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Date: 01/07/2013
मास्टर परिपत्र पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक

आरबीआई/2013-14/21
शबैंवि.पीसीबी.एमसी.सं.6 /09.18.201/2013-14

01 जुलाई 2013

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदय / महोदया,

मास्टर परिपत्र
पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक

कृपया उपर्युक्त विषय पर 02 जुलाई 2012 का हमारा मास्टर परिपत्र शबैवि.पीसीबी.एमसी.सं. 6 / 09.18.201 / 2012-13 (भारतीय रिज़र्व बैंक की वेब साइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध) देखें।

संलग्न मास्टर परिपत्र में 30 जून 2013 तक जारी सभी अनुदेशों/ दिशानिर्देशों को समेकित एवं अद्यतन किया गया है तथा परिशिष्ट में उल्लिखित है।

भवदीय

(ए.के.बेरा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक : यथोक्त


मास्टर परिपत्र

पूँजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड

विषय सूची

क्रमांक

विषय

1

परिचय

2

सांविधिक अपेक्षाएँ

3

उधार से शेयर धारिता का संबंध

4

पूँजी पर्याप्तता संबंधी मानदंड

5

बाजार जोखिम के लिए पूँजी

6

विवरणियाँ

7

अनुबंध - I - सीआरएआर की संगणना के लिए जोखिम प्रभार -

8

अनुबंध - II - विवरणियां - प्रोफार्मा

9

अनुबंध - III - अधिमानी शेयर जारी करने संबंधी दिशानिर्देश

10

अनुबंध - IV – दीर्घकालिक (सबोर्डिनेटड)जमाराशि जुटाने संबंधी दिशानिर्देश

11

परिशिष्ट


मास्टर परिपत्र

पूँजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक

परिचय

पूँजी किसी बैंक के संकट अथवा खराब कार्य-निष्पादन के समय सुरक्षित पूंजी (बफर) के रूप में कार्य करती है। पूंजी की पर्याप्तता जमाकर्ताओं में आत्मविश्वास पैदा करती है। इसलिए पूँजी की पर्याप्तता किसी नए बैंक के लाइसेंसीकरण तथा व्यवसाय में उसके बने रहने की एक पूर्वशर्त है ।

सांविधिक अपेक्षाएँ

2. बैंककारी विनियमन अधिनियम (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11 में निहित उपबंधों के अनुसार कोई भी सहकारी बैंक तब तक बैंकिंग व्यवसाय प्रारंभ अथवा जारी नहीं रख सकता जब तक उसकी चुकता पूँजी तथा आरक्षित निधि का कुल मूल्य एक लाख रुपये से कम है। इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22(3)(घ) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक किसी नए शहरी सहकारी बैंक की स्थापना के लिए समय-समय पर न्यूनतम प्रवेश बिंदु पूँजी (प्रवेश बिंदु संबंधी मानदंड) निर्धारित करता है।

उधार से शेयर धारिता का संबंध

3. परंपरागत रूप से शहरी सहकारी बैंक अपनी शेयर पूँजी में वृद्धि उसे सदस्यों के उधार के साथ जोड़कर कर रहे हैं। रिज़र्व बैंक ने शेयर लिंकेज संबंधी निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए हैं;

  1. उधार का 5%, यदि उधार गैर-जमानती आधार पर हों

  2. उधार का 2.5%, यदि उधार जमानती हों

  3. लघु औद्योगिक इकाइयों द्वारा जमानती उधार के मामले में उधार का 2.5% जिसके 1% की वसूली प्रारंभ में तथा शेष 1.5% की वसूली अगले दो वर्ष के दौरान की जाएगी।

उपर्युक्त शेयर लिकिंग मानदंड बैंक की कुल चुकता शेयर पूँजी के 5% की सीमा तक सदस्यों की शेयर धारिता पर लागू होंगे। जहाँ कोई सदस्य किसी शहरी सहकारी बैंक की कुल चुकता पूँजी का 5% पहले से ही धारण किया हो वहाँ मौज़ूदा शेयर लिकिंग मानदंडों के लागू होने के कारण उसके लिए ज़रूरी नहीं होगा कि वह अतिरिक्त शेयर पूँजी धारित करे। दूसरे शब्दों में, किसी उधारकर्ता सदस्य के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह उतनी राशि के शेयर धारित करे जिनकी संगणना मौज़ूदा शेयर लिकिंग मानदंडों के अनुसार की जाए अथवा बैंक की कुल चुकता शेयर पूँजी के 5%, इनमें से जो कम हो, के लिए की जाए।

निरंतर आधार पर न्यूनतम 12 प्रतिशत या उससे अधिक सीआरएआर बनाए रखनेवाले शहरी सहकारी बैंकों को 15 नवंबर 2010 से विद्यमान अनिवार्य शेयर लिंकिंग मानदंड से छूट दी गयी है।

पूँजी पर्याप्तता संबंधी मानदंड:

4. पूँजी पर्याप्तता के परंपरागत दृष्टिकोण से तुलन पत्र में तुलन पत्रेतर व्यवसाय से जुड़ी विभिन्न प्रकार की आस्तियों के जोखिम तत्व पकड़ में नहीं आते और यह दृष्टिकोण पूँजी की तुलना आस्तियों के स्तर से करता है।

बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति ने जुलाई 1988 में पहला बासल पूँजी समझौता (जिसे लोग बासल I ढाँचा कहते हैं) प्रकाशित किया था जिसमें अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली की सुदृढ़ता तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकों में तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक असमानता के मौजूदा स्त्रोत को कम करने के लिए पूंजी पर्याप्तता संबंधी न्यूनतम अपेक्षाएँ निर्धारित की गई थीं। वर्ष 1988 के पूँजी समझौते की मूलभूत विशेषताएँ नीचे दी गई हैं :

