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Date: 02/07/2012
मास्टर परिपत्र – धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस)

आरबीआई/2012-13/1
मास्टर परिपत्र सं.1/2012-13

02 जुलाई 2012

सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत भारतीय एजेंट हैं

महोदया/महोदय,

मास्टर परिपत्र – धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस)

धन अंतरण सेवा योजना विदेश से भारत में लाभार्थियों को व्यक्तिगत विप्रेषणों के अंतरण का एक शीघ्र और आसान तरीका है। भारत में केवल आवक व्यक्तिगत विप्रेषण जैसे परिवार के भरण-पोषण के लिए विप्रेषण तथा भारत का दौरा करनेवाले विदेशी पर्यटकों के पक्ष में विप्रेषण की अनुमति है। धन अंतरण सेवा योजना के तहत भारत से बाहर विप्रेषण की अनुमति नहीं है।

2. यह मास्टर परिपत्र 'धन अंतरण सेवा योजना' विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान में समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है।

3. यह मास्टर परिपत्र एक वर्ष की अवधि के लिए (सनसेट खंड के साथ) जारी किया जा रहा है। यह परिपत्र 01 जुलाई 2013 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

भाग-ए

खंड I

धन अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंटों को अनुमति देने के लिए दिशा-निर्देश

खंड II

विदेशी प्रधान अधिकारियों के लिए दिशा-निर्देश

खंड III

भारतीय एजेंटों द्वारा उप-एजेंटों की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश

खंड IV

मौजूदा भारतीय एजेंटों की अनुमति के नवीकरण के लिए दिशा-निर्देश

खंड V

भारतीय एजेंटों का निरीक्षण

खंड VI

भारतीय एजेंटों के लिए अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध संबंधी दिशा-निर्देश

भाग-बी

रिपोर्ट/विवरण

भारतीय एजेंटों के लिए अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध संबंधी दिशा-निर्देश

---को समाप्त तिमाही के दौरान धन अंतरण योजना के जरिये प्राप्त विप्रेषणों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण

भाग-ए

खंड ।

धन अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंटों को अनुमति देने के लिए दिशा-निर्देश

संक्षिप्त परिचय

1.1 धन अंतरण सेवा योजना विदेश से भारत में लाभार्थियों को व्यक्तिगत विप्रेषणों के अंतरण का एक शीघ्र और आसान तरीका है। भारत में केवल आवक व्यक्तिगत विप्रेषण जैसे परिवार के भरण-पोषण के लिए विप्रेषण तथा भारत का दौरा करनेवाले विदेशी पर्यटकों के पक्ष में विप्रेषण अनुमत हैं। धन अंतरण सेवा योजना के तहत भारत से बाहर विप्रेषण की अनुमति नहीं है। यह प्रणाली विदेशी प्रधान अधिकारी के रूप में ज्ञात विदेश में प्रख्यात धन अंतरण कंपनियों तथा भारतीय एजेंटों के रूप में ज्ञात भारतीय एजेंटों के बीच एक गठ-जोड़ है, जो भारत में लाभार्थियों को चालू विनिमय दरों पर निधियों का वितरण करेंगे। भारतीय एजेंट को विदेशी प्रधान अधिकारी को कोई राशि विप्रेषित करने की अनुमति नहीं है। धन अंतरण सेवा योजना के तहत, विप्रेषक और लाभार्थी केवल व्यक्ति ही हैं।

सांविधिक आधार

1.2 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10 (1) के तहत प्रदान की गयी शक्तियों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक धन अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए किसी व्यक्ति को आवश्यक अनुमति (प्राधिकार) प्रदान कर सकता है। रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष रूप से अनुमति दिये बिना कोई व्यक्ति किसी क्षमता में भारत में सीमापार से धन अंतरण का कारोबार नहीं कर सकता है।

2. दिशा-निर्देश

प्रवेश मानदंड

आवेदक 6 मार्च 2006 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 25 (ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 02) में यथा परिभाषित कोई प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक अथवा कोई प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।। अथवा कोई संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसी) होना चाहिए।

3. आवेदन करने के लिए प्रक्रिया

भारतीय एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक अनुमति हेतु आवेदन पत्र प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को प्रस्तुत किया जाए तथा उसके साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न होने चाहिए:

(ए) इस आशय का एक वचन पत्र कि भारतीय एजेंट/उसके निदेशक(कों) के विरुद्ध किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है/अनिर्णित नहीं हैं।

(बी) जिसके साथ धन अंतरण सेवा की जानी है उस विदेशी प्रधान अधिकारी का नाम और पता।

(सी) विदेशी प्रधान अधिकारी द्वारा योजना के परिचालन के पूरे ब्योरे।

(डी) भारत में शाखाओं की सूची तथा उनके पते जिनके साथ (तहत) भारतीय एजेंटों द्वारा धन अंतरण सेवा की जाएगी।

(ई) इस योजना के तहत प्रति माह/वर्ष कारोबार की अनुमानित मात्रा।

(एफ) पिछले दो वित्तीय वर्षों के लिए लेखा-परीक्षित तुलन पत्र और लाभ तथा हानि लेखे, यदि उपलब्ध हों, अथवा आवेदन की तारीख को निवल स्वाधिकृत निधि की स्थिति संबंधी सांविधिक लेखा परीक्षकों से एक प्रमाणपत्र के साथ अद्यतन लेखा-परीक्षित लेखे की एक प्रति।

(जी) संस्था के मेमोरेंडम एवं अर्टिकल्स आफ एसोसिएशन जहाँ या तो धन अंतरण कारोबार करने के लिए कोई प्रावधान है अथवा उसका यथोचित संशोधन कंपनी लॉ बोर्ड के पास फाइल किया गया है।

(एच) आवेदक के बैंकरों (दो) से मुहरबंद लिफाफे में गोपनीय रिपोर्ट।

(आई) वित्तीय क्षेत्र में कार्यरत सहयोगी/संबद्ध संस्था के ब्योरे।

(जे) धन अंतरण कारोबार करने के लिए बोर्ड के प्रस्ताव की प्रमाणित प्रति।

4. संपार्श्विक आवश्यकता

विदेशी प्रधान अधिकारी द्वारा भारत में किसी पदनामित बैंक में 3 दिन के औसत आहरणों के समतुल्य अथवा 50,000 अमरीकी डॉलर संपार्श्विक के रूप में रखे जाएं। 50,000 अमरीकी डॉलर की न्यूनतम राशि विदेशी मुद्रा जमा के रूप में रखी जाएगी जबकि शेष राशि बैंक गारंटी के रूप में रखी जा सकती है। संपार्श्विक की पर्याप्तता की पुनरीक्षा पिछले छ: महीनों के दौरान प्राप्त विप्रेषणों के आधार पर छमाही अंतरालों पर की जाएगी।

5. अन्य शर्ते

ए) इस व्यवस्था के तहत केवल व्यक्तिगत विप्रेषणों की ही अनुमति दी जाएगी। इस व्यवस्था के जरिये धर्मार्थ संस्थाओं/ट्रस्टों को दान/अंशदान, व्यापार संबद्ध विप्रेषण, संपत्ति की खरीद के लिए विप्रेषण, अनिवासी विदेशी खाते में निवेश अथवा जमा नहीं किया जाएगा।

बी) इस योजना के तहत व्यक्तिगत विप्रेषण के लिए 2500 अमरीकी डॉलर की सीमा रखी गयी है। भारत में लाभार्थी को रू. 50,000/- तक की राशि का नकद में भुगतान किया जा सकता है। इस सीमा से अधिक राशि का भुगतान आदाता खाता चेक/ डिमांड ड्राफ्ट/ भुगतान आदेश, आदि के जरिये अथवा लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे ही जमा करते हुए किया जाएगा। तथापि, अपवादात्मक स्थितियों में जहाँ लाभार्थी विदेशी पर्यटक है, वहां इससे अधिक राशि नकद वितरित की/दी जा सकती है। इस प्रकार के लेनदेनों का पूरा रिकार्ड लेखा-परीक्षकों / निरीक्षकों द्वारा छान-बीन के लिए अभिलेख में रखा जाएगा।

सी) इस योजना के तहत, एकल व्यक्तिगत लाभार्थी द्वारा किसी एक कैलेण्डर वर्ष के दौरान केवल 30 विप्रेषण ही प्राप्त किये जा सकते हैं।

खंड ।।

विदेशी प्रधान अधिकारियों के लिए दिशा-निर्देश

विदेशी धन अंतरण परिचालकों, जिन्हें विदेशी प्रधान अधिकारी कहा जाता है, के साथ व्यवस्था करनेवाले भारतीय एजेंट इसे नोट करें कि पर्याप्त मात्रा में कारोबार करने वाले, ट्रैक रिकार्ड तथा व्यापक पहुँच वाले विदेशी प्रधान अधिकारियों पर ही इस योजना के तहत विचार किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, धन अंतरण व्यवस्था लागू करने का मुख्य उद्देश्य देश में नागरिकों को सस्ती एवं प्रभावी धन अंतरण की सुविधा प्रदान करना है, इसलिए ऐसे विप्रेषण परिचालकों, जिनकी देश में पहुँच एवं शाखा विस्तार सीमित है और विदेश में करोबार स्थानीय है, के आवेदनों पर सामान्यतया विचार नहीं किया जाता है।

आवेदक भारतीय एजेंटों को विदेशी प्रधान अधिकारियों के संबंध में निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए / निम्नलिखित आवश्यकताओं को पूर्ण करना चाहिए:

(ए) विदेशी प्रधान अधिकारियों को भुगतान प्रणाली में कार्य प्रारंभ करने/ परिचालन करने के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के तहत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक प्राधिकार प्राप्त करना चाहिए।

