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Date: 01/07/2011
मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता

भारिबैं /2011-12/26
गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.232/03.10.042/2011-12

1 जुलाई 2011

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीज) और
अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनिया (आरएनबीसीज)

महोदय,

मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता

सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2011 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में सूचीबद्ध अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं, मास्टर परिपत्र में समेकित एवं अद्यतन कर दिये गये हैं। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (http://www. rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है।

भवदीया,

(उमा सुब्रमणियम)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होकर कि देश की ऋण व्यवस्था को उसके हित के लिए विनियमित करने हेतु उसे समर्थ बनाने के प्रयोजनार्थ ऐसा करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45ठ द्वारा प्रदत्त अधिकारों और इस संबंध में उसे समर्थ बनाने वाले अन्य सभी अधिकारों का प्रयोग करते हुए एतदद्वारा ऐसी उचित व्यवहार संहिता के संबंध में स्थूल रूप में दिशा-निर्देश निर्धारित करता है, जो सभी गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैकिंग कंपनियों सहित) के निदेशक मंडलों द्वारा बनाई एवं अनुमोदित की जानी है। इस प्रकार बनाई गई और निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित उचित व्यवहार संहिता आम जनता की सूचना के लिए प्रकाशित कराई जाएगी और यदि कंपनी की कोई वेबसाइट हो तो उस वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। निम्नलिखित दिशानिर्देशों पर आधारित उचित व्यवहार संहिता सभी गैर  बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अपने निदेशक मंडलों के अनुमोदन से परिपत्र की तारीख 28 सितंबर 2006 से एक महीने के अंदर कार्यान्वित कर दी जानी चाहिए थी।

गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशानिर्देश

(i) ऋण आवेदन पत्र और उनको प्रोसेस करना

(क) ऋण आवेदन पत्र में वह आवश्यक सूचना होनी चाहिए, जिससे उधारकर्ता का हित प्रभावित होता हो ताकि अन्य गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा प्रस्तावित शर्तों की अर्थपूर्ण तुलना की जा सके और उधारकर्ता पूरी जानकारी से अवगत होकर निर्णय ले सके। ऋण के लिए आवेदन करने समय प्रस्तुत किए जाने वाले अपेक्षित दस्तावेजों का उल्लेख ऋण-आवेदन फार्म में होना चाहिए।

(ख) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियाँ एक ऐसी प्रणाली विकसित करें, जिससे सभी ऋण आवेदनों की प्राप्ति रसीद (पावती) दी जा सके। उक्त पावती में वरीयत: उस समयावधि का भी उल्लेख किया जाना चाहिए, जिसके अंतर्गत ऋण आवेदनों का निपटान कर दिया जाएगा।

(ii) ऋण मूल्यांकन और शर्तें

गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण लेने वाले को मंजूरी पत्र या मंजूर किए गए ऋण की राशि लिखित रूप में, अन्य प्रकार से, ऋण की शर्तां के साथ, जिसमें वार्षिक आधार पर ब्याज की दर तथा उसे लागू करने का तरीका भी दिया हो, सूचित करनी चाहिए और उधारकर्ता द्वारा इन शर्तों की स्वीकृति को अपने अभिलेख में रखना चाहिए।

यह मालूम हुआ है कि कुछ मामलों में ऋण मंजूरी के समय उधारकर्ता को ब्याज दर सहित ऋण की शर्तों की पूर्ण जानकारी नहीं होती है या तो ऐसा इसलिए होता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ इसके ब्योरे न देती हों या उधाकर्ता के पास विस्तृत ऋण करार को पढ़ने का समय न रहा हो।

तदनुसार, यह सूचित किया गया था कि ऋण कारार या उसमें उल्लिखित संलग्नकों की प्रतिलिपि उपलब्ध न कराना अनुचित व्यवहार है और इससे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी तथा उधारकर्ता के बीच ऋण मंजूरी की शर्तों के संबंध में विवाद हो सकता है।

अस्तु गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे ऋण की मंजूरी देते समय/ऋण वितरण के समय ऋण-करार एवं उसमें उल्लिखित सभी संलग्नकों की प्रतिलिपि सभी उधारकर्ता को अनिवार्यत: उपलब्ध कराएं।

(iii) ऋणों का वितरण और शर्तो में परिवर्तन

(क) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को, वितरण अनुसूची, ब्याज दरों, सेवा प्रभारों, अवधिपूर्व भुगतान प्रभारों आादि सहित शर्तों में कोई परिवर्तन होने पर उसकी सूचना उधार लेने वाले को देनी चाहिए। गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियां यह भी सुनिश्चित करें कि ब्याज दरों और प्रभारों में हुए परिवर्तन केवल बाद की तारीख से लागू हों। इस संबंध में ऋण करार में समुचित शर्त शामिल की जाए ।