  1. वर्ष 1992 के अंत तक 8% तक न्यूनतम पूँजीगत अपेक्षा

  2. पूँजी के प्रति टियर दृष्टिकोण :

    • केंद्रीय पूँजी : इक्विटी, प्रकटीकृत आरक्षित पूँजी

    • पूरक पूँजी : सामान्य ऋण हानि आरक्षित पूँजी, अन्य प्रच्छन्न आरक्षित पूँजी, पुनर्मूल्यांकन आरक्षित पूँजी, संकरित पूँजीगत लिखत तथा गौण ऋण

    • केंद्रीय पूँजी के रूप में परिगणित किया जाने वाला पूँजी का 50%

  1. जैसा कि अनुबंध 1 में दर्शाया है, बैंको के विभिन्न प्रकार के ऋणों के लिए जोखिम भार 0% से 127.5% के बीच आस्तियों की जोखिम प्रवणता पर आधारित होगा। जहां वाणिज्यिक ऋण आस्तियों पर 100% का जोखिम भार था वहीं अंतर-बैंक आस्तियों पर 20% निर्धारित किया गया था और सरकारी पत्र पर 0% का जोखिम भार था। वर्ष 2002 में शहरी सहकारी बैंकों को कहा गया कि वे जोखिम भार के प्रतिशत के रूप में पूंजी निधि रखे। वर्ष 2005 से 9% न्यूनतम सीआरएआर रखना अपेक्षित है।

इसके अतिरिक्त, मूल बासल समझौते में संशोधन के द्वारा बाजार से जुड़े ऋण जोखिमों के लिए पूँजी प्रभार निर्धारित किए गए थे ।

पूंजीगत निधि

पूंजी पर्याप्तता मानको के लिए "पूंजीगत निधि" में नीचे दिए गए पैरा में स्पष्ट किए गए अनुसार टियर I तथा टियर II पूंजी शामिल है।

टियर I पूँजी :

4.1 टियर I पूँजी में निम्नलिखित मदें शामिल है :

  1. मताधिकारधारक नियमित सदस्यों से प्राप्त चुकता शेयर पूँजी।

  2. सहायक/ नाममात्र के सदस्यों से प्राप्त अंशदान जहाँ उप-विधियों के अनुसार उन्हें शेयरों के आबंटन की अनुमति है और बशर्ते ऐसे शेयरों के आहरण पर प्रतिबंध हो, जैसा कि नियमित सदस्यों पर लागू होता है।

  3. सहायक/ नाममात्र के सदस्यों से वसूल किए गए अंशदान/ अप्रतिदेय प्रवेश
    शुल्क जिसे अलग से उपयुक्त शीर्ष के अंतर्गत "आरक्षित निधियाँ" के रूप में धारित किया जाता है क्योंकि वे अप्रतिदेय हैं।

  4. सतत असंचयी अधिमानी शेयर (पीएनसीपीसी)। विस्तृत दिशा निर्देशों के लिए कृपया अनुबंध 3 देखें।

  5. लेखापरीक्षित खातों के अनुसार मुक्त आरक्षित निधि। सावधि आस्तियों के पुनर्मूल्यांकन से सृजित अथवा बाह्य देयताओं को पूरा करने के लिए सृजित आरक्षित निधियों को टियर I पूँजी के अंतर्गत शामिल न किया जाए। मुक्त आरक्षित निधियों में उन सभी आरक्षित निधियों/ प्रावधानों को शामिल नहीं किया जाएगा जिन्हें प्रत्याशित ऋण हानियों, धोखाधड़ी आदि के कारण होने वाली हानियों, निवेशों तथा अन्य आस्तियों के मूल्यह्रास तथा अन्य बाह्य देयताओं को पूरा करने के लिए सृजित किया गया हो। जैसे कि `भवन निधि' शीर्ष के अंतर्गत धारित राशियां मुक्त आरक्षित निधि के हिस्से के रूप में मानी जाने के लिए पात्र होंगी जबकि ``अशोध्य और संदिग्ध आरक्षित निधियों '' को उसमें शामिल नही किया जाएगा।

  6. आस्तियों की बिक्री से होने वाली आय के कारण होने वाले अधिशेष को दर्शानेवाली मुक्त आरक्षित निधियाँ ।

  7. नवोन्मेषी सतत ऋण लिखत*

  8. लाभ एवं हानि खाते में किसी भी प्रकार का अधिशेष (निवल) अर्थात देय लाभांशों, शिक्षा निधि, अन्य निधियाँ जिनका उपयोग परिभाषित किया गया हो, आस्ति हानि, यदि कोई, आदि के विनियोग के बाद शेष ।

* नवोन्मेषी सतत ऋण लिखत जारी करने से संबंधित दिशानिर्देश 23 जनवरी 2009 के परिपत्र शसबैं.पीसीबी.परि.सं.39/09.16.900/2008-09 के अनुबंध में प्रस्तुत किए गए हैं।

टिप्पणी :

(i) अमूर्त आस्तियों की राशि, चालू वर्ष के दौरान तथा पिछली अवधियों से आगे लाई गई हानियों, एनपीए प्रावधानों में घाटे, अनर्जक आस्तियों पर गलती से दर्ज की गई आय, बैंक पर अंतरित देयता के लिए अपेक्षित प्रावधान आदि को टियर I पूँजी से घटा दिया जाए ।

