़र्व बैंक इसके उपयोग के आधार पर सुविधा के और विस्तार पर विचार कर सकता है।

II. विनियमन और पर्यवेक्षण

3. समाधान ढांचा 2.0 के तहत एक्सपोजर सीमा का संवर्धन

5 मई 2021 को रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित समाधान ढांचा 2.0 में एमएसएमई के साथ-साथ गैर-एमएसएमई छोटे व्यवसायों के कोविड-19 संबंधित तनाव और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों को ऋण के समाधान पर विचार करने के लिए 25 करोड़ का अधिकतम कुल एक्सपोजर निर्धारित किया गया। समीक्षा के आधार पर, उपरोक्त एक्सपोजर सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, उधारकर्ताओं की उपरोक्त श्रेणियां, जिनके लिए ऋण देने वाली संस्थाओं का 31 मार्च 2021 तक कुल 50 करोड़ से अधिक का एक्सपोजर नहीं है, और जिन्हें पहले किसी भी निर्दिष्ट पुनर्गठन ढांचे के तहत पुनर्गठित नहीं किया गया है, समाधान ढांचा 2.0 के तहत समाधान के लिए विचार करने हेतु पात्र होंगे। अन्य सभी शर्तें यथावत रहेंगी।

III. वित्तीय बाजार

4. एफपीआई की ओर से सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए मार्जिन का निर्धारण

भारतीय ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए रिज़र्व बैंक कई उपाय कर रहा है जैसे कि निवेश के लिए नए चैनलों की शुरूआत, अनिवासियों द्वारा निवेश के लिए परिचालन ढांचे की आवधिक समीक्षा। एफपीआई द्वारा सामना की जाने वाली परिचालनगत बाधाओं को कम करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि अधिकृत डीलर बैंकों को, बैंकों के ऋण जोखिम प्रबंधन ढांचे के भीतर अपने एफपीआई ग्राहकों की ओर से सरकारी प्रतिभूतियों (राज्य विकास ऋण और खजाना बिल सहित) में उनके लेनदेन के लिए मार्जिन निर्धारित करने की अनुमति दी जाए।

5. जमा प्रमाणपत्र जारी करने वालों द्वारा चलनिधि प्रबंधन में लचीलेपन को सुगम बनाना

दिसंबर 2020 में, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को प्रतिस्पर्धी दरों पर आरआरबी द्वारा अधिक कुशल चलनिधि प्रबंधन की सुविधा के लिए रिज़र्व बैंक की चलनिधि विंडो के साथ-साथ मांग/सूचना मुद्रा बाजार तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी। आरआरबी द्वारा अल्पावधि निधि जुटाने में अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए, अब यह निर्णय लिया गया है कि आरआरबी को पात्र निवेशकों को जमा प्रमाणपत्र (सीडी) जारी करने की अनुमति दी जाए। जारीकर्ताओं को चलनिधि प्रबंधन में अधिक लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, यह भी निर्णय लिया गया है कि सीडी के सभी जारीकर्ताओं को कुछ शर्तों के अधीन परिपक्वता से पहले अपनी सीडी वापस खरीदने की अनुमति दी जाएगी।

IV. भुगतान प्रणाली

6. सप्ताह के सभी दिनों में राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (एनएसीएच) की उपलब्धता

एनएसीएच, एनपीसीआई द्वारा संचालित एक थोक भुगतान प्रणाली, लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन के भुगतान के साथ-साथ बिजली, गैस, टेलीफोन, पानी, ऋण के लिए आवधिक किस्तों से संबंधित भुगतानों, म्यूचुअल फंड में निवेश, बीमा प्रीमियम आदि के संग्रह जैसे एक-से-कई क्रेडिट अंतरण की सुविधा प्रदान करती है। एनएसीएच बड़ी संख्या में लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के एक लोकप्रिय और प्रमुख डिजिटल माध्यम के रूप में उभरा है। इससे वर्तमान कोविड-19 के दौरान समय पर और पारदर्शी तरीके से सरकारी सब्सिडी के अंतरण में मदद मिली है। एनएसीएच, वर्तमान में केवल उन दिनों में उपलब्ध है जब बैंक कार्य करते हैं। ग्राहक सुविधा के हित में, और वर्ष के सभी दिनों में आरटीजीएस की उपलब्धता का लाभ उठाने के लिए, 1 अगस्त 2021 से पूरे वर्ष के सभी दिनों में एनएसीएच उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/319

 

 
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