(बी) विदेशी प्रधान अधिकारी धन अंतरण कार्यकलाप करने के लिए संबंधित देश के केंद्रीय बैंक/ सरकार अथवा वित्तीय विनियामक प्राधिकारी द्वारा लाइसेंस प्राप्त पंजीकृत संस्था होनी चाहिए। विदेशी प्रधान अधिकारी के पंजीकरण का देश धन शोधन निवारण मानकों का अनुपालनकर्ता होना चाहिए।

(सी) विदेशी प्रधान अधिकारी धन अंतरण कारोबार में सुविनियमित बाजारों में परिचालकों के ट्रैक रिकार्ड के साथ सुस्थापित होना चाहिए।

(डी) विदेशी प्रधान अधिकारी की व्यवस्था होने के परिणामस्वरूप दोनों ओर औपचारिक धन अंतरण सुविधाओं में विशेष वृद्धि होनी चाहिए।

(ई) विदेशी प्रधान अधिकारी विदेशी व्यापार/ उद्योग निकायों के साथ पंजीकृत होना चाहिए।

(एफ) विदेशी प्रधान अधिकारी के पास किसी अंतर्राष्ट्रीय ऋण पात्रता निर्धारण एजेंसी से प्राप्त अच्छी रेटिंग होनी चाहिए।

(जी) विदेशी प्रधान अधिकारी को दो बैंकों से गोपनीय रिपोर्टें प्रस्तुत करनी चाहिए।

(एच) विदेशी प्रधान अधिकारी को अपने मूल/मेजबान देश में धन शोधन निवारण मानदंडों को पूरा करने के लिए की गयी कार्रवाई संबंधी, किसी स्वतंत्र सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित, एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।

(आई) विदेशी प्रधान अधिकारी भारत में अपने एजेंटों और उप-एजेंटों के कार्यकलापों के लिए पूर्णत: जिम्मेदार होगा।

(जे) विदेशी प्रधान अधिकारी द्वारा विप्रेषक तथा भारत में सभी पे-आउट से संबंधित लाभार्थियों के यथोचित रिकार्ड रखे जाने चाहिए। रिज़र्व बैंक तथा भारत सरकार की अन्य एजेंसियाँ अर्थात् सीमा शुल्क, गृह मंत्रालय, एफआइयु-आइएनडी, आदि द्वारा मांगे जाने पर सभी रिकार्ड उपलब्ध कराए जाने चाहिए। विप्रेषकों तथा लाभार्थियों के पूरे ब्योरे, मांगे जाने पर, विदेशी प्रधान अधिकारी द्वारा दिये जाने चाहिए।

खंड ।।।

भारतीय एजेंटों द्वारा उप-एजेंटों की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश

भारतीय एजेंट ऐसे उप-एजेंटों की नियुक्ति कर सकता है, जिनके पास कारोबार करने के लिए स्थान तथा न्यूनतम 5 लाख रुपए की निवल मालियत हो। उप-एजेंट भारतीय एजेंटों के माध्यम से कार्य करेंगे तथा विदेशी प्रधान अधिकारी के साथ सीधे व्यवहार नहीं करेंगे। उप-एजेंट भारतीय एजेंटों द्वारा जारी भुगतान अनुदेशों पर कार्य करेंगे। भारतीय एजेंट अपने उप-एजेंट के कार्यकलापों के लिए पूर्णत: जिम्मेदार है। जबकि भारतीय एजेंटों को स्वयं-विनियमित संस्था के रूप में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, उप-एजेंटों के यथोचित कार्यकलाप सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पूर्णत: भारतीय एजेंटों की होगी। प्रत्येक भारतीय एजेंट को उप-एजेंट की नियुक्ति करने से पहले यथोचित सावधानी बरतनी चाहिए और कोई अनियमितता पाये जाने पर भारतीय एजेंट की अनुमति रद्द किए जाने की पात्र हो सकती है।

खंड IV

मौजूदा भारतीय एजेंटों की अनुमति के नवीकरण के लिए दिशा-निर्देश

1. भारतीय एजेंटों को आवश्यक अनुमति प्रथमत: एक वर्ष के लिए जारी की जाएंगी, जो उपर्युक्त खंड । में दी गई सभी शर्तें तथा रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर जारी, अन्य निर्देशों/ अनुदेशों के अनुपालन करने पर वार्षिक आधार पर नवीकृत की जा सकती हैं।

2. आवेदक कोई प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक अथवा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी ।। अथवा संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक होना चाहिए।

3. लाइसेंस के नवीकरण के लिए आवेदन पत्र निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिसके अधिकार क्षेत्र में भारतीय एजेंट का पंजीकृत कार्यालय आता है:

(ए) इस आशय का एक वचन पत्र कि भारतीय एजेंट/उसके निदेशक(कों) के विरुद्ध किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है/अनिर्णित नहीं हैं।

(बी) इस योजना के तहत प्रति माह/वर्ष कारोबार की मात्रा।

(सी) पिछले दो वित्तीय वर्षों के लिए लेखा-परीक्षित तुलन पत्र और लाभ तथा हानि लेखे, यदि उपलब्ध हों, अथवा आवेदन की तारीख को निवल स्वाधिकृत निधि की स्थिति संबंधी सांविधिक लेखा परीक्षकों से एक प्रमाणपत्र के साथ अद्यतन लेखा-परीक्षित लेखे की एक प्रति।

(डी) आवेदक के बैंकरों (दो) से मुहरबंद लिफाफे में गोपनीय रिपोर्ट।

(ई) वित्तीय क्षेत्र में कार्यरत सहयोगी/संबद्ध संस्था के ब्योरे।

(एफ) अनुमति के नवीकरण के लिए बोर्ड के प्रस्ताव की प्रमाणित प्रति।

खंड V

भारतीय एजेंटों का निरीक्षण

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा फेमा, 1999 की धारा 12 (1) के प्रावधानों के तहत भारतीय एजेंटों का निरीक्षण किया जाएगा।

खंड VI

भारतीय एजेंटों के लिए अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध संबंधी दिशा-निर्देश

धन शोधन निवारण (एएमएल) मानकों और आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध करने (सीएफटी) पर वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) की सिफारिशों के संदर्भ में सीमापार से आवक धनप्रेषण कार्यकलापों के संबंध में धन अंतरण सेवा योजना के तहत अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध करने (सीएफटी) के संबंध में विस्तृत अनुदेश निर्धारित किये गये हैं (अनुबंध-I)

भाग-बी

रिपोर्टें/विवरण

1. प्राप्त विप्रेषणों की मात्रा का एक तिमाही विवरण रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को जिस तिमाही से वह संबंधित है उस तिमाही के समाप्त होने के 15 दिनों के भीतर संलग्न फॉर्मेट (अनुबंध-II) के अनुसार प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

2. एजेंटों को अपने अतिरिक्त स्थानों (locations) के पते तिमाही आधार पर प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को प्रेषित करने की अवश्य व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, उन्हें अपने उप-एजेंटों की सूची छमाही आधार पर उपर्युक्त पते पर प्रेषित करनी चाहिए।

3. भारतीय एजेंटों को प्रत्येक वर्ष जून और दिसंबर को समाप्त अर्ध वर्ष के लिए उनके आगामी महीने की 15 तारीख के भीतर संलग्न फॉर्मेट (अनुबंध-III) में जानकारी प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 एवं संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भी प्रेषित करनी चाहिए ।


अनुबंध –।

भारतीय एजेंटों के लिए अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी)/धन शोधन निवारण (एएमएल)/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी दिशा-निर्देश

खंड –।

धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / प्राधिकृत व्याक्तियों के दायित्व - धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत सीमापार से आवक विप्रेषण

1. प्रस्तावना

धन शोधन का अपराध, धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 3 में "जो कोई अपराध की प्रक्रिया के साथ जुड़ी किसी क्रियाविधि अथवा गतिविधि में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष शामिल होने का प्रयास करता है अथवा जानबूझकर सहायता करता है अथवा जानबूझकर कोई पार्टी है अथवा वास्तविक रूप से शामिल है और उसे बेदाग संपत्ति के रूप में प्रक्षेपित करता है वह धन शोधन के अपराध का दोषी होगा" के रूप में परिभाषित किया गया है। धन शोधन ऐसी प्रक्रिया कही जा सकती है जिसमें मुद्रा अथवा अन्य परिसंपत्तियां अपराध के आगम के रूप में प्राप्त की गयी हैं, जो क्लीन मॅनी ("बेजमानती मुद्रा ") के लिए विनिमय की जाती हैं अथवा उनके आपराधिक मूल से कोई स्पष्ट संबंध नहीं है ऐसी अन्य परिसंपत्तियां हैं ।

2. उद्देश्य

अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी)/धन शोधन निवारण (एएमएल)/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी दिशा-निर्देश निर्धारित करने का उद्देश्य आपराधिक घटकों द्वारा काले धन के शोधन अथवा आतंकवाद वित्तपोषण गतिविधियों के लिए जानबूझकर अथवा अनजाने में अपनायी जाने वाली धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत पूरे विश्वभर से भारत में सीमा-पार से आवक मुद्रा अंतरण की पद्धति का उपयोग हो जाने से रोकना है। अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) क्रियाविधि से प्राधिकृत व्यक्ति, जो धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत भारतीय एजेंट है (अब इसके बाद प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) के रूप में उल्लिखित है), अपने ग्राहकों तथा उनके वित्तीय व्यवहारों को बेहतर जान/समझ सकेंगे, जिससे वे अपना जोखिम प्रबंधन विवेकपूर्ण तरीके से कर सकेंगे ।

3. ग्राहक की परिभाषा

अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) नीति के प्रयोजन के लिए 'ग्राहक' को निम्नानुसार पारिभाषित किया गया है :

  • कोई व्यक्ति जो धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत कभी-कभी/नियमित सीमा-पार से धन विप्रेषण प्राप्त करता है ;

  • कोई एक जिसकी ओर से धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत सीमा-पार से आवक धन विप्रेषण प्राप्त करता है (अर्थात् हिताधिकारी स्वामी)।

