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Date: 01/07/2014
मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता

भारिबैं/2014-15/34
गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.388/03.10.042/2014-15

1 जुलाई 2014

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीज) और
अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनिया (आरएनबीसीज)

महोदय,

मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता

सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2014 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित कियाहै। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है।

भवदीय,

(के के वोहरा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


विषय सूची

पैरा सं

विवरण

1.

परिचय

2.

गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशानिर्देश

(ए)

i. ऋण आवेदन पत्र और उनको प्रोसेस करना

  ii. ऋण मूल्यांकन और नियम/शर्तें

 

iii. नियम और शर्तो में परिवर्तन सहित ऋणों का वितरण

 

iv. सामान्य

 

v. निदेशक मंडल का दायित्व

 

vi. शिकायत निवारण अधिकारी

 

vii. उचित व्यवहार संहिता की भाषा तथा संचार का माध्यम

 

viii. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक ब्याज लेने के संबंध में शिकायत

 

ix. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक ब्याज लेने पर विनियमन

 

x. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्त पोषित वाहन का पुन: कब्जा के संबंध में स्पष्टिकरण

(बी)

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई)

 

i. सामान्य

 

ii. ऋण करार/ऋण कार्ड में प्रकटीकरण

 

iii. चुकौती के गैर अनिवार्य उपाय

 

iv. आंतरिक नियंत्रण प्रणाली

(सी)

स्वर्ण आभूषण के जमानत पर ऋण प्रदान करना

 

i. स्वर्ण ऋण के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति

 

ii. निलामी प्रक्रिया

 

परिशिष्ट

1. परिचय

भारतीय रिजर्व बैंक ने 28 सितम्बर 2006 का यथा परिपत्र द्वारा सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए ऋण कारोबार करते समय उनके द्वारा अपनाये जाने वाले उचित व्यवहार संहिता पर दिशानिर्देश जारी किया था। दिशानिर्देश में ऋण के नियम व शर्तों का प्रर्याप्त प्रकटीकरण के साथ साथ चुकौती के गैर अनिवार्य उपाये अपनाये जाने पर सामान्य नियम भी शामिल है। 1नई श्रेणी की एनबीएफसी यथा एनबीएफसी एमएफआई के निर्माण को शामिल करते हुए इस क्षेत्र में हालिया विकास तथा स्वर्ण आभूषणो के बदले ऋण देने वाले एनबीएफसी में तीव्र वृद्धि को देखते हुए इसे संशोधित किया गया था। 26 मार्च 2012 को संशोधित परिपत्र जारी किया गया था.

2. गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशानिर्देश

ए. (i) ऋण आवेदन पत्र और उनको प्रोसेस करना

(a) उधारकर्ता के लिए सभी संसूचनायें स्थानीय भाषा अथवा उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली भाषा में होनी चाहिए।

(b) ऋण आवेदन पत्र में वह आवश्यक सूचना होनी चाहिए, जिससे उधारकर्ता का हित प्रभावित होता हो ताकि अन्य गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा प्रस्तावित शर्तों की अर्थपूर्ण तुलना की जा सके और उधारकर्ता पूरी जानकारी से अवगत होकर निर्णय ले सके। ऋण के लिए आवेदन करने समय प्रस्तुत किए जाने वाले अपेक्षित दस्तावेजों का उल्लेख ऋण-आवेदन फार्म में होना चाहिए।

(c) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियाँ एक ऐसी प्रणाली विकसित करें, जिससे सभी ऋण आवेदनों की प्राप्ति रसीद (पावती) दी जा सके। उक्त पावती में वरीयत: उस समयावधि का भी उल्लेख किया जाना चाहिए, जिसके अंतर्गत ऋण आवेदनों का निपटान कर दिया जाएगा।

