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Date: 09/11/2017
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - दिनांक 4 अक्तूबर 2017 वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा

भा.रि.बैं./2017-18/89
बैंविवि.सं.एलईजी.बीसी.96/09.07.005/2017-18

9 नवंबर, 2017

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)
सभी लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक

महोदय/ महोदया,

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - दिनांक 4 अक्तूबर 2017 वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा

कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा चतुर्थ द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य 2017-18 के एक अंश के रूप में दिनांक 4 अक्तूबर 2017 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य के पैरा 8 का संदर्भ लें, जिसकी एक प्रति संलग्न है। यह पाया गया है कि अनेक अवसरों पर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को बैंक द्वारा शाखाओं में बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त करने से हतोत्साहित या मना किया जाता है। डिजिटल लेनदेन और एटीएम के प्रयोग को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता के बावजूद, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है।

2. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे ऐसे ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निम्नलिखित विशेष प्रावधानों के साथ समुचित प्रणाली तैयार करें, ताकि वे किसी कठिनाई के बिना बैंक की सेवाएं प्राप्त कर सकें।

(क) वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समर्पित काउंटर/ प्राथमिकता

बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्पष्टतः पहचान-योग्य समर्पित काउंटर अथवा वरिष्ठ नागरिकों और दृष्टिबाधित व्यक्तियों सहित दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता देने वाले काउंटर उपलब्ध कराएं।

(ख) जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने में आसानी

सरकारी और बैंक लेखा विभाग द्वारा जारी मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, “जीवन प्रमाण” योजना के अंतर्गत डिजिटल डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र की सुविधा (9 दिसंबर, 2014 के परिपत्र डीजीबीए.जीएडी.एच-2529/45.01.001/2014-15 का संदर्भ लें) के अलावा, पेंशन वितरित करने वाले बैंक की किसी भी शाखा में पेंशनर जीवन प्रमाणपत्र का भौतिक फार्म प्रस्तुत कर सकता है। तथापि, यह पाया गया है कि अक्सर प्राप्तकर्ता शाखा द्वारा बैंक की कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) प्रणाली में उक्त का तुरंत अद्यतन नहीं किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पेंशनरों को परिहार्य कठिनाई होती है। अतः यह सूचित किया जाता है कि बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि जब पेंशन वितरित करने वाले बैंक की किसी शाखा में, गृहेतर (नॉन-होम) शाखा सहित, कोई जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे प्राप्तकर्ता शाखा द्वारा ही सीबीएस में तुरंत अद्यतन/ अपलोड किया जाता है, ताकि पेंशन राशि जमा होने में किसी प्रकार के विलम्ब से बचा जा सके।

(ग) चेक बुक सुविधा

(i) मांग पर्ची, जो पहले जारी चेक बुक का भाग हो, के माध्यम से जब कभी मांग प्राप्त हो, तो बैंक ग्राहकों को चेक बुक जारी करेगा।

(ii) बैंकों को सूचित किया जाता है कि अनुरोध प्राप्त होने पर, वे प्रति वर्ष बचत बैंक खाते में कम-से-कम 25 चेकों वाली चेक बुक किसी प्रभार के बिना प्रदान करें।

(iii) बैंक चेक बुक प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों सहित किसी भी ग्राहक के स्वयं उपस्थित होने पर जोर नहीं देंगे।

(iv) मांग प्राप्त होने पर बैंक अपनी निर्धारित नीति के अनुसार किसी अन्य माध्यम से भी चेक बुक जारी कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, यह स्पष्ट किया जाता है कि बुनियादी बचत बैंक जमा खाते (बीएसबीडीए) में इस प्रकार की कोई सुविधा प्रदान करने से खाते को गैर-बीएसबीडीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा। (संदर्भ, ‘वित्तीय समावेशन - बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच- बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (बीएसबीडीए) – अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न’ विषय पर 11 सितंबर, 2013 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं.एलईजी.बीसी.52/09.07.005/2013-14 के प्रश्न संख्या 14 और 24 के संबंध में बैंक के उत्तर)।