(ख) ऋण वापस लेने/ भुगतान में तेजी लाने या करार के निष्पादन में तेजी लाने का निर्णय ऋण करार की शर्तों के अनुरूप होना चाहिए।

(ग) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को सभी देय राशियों की चुकौती होने पर या ऋण की बकाया राशि की वसूली हो जाने पर गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी के उधारकर्ता के विरूद्ध किसी अन्य दावे के न्यायसंगत अधिकार या ग्रहणाधिकार को छोड़कर, सभी जमानत स्वरूप रखे गए दस्तावेज वापस दे देने चाहिए ।  ऐसे समायोजन के यदि किसी अधिकार का, इस्तेमाल किया जाना है तो  उसके लिए शेष दावों के बारे में पूरे विवरण के साथ उधार लेने वालों को नोटिस देना होगा और उन दशाओं की सूचना देनी होगी जिनके अंतगर्त गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को संगत दावा न सुलझाए जाने/ भुगतान न करने तक उस/उन दस्तावेजों को रोके रहने का अधिकार है ।

(IV)  सामान्य

(क)  गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को उन प्रयोजनों को छोड़कर, जिनका ऋण करार की शर्तों में  उल्लेख है, (जब तक उधारकर्ता द्वारा पहले प्रकट नहीं की गई कोई नई सूचना उधार देने वाली कंपनी की जानकारी में नहीं आई हो), उधार लेने के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए ।

(ख)  उधारकर्ता से उधार-खाते को अंतरित करने का अनुरोध प्राप्त होने पर, उसकी सहमति या असहमति जैसे गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी की आपत्ति यदि कोई हो तो, ऐसे अनुरोध प्राप्त होने के 21 दिन के अंदर उधारकर्ता को सूचित की जानी चाहिए। ऐसा अंतरण कानून के अनुरूप और पारदर्शी संविदागत शर्तों के अनुसार होगा । 

(ग)  ऋण की वसूली के मामले में गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अनुचित रूप से परेशान करने के प्रयास नहीं किए जाने चाहिए जैसे-ऋणों की वसूली हेतु उधारकर्ता को निरंतर असमय परेशान करना, मारपीट करने का भय दिखाना, आदि ।

(v) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी के निदेशक मंडल को इस संबंध में उत्पन्न होने वाले विवादों के समाधान के लिए संगठन/संस्था के अंदर उचित शिकायत निवारण प्रकिया भी निर्धारित करनी चाहिए। ऐसी प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए उधार देने वाली संस्था के कार्यकर्ताओं के निर्णयों से उत्पन्न सभी विवादों की कम से कम अगले उच्चस्तर पर सुनवाई हो और निपटारा हो। निदेशक मंडल को उचित व्यवहार संहिता के अनुपालन और प्रबंध तंत्र के विभिन्न स्तरों पर शिकायत निवारण प्रक्रिया की कार्यप्रणाली की आवधिक रूप से समीक्षा करने की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसी समीक्षाओं की, निदेशक मंडल द्वारा यथानिर्धारित, नियमित अंतरालों पर एक समेकित रिपोर्ट बोर्ड को प्रस्तुत की जानी चाहिए ।

vi)  सभी गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को यहां ऊपर दिए गए दिशा -निर्देशों के आधार पर उचित व्यवहार संहिता तैयार करके बोर्ड के अनुमोदन से इस परिपत्र की तारीख से एक महीने के अंदर कार्यान्वित कर दी जानी चाहिए। गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को उक्त उचित व्यवहार संहिता का प्रारूप तैयार करने, उक्त दिशा-निर्देशों की व्याप्ति (स्कोप) बढ़ाने की स्वतंत्रता होगी परंतु वे उपर्युक्त दिशा-निर्देशों की निहित मूल भावना का त्याग नहीं करेंगी। उक्त उचित व्यवहार संहिता, विभिन्न दावा धारकों की सूचना के लिए गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों  द्वारा अपनी वेबसाइट पर, यदि हो तो, उपलब्ध कराई जाए ।

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक ब्याज लेने/चार्ज करने के संबंध में शिकायतें

(vii) (क) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा कतिपय ऋणों व अग्रिमों पर अत्यधिक ब्याज/ प्रभार (चार्ज) लेने के संबंध में रिज़र्व बैंक को अनेक शिकायतें मिल रही हैं।

यद्यपि ब्याज दरें रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित नहीं की जाती हैं तथापि, कतिपय स्तर(लेवल) से ज्यादा ब्याज वसूलना अत्यधिक ब्याज दर के रूप में देखा जा सकता है।  उन्हें सतत रूप से न तो जारी रखा जा सकता है और न ही ऐसा करना सामान्य वित्तीय व्यवहार के अनुरूप है।