(ii) किसी निधि को टियर I पूँजी में शामिल करने के लिए निधि/ आरक्षित निधि को दो मानदंडों पर खरा उतरना चाहिए जैसे आरक्षित निधि/ निधि लाभ के विनियोग से सृजित की जानी चाहिए और उसे मुक्त आरक्षित निधि होना चाहिए न कि विशेष आरक्षित निधि । तथापि, यदि उसे लाभ के विनियोग से न सृजित करके लाभ पर प्रभार के द्वारा सृजित किया गया हो तो वस्तुत: यह निधि एक प्रवधान होगी और इस प्रकार वह नीचे दिए गए अनुसार केवल टियर II पूँजी के रूप में परिगणित की जाने के लिए पात्र होगी और वह जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की सीमा के अधीन होगी बशर्ते वह किसी समान संभावित हानि या किसी आस्ति के मूल्य में गिरावट या किसी ज्ञात देयता के कारण न हुई हो।

(iii) 24 मई 2011 के परिपत्र शबैंवि. बीपीडी (पीसीबी). परि. सं. 49/09.14.000/2010-11 के अनुसार उपदान सीमा में बढोतरी होने तथा उपदान राशि का भुगतान अधिनियम 1972 में संशोधन के फलस्वरूप आस्थागित व्यय शहरी सहकारी बैंकों की टियर- I पूंजी से घटाया नहीं जाएगा।

4.2 टियर II पूँजी

टियर II पूँजी के अंतर्गत निम्नलिखित मदें शामिल होंगी :

4.2.1 अप्रकटित आरक्षित निधि:

इनमे प्राय: इक्विटी तथा प्रकटित आरक्षित निधियों के गुण होते हैं। उनमें अप्रत्याशित हानियें को अवशोषित करने की क्षमता हाती है और उन्हें पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जा सकता है यदि वे संचित लाभ दर्शाती हों तथा वे किसी ज्ञात देयता के भार से ग्रस्त न हों और सामान्य हानियें एवं परिचालनगत हानियों को अवशोषित करने के लिए उनका नैमित्तिक रूप से इस्तेमाल न किया जाए ।

पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि

4.2.2 ये आरक्षित निधियाँ प्राय: अप्रत्यक्षित हानियों के जवाब में कुशन का काम करती है लेकिन अपनी प्रकृति से वे स्थायी नहीं होती हैं और उन्हे " केंद्रीय पूँजी" के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि आस्तियों के पुनर्मूल्यांकन से सृजित होती हैं जिनका बैंक की बहियों में कम मूल्यांकन किया जाता है। इसका आदर्श उदाहरण बैंक के परिसर तथा विपणनीय प्रतिभूतियाँ हैं। अप्रत्याशित हानियों के जवाब़ में कुशन के रूप में पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधियों पर जिस सीमा तक भरोसा किया जा सकता है वह मुख्यत: निश्चितता के स्तर पर निर्भर करता है जो संबंधित आस्तियों के बाजार मूल्य, बाजार की कठिन परिस्थितियों या बाध्य होकर की गई बिक्री के कारण मूल्यों में गिरावट, उन मूल्यों के वास्तविक परिसमापन की संभावना, पुनर्मूल्यांकन के संबंधी परिणामों, आदि के आकलन के संबंध में निर्धारित किया जा सकता है। इसलिए, आरक्षित निधियों को टियर II पूँजी में शामिल करने के लिए उनके मूल्य का निर्धारण करते समय पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि को 55% के बट्टे पर विचार करना विवेकपूर्ण होगा अर्थात पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि की केवल 45% निधि को टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिए। ऐसी आरक्षित निधियों को तुलन पत्र के मुखपृष्ठ पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए ।

सामान्य प्रावधान तथा हानि आरक्षित निधि

4.2.3 इनके अंतर्गत बैंक की बहियों में प्रकट होने वाले सामान्य प्रकृति के ऐसे प्रावधान शामिल होते हैं जो किसी स्पष्ट संभावित हानि, किसी आस्ति या ज्ञात देयता के मूल्य में ह्रास के कारण नहीं किए गए हों। यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए कि ऊपर दिए गए अनुसार टियर II पूँजी के एक भाग के रूप में सामान्य प्रावधान की किसी राशि पर विचार करने से पहले सभी ज्ञात हानियों तथा पूर्वाभासी एवं संभावित हानियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। उदाहरणार्थ: अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के संबंध में अतिरिक्त प्रावधान तथा मानक आस्तियों आदि के लिए सामान्य प्रावधान को इस श्रेणी के अंतर्गत शामिल किए जाने पर विचार किया जा सकता है । ऐसे प्रावधानों को कुल जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की सीमा तक स्वीकार किया जा सकता है जिन्हें टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किए जाने पर विचार किया गया है।

विद्यमान अनुदेशों के अनुसार निवल एनपीए की राशि परिकलित करने के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार एनपीए के लिए किया गया प्रावधान सकल एनपीए की राशि से घटाकर किया जाता है। विभिन्न प्रकार के प्रावधान तथा पूंजी पर्याप्तता हेतु विवेकपूर्ण प्रयोग नीचे दिए गए है:

(क) अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान)

अशोध्य ऋणों के लिए अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान) अर्थात् किसी विशेष ऋण अशोध्यता (एनपीए) के लिए निर्धारित नहीं किए गए प्रवधानों का प्रयोग सकल एनपीए के समंजन के लिए अथवा टियर II पूँजी में शामिल करने के लिए किया जा सकता है लेकिन उनका प्रयोग दोनों रूपों में नहीं किया जा सकता।

(ख) एनपीए के लिए निर्धारित राशि से अधिक विशेष प्रावधान

निर्धारित राशि से अधिक विशेष प्रावधान करने की स्थिति में कुल विशेष प्रावधान की राशि को सकल एनपीए की राशि से घटाकर निवल एनपीए की राशि परिकलित करें। बैंक द्वारा एनपीए के लिए किया गया अतिरिक्त प्रावधान टियर II पूंजी में शामिल नहीं किया जाएगा ।