(घ) खाते की स्थिति में स्वतः परिवर्तन

वर्तमान में, कुछ बैंकों में पूर्णतः केवाईसी-अनुपालित खातों को भी बैंक के अभिलेखों में दर्ज जन्म-तिथि के आधार पर ‘वरिष्ठ नागरिक खातों’ में स्वतः परिवर्तित नहीं किया जाता। बैंकों को सूचित किया जाता है कि पूर्णतः केवाईसी-अनुपालित खाते बैंक के अभिलेखों में उपलब्ध जन्म-तिथि के आधार पर ‘वरिष्ठ नागरिक खातों’ में स्वतः परिवर्तनीय बनाए जाएं।

(ङ) दृष्टिबाधित ग्राहकों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं

बैंकों को सूचित किया जाता है कि बैंकों में ग्राहक सेवा पर 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी.बीसी.21/09.07.006/2015-16 के पैरा 9 के द्वारा बीमार/बूढ़े/अक्षम व्यक्तियों को प्रदत्त सुविधाएं (अंगूठे अथवा पैर के अंगूठे के नि‍शान की दो स्वतंत्र गवाहों द्वारा पहचान के माध्यम से खाते के परिचालन और ऐसे व्यक्ति को अधिकृत करना जो ऐसे ग्राहकों की ओर से धनराशि आहरित करेगा, के संबंध में) दृष्टिबाधित व्यक्तियों को भी प्रदान की जाएंगी।

(च) फार्म 15 जी/एच फाइल करने में आसानी

बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को वर्ष में एक बार (बेहतर हो अप्रैल माह में) फार्म 15 जी/एच प्रदान करें, ताकि वे निर्धारित समय के भीतर उक्त को, जहां भी लागू हो, प्रस्तुत कर सकें।

(छ) दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग

हमने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अधीन 21 फरवरी, 2007 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीएल.बीसी.59/22.01.010/2006-2007 के द्वारा दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग पर अनुदेश जारी किए हैं। तथापि, 70 वर्ष से अधिक की आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों और दृष्टिबाधित व्यक्तियों सहित, दिव्यांग अथवा निश्शक्त व्यक्तियों (चिकित्सकीय प्रमाणित दीर्घकालीन रोग अथवा दिव्यांगता से ग्रसित) की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे ग्राहकों के परिसर आवास पर बुनियादी बैंकिंग सेवाएं, जैसे कि रसीद देकर नकदी और लिखत प्राप्त करना, खाते से आहरण के हिसाब से नकदी की सुपुर्दगी, डिमांड ड्राफ्ट की सुपुर्दगी, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दस्तावेज और जीवन प्रमाण-पत्र की प्रस्तुति आदि के लिए ठोस प्रयास करें।

3. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे 31 दिसंबर, 2017 तक उक्त अनुदेशों को संपूर्णतः लागू करें और अपने बैंक की शाखाओं में और वेबसाइट पर इसका उचित प्रचार करें।

भवदीय,

(सौरभ सिन्हा)
मुख्य महाप्रबंधक


गवर्नर के द्वारा जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य, भारतीय रिज़र्व बैंक दिनांक 4 अक्तूबर 2017

8. वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा - यह बताया गया है कि बैंक वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को शाखाओं में बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त करने से हतोत्साहित या दूर कर रहे हैं। डिजिटल लेनदेन और एटीएम के उपयोग को बढ़ाने की आवश्यकता के बावजूद, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को ऐसे व्यक्तियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुस्पष्ट प्रणाली तैयार करने का अनुदेश दिया जाए ताकि वे अपने को हाशिए पर न पाएं। इस संदर्भ में शिकायतों पर ध्यान देने के लिए लोकपाल को भी सूचित किया जाएगा। इस संबंध में आवश्यक अनुदेशों को अक्तूबर 2017 के अंत तक जारी किया जाएगा।

 
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