[धन शोधन निवारण नियमावली के नियम 9, उप-नियम (1ए) - भारत सरकार की 12 फरवरी 2010 की अधिसूचना के मद्देनजर 'हिताधिकारी स्वामी' का तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसका अंतत: स्वामित्व या नियंत्रण ग्राहक पर है और या किसी व्यक्ति जिसकी ओर से लेनदेन किये जाते हैं और जिसमें अधिकारिता वाले व्यक्ति पर अंतिम रूप से प्रभावी नियंत्रण होता है।]

4. दिशा-निर्देश

4.1 सामान्य

प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को यह ध्यान में रखना चाहिए कि सीमापार से आवक धन विप्रेषण वितरित करते समय ग्राहकों से जमा की गयी जानकारी गोपनीय रखी जानी चाहिए और उसके ब्योरे प्रति बिक्री अथवा उसके जैसे किसी अन्य प्रयोजन के लिए व्यक्त नहीं की जानी चाहिए। अत: प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहक से मांगी गयी जानकारी ज्ञात जोखिम से संबंधित है एवं वह अनुचित नहीं है और इस संबंध में जारी किये गये दिशा-निर्देशों के अनुसार है। जहाँ कहीं आवश्यक हो ग्राहक से अपेक्षित कोई अन्य जानकारी उसकी सहमति से अलग से माँगी जानी चाहिए।

4.2 अपने ग्राहक को जानिये नीति

प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को अपनी "अपने ग्राहक को जानिये नीति" निम्नलिखित चार मुख्य घटकों को अंतर्निहित करते हुए बनानी चाहिए :

ए) ग्राहक स्वीकृति नीति;
बी) ग्राहक पहचान प्रक्रिया;
सी) लेनदेनों पर निगरानी
डी) जोखिम प्रबंधन

4.3 ग्राहक स्वीकृति नीति (सीएपी)

ए) प्रत्येक प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) को ग्राहकों को स्वीकारने के लिए सुनिश्चित मापदंड निर्धारित करते हुए एक स्पष्ट ग्राहक स्वीकृति नीति विकसित करनी चाहिए। ग्राहक स्वीकृति नीति में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) के साथ ग्राहक के संबंधों के बाबत निम्नलिखित पहलुओं पर सुनिश्चित दिशा-निर्देश दिये गये हैं।

i. अज्ञात नाम अथवा काल्पनिक /बेनामी नाम (नामों ) से कोई धनविप्रेषण प्राप्त नहीं किया जाता है।

[16 जून 2010 की भारत सरकार की अधिसूचना, नियम 9, उप-नियम (1सी) के मद्देनजर प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) किसी अज्ञात या छद्म नामधारी व्यक्ति (व्यक्तियों) या ऐसे व्यक्ति जिसकी पहचान स्पष्ट न हो य़ा सत्यापित न की जा सकती हो, के नाम से किसी लेनदेन की अनुमति नहीं देगा।]

ii) जोखिम अवधारणा के मापदंड, व्यवसाय गतिविधि का स्वरुप, ग्राहक और उसके मुवक्किल का स्थान, भुगतान का तरीका, टर्नओवर की मात्रा, सामाजिक और वित्तीय स्थिति, आदि के अनुसार स्पष्ट रूप से परिभाषित किये गये हैं, जिससे ग्राहकों को निम्न, मध्यम और उच्च जोखिम वर्ग में वर्गीकृत किया जा सके (प्राधिकृत व्यक्ति कोई यथोचित नामपध्दति अर्थात् स्तर ।,स्तर।। और स्तर।।। पसंद कर सकते हैं )। ऐसे ग्राहक, अर्थात् पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (पीइपीएस) जिनके लिए उच्च स्तर की मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है, वे अधिक उच्चतर श्रेणी में भी वर्गीकृत किये जा सकते हैं।

iii) प्राक्कलित जोखिमों के आधार पर और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002, समय-समय पर यथासंशोधित धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरूपों और मूल्यों के अभिलेखों के रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान का सत्यापन और अभिलेखों का रखरखाव) नियमावली, 2005 के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, जारी अनुदेशों/दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न वर्गों के ग्राहकों के संबंध में प्रलेखीकरण अपेक्षाएं पूरी करना एवं अन्य सूचनाएं एकत्रित करना।

iv) जिन मामलों में प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) यथोचित् ग्राहक सावधानी उपाय लागू नहीं कर सकता है अर्थात् प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) पहचान सत्यापित नहीं कर सकता है और / अथवा ग्राहक के असहयोग अथवा प्राधिकृत व्यक्ति को प्रस्तुत किये गये आँकड़े/जानकारी की अविश्वसनीयता के कारण जोखिम वर्गीकरण के अनुसार आवश्यक दस्तावेज प्राप्त नहीं कर सकता है तो ऐसे मामलों में किसी धन-विप्रेषण का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। तथापि, यह आवश्यक है कि ग्राहक को होनेवाली परेशानी टालने के लिए यथोचित् नीति बनायी जाए। ऐसी परिस्थिति में जब प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) को यह विश्वास हो कि वह ग्राहक की सही पहचान से अवगत होने से संतुष्ट नहीं हो सकेगा तो प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) एफआइयु-आइएनडी के पास एसटीआर फाइल करें।

v) जिस स्थिति में ग्राहक को दूसरे व्यक्ति/दूसरी संस्था की ओर से कार्य करने की अनुमति दी जाती है उस स्थिति का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए, लाभाधिकारी स्वामी की पहचान की जानी चाहिए और उसकी पहचान के सत्यापन के लिए सभी संभव कदम उठाये जाने चाहिए।

बी) जब सीमा-पार से नियमित आवक धन विप्रेषण प्राप्त किये जाते हैं/अपेक्षित होते हैं तब जोखिम वर्गीकरण के आधार पर प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को प्रत्येक नये ग्राहक का प्रोफाइल बनाना चाहिए। ग्राहक प्रोफाइल में ग्राहक की पहचान, उसकी सामाजिक/वित्तीय स्थिति संबंधी जानकारी, आदि निहित होनी चाहिए। यथोचित सावधानी का स्वरूप और सीमा प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) द्वारा प्राक्कलित जोखिम संबंधी जानकारी पर आधारित होंगी। तथापि, ग्राहक प्रोफाइल तैयार करते समय प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को ग्राहक से केवल वही जानकारी मांगने पर ध्यान देना चाहिए जो जोखिम की श्रेणी से संबंधित है, न कि हस्तक्षेप करनेवाली। ग्राहक प्रोफाइल एक गोपनीय दस्तावेज है और उसमें निहित ब्योरे आदान-प्रदान अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रकट नहीं किये जाने चाहिए।

सी) जोखिम वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए, ऐसे व्यक्ति (उच्च निवल मालियत से भिन्न) और संस्थाएं, जिनकी पहचान और संपत्ति के स्त्रोत आसानी से जाने जा सकते हैं और सब मिलाकर जिनके द्वारा किये गये लेनदेन ज्ञात प्रोफाइल के अनुरुप हैं, उन्हें निम्न जोखिम वर्ग में वर्गीकृत किया जाए। ऐसे ग्राहक, जो औसतन जोखिम से उच्चतर जोखिमवाले प्रतीत होते हैं, उन्हें ग्राहक की पृष्ठभूमि, गतिविधि का स्वरुप और स्थान, मूल देश, निधियों के स्त्रोत और उसके मुवक्किल की प्रोफाइल, आदि के आधार पर मध्यम अथवा उच्च जोखिम वर्ग में वर्गीकृत किया जाए । प्राधिकृत व्यक्तियों को जोखिम निर्धारण के आधार पर बढ़े हुए यथोचित् सावधानी उपाय लागू करने चाहिए, जिसके लिए उच्चतर जोखिम वर्ग के ग्राहकों, विशेषत: जिनके निधियों के स्त्रोत ही स्पष्ट नहीं हैं, के संबंध में व्यापक यथोचित सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी । बढ़े हुए यथोचित सावधानी उपाय जिन ग्राहकों पर लागू होने हैं उनके उदाहरणों में (ए) अनिवासी ग्राहक; (बी) ऐसे देशों के ग्राहक जो वित्तीय कार्रवाई कार्यदल मानक लागू नहीं करते हैं अथवा अपर्याप्त रूप से लागू करते हैं; (सी) उच्च निवल मालियत वाले व्यक्ति; (डी) राजनयिक (पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन) (पीईपी); (ई) सामने न होनेवाले ग्राहक; और (एफ) उपलब्ध आम जानकारी के अनुसार सन्दिग्ध प्रतिष्ठा वाले ग्राहक, आदि शामिल हैं।

(डी) यह बात ध्यान में रखनी महत्वपूर्ण है कि ग्राहक स्वीकृति नीति अपनाना तथा उसका कार्यान्वयन अत्यंत नियामक (कठिन) नहीं होना चाहिए और उसका परिणाम आम जनता को सीमा-पार से आवक धन विप्रेषण सुविधाओं को नकारने के रूप में नहीं होना चाहिए।

(ई) संपूर्ण विश्व से आपराधिक तत्वों द्वारा इरादतन या गैर-इरादतन धन शोधन निवारण या आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित गतिविधियों के लिए भारत में धन अंतरण सेवा योजना के अंतर्गत सीमा-पार से धन के अंत:प्रवाह को रोकने की प्रणाली का इस्तेमाल न होने देने के लिए जब भी धन शोधन निवारण या आतंकवाद के वित्तपोषण या जब ग्राहक के बारे में संदेह हो, भले ही जोखिम कम स्तर का प्रतीत हो, प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) धन विप्रेषण के लिए भुगतान से पूर्व ग्राहक के संबंध में उचित सावधानी बरतने के सम्यक मानदंडों का पालन करना चाहिए।

4.4 ग्राहक पहचान प्रक्रिया (सीआइपी)