(ग) एनपीए की बिक्री पर अधिक प्रावधान

एनपीए की बिक्री की स्थिति में यदि आस्ति के बही मूल्य से बिक्री की राशि, धारित निवल प्रावधान से अधिक होने पर प्रावधान की अतिरिक्त राशि लाभ हानि-लेखों में वापस शामिल नहीं की जानी चाहिए। उदाहरण के लिए ` 1,00,000 एनपीए के लिए बैंक ` 50,000 (अर्थात 50% ) प्रावधान रखता है और यदि आस्ति ` 70,000 में बेची जाती है तो ` 30,000 का नुकसान ` 50,000 प्रावधान से समायोजित किया जाएगा जिससे एनपीए की बिक्री के परिणामस्वरूप ` 20,000 अतिरिक्त प्रावधान राशि बचेगी। इस प्रकार की अतिरिक्त प्रावधान राशि "प्रावधान" के अंतर्गत जारी रखे तथा यह राशि जोखिम भारित आस्तियों की 1.25% समग्र सीमा के अधीन टियर II पूंजी शामिल की जाएगी ।

(घ) उचित मूल्य में ह्रास के लिए प्रावधान

6 मार्च 2009 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.बीपीडी.सं.53 के पैरा 5.1 के अंतर्गत बैंकों को सूचित किया गया है कि विद्यमान प्रावधान मानदंडों के अनुसार पुनर्निर्धारित अग्रिमों के लिए बैंकों को प्रावधान करना चाहिए। इस प्रकार के प्रावधानों के अतिरिक्त ब्याज दर में कमी के कारण हुई हानि या पुननिर्धारित ऋण की मूलपूंजी की चुकौती के नियत समय में हुए परिवर्तन के कारण होनेवाली आर्थिक हानि के लिए बैंकों को प्रावधान करने के लिए सूचित किया गया है। मानक आस्ति तथा एनपीए दोनों मामलों में पुनर्निर्धारित अग्रिमों से समंजित करने की अनुमति दी गई है ।

निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि

4.2.4 बैंक की निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि के अंतर्गत शेष, यदि कोई ।

संकर ऋण पूँजी लिखत

4.2.5 इस श्रेणी के अंतर्गत ऐसे अनेक पूँजी लिखत आते हैं जिनमें कुछ गुण इक्विटी के तो कुछ गुण ऋण के होते हैं । प्रत्येक लिखत की एक प्रमुख विशेषता होती है जिस पर पूँजी के रूप में उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करने के लिए विचार किया जा सकता है । जहाँ ये लिखत विशेष रूप से इक्विटी के काफी समान होते हैं और जब से परिसमापन शुरू किए बगैर सतत आधार पर हानियों की भरपाई करने में समर्थ हों तो उन्हें टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिए । लिखत नीचे दिए गए हैं:

(i) टियर II अधिमानी शेयर

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को अनुबंध III में दिए गए मौज़ूदा अनुदेशों के अनुसार सतत संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस), प्रतिदेय असंचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस) तथा प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) जारी करने की अनुमति है।

(II) दिर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि: शहरी सहकारी बैंकों को कम से कम पांच साल की अवधि के लिए मीयादी जमाराशि जुटाने की अनुमति है जो निम्न टियर II पूंजी समझी जाएगी। विस्तृत दिशानिर्देश अनुबंध 4 में दिए गए हैं।

शहरी सहकारी बैंक अपने उपनियम के अधीन/ जिस को-आपरेटिव सोसाईटी के अंतर्गत पंजीकृत है उसके प्रावधान के अनुपालन तथा संबंधित निबंधक, सहकारि समितियां/ केंद्रीय निबंधक, सहकारी समितियां के अनुमोदन से अधिमानी शेयर तथा लंबावधि (सर्बोडिनेट) जमाराशि जारी कर सकते है ।

सबोर्डिनेटेड ऋण

4.2.6 टियर II पूंजी के अंतर्गत शामिल होने की पात्रता के लिए लिखत को पूर्णत: चुकता, गैर-जमानती, अन्य ऋणदाताओं के दावों के अधीन, प्रतिबंधात्मक उपबंधों से मुक्त होना चाहिए तथा धारक की पहल पर या बैंक के पर्यवेक्षी प्राधिकारियों की सहमति के बिना प्रतिदेय नहीं होना चाहिए। ऐसे लिखतों की प्राय: एक निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है और जैसे-जैसे उनकी परिपक्वता अवधि पूरी होती है वैसे-वैसे उन्हें टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल करने के लिए उन पर क्रमिक रूप से बट्टा लगाया जाता है। ऐसे लिखतों को टियर II पूँजी के एक हिस्से के रुप में शामिल नहीं किया जाना चाहिए जिनकी प्रारंभिक परिपक्वता अवधि 5 वर्ष से कम हो या जिसकी परिपक्वता में एक वर्ष शेष हो । अधीनस्थ ऋण लिखत टियर II पूँजी के 50 प्रतिशत तक सीमित होंगे ।

अन्य शर्ते

4.3 यह नोट किया जाए कि टियर II के कुल घटकों को मानदंडों के अनुपालन के प्रयोजन से टियर II के कुल घटकों के अधिकतम 100 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए।

5. बाजार जोखिम के लिए पूँजी :

5.1 बाजार जोखिम को बाजार कीमतों में परिवर्तनों के कारण उत्पन्न तुलन पत्र तथा तुलनपत्रेतर स्थितियों में हानि के जोखिम के रूप में परिभाषित किया गया है। बाजार जोखिम स्थितियाँ, जो पूँजी प्रभारों के अधीन हैं, नीचे दी गई है :

  • ट्रेडिंग बुक के अंतर्गत ब्याज दर से संबंधित लिखतों तथा इक्विटियों से संबंधित जोखिम; तथा