(ii) ऋण मूल्यांकन और शर्तें

गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा उधारकर्ताओं को मंजूरी पत्र या मंजूर किए गए ऋण की राशि स्थानीय भाषा में अथवा उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली भाषा में लिखित रूप में, अन्य प्रकार से, ऋण की शर्तां के साथ, जिसमें वार्षिक आधार पर ब्याज की दर तथा उसे लागू करने का तरीका भी दिया हो, सूचित करनी चाहिए और उधारकर्ता द्वारा इन शर्तों की स्वीकृति को अपने अभिलेख में रखना चाहिए। जैसा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विरूद्ध सामान्यत: अधिक ब्याज /दण्ड ब्याज लगाने के संबंध में शिकायत प्राप्त होती है, अत: गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां ऋण करार पत्र में विलम्ब चुकौती के लिए लगाये जाने वाले ब्याज दण्ड का उल्लेख बडे अक्षरों में करें।

कुछ मामलों में यह ज्ञात हुआ है कि ऋण मंजूरी के समय उधारकर्ता को ब्याज दर सहित ऋण की शर्तों की पूर्ण जानकारी नहीं होती है या तो ऐसा इसलिए होता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ इसके ब्योरे न देती हों या उधाकर्ता के पास विस्तृत ऋण करार को पढ़ने का समय न रहा हो। ऋण कारार या उसमें उल्लिखित संलग्नकों की प्रतिलिपि उपलब्ध न कराना अनुचित व्यवहार है और इससे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी तथा उधारकर्ता के बीच ऋण मंजूरी की शर्तों के संबंध में विवाद हो सकता है जिसके लिए ऋण मंजूर किया गया है। अस्तु गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे ऋण की मंजूरी देते समय/ऋण वितरण के समय, ऋण-करार एवं उसमें उल्लिखित सभी संलग्नकों की प्रतिलिपि सभी उधारकर्ताओं को अनिवार्य रूप से स्थानीय भाषा अथवा उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली में उपलब्ध कराएं।

(iii) नियम और शर्तो में परिवर्तन सहित ऋणों का वितरण

(ए) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को, वितरण अनुसूची, ब्याज दरों, सेवा प्रभारों, अवधिपूर्व भुगतान प्रभारों आादि सहित शर्तों में कोई परिवर्तन होने पर उसकी सूचना उधारकर्ता को, स्थानीय भाषा अथवा उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली स्थानी भाषा में देनी चाहिए। गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियां यह भी सुनिश्चित करें कि ब्याज दरों और प्रभारों में हुए परिवर्तन केवल बाद की तारीख से लागू हों। इस संबंध में ऋण करार में समुचित शर्त शामिल की जाए ।

(बी) ऋण वापस लेने/ भुगतान में तेजी लाने या करार के निष्पादन में तेजी लाने का निर्णय ऋण करार की शर्तों के अनुरूप होना चाहिए।

(सी) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को सभी देय राशियों की चुकौती होने पर या ऋण की बकाया राशि की वसूली हो जाने पर गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी के उधारकर्ता के विरूद्ध किसी अन्य दावे के न्यायसंगत अधिकार या ग्रहणाधिकार को छोड़कर, सभी जमानत स्वरूप रखे गए दस्तावेज वापस दे देने चाहिए । ऐसे समायोजन के यदि किसी अधिकार का, इस्तेमाल किया जाना है तो उसके लिए शेष दावों के बारे में पूरे विवरण के साथ उधार लेने वालों को नोटिस देना होगा और उन दशाओं की सूचना देनी होगी जिनके अंतगर्त गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को संगत दावा न सुलझाए जाने/ भुगतान न करने तक उस/उन दस्तावेजों को रोके रहने का अधिकार है ।

(IV) सामान्य

(क) गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी को उन प्रयोजनों को छोड़कर, जिनका ऋण करार की शर्तों में उल्लेख है, जब तक उधारकर्ता द्वारा पहले प्रकट नहीं की गई कोई नई सूचना उधार देने वाली कंपनी की जानकारी में नहीं आई हो), उधार लेने के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए ।

(ख) उधारकर्ता से उधार-खाते को अंतरित करने का अनुरोध प्राप्त होने पर, उसकी सहमति या असहमति जैसे गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी की आपत्ति यदि कोई हो तो, ऐसे अनुरोध प्राप्त होने के 21 दिन के अंदर उधारकर्ता को सूचित की जानी चाहिए। ऐसा अंतरण कानून के अनुरूप और पारदर्शी संविदागत शर्तों के अनुसार होगा ।