ए) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में लाभार्थी को भुगतान करते समय अथवा प्राधिकृत व्यक्ति को पूर्व में प्राप्त ग्राहक पहचान संबंधी आंकड़ो की प्रामाणिकता/ यथातथ्यता अथवा पर्याप्तता के बारे में संदेह होने पर अपनायी जाने वाली ग्राहक पहचान प्रक्रिया स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट होनी चाहिए। ग्राहक पहचान का अर्थ ग्राहक को पहचानना और विश्वसनीय, स्वतंत्र स्त्रोत दस्तावेज, आंकड़े अथवा जानकारी का उपयोग करते हुए उनकी पहचान सत्यापित करना है। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को उनकी संतुष्टि होने तक प्रत्येक नये ग्राहक की पहचान निश्चित करने के लिए पर्याप्त आवश्यक जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है, भले ही वह नियमित अथवा अनियमित ग्राहक हो। संतुष्ट होने का अर्थ है कि प्राधिकृत व्यक्ति सक्षम प्राधिकारियों को इस बात से संतुष्ट करा सकें कि मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार ग्राहक की जोखिम प्रोफाइल के आधार पर यथोचित सावधानी बरती गयी थी। इस प्रकार जोखिम आधारित दृष्टिकोण प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को असमानुपातिक लागत और ग्राहकों के लिए भारी व्यवस्था टालने के लिए लिए आवश्यक है । प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) को ग्राहक की पहचान करने तथा उसके पते/स्थान का सत्यापन करने के लिए पर्याप्त पहचान आँकड़े प्राप्त करने चाहिए। ऐसे ग्राहकों के लिए जो साधारण व्यक्ति है, प्राधिकृत व्यक्तियों को ग्राहक की पहचान और उसके पते / स्थान का सत्यापन करने के लिए पर्याप्त पहचान दस्तावेज प्राप्त करने चाहिए। ऐसे ग्राहकों के लिए जो विधिक व्यक्तिविशेष हैं , प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) को (i) यथोचित और संबंधित दस्तावेजों के जरिये विधिक व्यक्ति की विधिक स्थिति सत्यापित करनी चाहिए; (ii) विधिक व्यक्ति की ओर से कार्य करनेवाला कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए प्राधिकृत है तथा उस व्यक्ति की पहचान पहचाननी तथा सत्यापित करनी चाहिए; और (iii) ग्राहक का स्वामित्व और नियंत्रण संरचना समझनी चाहिए और निर्धारित करना चाहिए कि साधारण व्यक्ति कौन हैं जो विधिक व्यक्ति का आखिरकार नियंत्रण करता है । प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) के दिशा-निर्देश के लिए कुछ विशिष्ट मामलों के संबंध में ग्राहक पहचान अपेक्षाएं, विशेषत:, विधिक व्यक्तियों , जिनके बारे में और अधिक सतर्कता की आवश्यकता है, नीचे पैराग्राफ 4.5 में दी गयी है । तथापि, प्राधिकृत व्यक्ति(भारतीय एजेंट), ऐसे व्यक्तियों के साथ कार्य करते समय प्राप्त हुए उनके अनुभव, उनके सामान्य विवेक और स्थापित परंपराओं के अनुसार विधिक अपेक्षाओं के आधार पर अपने निजी आंतरिक दिशा-निर्देश तैयार करें । यदि प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) ग्राहक स्वीकृति नीति के अनुसार ऐसे लेनदेन करने का निर्णय लेता है तो प्राधिकृत व्यक्ति(भारतीय एजेंट) लाभार्थी स्वामी (स्वामियों ) की पहचान करने के लिए यथोचित उपाय करे तथा उसकी /उनकी पहचान इस तरीके से सत्यापित करें कि प्राधिकृत व्यक्ति इस बात से संतुष्ट हो जाए कि लाभार्थी कौन है [ 16 जून 2010 की भारत सरकार की अधिसूचना - नियम 9, उप-नियम (1ए) के मद्देनजर ]।

बी) कुछ नजदीकी रिश्तेदारों को, अर्थात् पत्नी, पुत्र, पुत्री और माता-पिता, आदि जो उनके पति, पिता/माता और पुत्र/ पुत्री, जैसी भी स्थिति हो, के साथ रहते हैं, प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) के साथ लेनदेन करना कठिन हो सकता है क्योंकि पते के सत्यापन के लिए आवश्यक उपयोगिता बिल उनके नाम में नहीं होते हैं । यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में प्राधिकृत व्यक्ति(भारतीय एजेंट), भावी ग्राहक जिस रिश्तेदार के साथ रहता है, उससे इस घोषणापत्र के साथ कि लेनदेन करने के लिए इच्छुक व्यक्ति वही व्यक्ति (भावी ग्राहक) है तथा वह उनके साथ रहता है, उसके पहचान दस्तावेज और उपयोगिता बिल प्राप्त कर सकते हैं । प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) पते के और सत्यापन के लिए डाक द्वारा प्राप्त पत्र जैसे अनुपूरक साक्ष्य का उपयोग कर सकते हैं । इस विषय पर शाखाओं को परिचालनगत अनुदेश जारी करते समय, प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों की भावना को ध्यान में रखना चाहिए और ऐसे व्यक्तियों, जो अन्यथा कम जोखिमवाले ग्राहकों के रूप में वर्गीकृत किये गये हैं, को होनेवाली अनावश्यक कठिनाइयों को टालना चाहिए।

सी) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को, यदि कारोबारी संबंध बने रहते है तो ग्राहक पहचान डाटा आवधिक रूप से अद्यतन करने की एक प्रणाली बनानी चाहिए।

डी) ग्राहक पहचान के लिए जिन कागजातों/जानकारी पर विश्वास किया जाना चाहिए, उनके प्रकार और स्वरुप की एक निर्देशक सूची इस परिपत्र के खंड ।। में दी गयी है । यह स्पष्ट किया जाता है कि खंड ।। में उल्लिखित सही स्थायी पते का अर्थ है कि व्यक्ति सामान्यत: उस पते पर रहता है और ग्राहक के पते के सत्यापन के लिए प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा उपयोगिता बिल अथवा स्वीकृत कोई अन्य कागजात में उल्लिखित पते के रूप में लिया जा सकता है। जहाँ धन शोधन या आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के लिए वित्तपोषण का संदेह हो या ग्राहक की पहचान से संबंधित पहले लिये गये आँकड़ों की पर्याप्तता और सत्यता के बारे में संदेह हो, वहाँ प्राधिकृत व्यापारी(भारतीय एजेंट) ग्राहक की पहचान के पुनर्सत्यापन और संबंधित प्रयोजन संबंधी सूचना प्राप्त करने तथा इच्छित कारोबारी रिश्ते के स्वरूप सहित समुचित सावधानी उपायों की समीक्षा करे। [16 जून 2010 की भारत सरकार की अधिसूचना – पीएमएल नियमाली के नियम 9, उप-नियम (1 डी) के मद्देनजर ]।

ई) लाभार्थियों को भुगतान

i) लाभार्थियों को भारतीय रुपयों में भुगतान के लिए इस परिपत्र के खंड ।। में किये गये उल्लेख के अनुसार, पहचान संबंधी कागजातों का सत्यापन किया जाए तथा उसकी एक प्रति (अभिलेख में) रखी जाए।

ii) योजना के तहत व्यक्तिगत धन विप्रेषणों पर 2500 अमरीकी डॉलर की सीमा रखी गयी है। रू. 50,000 तक की राशि का भुगतान नकद में किया जाए। इस सीमा से अधिक राशि का भुगतान चेक/ मांग ड्राफ्ट/ भुगतान आदेश द्वारा ही किया जाए अथवा लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे जमा किया जाए। तथापि, अपवादात्मक स्थितियों में, जब लाभार्थी कोई विदेशी पर्यटक है, उच्चतर राशियां नकद वितरित की जा सकती हैं। किसी कैलेण्डर वर्ष के दौरान किसी एकल व्यक्तिविशेष द्वारा केवल 30 धनप्रेषण प्राप्त किये जा सकते हैं।

4.5 ग्राहक पहचान अपेक्षाएं- राजनयिकों (पोलिटिकली एक्स्पोजड् पर्सन्स)(पीइपी) द्वारा लेनदेन- निर्देशात्मक दिशा-निर्देश

राजनयिक व्यक्ति वे हैं जिन्हें विदेश में प्रमुख सार्वजनिक कार्य सौंपे गये हैं अर्थात् राज्यों अथवा सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनयिक, वरिष्ठ सरकारी/ न्यायिक/ सेना अधिकारी, सरकारी स्वामित्ववाले निगमों के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी, महत्वपूर्ण राजनयिक पार्टी के पदाधिकारी, आदि। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को लेनदेन करने अथवा व्यवसाय संबंध स्थापित करने के इच्छुक इस श्रेणी के किसी व्यक्ति/ग्राहक के संबंध में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध ऐसे व्यक्ति से संबंधित सभी जानकारी की जांच करनी चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को ऐसे व्यक्ति की पहचान सत्यापित करनी चाहिए और ग्राहक के रूप में राजनयिकों को स्वीकृति देने से पहले उनके संपत्ति के स्त्रोतों और निधियों के स्त्रोतों के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए। राजनयिकों के साथ लेनदेन करने का निर्णय वरिष्ठ स्तर पर लिया जाना चाहिए और ग्राहक स्वीकृति नीति में उसका उल्लेख स्पष्ट रूप से करना चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को ऐसे लेनदेनों पर लगातार और ज्यादा निगरानी रखनी चाहिए। उपर्युक्त मानदंड राजनयिकों के परिवार के सदस्यों अथवा नजदीकी रिश्तेदारों के साथ के लेनदेनों के लिए भी लागू किये जाएं। उल्लिखित मानदंड उन ग्राहकों पर भी लागू किये जाने चाहिए जो कारोबारी रिश्ते स्थापित होने के बाद राजनयिक जोखिम वाले व्यक्ति के रूप में तब्दील हो जाते हैं। ये अनुदेश उन लेनदेनों पर भी लागू होंगे जहाँ राजनयिक जोखिम वाला व्यक्ति अंतिम लाभार्थी (स्वामी) है। इसके अलावा, राजनयिक जोखिम वाले व्यक्तियो से संबंधित लेनदेनों के बाबत यह दोहराया जाता है कि प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) राजनयिक जोखिम वाले ग्राहकों के पारिवारिक सदस्यों या निकट संबंधियों और उन लेनदेनों जिनमें ये अंतिम लाभार्थी स्वामी हैं के बारे में ग्राहक संबंधी उचित सावधानी के वृहत्तर उपायों की पहचान करने और लागू करने के लिए उचित लगातार जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया को स्थापित करें ।