  • बैंक(बैंकिंग एवं ट्रेडिंग बुक दोनों) के संपूर्ण दायरे में विदेशी मुद्रा जोखिम (मूल्यवान धातुओं में खुली स्थिति सहित)

5.2 बाजार जोखिमों के लिए पूँजीगत अपेक्षा निर्धारित करने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम के बतौर शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया गया था कि वे अपने लगभग संपूर्ण निवेश संविभाग पर 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त जोखिम भार निर्धारित करें। यह अतिरिक्त जोखिम भार को शहरी सहकारी बैकों के निवेश पोर्टफोलीओ के ऋण जोखिम के लिए निर्धारित जोखिम भार के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा शहरी सहकारी बैकों को यह सूचित किया गया है कि विदेशी मुद्रा की खुली स्थिति तथा स्वर्ण के लिए 100 प्रतिशत जोखिम भार तय करे तथा निवेश पोर्टफोलीओ में एचटीएम और एएफएस संवर्ग के निवेश के लिए 5 प्रतिशत निवेश उतार चढाव आरक्षित रखे।

5.3 जिन शहरी सहकारी बैंकों के पास एडी संवर्ग लाईसेंस है को 1 अप्रैल 2010 से बाजार जोखिम के लिए पूंजी रखना आवश्यक हैं। बाजार जोखिम के लिए पूंजी राशि रखने पर विस्तृत दिशानिर्देश 8 फरवरी 2010 के हमारे परिपत्र शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी) परि. सं. 42 / 09.11.600/2009-10 के माध्यम से दिए गए है।

विवरणियाँ

6. बैंकों द्वारा संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें (i) पूंजीगत निधि, (II) तुलनपत्रेतर/ गैर-निधिकृत ऋणों का संपरिवर्तन,(III) जोखिम-भारित आस्तियें की गणना तथा (iv) पूंजीगत निधियों तथा जोखिम आस्तियां अनुपात दर्शाए गए हों। विवरणी का प्रारूप अनुबंध II में दिया गया है । विवरणियों पर रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जाने वाली सांविधिक विवरणियों पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत दो अधिकारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए।


अनुबंध - I

विवेकपूर्ण मानदंड - सी आर ए आर की संगणना के लिए जोखिम भार
( पैरा सं.4(iii) देखें)

I. घरेलू परिचालन

ए. निधिकृत जोखिम आस्तियां

आस्तियों की सीमाएं

जोखिम भार

I. शेष

 

i. भारतीय रिज़र्व बैंक के पास जमा नकदी (विदेशी मुद्रा नोट सहित) शेष

0

II. शहरी सहकारी बैंकों के चालू खातों मे शेष

20

IIi. अन्य बैंकों के चालू खातों में शेष

20

II. निवेश

 

i. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश

2.5

II. केंद्र सरकार /राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश

2.5

IIi. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश जहाँ ब्याज का भुगतान तथा मूलधन की चुकौती केंद्र सरकार द्वारा प्रत्याभूत हो (इसमें इंदिरा /किसान विकास पत्रों तथा बांड एवं डिबेंचरों में निवेश शामिल हैं जहां ब्याज का भुगतान तथा मूलधन की चुकौती केंद्र सरकार / राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत हो )

2.5

iv. अन्य प्रतिभूतियों मे निवेश जहाँ ब्याज का भुगतान तथा मूलधन की चुकौती राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत हो

2.5

टिप्पणी : ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश, जहाँ ब्याज का भुगतान अथवा मूलधन की चुकौती राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत हो और जो एक अनर्जक निवेश बन गया हो, पर 102.5 प्रतिशत जोखिम भार लगेगा (31 मार्च 2006 से)

 

v. अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश जहां ब्याज का भुगतान तथा मूलधन की चुकौती केंद्र / राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत नहीं है ।

22.5

अनुमोदित बाजार उधार कार्यक्रम का भाग न होनेवाले सरकारी उपक्रमों के सरकारी गारंटी प्रतिभूतियों में निवेश

22.5

vi. (ए)वाणिज्यिक बैंकें, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों तथा राज्य सहकारी बैंकों पर दावे जैसे सावधि जमा राशियां, जमा प्रमाणपत्र आदि

20

(बी)अन्य शहरी सहकारी बैंकों पद दावे जैसे मीयादी / सावधि जमा राशियां

 

vii. सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी बांडों में निवेश

102.5

viii. सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओ द्वारा अपनी टियर - II पूंजी के लिए जारी बांडों में निवेश

102.5

ix. अन्य सभी निवेश

102.5

टिप्पणी : टियर I पूंजी से घटायी गई अमूर्त आस्तियों एवं हानियों को शून्य भार दिया जाए ।

 

x. `जब जारी' प्रतिभूतियों की प्रतिभूतिवार तुलन पत्रेतर (निवल) स्थिति

2.5

III. ऋण और अग्रिम

 

i. खरीदी तथा भुनाई गई हुंडियों तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत अन्य ऋण सुविधाओं सहित ऋण और अग्रिम

0

ii. किसी राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत ऋण

0

iii. किसी राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूत अग्रिम जो अनर्जक अग्रिम बन गया हो (31 मार्च 2006 से )

100

iv. भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिया गया ऋण

100

v) स्थावर संपदा ऋण

 

(ए) व्यक्तियों को दृष्टिबंधक रिहायशी आवासीय ऋण :

 

  • ` 30.00 लाख तक (एल टी वी अनुपात* = या < 75%)

50

  • ` 30.00 लाख से अधिक ध (एल टी वी अनुपात = या < 75%)

75

  • ऋण राशि से इतर (एल टी वी अनुपात या > 75%)