(ग) ऋण की वसूली के मामले में गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अनुचित रूप से परेशान करने के प्रयास नहीं किए जाने चाहिए जैसे-ऋणों की वसूली हेतु उधारकर्ता को निरंतर असमय परेशान करना, मारपीट करने का भय दिखाना, आदि । जैसा कि कंपनी के कर्मचारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने के संबंध में भी ग्राहकों से शिकायतें प्राप्त होती है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि ग्राहकों से व्यापार करने के लिए कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया गया है।

(v) निदेशक मंडल का दायित्व

गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी के निदेशक मंडल को इस संबंध में उत्पन्न होने वाले विवादों के समाधान के लिए संगठन/संस्था के अंदर उचित शिकायत निवारण प्रकिया भी निर्धारित करनी चाहिए। ऐसी प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए उधार देने वाली संस्था के कार्यकर्ताओं के निर्णयों से उत्पन्न सभी विवादों की कम से कम अगले उच्चस्तर पर सुनवाई हो और निपटारा हो। निदेशक मंडल को उचित व्यवहार संहिता के अनुपालन और प्रबंध तंत्र के विभिन्न स्तरों पर शिकायत निवारण प्रक्रिया की कार्यप्रणाली की आवधिक रूप से समीक्षा करने की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसी समीक्षाओं की, निदेशक मंडल द्वारा यथानिर्धारित, नियमित अंतरालों पर एक समेकित रिपोर्ट बोर्ड को प्रस्तुत की जानी चाहिए ।

(vi) 2शिकायत निवारण अधिकारी

परिचलनात्मक स्तर पर सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां से अपेक्षित है कि वे अपने ग्राहको के लाभ के लिए अपनी शाखा /उन स्थानों पर जहां कारोबार किया जाता है, वहां निम्नलिखित सूचना को प्रमुखता के साथ प्रदर्शित करे:

(a) शिकायत निवारण अधिकारी का नाम और पता (टेलिफोन न/मोबाइल नम्बर तथा ई मेल पता) जिसे कंपनी के विरूद्ध शिकायत की स्थिति में समाधन हेतु सार्वजनिक द्वारा संपर्क किया जा सके।

(b) यदि शिकायत/विवाद का निपटान एक माह की समयावधि के अंदर नहीं होता है तब ग्राहक भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के प्रभारी ( पूर्ण संपर्क पता दिया जाए) के समक्ष अपील कर सकते है जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता है।

संक्षेप में, सार्वजनिक सूचना से कंपनी द्वारा अपनाई जाने वाली शिकायत निवारण पद्धति तथा कंपनी और भारतीय रिज़र्व बैंक क्षेत्रीय कार्यालय के शिकायत निवारण अधिकारी के ब्यौरे से ग्राहमों को अवगत कराने का उद्देश्य पूरा किया जाएगा।

(vii) उचित व्यवहार संहिता संप्रेषित करने का माध्यम और भाषा

सभी गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को यहां ऊपर दिए गए दिशा -निर्देशों के आधार पर उचित व्यवहार संहिता (जो कि विशेष रूप से उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली स्थानी भाषा में) तैयार करके बोर्ड के अनुमोदन से इस परिपत्र की तारीख से एक महीने के अंदर कार्यान्वित कर दी जानी चाहिए। गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों को उक्त उचित व्यवहार संहिता का प्रारूप तैयार करने, उक्त दिशा-निर्देशों की व्याप्ति (स्कोप) बढ़ाने की स्वतंत्रता होगी परंतु वे उपर्युक्त दिशा-निर्देशों की निहित मूल भावना का त्याग नहीं करेंगी। उक्त उचित व्यवहार संहिता, विभिन्न दावा धारकों की सूचना के लिए गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अपनी वेबसाइट पर, यदि हो तो, उपलब्ध कराई जाए ।

(viii) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक ब्याज लेने/चार्ज करने के संबंध में नियम