4.6 लेनदेनों की निगरानी

अपने ग्राहक को जानिये की प्रभावी क्रियाविधि का अत्यंत आवश्यक घटक सतत निगरानी रखना है। प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) अपने जोखिम केवल तभी प्रभावी रूप से नियंत्रित और कम कर सकेंगे जब उन्हें लाभार्थी के धन विप्रेषण की सामान्य और यथोचित प्राप्तियों(आय) के संबंध में जानकारी होगी और उनके पास ऐसी आय की पहचान करने के लिए साधन उपलब्ध होंगे जो कार्यकलाप के नियमित पैटर्न से अलग है। तथापि, निगरानी की सीमा धन विप्रेषण की जोखिम संवेदनशीलता पर निर्भर होगी । प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को सभी जटिल, असामान्यत: बड़ी आय और सभी असामान्य पैटर्न पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिनका कोई प्रत्यक्ष आर्थिक और प्रत्यक्ष वैध प्रयोजन नहीं है । प्राधिकृत व्यक्ति(भारतीय एजेंट) आय की विशिष्ट श्रेणी के लिए प्रारंभिक सीमा निर्धारित करें और इन सीमाओं से अतिरिक्त आय पर विशेष रूप से ध्यान दें । उच्च-जोखिम प्राप्तियाँ (आय), गहन निगरानी की शर्त पर होनी चाहिए।

प्रत्येक प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) को ग्राहक की पृष्ठभूमि जैसे मूल देश, निधियों के स्त्रोत, निहित लेनदेनों के प्रकार और अन्य जोखिम घटक ध्यान में लेते हुए ऐसी आय के लिए 'मूल संकेतक' (की इंडिकेटर्स) निर्धारित करने चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक पुनरीक्षा और बढ़े हुए यथोचित सावधानी उपाय लागू करने की आवश्यकता संबंधी एक प्रणाली बनानी चाहिए । ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की ऐसी पुनरीक्षा आवधिक रूप से की जानी चाहिए।

प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को प्रत्येक ग्राहक के साथ कारोबारी रिश्तों के संबंध में लगातार उचित सावधानी की प्रक्रिया अपनानी चाहिए और लेनदेनों की सूक्ष्म जाँच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सकें कि उन्हें ग्राहकों, उनके कारोबार, जोखिम प्रोफाइल और जहाँ कहीं आवश्यक हो वहाँ निधियों के स्रोतों की अद्यतन जानकारी लगातार बनी रहें । [16 जून 2010 की भारत सरकार की अधिसूचना - नियम 9, उप-नियम (1 बी) के मद्देनजर ]।

प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को एफएटीएफ विवरण में शामिल क्षेत्राधिकारों और उन देशों जो एफएटीएफ सिफारिशों को अपर्याप्त रूप मे लागू करते हैं, के ऐसे व्यक्तियों (विधिक व्यक्तियों और अन्य वित्तीय संस्थाओं) की भूमिका और लेनदेन के प्रयोजन की जाँच करनी चाहिए। इसके अलावा, यदि लेनदेनों में प्रकटत: कोई आर्थिक या दिखायी देने वाला विधिक प्रयोजन न हो तो भी यथासंभव ऐसे लेनदेनों की भूमिका और प्रयोजन की जाँच की जानी चाहिए तथा लिखित निष्कर्ष सभी दस्तावेजों सहित सुरक्षित रखे जाने चाहिए और अनुरोध किये जाने पर रिज़र्व बैंक/अन्य संबंधित प्राधिकारियों को उपलब्ध कराये जाने चाहिए ।

4.7 प्रत्याशित लेनदेन

जब प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) ग्राहक द्वारा जानकारी प्रस्तुत न किये जाने और / अथवा सहयोग न दिये जाने के कारण यथोचित् अपने ग्राहक को जानिये उपाय लागू नहीं कर सकते हैं तब प्राधिकृत व्यक्तियों को लेनदेन नहीं करने चाहिए। ऐसी स्थितियों में , प्राधिकृत व्यक्तियों को ग्राहक के संबध में संदिग्ध लेनदेन, यदि वे वास्तव में नहीं किये जाते हैं तो भी वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत (एफआइयू-आइएनडी ) को रिपोर्ट करने चाहिए।

4.8 जोखिम प्रबंधन

ए) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) के निदेशकों के बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यथोचित क्रियाविधि स्थापित करते हुए एक प्रभावी "अपने ग्राहक को जानिये" कार्यक्रम तैयार किया गया है और उसका प्रभावी कार्यान्वयन किया जा रहा है। उसमें यथोचित प्रबंधन निरीक्षण, प्रणालियाँ और नियंत्रण, ड्यूटियों का विनियोजन, प्रशिक्षण और अन्य संबंधित विषय होने चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों के बीच जिम्मेदारी स्पष्ट रुप से विनियोजित की जानी चाहिए कि प्राधिकृत व्यक्तियों की नीतियों और क्रियाविधियों का प्रभावी कार्यान्वयन किया गया हो। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को अपने बोर्ड के साथ परामर्श करते हुए अपने मौजूदा और नये ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल बनाने के लिए नयी क्रियाविधियाँ बनानी चाहिए और किसी लेनदेन में निहित जोखिम को ध्यान में रखते हुए विभिन्न धन शोधन निवारण उपाय लागू करने चाहिए।

बी) अपने ग्राहक को जानिये नीतियाँ और क्रियाविधियों का मूल्यांकन करने और उसका पालन सुनिश्चित करने में प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) की आंतरिक लेखा-परीक्षा और अनुपालन कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सामान्य नियम के रूप में अनुपालन कार्य द्वारा प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) की निजी नीतियाँ और क्रियाविधियों का विधिक और विनियामक आवश्यकताओं सहित एक स्वतंत्र मूल्यांकन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी लेखा-परीक्षा संबंधी व्यवस्था में पर्याप्त स्टाफ है जो इस प्रकार की नीतियों और क्रियाविधियों में अत्यंत निपुण है । धन अंतरण सेवा योजना के तहत समवर्ती लेखा-परीक्षकों को यह सत्यापित करने के लिए सभी सीमा-पार के आवक धन विप्रेषण लेनदेनों की जाँच करनी चाहिए कि सभी लेनदेन धन शोधन निवारण दिशा-निर्देशों के अनुसार किये गये हैं और जहाँ आवश्यक हो संबंधित प्राधिकारियों को रिपोर्ट किये गये हैं। समवर्ती लेखा-परीक्षकों द्वारा अभिलिखित गलतियों पर अनुपालन, यदि कोई हो, बोर्ड को प्रस्तुत करना चाहिए। वार्षिक रिपोर्ट तैयार करते समय अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुपालन पर सांविधिक लेखा-परीक्षकों से एक प्रमाणपत्र प्राप्त करना चाहिए और उसे रिकार्ड में रखना चाहिए।

4.9 नयी तकनीक का समावेश

प्राधिकृत व्याक्तियों (भारतीय एजेंटों) को नयी अथवा इंटरनेट के जरिये किये गये लेनदेनों सहित विकासशील तकनीकों से प्राप्त किसी धनशोधन धमकियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो गुमनामी हो सकती हैं और उसका धनशोधन के प्रयोजन तथा आतंकवादी कार्यकलापों के वित्तीयन हेतु उपयोग करने को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए।

4.10 आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध

ए) धनशोधन निवारण नियमावली के अनुसार, संदेहास्पद लेनदेनों में अन्य बातों के साथ- साथ ऐसे लेनदेन भी शामिल किये जाने चाहिए जो संदेह का यथोचित आधार देते हैं और मूल्य पर ध्यान दिये बिना, धनशोधन निवारण अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित आपराधिक कार्यगत आमद में शामिल हो सकते हैं। अत: प्राधिकृत व्यक्तियों को आतंकवाद से संबंधित संदेहास्पद लेनदेनों की निगरानी और लेनदेनों की शीघ्र पहचान और वित्तीय आसूचना ईकाई को प्राथमिकता के आधार पर यथोचित रिपोर्ट करने के लिए यथोचित् व्यवस्था विकसित करनी चाहिए।

बी) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को सूचित किया जाता है कि वे वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) के विवरण (www.fatf-gafi.org) में पहचाने गये कतिपय क्षेत्राधिकार अर्थात् ईरान, उजबेकिस्तान, पाकिस्तान,तुर्कमेनिस्तान, साओ टोम और प्रिंसिपे, डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके)1 बोलिविया, क्यूबा, इथोपिया, केन्या, म्यांमार, श्रीलंका, सीरिया, तुर्की और नाइजीरिया2 में किसी व्यक्ति अथवा व्यवसायी के साथ व्यवहार करते समय एएमएल/सीएफटी प्रणाली में समय-समय पर पायी गयी कमियों से उत्पन्न होनेवाले जोखिमों को ध्यान में रखें। भारतीय रिज़र्व बैंक दवारा, समय-समय पर, परिचालित एफएटीएफ विवरण (जिसमें से 2 जुलाई 2012 तक नवीनतम परिचालित 17 अप्रैल 2012 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 108 है) के अतिरिक्त प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को एफएटीएफ सिफारिशों को अपर्याप्त रूप में लागू करने वाले देशों की पहचान करने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना का उपयोग करने पर भी विचार करना चाहिए। सभी प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को तदनुसार सूचित किया जाता है कि वे एएमएल/सीएफटी से संबंधित कमी वाले देशों के व्यक्तियों (विधिक व्यक्तियों और अन्य वित्तीय संस्थाओं सहित) के साथ कारोबारी रिश्ते और लेनदेन करते समय इन क्षेत्रों से उत्पन्न होनेवाले जोखिमों को ध्यान में रखें और इन मामलों पर विशेष ध्यान दें।