100

(बी) वाणिज्यिक स्थावर संपदा

100

(सी) अन्य किसी प्रयोजन के लिए सहकारी / ग्रुप सहकारी समितियां तथा आवासीय बोर्ड

100

* एल टी वी की संगणना खाते में कुल बकाया की प्रतिशतता के रूप में  ( जैसे "मूलधन + उपचित ब्याज + ऋण से संबंधित अन्य प्रकार" बिना किसी समंजन के) अंश के रूप में तथा बैंक को दृष्टिबंधक आवासीय संपत्ति के वसूलीयोग्य मूल्य को हर (denominator) के रूप में की जानी चाहिए ।

 

vi. खुदारा ऋण तथा अग्रिम

 

(ए) उपभोक्ता ऋण वयैक्तिक ऋण सहित

125

(बी) स्वर्ण और चाँदी के आभूषणों पर 1 लाख रुपये तक ऋण

50

(सी) शिक्षा ऋण सहित अन्य सभी ऋण तथा अग्रिम

100

(डी) शेयरों / डिबेंचरों की प्राथमिक / संपार्श्विक जमानत पर दिया गया ऋण

127.5

vii. पट्टाकृत आस्तियां

 

(ए) किराए पर खरीद / पट्टा संबंधी गतिविधियों से जुड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की पात्र गतिविधियों के लिए ऋण तथा अग्रिम

100

(बी) किराए पर खरीद / पट्टा संबंधी गतिविधियों से जुड़ी ग़ैर-जमाराशिग्राही व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एन डी-एसआई) को ऋण तथा अग्रिम

125

viii. डीआईसीजीसी/ ईसीजीसी की परिधि में आने वाले अग्रिम

50

टिप्पणी : 50% जोखिम भार प्रत्याभूत राशि तक सीमित हो न कि खातों में संपूर्ण बकाया शेष तक। प्रकारांतर से प्रत्याभूत राशि से अधिक बकाया पर 100% जोखिम भार लगाया जाएगा ।

 

ix. पर्याप्त मर्जिन उपलब्ध होने पर मीयादी जमाराशियों, जीवन बीमा पॉलिसियों, राष्ट्रीय जमा प्रमाणपत्रों (एन एस सी) इंदिरा विकास पत्रों (आइवीपी) तथा किसान विकास पत्रों ( केवीपी) के लिए अग्रिम

0

x. बैंकों के कर्मचारियों को ऋण जो अधिवर्षिता के लाभों एवं फलैट/ घर के दृष्टिबंधक से पूरी तरह कवर हों ।

20

टिप्पणी : जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता के कुल निधिकृत तथा गैर-निधिकृत ऋण की गणना करते समय बैंक उधारकर्ता के कुल बकाया ऋण से समंजन करें ।

 

(ए) नकदी मार्जिन अथवा जमाराशियों द्वारा संपार्श्विकृत अग्रिम

 

(बी) उधारकर्ता के चालू अथवा अन्य खातों में ऋण शेष जिन्हे किसी विशेष प्रयोजन के लिए निर्धारित न किया गया हो तथा वे किसी भी धारणाधिकार (Lien) से मुक्त हों,

 

(सी) किन्ही भी आस्तियों के संबंध में मूल्यह्रास अथवा अशोध्य ऋणों के लिए प्रावधान किए गए हों

 

(डी) डीआईसीजीसी/ इसीजीसी से प्राप्त दावे और समायोजन के लिए किसी पृथक खाते में रखे गए हों यदि संबंधित खातों में बकाया देय राशियों के प्रति उनका समायोजन न किया गया हो ।

 

IV. अन्य आस्तियां

 

1. परिसर फर्नीचर तथा फिक्सचर

100

2. अन्य आस्तियां

 

(i) सरकारी प्रतिभूतियों पर देय ब्याज

0

(II) भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखे गए सी आर आर शेष पर उपचित ब्याज

0

(IIi) कमचारियों को दिए गए ऋणों पर प्राप्त ब्याज

20

(iv) बैंकों से प्राप्त ब्याज

20

(v) अन्य सभी आस्तियां

100

V. खुली स्थिति में बाजार जोखिम

 

1. विदेशी मुद्रा खुली स्थिति पर बाजार जोखिम (केवल प्राधिकृत व्यापारियों पर लागू)

100

2. खुली स्वर्ण स्थिति पर बाजार जोखिम

100

बी. तुलन पत्रेतर मदें

तुलन पत्रेतर मदों से संबंद्ध ऋण जोखिम सीमा की गणना पहले तुलन पत्रेतर की प्रत्येक मद की अंकित राशि में `ऋण संपरिवर्तन कारकों ' से गुणा करके की जाए जैसा कि नीचे की तालिका में दर्शाया गया है । उसके बाद उसमें ऊपर दिए गए अनुसार संबंधित प्रति-पक्षकार पर लागू भारो से पुन: गुणा किया जाए ।

क्रमांक

लिखत

ऋण संपरिवर्तन कारक (%)

1.

प्रत्यक्ष ऋण प्रतिस्थापन जैसे ऋणग्रस्ता (ऋणों तथा प्रतिभूतियों के लिए वित्तीय गारंटियों के रूप में वैकल्पिक साख पत्रों सहित ) तथा स्वीकृतियां (स्वीकृति के साथ पृष्ठांकन सहित ) की सामान्य गारंटियां

100

2.

कतिपय लेनदेन संबंधी आकस्मिक मदें (जैसे विशेष लेनदेनों से संबंधित वारंटियां तथा वैकल्पिक साख पत्र)

50

3.

अल्पकालिक स्वपरिसमापक व्यापार से जुडी आकस्मिक निधिं (अंतर्निहति पोतलदान द्वारा संपार्श्विकृत दस्तावेजी क्रेडिट जैसे)

20

4.