(ए) प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी, निदेशक बोर्ड निधियों की लागत, मार्जिन तथा जोखिम प्रीमियम, आदि जैसे संगत कारकों को शामिल करते हुए ब्याज दर मॉडल अपनाएगा और ऋणों तथा अग्रिमों पर लगाये जाने वाला ब्याज दरों का निर्धारण करेगा। भिन्न-भिन्न श्रेणी के उधारकर्ताओं पर लगाये जाने वाला ब्याज दरों एवं जोखिमों का श्रेणीकरण के रुख तथा भिन्न ब्याज दरें प्रभारित करने संबंधी युक्तियुक्तता को उधारकार्ताओं या ग्राहकों के आवेदन पत्र में प्रकट करना होगा व ऋण/अग्रिम के स्वीकृति पत्र में इन्हें स्पष्ट रूप से सूचित करना होगा।

(बी) ब्याज दरों एवं जोखिमों के श्रेणीकरण के रुख को युक्तियुक्तता सहित कंपनी की वेबसाइट पर या संगत समाचार पत्र में प्रकाशित कर उपलब्ध कराया जाएगा। ब्याज दर में जब भी बदलाव होगा, वेबसाइट या समाचारपत्र में प्रकाशित ऐसी सामग्री को भी तदनुसार अद्यतन किया जाएगा।

(सी) ब्याज की दर वार्षिक दर के रूप में दिखाई जाएगी ताकि उधारकर्ता यह जान सकें कि उनसे ली जाने वाली वास्तविक ब्याज दर क्या होगी।

(ix) 3गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक ब्याज लेने/चार्ज करने के संबंध में शिकायतें

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा कतिपय ऋणों व अग्रिमों पर अत्यधिक ब्याज/ प्रभार (चार्ज) लेने के संबंध में रिज़र्व बैंक को अनेक शिकायतें मिल रही हैं।यद्यपि ब्याज दरें रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित नहीं की जाती हैं तथापि, कतिपय स्तर(लेवल) से ज्यादा ब्याज वसूलना अत्यधिक ब्याज दर के रूप में देखा जा सकता है। उन्हें सतत रूप से न तो जारी रखा जा सकता है और न ही ऐसा करना सामान्य वित्तीय व्यवहार के अनुरूप है। अत:, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के निदेशक बोर्डों को सूचित किया जाता है कि वे ब्याज दरों, प्रोसेसिंग तथा अन्य चार्जेज़ के निर्धारण के संबंध में उचित आंतरिक सिद्धांत एवं प्रक्रिया बनाकर लागू करें। इस संबंध में उचित व्यवहार संहिता संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाए जिसमें ऋण की शर्तों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कहा गया है।

(x) 4गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्तपोषित वाहनों को पुन: कब्जे (repossession) में लेने के संबंध में स्पष्टीकरण

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा 'पुन: कब्जे में लेने की शर्त' उधारकर्ताओं के साथ की जाने वाली संविदा/ किए जाने वाले करार का अंग होना चाहिए जो विधिक रूप से प्रवर्तनीय हो। इस बारे में पारदर्शिता के लिए संविदा / ऋण करार की शर्तों के संबंध में इन प्रावधान को भी शामिल किया जाए (क) प्रतिभूति को कब्जे में लेने से पूर्व नोटिस - अवधि, (ख) परिस्थितियाँ जिनमें नोटिस अवधि से छूट दी जा सकती हो, (ग) प्रतिभूति को कब्जे में लेने की प्रणाली, (घ) संपत्ति की बिक्री /नीलामी से पूर्व उधारकर्ता को चुकौती करने का अंतिम मौका देने संबंधी प्रावधान, (ङ) उधारकर्ता को पुन: कब्जा देने की प्रणाली और (च) संपत्ति की बिक्री/नीलामी की प्रणाली संबंधी प्रावधान शामिल होने चाहिए। उधारकर्ता को ऐसी शर्तों की एक प्रति अवश्य उपलब्ध कराने संबंधी परिपत्र में सूचित किये अनुसार गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँ ऋण करार की प्रति तथा ऋण करार में उद्धृत सभी अनुलग्नको, जो ऐसी संविदा/ऋण करार का महत्त्वपूर्ण अंग हों, की एक-एक प्रति सभी उधारकर्ताओं को ऋणों की स्वीकृति देते /का वितरण करते समय उपलब्ध कराएं।

बी. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई):

उक्त सामान्य नियमों के अतिरिक्त, एनबीएफसी-एमएफआई को निम्नलिखित उचित व्यवहार को अपनाना होगा जो कि उनके ऋण कारोबार तथा विनियामक संरचना के लिए विशेष है।

i. सामान्य:

ए. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा अपने कार्यालय तथा शाखा परिसर में उचित व्यवहार संहिता (एफपीसी) को स्थानीय भाषा में प्रदर्शित किया जाए।

बी. एनबीएफसी-एमएफआई को ऋण देने के प्रति उचित व्यवहार तथा अपनी पार्दर्शिता के प्रति वचनबद्धता के संबंध में स्थानीय भाषा में एक स्टेमेंट बनाकर ऋण कार्ड में शामिल करना होगा तथा अपने परिसर में प्रदर्शित करना होगा।

सी. फील्ड स्टाफ को उधारकर्ताओं के मौजूदा ऋण के संबंध में आवश्यक पूछताछ करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए,

डी. उधारकर्ताओं को यदि कोई प्रशिक्षण दिया जाना है तो वह नि:शुल्क होगी। फील्ड स्टॉफ को ऎसे प्रशिक्षण को प्रस्तावित करने के लिए तथा उधारकर्ताओं को ऋण /अन्य उत्पाद से संबंधित प्रणाली और प्रक्रिया के बारे में पूर्ण जानकारी देने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाए।

ई. एनबीएफसी-एमएफआई को प्रभावी ब्याज प्रभार तथा शिकायत निवारण प्रणाली का निर्माण कर तथा इस संबंध में जारी साहित्य को (स्थानीय भाषा में) प्रमुख्ता से अपने सभी कार्यालय में तथा वेबसाइट पर प्रदर्शित करना होगा,

एफ. स्टॉफ सदस्यों का अनुचित व्यवहार की रोकथाम तथा समय पर शिकायत निवारण के उत्तरदायित्व के लिए एमएफआई को ऋण करार में घोषणा करना होगा तथा अपने शाखा/कार्यालय में प्रदर्शित उचित व्यवहार संहिता में भी शामिल करना होगा,

जी. भारतीय रिज़र्व बैंक का अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दिशानिर्देश का पालन करना होगा। उधारकर्ता के चुकौती क्षमता के संबंध में समुचित सावधानी बर्तनी होगी,

एच. जैसा कि एनबीएफसी-एमएफआई (रिजर्व बैंक )निदेश 2011 में विनिर्दिष्ट किया गया है कि , सभी ऋणों की मंजूरी तथा वितरण केवल मात्र केन्द्रीत स्थान से किया जाना चाहिए तथा इस कार्य एक से अधिक व्यक्ति शामिल होने चाहिए. इसके अतिरिक्त, वितरण कार्य में गहन पर्यवेक्षण किया जाना होना चाहिए,

आई. ऋण आवेदन की प्रक्रिया को जटिल नहीं बनाने हेतु प्रर्याप्त कदम उठाये जाए तथा ऋण का संवितरण पूर्व निर्धारित समय सीमा में किया जाए।

ii. ऋण करार /ऋण कार्ड में प्रकटीकरण

ए. सभी एनबीएफसी-एमएफआई के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित मानक ऋण करार प्रपत्र होना चाहिए। ऋण करार प्राथमिकता से स्थानीय भाषा में होना चाहिए।

बी. ऋण करार में निम्नलिखित का प्रकटीकरण किया जाए:

  1. ऋण के सभी नियम और शर्तें,

  2. यह कि ऋण का किमत निर्धारण में केवल तीन घटक जैसे ब्याज प्रभार, प्रक्रियां प्रभार तथा
    बीमा प्रिमियम ( जिसमें इस संबंध में प्रशासनिक प्रभार शामिल होंगे) शामिल होंगे,

  3. यह कि विलम्ब भुगतान के लिए कोई दण्ड नहीं लगाया जाएगा,

  4. यह कि उधारकर्ता से कोई सुरक्षा जमा/ मार्जिन राशि नहीं वसूली जाएगी,

  5. यह कि उधारकर्ता एक से अधिक किसी एसएचजी/जेएलजी का सदस्य नहीं होगा,

  6. ऋण स्वीकृति तथा प्रथम किस्त के पुर्नभुगतान के बीच न्यूनतम ऋणस्थगन अवधि होनी चाहिए है.
    (जैसा कि एनबीएफसी-एमएफआई (रिजर्व बैक) निदेश 2011 में विनिर्दिष्ट है) ,