अस्तु, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के निदेशक बोर्डों को सूचित किया जाता है कि वे ब्याज दरों, प्रोसेसिंग तथा अन्य चार्जेज़ के निर्धारण के संबंध में उचित आंतरिक सिद्धांत एवं प्रक्रिया बनाकर लागू करें।

इस बाबत उचित व्यवहार संहिता संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाए जिसमें ऋण की शर्तों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कहा गया है।

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ इस परिपत्र की तारीख से एक माह के भीतर इस संबंध में बनाई गई उचित प्रणाली के अमल में लाने की जानकारी हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को दें जिसके अधिकार क्षेत्र में उसका पंजीकृत कार्यालय आता हो।

(ख) भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि देश के हित में ऋण (क्रेडिट) प्रणाली को विनियमित करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है, भारतीय रिज़व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों एवं इस संबंध में उसे समर्थ बनाने वाली समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को निम्नलिखित निदेश जारी करता है:

क) प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का निदेशक बोर्ड निधियों की लागत, मार्जिन तथा जोखिम प्रीमियम, आदि जैसे संगत कारकों को शामिल करते हुए ब्याज दर मॉडल अपनाएगा और ऋणों तथा अग्रिमों पर प्रभार्य ब्याज दरों का निर्धारण करेगा। भिन्न-भिन्न श्रेणी के उधारकर्ताओं पर प्रभार्य ब्याज दरों एवं जोखिमों के श्रेणीकरण के रुख तथा भिन्न ब्याज दरें प्रभारित करने संबंधी युक्तियुक्तता को उधारकार्ताओं या ग्राहकों के आवेदन पत्र में प्रकट करना होगा व ऋण/अग्रिम के स्वीकृति पत्र में इन्हें स्पष्ट रूप से सूचित करना होगा।

ख) ब्याज दरों एवं जोखिमों के श्रेणीकरण के रुख को युक्तियुक्तता सहित कंपनी की वेबसाइट पर या संगत समाचार पत्र में प्रकाशित कर उपलब्ध कराया जाएगा। ब्याज दर में जब भी बदलाव होगा, वेबसाइट या समाचारपत्र में प्रकाशित ऐसी सामग्री को भी तदनुसार अद्यतन किया जाएगा।

ग) ब्याज की दर वार्षिक दर के रूप में दिखाई जाएगी ताकि उधारकर्ता यह जान सकें कि उनसे ली जाने वाली वास्तविक ब्याज दर क्या होगी।

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्तपोषित वाहनों को पुन: कब्जे (repossession) में लेने के संबंध में स्पष्टीकरण

(vii) इस संबंध में, वाहनों को पुन: कब्जे में लेने संबंधी पृच्छा/संदर्भ विशेष के बारे में यह और स्पष्ट किया जाता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर) द्वारा 'पुन: कब्जे में लेने की शर्त' उधारकर्ताओं के साथ की जाने वाली संविदा/ किए जाने वाले करार का अंग होना चाहिए जो विधिक रूप से प्रवर्तनीय हो। इस बारे में पारदर्शिता के लिए संविदा / ऋण करार की शर्तों में (क) प्रतिभूति को कब्जे में लेने से पूर्व नोटिस - अवधि, (ख) परिस्थितियाँ जिनमें नोटिस अवधि से छूट दी जा सकती हो,  (ग) प्रतिभूति को कब्जे में लेने की प्रणाली, (घ) संपत्ति की बिक्री /नीलामी से पूर्व उधारकर्ता को चुकौती करने का अंतिम मौका देने संबंधी प्रावधान, (ङ) उधारकर्ता को पुन: कब्जा देने की प्रणाली और (च) संपत्ति की बिक्री/नीलामी की प्रणाली संबंधी प्रावधान शामिल होने चाहिए। उधारकर्ता को ऐसी शर्तों की एक प्रति अवश्य उपलब्ध कराने संबंधी परिपत्र में सूचित किये अनुसार गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँ ऋण करार की प्रति तथा ऋण करार में उद्धृत सभी अनुलग्नको, जो ऐसी संविदा/ऋण करार का महत्त्वपूर्ण अंग हों, की एक-एक प्रति सभी उधारकर्ताओं को ऋणों की स्वीकृति देते /का वितरण करते समय उपलब्ध कराएं।


परिशिष्ट

क्र.

परिपत्र सं.

दिनांक

1.  

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 80/03.10.042/2005-06

28 सितंबर 2006

2.

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 95/03.05.002/2006-07

24 मई 2007

3.

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 107/03.10.042/2007-08

10 अक्तूबर 2007

4.

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 133/03.10.001/2008-09

2 जनवरी 2009

5.

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 139/03.10.001/2008-09

24 अप्रैल 2009

 
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