विक्री तथा पुनर्खरीद करार तथा रीकोर्स के साथ आस्ति बिक्री जहां ऋण जोखिम बैंक पर हो।

100

5.

अगाऊ आस्ति खरीद, अगाऊ जमाराशि तथा आंशिक रूप से दत्त शेयर तथा प्रतिभूतियां जो कतिमय ड्राडाउन के साथ वचनबध्दताओं को दर्शाती हों।

100

6.

नोट जारी करने की सुविधाएं तथा उनसे जुड़ी हामीदारी सुविधांए

50

7.

एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता अवधि वाली अन्य वचनबध्दताएं (जैसे औपचारिक वैकल्पिक सुविधाएं तथा क्रेडिट लाइन्स)

50

8.

एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता अवधि वाली समरूपी वचनबध्दताएं अथवा जिन्हें किसी भी समय बेशर्त निरस्त किया जा सकता हो

0

9.

(i) अन्य बैंको की प्रति गारंटियों पर बैंकों द्वारा जारी की गई गारंटियां

20

 

(II) बैंकों द्वारा स्वीकृत दस्तावेजी हुंडियो की पुनर्भुनाई। बैंकों द्वारा भुनाई गई हुंडियां जिन्हें किसी अन्य बैंक द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, वो किसी बैंक पर एक निधिकृत दावा जाएगा।

20

 

टिप्पणी : इन मामलों में बैंकों को पूरी तरह संतुष्ट होना चाहिए कि वास्तव में जोखिम सीमा अन्य बैंक पर है । साख पत्र के अंतर्गत खरीदी/ भुनाई/ परक्रामित/ हुंडियों को साख पत्र जारी करने वाले बैंक पर जोखिम सीमा (जहां लाभार्थी को भुगतान `आरक्षित निधि के अंतर्गत ' नहीं किया गया है ) के रूप में माना जाएगा न कि उधारकर्ता पर। सभी को, जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, पूँजी पयाप्तता प्रयोजनों के लिए अंतर-बैंक जोखिम सीमाओं पर सामान्यत: लागू जोखिम भार लगाया जाएगा। `आरक्षित निधि के अंतर्गत' स्पष्ट रूप से किए गए सभी बेचानों के मामले में, जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, जोखिम उधारकर्ता पर माना जाना चाहिए न कि उधारकर्ता पर और तदनुसार जोखिम भार लगाया जाना चाहिए।

 

10.

मूल परिपक्वता अवधि वाली कुल बकाया विदेशी मुद्रा संविदाएं
14 कैलंडर दिवसों से कम
14 दिवसों से अधिक लेकिन एक वर्ष से कम प्रत्येक एक अतिरिक्त वर्ष अथवा उसके भार के लिए

 

0
2
3

 

टिप्पणी:
जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता की कुल निधिकृत तथा ग़ैर-निधिकृत ऋण सीमा की गणना करते समय बैंक चालू अथवा अन्य खातें में उधारकर्ता के ऋण शेष की कुल बकाया ऋण सीमा के प्रति समंजित करें जिन्हें किसी विशेष प्रयोजन के लिए निर्धारित नहीं किया गया है और जो किसी प्रकार के ग्रहणाधिकार (लिएन) से मुक्त हों। जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, संपरिवर्तन कारक का प्रयोग करते हुए समायेजित तुलन पत्रेतर मूल्य में पुन: संबंधित प्रतिपक्षकार पर लागू भार से गुणा किया जाएगा जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है।

 

टिप्पणी: वर्तमान में, शहरी सहकारी बैंक अधिकतर तुलन पत्रेतर लेनदेन नहीं कर रहे हैं। तथापि, उनके विस्तार की संभावना को ध्यान में रखते हुए विभिन्न तुलन पत्रेतर मदों के प्रति जोखिम-भार दर्शाए गए हैं जिन्हें शायद भविष्य में शहरी सहकारी बैंक व्यवहार में लाएं।

II. बैंकों के विदेशी परिचालनों के संबंध में अतिरिक्त जोखिम भार
(केवल प्राधिकृत व्यापारियों पर लागू)

1. विदेशी मुद्रा तथा ब्याज दर संबंधित संविदाएं

(i) विदेशी मुद्रा संविदाओं में निम्नलिखित शामिल है :

(ए) विदेशी मुद्रा ब्याज दर स्वैप

(बी) वायदा विदेशी मुद्रा संविदाएं

(सी) मुद्रा फचूचर्स

(डी) खरीदे गए मुद्रा ऑप्शन

(इ) इसी प्रकार की अन्य संविदाएं

(II) अन्य तुलनपत्रेतर मदों के मामले में नीचे निर्धारित की गई दो-स्तरीय गणना का प्रयोग किया जाएगा:

(ए) चरण 1 - प्रत्येक लिखत के सांकेतिक मूलधन में नीचे दिए गए संपरिवर्तन गुणक से गुणा किया जाता है :

मूल परिपक्वता अवधि

संपरिवर्तन कारक

एक वर्ष से कम

2%

एक वर्ष और दो वर्ष से कम

5% (अर्थात 2% + 3%)

प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए

3%

(बी) चरण 2 - इस प्रकार प्राप्त समायोजित मूल्य में संबंधित प्रतिपक्षकार के लिए निर्धारित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा जैसा कि I - अ में ऊपर दिया गया है ।

2. ब्याज दर संविदाएं

(III) ब्याज दर संविदाओं में निम्नलिखित शामिल होंगे :

(ए) एकल मुद्रा ब्याज दर स्वैप

(बी) मूल स्वैप

(सी) वायदा दर समझौता

(डी) ब्याज दर फ्यूचर्स

(इ) खरीदे गए ब्याज दर ऑप्शन

(एफ) इसी प्रकार की अन्य संविदाएं

(iv) अन्य तुलन पत्रेतर मदों के मामले के अनुसार नीचे निर्धारित की गई दो स्तरीय गणना की प्रयोग किया जाएगा :