  7. यह आश्वासन दिया जाए कि उधारकर्ता के डाटा की गोपनीयता को सम्मान दिया जाएगा।

सी. जैसा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्था (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में विनिर्दिष्ट है, ऋण कार्ड में निम्नलिखित विवरण प्रदर्शित किये जाने चाहिए।

  1. प्रभारित किया जाने वाला प्रभावी ब्याज दर

  2. ऋण से जुडे हुए अन्य सभी नियम व शर्तें

  3. उधारकर्ता के पहचान के संबंध में पर्याप्त जानकारी तथा एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा किस्त प्राप्ति तथा अंतिम किस्त की प्राप्ति सहित सभी भुगतान के लिए पावती देगा.

  4. ऋण कार्ड में एमएफआई द्वारा बनाये गए शिकायत निवारण प्रणाली का प्रमुखता से उल्लेख होना चाहिए तथा नोडल अधिकारी का नाम तथा फोन नं भी होना चाहिए।

  5. उधारकर्ता के पूर्ण सहमति से गैर ऋण उत्पाद जारी किये जाए तथा ऋण कार्ड में शुल्क का स्वरूप दिया जाना चाहिए।

  6. ऋण कार्ड में सभी प्रविष्टियां प्रादेशीक भाषाओं में होनी चाहिए।

iii. चुकौती के गैर अनिवार्य उपाये

जैसा कि एनबीएफसी-एमएफआई (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में विनिर्दिष्ट है कि वसूली केवल मात्र निर्दिष्ट केन्द्रीय स्थान पर से ही किया जाए. फिल्ड स्टॉफ को उनके घर से या कार्य स्थल से वसूली के लिए तब ही अनुमति दी नहीं है जब उधारकर्ता 2 बार या अधिक लगातार अवसरो पर निर्दिष्ट केन्द्रीय स्थान पर पहुने में विफल होता है।

एनबीएफसी - एमएफआई यह सुनिश्चित करें कि फील्ड स्टाफ की आचार संहिता तथा उनकी भर्ती, प्रशिक्षण और पर्यवेक्षण प्रणाली के संबंध में एक अनुमोदित नीति बोर्ड के समक्ष रखा जाए। संहिता में फील्ड स्टॉफ हेतु अनिवार्य न्यूनतम आहर्ता शामिल किया जाए तथा उनके लिए ग्राहको से कारोबार के लिए आवश्यक प्रशिक्षण उपकरण की पहचान की जाए। फील्ड स्टाफ के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल उधारकर्ताओं से उचित व्यवहार में ऋण वसूली/ वसूली अभ्यास में कोई अपमानजनक या आक्रामक पद्धति शामिल नहीं किया जाए। स्टॉफ को कार्य क्षेत्र में ऋण संख्या जुटाना तथा वसूली के बजाये मुआवजा प्रद्धति तथा उधारकर्ताओं की संतुष्टि पर अधिक जोर देना चाहिए। आचार संहिता के गैर अनुपालन के मामलों में फील्ड स्टॉफ पर दण्ड भी लगाया जाना चाहिए। वसूली के संवेदनशील क्षेत्रों में आमतौर पर केवल कर्मचारियों को लगाना चाहिए तथ वसूली ऎजेंट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

iv. आंतरिक नियंत्रण प्रणाली :

जैसा कि एनबीएफसी-एमएफआई के लिए निदेश अनुपालन प्राथमिक उत्तरदायित्व है, उन्हें कंपनी के अंदर पदस्थापित व्यक्तियों को अनुपालन का कार्य देते हुए आवश्यक संगठनात्मक संरचना करनी चाहिए तथा इसे सुनिश्चित करने के लिए लेखा परीक्षा तथा आवधिक निरीक्षण सहित आंतरिक नियंत्रण प्रणाली स्थापित करना चाहिए।

सी. स्वर्ण आभूषण की संपार्श्विक जमानत के बदले ऋण:

स्वर्ण आभूषणों के बदले व्यक्तियों को ऋण देते समय , गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां उक्त के अतिरिक्त निम्नलिखित सामान्य दिशानिर्देश अपनाएं:-

i. स्वर्ण के बदले ऋण हेतु उन्हें बोर्ड से अनुमोदित नीति के साथ साथ निम्नलिखित को कवर करना होगा:

ए. भारतीय रिज़र्व बैंक का अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दिशानिर्देश का पालन हेतु पर्याप्त कदम उठाये जाए तथा ग्राहक को कोई ऋण मंजूर करने के संबंध में समुचित सावधानी बर्तनी जाए,

बी. प्राप्त आभूषण के लिए उचित परख प्रक्रिया का पालन किया जाए,

सी. स्वर्ण आभूषण के स्वामित्व को आंतरिक प्रणाली से संतुष्टि हो,

डी. नीति में आभूषण को सेफ कस्टडी में रखने के लिए प्रर्याप्त व्यव्स्था, चालू (ऑन गोइंग ) आधार पर समीक्षा प्रणाली, संबंधित स्टॉफ का प्रशिक्षण तथा आंतरिक लेखा परीक्षकों द्वारा आवधिक निरीक्षण को शामिल किया जई ताकि प्रक्रिया का भी गहन अनुपालन किया जा सके। नीति के अनुसार, स्वर्ण का संपार्श्विक जमानत के बदले ऋण का विस्तार शाखाओं द्वारा नहीं किया जाएगा जिसके पास आभूषण को रखने की उचित सुविधा नहीं है,

ई. संपार्श्विक के बदले स्वीकर किया गए आभूषण का समुचित बीमा किया गया हो ,

एफ. गैर चुकौती के मामलों में आभूषण की नीलामी के संबंध में बोर्ड से अनुमोदित नीति पारदर्शी होना चाहिए तथा नीलामी की तारीख के पूर्व उधारकर्ता को पर्याप्त सूचना दिया जाना चाहिए। नीलामी में अपनाये जाने वाली प्रक्रिया को भी इसमें शामिल किया जाए। ब्याज के संबंध में कोई विवाद नहीं होना चाहिए तथा नीलामी प्रक्रिया में यह अवश्य सुनिश्चित किया जाए कि नीलामी के दौरान ग्रूप कंपनी तथा संबंधित संस्थाओं के साथ सभी लेन देन में युक्ति युक्त रूप से दूरी (arm’s length relationship ) रखी गयी है,

जी. सार्वजनिक के लिए नीलामी की घोषणा का विज्ञापन कम से कम दो दौनिक समाचार पत्र, एक स्थानीय भाषा का तथा दूसरा राष्ट्रीय स्तर का समाचार पत्र में जारी किया जाए।

एच. नीति के अनुसार सम्पन्न नीलामी में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को स्वयं भाग नहीं लेना है,

आई. गिरवी रखे गए सोने की निमाली केवल बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीलामीकर्ताओं के माध्यम से किया जाए।

जे. नीति में मोबलाईजेशन, निष्पादन तथा अनुमोदन के कार्य को अलग करने के साथ धोखा धडी के मामलों से निपटान की प्रणाली तथा प्रक्रिया को भी शामिल किया जाए।

ii. ऋण करार में नीलामी प्रक्रिया के संबंध में पूर्ण जानकारी दी जाए


परिशिष्ट

क्र.

परिपत्र सं.

दिनांक

1

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 80/03.10.042/2006-07

28 सितंबर 2006

2

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 95/03.05.002/2006-07

24 मई 2007

3

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 107/03.10.042/2007-08

10 अक्तूबर 2007

4

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 133/03.10.001/2008-09

2 जनवरी 2009

5

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 139/03.10.001/2008-09

24 अप्रैल 2009

6

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 266/03.10.01/2011-12

26 मार्च 2012

7

गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 320/03.10.01/2012-13

18 फरवरी 2013


126 मार्च 2012 का यथा गैबैंपवि.कंपरि.नीप्र.सं. 266/03.10.01/2011-12 द्वारा शामिल किया गया

218 फरवरी 2013 का गैबैंपवि.कंपरि.नीप्र.सं.320/03.10.01/2012-13

324 मई 2007 का गैबैंपवि.नीप्र/सीसी.सं.95/03.05.002/2006-07 तथा 2 जनवरी 2009 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.133/03.10.001/2008-09

4 24 अप्रैल 2009 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.139/03.10.001/2008-09

 
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