4.11 प्रधान अधिकारी

(ए) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को किसी वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी को प्रधान अधिकारी के रूप में पदनामित करना जाना चाहिए। प्रधान अधिकारी को प्राधिकृत व्यक्ति के प्रधान/कार्पोरेट कार्यालय में होना चाहिए और वह सभी लेनदेनों की निगरानी और रिपोर्टिंग करने तथा कानून के तहत यथा आवश्यक जानकारी देने के लिए जवाबदेह होगा। समय समय पर जारी केवाइसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी विनियामक दिशा-निर्देशों के लागू करने और उनके समग्र अनुपालन को सुनिश्चित करने तथा धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 और उसके अंतर्गत निर्मित नियमों एवं विनियमों, समय समय पर यथा संशोधित, का अनुपालन प्रधान अधिकारी की भूमिका और दायित्वों में शामिल है। प्रधान अधिकारी धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध के पूरे क्षेत्र (अर्थात् ग्राहक यथोचित सावधानी, रिकॉर्ड कीपिंग, आदि) में यथोचित अनुपालन प्रबंधन व्यवस्थाएं विकसित करने के लिए भी जवाबदेह होगा। वह प्रवर्तन एजेंसियों , प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) और धन शोधन निवारण / आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध का सामना करनेवाले किसी अन्य संस्था के साथ नजदीक से संपर्क रखेगा। प्रधान अधिकारी को उसकी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए सक्षम बनाने की दृष्टि से यह सूचित किया जाता है कि प्रधान अधिकारी और अन्य यथोचित स्टाफ को ग्राहक पहचान डाटा और अन्य सीडीडी जानकारी, लेनदेन रिकार्ड और अन्य संबंधित जानकारी समय पर उपलब्ध होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रधान अधिकारी स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके और वरिष्ठ प्रबंधन अथवा निदेशक बोर्ड को सीधे ही रिपोर्ट कर सके।

बी) प्रधान अधिकारी वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत को नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) के समय पर प्रस्तुतीकरण के लिए जवाबदेह होगा।

4.12 लेनदेनों के रिकॉर्ड रखना/परिरक्षित की जानेवाली जानकारी/रिकॉर्डों को रखना और परिरक्षण/ वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत को नकदी और संदिग्ध लेनदेनों की रिपोर्टिंग

`धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 12, लेनदेन संबंधी जानकारी के परिरक्षण और रिपोर्टिंग के बारे में प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को कतिपय दायित्व देता है। अत: प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को सूचित किया जाता है कि वे धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों और उसके तहत अधिसूचित नियमों का अध्ययन करें और पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 12 की आवश्यकताओं के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी कदम उठायें।

(i) लेनदेनों के रिकार्ड रखना

प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को नियम 3 के तहत निर्धारित लेनदेनों का उचित रिकार्ड रखने के लिए नीचे दर्शाये गये अनुसार एक प्रणाली तैयार करनी चाहिए :

ए) दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसके समतुल्य राशि से अधिक मूल्य के सभी नकदी लेनदेन ;

बी) दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसके समतुल्य राशि से कम मूल्य के एक दूसरे से संबद्ध सभी नकदी लेनदेनों की श्रृंखला, जब श्रृंखला के सभी लेनदेन एक महीने के भीतर किये गये हों और ऐसे लेनदेनों का समग्र मूल्य रूपये दस लाख से अधिक हो;

सी) गैर-लाभ अर्जक संगठनों द्वारा प्राप्त समस्त लेनदेनों का मूल्य जहाँ दस लाख रूपये अथवा उसके समतुल्य विदेशी मुद्रा में हो [12 नवंबर 2009 की भारत सरकार की अधिसूचना – धन शोधन निवारण नियमावली के नियम 3, उप-नियम (1) के खंड (बीए) के मद्देनजर।]

डी) ऐसे सभी नकदी लेनदेन जहाँ जाली या नकली करेंसी नोट अथवा बैंक नोटों का प्रयोग मौलिक की जगह हुआ हो और जहाँ लेनदेनों को सुगम बनाने के लिए किसी मूल्यवान प्रतिभूति या दस्तावेज का प्रयोग जालसाज़ी के लिए किया गया हो; और

ई) नकदी में और नियमों में उल्लेख किये गये रूप में अथवा न किये गये सभी संदेहास्पद लेनदेन।

(ii) परिरक्षित की जानेवाली जानकारी

प्राधिकृत व्यक्तियों को निम्नलिखित जानकारी सहित नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में जानकारी रखनी आवश्यक है ताकि एकल लेनदेनों को पुन: संरचित किया जा सके :

ए. लेनदेनों का प्रकार ;
बी. लेनदेन की राशि और वह किस मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत थी ;
सी. लेनदेन किस तारीख को किये गये; और
डी. लेनदेन से संबद्ध पार्टियाँ

(iii) रिकॉर्ड का रखरखाव और परिरक्षण

) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को उपर्युक्त नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में रिकॉर्ड रखने सहित सभी लेनदेनों का रिकार्ड रखना आवश्यक है। प्राधिकृत व्यक्तियों को लेनदेन संबंधी जानकारी के उचित रखरखाव और परिरक्षण के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए यथोचित कदम उठाने चाहिए कि जब कभी आवश्यकता पड़े अथवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा वे मांगे जाएं तो डाटा सहजता और शीघ्रता से उपलब्ध हो सके। इसके अतिरिक्त, प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को प्राधिकृत व्यक्ति और ग्राहक के बीच निवासियों और अनिवासियों दोनों के साथ किये गये लेनदेनों के सभी आवश्यक रिकॉर्ड लेनदेन की तारीख से न्यूनतम दस वर्षों के लिए रखे जाने चाहिए, जो व्यक्तिगत लेनदेनों ( निहित राशियाँ और मुद्रा के प्रकार, यदि कोई हों, के सहित) का पुनर्निर्माण कर सकेंगे, जिससे उस रिकॉर्ड को यदि आवश्यक हो तो आपराधिक कार्यकलाप में संलिप्त व्यक्तियों के अभियोजन के लिए साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।

बी) प्राधिकृत व्यक्तियों(भारतीय एजेंटों) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लेनदेन करते समय और व्यवसाय संबंध की अवधि के दौरान प्राप्त किये गये ग्राहक और उसके पते की पहचान से संबंधित रिकॉर्ड (अर्थात् पारपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान कार्ड, उपयोगिता बिल, आदि जैसे दस्तावेजों की प्रतियाँ) लेनदेन/व्यवसाय संबंध की समाप्ति से कम से कम दस वर्षों के लिए यथोचित रूप से परिरक्षित किये जाते हैं। पहचान संबंधी रिकॉर्ड और लेनदेन के आंकड़े मांगे जाने पर सक्षम प्राधिकारियों को उपलब्ध किये जाने चाहिए।

सी) इस परिपत्र के पैराग्राफ 4.6 में, प्राधिकृत व्यक्तियों(भारतीय एजेंटों) को सूचित किया गया है कि सभी जटिल, असामान्य बड़े लेनदेन और लेनदेनों के सभी असामान्य पैटर्न, जिसका कोई प्रथमदृश्ट्या आर्थिक अथवा प्रत्यक्ष वैध प्रयोजन नहीँ है, पर विशेष ध्यान दिया जाए । इसके साथ यह भी स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे लेनदेनों से संबंधित सभी दस्तावेज/कार्यालय रिकॉर्ड/ज्ञापन सहित पृष्ठभूमि और उसके प्रयोजन की यथासंभव जांच की जानी चाहिए और शाखा तथा प्रधान अधिकारी के स्तर पर पाये गये निष्कर्ष यथोचित रूप से रिकॉर्ड किये जाने चाहिए। ऐसे अभिलेख और संबंधित दस्तावेज, लेखा-परीक्षकों को लेनदेनों की छान-बीन से संबंधित उनके दैनिक कार्य में सहायक होने के लिए और रिज़र्व बैंक /अन्य संबंधित प्राधिकारियों को उपलब्ध किये जाने चाहिए। इन रिकॉर्डों को दस वर्षों के लिए परिरक्षित किया जाना आवश्यक है, क्योंकि यह धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 और समय समय पर यथा संशोधित, धन शोधन निवारण (लेनदेनों के प्रकार और मूल्य के रिकॉर्ड रखना, रिकॉर्ड रखने की क्रियाविधि और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियाँ, वित्तीय संस्थाएं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के रिकॉर्डों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 के तहत आवश्यक है।

(iv) वित्तीय आसूचना ईकाई -भारत को रिपोर्टिंग

ए) धन शोधन निवारण नियमावली के अनुसार प्राधिकृत व्यक्तियों को नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में नकदी और संदेहास्पद लेनदेनों से संबंधित जानकारी निदेशक, वित्तीय आसूचना ईकाई- भारत को निम्नलिखित पते पर रिपोर्ट करना आवश्यक है :

निदेशक
वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत(एफआइयु-आइएनडी)
6ठी मंजिल, हॉटेल सम्राट
चाणक्यपुरी, नयी दिल्ली-110021
वेबसाइट-http://fiuindia.gov.in/

बी) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को सभी रिपोर्टिंग फॉर्मेटों का अध्ययन करना चाहिए। खंड III में दिये गये ब्योरे के अनुसार कुल मिलाकर चार रिपोर्टिंग फॉर्मेटस् हैं अर्थात् i) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर); ii) इलेक्ट्रॉनिक फाइल स्ट्रक्चर-सीटीआर; iii) संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर); iv) इलेक्ट्रॉनिक फाइल स्ट्रक्चर-एसटीआर । रिपोर्टिंग फॉर्मेटों में समेकन संबंधी विस्तृत दिशा-निर्देश और वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत(एफआइयु-आइएनडी) को रिपोर्टों की प्रस्तुति की पद्धति /क्रियाविधि दी गयी है। प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को यह आवश्यक होगा कि वे वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत(एफआइयु-आइएनडी) को सभी प्रकार की रिपोर्टों का इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग सुनिश्चित करने के लिए अविलंब कदम उठायें । इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रिपोर्ट तैयार करने के लिए संबंधित हार्डवेयर और तकनीकी आवश्यकता, संबंधित डाटा फाइल्स और उसका डाटा स्ट्रक्चर संबंधित फार्मेटों के अनुदेश भाग में प्रस्तुत किये गये हैं।

सी) इस परिपत्र के पैराग्राफ 4.3(बी) में निहित अनुदेशों के अनुसार, प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को प्रत्येक ग्राहक के लिए जोखिम वर्गीकरण पर आधारित प्रोफाइल तैयार करना आवश्यक है । इसके अतिरिक्त, पैराग्राफ 4.6 के जरिये, जोखिम वर्गीकरण की आवधिक पुनरीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया गया है। अत: यह दोहराया जाता है कि लेनदेन निगरानी व्यवस्था के एक भाग के रूप में प्राधिकृत व्यक्तियों(भारतीय एजेंटों) को यथोचित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन तैयार/स्थापित करना आवश्यक है ताकि जब जोखिम वर्गीकरण और ग्राहकों के अद्यतन प्रोफाइल से लेनदेन मेल न खाए (के साथ सुसंगत न हो), तब सॉफ्टवेयर चेतावनी संकेत दे दे। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि संदेहास्पद लेनदेन पहचानने और उसकी रिपोर्टिंग करने हेतु सावधान करनेवाला रोबस्ट(सक्षम) सॉफ्टवेयर का होना आवश्यक है।

4.13 नकदी और संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट

ए) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर)

जबकि सभी प्रकार की रिपोर्टों की फाइलिंग के लिए विस्तृत अनुदेश संबंधित फार्मेटों के अनुदेश भाग में दिये गये हैं, प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को अत्यंत सावधानी से निम्नलिखित का पालन करना चाहिए :

i) प्रत्येक महीने के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) अनुवर्ती महीने की 15 तारीख तक एफआइयु-आइएनडी को प्रस्तुत करनी चाहिए। अत: शाखाओं द्वारा उनके नियंत्रणकर्ता कार्यालयों को नकदी लेनदेन रिपोर्ट अनिवार्यत: मासिक आधार पर प्रस्तुत की जानी चाहिए और प्राधिकृत व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक महीने के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) वित्तीय आसूचना इकाई – भारत (एफआईयु -आरएनडी) को निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रस्तुत की जाती है।

ii) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) फाइल करते समय, 50,000 रुपये के नीचे के वैयक्तिक लेनदेन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

iii) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) में प्राधिकृत व्यक्ति के आंतरिक खाते में किये गये लेनदेनों को छोड़कर प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा अपने ग्राहकों की ओर से किये गये लेनदेनों का ही समावेश होना चाहिए।

iv) समग्र रूप से प्राधिकृत व्यक्ति के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर), विनिर्दिष्ट फॉर्मेट के अनुसार प्राधिकृत व्यक्ति के प्रधान अधिकारी द्वारा प्रत्यक्ष (फिजिकल) रूप में प्रत्येक महीने में तैयार की जानी चाहिए। उक्त रिपोर्ट प्रधान अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित की जानी चाहिए और एफआइयु-इंडिया को प्रस्तुत की जानी चाहिए।

v) यदि प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंटों) द्वारा शाखाओं के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) उनके सेंट्रल डाटा सेंटर स्तर पर केंद्रीकृत रूप से तैयार की गयी हो तो प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को एफआइयु-इंडिया को आगे के प्रेषण के लिए एक जगह पर केंद्रीय कंप्यूटरीकृत वातावरण के तहत शाखाओं के संबंध में केंद्रीकृत नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) तैयार करनी चाहिए, बशर्ते:

ए) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) इस परिपत्र के पैराग्राफ 4.12 (iv)(बी) में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित फॉर्मेट में तैयार की जाती है।

बी) उनकी (शाखा की) ओर से एफआइयु-इंडिया को प्रस्तुत किये गये मासिक नकदी लेनदेन संबंधी रिपोर्ट (सीटीआर) की प्रति लेखा-परीक्षकों/निरीक्षकों द्वारा मांगे जाने पर उन्हें प्रस्तुत करने के लिए संबंधित शाखा में उपलब्ध रहती है।

सी) इस परिपत्र के क्रमश: पैराग्राफ 4.12(i), (ii) और (iii) में उपर्युक्त में निहित किये गये अनुसार लेनदेनों के रिकॉर्डों का रखरखाव, परिरक्षित की जानेवाली जानकारी और रिकॉर्डों का रखरखाव और परिरक्षण संबंधी अनुदेशों का शाखा द्वारा कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

तथापि, केंद्रीय कंप्यूटरीकृत वातावरण के तहत न आनेवाली शाखाओं के संबंध में मासिक नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) तैयार की जानी और शाखा द्वारा प्रधान अधिकारी को एफआइयु-इंडिया को आगे के प्रेषण के लिए प्रेषित करना जारी रखा जाना चाहिए।

बी) संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर)

i) संदेहास्पद लेनदेनों का निर्धारण करते समय, प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को, समय-समय पर, यथा संशोधित धन शोधन निवारण नियमावली में निहित संदेहास्पद लेनदेन की परिभाषा द्वारा दिशा-निर्देशित हों।

ii) यह संभव है कि कुछ मामलों में लेनदेन, ग्राहकों द्वारा कुछ ब्योरे देने अथवा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए पूछे जाने पर परित्यक्त/निष्फल होते हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) में ऐसे लेनदेनों की राशि पर ध्यान दिये बिना ग्राहकों द्वारा पूर्ण न किये जाने पर भी सभी प्रयासगत लेनदेन सूचित करने चाहिए।

iii) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को, यदि उनके पास विश्वास का यह उचित आधार है कि प्रयासगत लेनदेन सहित लेनदेनों में, लेनदेन की राशि पर ध्यान दिये बिना, अपराध की राशि निहित है और/अथवा धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की अनुसूची के भाग बी में वर्णित अपराध निर्धारित करने के लिए प्रारंभिक सीमा परिकल्पित है तो संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) तैयार करनी चाहिए।

iv) नकदी अथवा गैर-नकदी के प्रयासगत लेनदेन सहित लेनदेन, अथवा एकीकृत रूप से संबध्द लेनदेनों की श्रृंखला संदेहास्पद स्वरुप की है, इस निष्कर्ष पर पहुंचने पर 7 दिनों के भीतर संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) प्रस्तुत की जानी चाहिए। प्रधान अधिकारी को किसी लेनदेन अथवा लेनदेनों की श्रृंखला संदेहास्पद लेनदेन के रूप में मानने के लिए अपने कारण रिकॉर्ड करने चाहिए । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी शाखा अथवा किसी अन्य कार्यालय से एक बार संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट प्राप्त होने पर निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई विलंब नहीं होता है । ऐसी रिपोर्ट मांगे जाने पर सक्षम प्राधिकारियों को उपलब्ध की जानी चाहिए।

v) स्टाफ के बीच अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण जागरुकता निर्माण करने के संबंध में और संदेहास्पद लेनदेनों के लिए सचेत करने हेतु प्राधिकृत व्यक्ति संदेहास्पद कार्यकलापों की निम्नलिखित निदर्शी सूची पर विचार करें।

कुछ संभाव्य संदेहास्पद कार्यकलाप निदर्शक नीचे दिये गये हैं:

  • ग्राहक तुच्छ आधार पर ब्योरे/ दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए अनिच्छुक है।
  • लाभाधिकारी की पहचान संरक्षित करने अथवा उनकी सहभागिता छुपाने के लिए लेनदेन एक अथवा अधिक मध्यस्थों/मध्यवर्ती संस्थाओं द्वारा की जाती है ।
  • धनप्रेषणों की बहुत बड़ी राशि।(अत्यधिक धनप्रेषण)
  • लेनदेनों का आकार और बारंबारता ग्राहक के सामान्य व्यवसाय से उच्च है।

उपर्युक्त सूची केवल निदर्शी है और न कि सर्वसमावेशक है।

vi) प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) को ऐसे लेनदेनों पर कोई रोक नहीं लगानी चाहिए जहां संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) की गयी है । साथ में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राधिकृत व्यक्तियों के कर्मचारी इस प्रकार की जानकारी प्रस्तुत करने का तथ्य अत्यंत गोपनीय रखेंगे और किसी भी स्तर पर ग्राहक को संकेत नहीं देंगे

4.14 ग्राहक शिक्षा/कर्मचारियों का प्रशिक्षण/कर्मचारियों का नियोजन

ए) ग्राहक शिक्षा

अपने ग्राहक को जानिये क्रियाविधि के कार्यान्वयन की अपेक्षा है कि प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) ग्राहक से कुछ जानकारी मांगे जो वैयक्तिक प्रकार की हो अथवा इसके पहले कभी मांगी न गयी हो । इस प्रकार की जानकारी जमा करने के उद्देश्य और प्रयोजन से ग्राहक द्वारा अनेक प्रश्न पूछे जा सकते हैं । अत: प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) को विशिष्ट साहित्य/पुस्तिका, आदि तैयार करने की आवश्यकता है जिससे अपने ग्राहक को जानिये कार्यक्रम के उद्देश्यों से ग्राहक को शिक्षित किया जा सके। ग्राहकों के साथ व्यवहार करते समय ऐसी स्थितियों का सामना करने के लिए फ्रंट डेस्क स्टाफ को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ।

बी) कर्मचारी प्रशिक्षण

प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) को कर्मचारियों के लिए लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए जिससे स्टाफ सदस्य धन शोधन निवारण से संबंधित नीतियाँ और क्रियाविधियाँ , धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधान जानने में पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित होंगे और सभी लेनदेनों की निगरानी रखने की आवश्यकता यह सुनिश्चित करने के लिए महसूस करेगे कि धनप्रेषण के बहाने कोई संदेहास्पद कार्य नहीं किया जा रहा है। फ्रंटलाइन स्टाफ, अनुपालन स्टाफ और नये ग्राहकों के साथ कार्य करनेवाले स्टाफ के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकताएं होंगी। यह महत्वपर्पू है कि सभी संबधित अपने ग्राहक को जानिये नीतियों के पीछे का तर्काधार समझें और लगातार उनका कार्यान्वयन करें। जब स्टाफ के सामने कोई संदेहास्पद लेनदेन ( जैसे निधियों के स्त्रोत के संबंध में प्रश्न पूछना, पहचान दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच करना, प्रधान अधिकारी को तुरंत रिपोर्ट करना, आदि) होता है तो की जानेवाली कार्रवाई प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की जानी चाहिए और यथोचित क्रियाविधि निर्धारित करनी चाहिए। धन शोधन निवारण उपायों के लगातार कार्यान्वयन के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन किया जाना चाहिए।

सी) कर्मचारियों का नियोजन

यह समझना चाहिए कि अपने ग्राहक को जानिये मापदंड/ धन शोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध के उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किये गये हैं कि अपराधी वर्ग, धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत धन अंतरण प्रणाली का दुरुपयोग न कर सकें । अत: यह आवश्यक होगा कि प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उच्च मानक सुनिश्चित करने के लिए अपने कर्मचारियों की भर्ती/नियोजन प्रक्रिया के अविभाज्य भाग के रूप में पर्याप्त स्क्रीनिंग व्यवस्था की जाती है ।

टिप्पणी : भारत सरकार ने, भारत में धन शोधन निवारण और आतंकवाद के वित्तपोषण के आकलन, राष्ट्रीय एएमएल/सीएफटी रणनीति और संस्थागत ढाँचे की स्थापना के लिए धन शोधन निवारण/ आतंकवाद के वित्तपोषणगत जोखिम के आकलन पर एक राष्ट्रीय धन शोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषणगत जोखिम के आकलन हेतु समिति गठित की है। धन शोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण संबंधी जोखिमों का आकलन सक्षम प्राधिकारियों और विनियमित कंपनियों दोनों को धन शोधन/आतंकवाद का प्रतिरोध करने के लिए जोखिम आधारित रुख अख्तियार करके आवश्यक उपाय करने में मददगार होता है। यह संसाधनों के न्यायसंगत और प्रभावी आबंटन में मदद करता है तथा एएमएल/सीएफटी तंत्र को जोखिम से उबरने में अधिक सक्षम बनाता है। समिति ने जोखिम आधारित रुख अपनाने, जोखिम के आकलन और ऐसी प्रणाली स्थापित करने की सिफारिश की है जो किए गए आकलन का उपयोग धन शोधन/आतंकवाद का प्रतिरोध करने के लिए प्रभावी कदम उठाने हेतु करेगी। समिति की सिफारिशें भारत सरकार द्वारा अब स्वीकार कर ली गयी हैं और उन्हें लागू करने की जरुरत है। तदनुसार, प्राधिकृत व्याक्ति (भारतीय एजेंट) उल्लिखित पैरा 4 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं के अतिरिक्त ग्राहक, देश और भूभाग के लिए तथा उत्पादों/सेवाओं/लेनदेनों/डिलिवरी चैनलों के लिए धन शोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण से उत्पन्न हो सकने वाले जोखिमों की पहचान एवं आकलन करने के लिए कदम उठाएं। प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) इस संबंध में अपने बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित नीतियाँ, नियंत्रण और प्रक्रियाएं अपनाएं ताकि वे ऊपर वर्णित जोखिम आधारित रुख अपनाकर ऐसे जोखिमों को प्रबंधित तथा कम कर सकें। परिणामत: प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) से अपेक्षित होगा कि वे मध्यम या उच्च जोखिमगत श्रेणी के अनुसार उत्पाद, सेवाओं और ग्राहकों के बाबत बढ़े हुए उपाय लागू करें। लेनदेनों की जोखिम आधारित निगरानी के लिए प्राधिकृत व्याक्ति (भारतीय एजेंट) अपने कार्यों के अनुसार जोखिम मानदण्ड निरूपित करें जो स्वयं के जोखिमों के आकलन में उनकी मदद करेंगे ।

टिप्पणी : अपने ग्राहक को जानिये / धन शोधन निवारण / आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध संबंधी उपर्युक्त दिशा-निर्देश धन अंतरण सेवा योजना के तहत यथोचित परिवर्तनों सहित भारतीय एजेंटों के सभी उप-एजेंटों पर भी लागू होंगे और प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंटों) की यह सुनिश्चित करने की अकेले की जिम्मेदारी होगी कि उनके उप-एजेंट भी इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं।

खंड - II

ग्राहक पहचान क्रियाविधि
सत्यापित की जानेवाली विशेषताएं और
ग्राहकों से प्राप्त किये जानेवाले दस्तावेज

विशेषताएं

दस्तावेज

वैध नाम और उपयोग किया गया कोई अन्य नाम

(i) पारपत्र (ii) पैनकार्ड (iii) मतदाता पहचान कार्ड (iv) ड्राइविंग लाइसेंस (v) पहचान पत्र (प्राधिकृत व्यक्ति की संतुष्टि के अधीन) (vi) प्राधिकृत व्यक्ति की संतुष्टि हेतु ग्राहक की पहचान और निवास का सत्यापन करते हुए किसी मान्यताप्राप्त सरकारी प्राधिकारी अथवा सरकारी सेवक से पत्र

सही स्थायी पता

(i) टेलीफोन बिल (ii) बैंक खाता विवरण (iii) मान्यताप्राप्त सरकारी प्राधिकारी से पत्र (iv) इलेक्ट्रीसिटी बिल (v) राशन कार्ड (vi) नियोक्ता से पत्र (प्राधिकृत व्यक्ति की संतुष्टि के अधीन)

(दस्तावेजों में से कोई एक, जो प्राधिकृत व्यक्ति की संतुष्टि के लिए ग्राहक जानकारी देता है)

खंड - III

विभिन्न रिपोर्टों और उनके फॉर्मेटों की सूची

  1. नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर)
  2. इलेक्ट्रॉनिक फाइल स्ट्रक्चर-सीटीआर
  3. संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर)
  4. इलेक्ट्रॉनिक फाइल स्ट्रक्चर-एसटीआर

टिप्पणी: उपर्युक्त रिपोर्टों के फॉर्मेट 27 नवंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.18 {(एफएल सिरीज) परिपत्र सं.5} में दिये गये हैं। प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) इस संबंध में एफआईयू-आईएनडी की वेबसाइट अर्थात, http://fiuindia.gov.in भी देख सकते हैं।


अनुबंध - ।।

---- ----को समाप्त तिमाही के दौरान धन अंतरण सेवा योजना के जरिये प्राप्त विप्रेषणों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण

भारत में एजेंट का नाम--------------------------

विदेशी प्रधान अधिकारी का नाम

प्राप्त विदेशी मुद्रा की कुल राशि
(अमरीकी डॉलर में)

समतुल्य रूपये

 

 

 

 

 

 

 

 

 

टिप्पणी : यह विवरण जिस तिमाही के संबंध में है उस तिमाही की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है।


अनुबंध-।।।

भारतीय एजेंटों द्वारा रखे गये संपार्श्विक का विवरण

भारतीय एजेंट का नाम------------------

विदेशी प्रधान अधिकारी का नाम

पिछले 6 महीनों के दौरान अमरीकी डॉलर में प्राप्त विदेशी मुद्रा की कुल राशि

अमरीकी डॉलर में प्राप्त संपार्श्विक की राशि

संपार्श्विक निम्न रूप में रखे गये

टिप्पणी के साथ संपार्श्विक की पर्याप्तता की पिछली पुनरीक्षा

 

 

 

 

 


परिशिष्ट

इस मास्टर परिपत्र में धन अंतरण सेवा योजना पर समेकित किये गये परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची

क्रम सं.

अधिसूचना/परिपत्र

तारीख

1

धन अंतरण सेवा योजना पर अधिसूचना

4 जून 2003

2

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 18 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 05 ]

27 नवंबर 2009

3

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 19 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 02 ]

25 नवंबर 2010

4

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 21 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 04]

30 नवंबर 2010

5

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 24 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 05 ]

13 दिसंबर 2010

6

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 26 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 07 ]

22 दिसंबर 2010

7

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 28 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 09 ]

22 दिसंबर 2010

8

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 50 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 12 ]

6 अप्रैल 2011

9

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 52 [ ए.पी.(एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 14 ]

6 अप्रैल 2011

10

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 62

16 मई 2011

11

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 64

20 मई 2011

12

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 66

20 मई 2011

13

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 22

19 सितंबर 2011

14

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 24

19 सितंबर 2011

15

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 78

15 फरवरी 2012

16

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 87

29 फरवरी 2012

17

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 108

17 अप्रैल 2012

18

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 132

8 जून 2012


1 19 सितंबर 2011 का एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 22

2 15 फरवरी 2012 का एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 78

 
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