(ए) चरण 1 - प्रत्येक लिखत के सांकेतिक मूलधन में नीचे दिए गए संपरिवर्तन गुणक से गुणा किया जाता है :

मूल परिपक्वता अवधि

संपरिवर्तन कारक

एक वर्ष से कम

0.5%

एक वर्ष और दो वर्ष से कम

1.0%

प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए

1.0%

(बी) चरण 2 - इस प्रकार प्राप्त समायोजित मूल्य में संबंधित प्रतिपक्षकार के लिए निर्धारित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा जैसा कि I - अ में ऊपर दिया गया है ।

टिप्पणी : वर्तमान में, अधिकतर शहरी सहकारी बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन नहीं कर रहे हैं। तथापि, जिन शहरी सहकारी बैंकों को प्राधिकृत व्यापारी का लाइसेंस दिया गया है वे औपर उल्लिखित लेनदेन कर सकते हैं। किसी विशेष लेनदेन के लिए जोखिम भार निर्धारित करने में किसी अनिश्चितता की स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक का स्पष्टीकरण लिया जाए।

III. कारपोरेट बॉड में रेपो

रेपो लेनदेन में उधारकर्ता के रूप में कार्य करने वाले शहरी सहकारी बैंकों को, ऋण जोखिम के अनुरूप प्रति-पार्टी ऋण जोखिम के लिए इस प्रकार प्रावधान करना होगा कि जिस प्रकार ऋण/ निवेश एक्‍सपोजर पर किया जाता हो।


अनुबंध II

(विवरणियों के लिए प्रारूप)
(पैरा सं. 6 देखें)

पूँजीगत निधियों, जोखिम आस्तियों / ऋण तथा जोखिम आस्ति अनुपात का विवरण

1. भाग क - पूँजीगत निधि तथा जोखिम आस्ति अनुपात

(` लाख में)             

I. पूंजीगत निधियां

 

 

. टियर I पूंजी तत्व

 

 

(ए) चुकता पूंजी

 

 

घटाना : अमूर्त आस्तियां एवं हानियां निवल चुकता पूंजी

 

 

(बी) आरक्षित निधियां तथा अधिशेष

 

 

1. सांविधिक आरक्षित निधि

 

 

2. पूंजीगत आरक्षित निधि (कृपया नीचे की टिप्पणी देखें )

 

 

3. अन्य आरक्षित निधियां

 

 

4. लाभ और हानि खाते* में अधिशेष कुल आरक्षित निधियां तथा अधिशेष कुल पूंजीगत निधियां (क+ख)

 

 

टिप्पणी : आस्तियों की बिक्री पर अधिशेष दर्शानेवाली तथा एक अलग खाते में धारित पूंजीगत आरक्षित निधियां शामिल की जाएंगी।

ऋण आस्तियों के लिए की गई पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधियां, सामान्य/ अस्थायी प्रावधान तथा विशेष प्रावधान तथा अन्य आस्ति हानियां या किसी आस्ति के मूल्य में गिरावट की गणना टियर I पूंजीगत निधियों के रूप में की जाएगी

* लाभ तथा हानि खाते में अधिशेष (आबंटित नही तथा ए जी एम द्वारा अभी अनुमोदित किया जाना हो) के मामले में निम्नलिखित अभिधारणा की जाए :
(ए) चालू वर्ष के अधिशेष की गणना सैध्दांतिक आधार पर निदेशक मंडल द्वारा संस्तुत सीमा तक की जाए जिसका आंबाटन विभिन्न आरक्षित निधियों / निधियों में किया जाना हो तथा व्यवसाय में उसे लगाया जाना हों ।
(बी) जहां निदेशक मंडल ने अधिशेष के वितरण का निर्णय न लिया हो वहां उसकी गणना सैध्दांतिक आधार पर पिछले तीन वर्षो के औसत के आधार पर की जाए ।

. टियर II पूंजीगत निधियां

 

 

(i) अप्रकट आरक्षित निधियां

 

 

(II) पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधियां

 

 

(IIi) सामान्य प्रावधान तथा हानि प्रावधान #

 

 

(iv) निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधियां

 

 

(v) संकट ऋण पूंजीगत लिखत

 

 

(vi) अधीनस्थ ऋण

 

 

कुल

 

 

I (अ + आ ) का जोड़

 

 

# मानक आस्तियों पर सामान्य प्रावधान शामिल (प्रतिबंधों के अधीन)

II. जोखिम आस्तियां

 

 

(ए) निधिकृत जोखिम आस्तियों अर्थात तुलनपत्र की मदों का समायोजित मूल्य (भाग `ख' `कें' साथ तुलना करने के लिए )

 

 

(बी) गैर - निधिकृत तथा तुलन पत्रेतर मदों का समायोजित मूल्य (भाग `ग' के साथ तुलना करने के लिए )

 

 

(सी) कुल जोखिम -भारित आस्तियां (ए+बी)

 

 

III. जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजीगत निधियों की प्रतिशतता I / II X 100

 

 

2. भाग ख - भारित आस्तियां अर्थात तुलन पत्र की मदें

(` लाख में)            

 

बही मूल्य

जोखिम भार

जोखिम समायोजित मूल्य

1

2

3

4

I. नकद एवं बैंक शेष

 

 

 

(ए) नकद (विदेशी मुद्रा नोट सहित)

 

 

 

(बी) भारत के बैंकों में शेष

 

 

 

(i) आर बी आई के पास शेष

 

 

 

(II)बैंकों के पास शेष

 

 

 

1. चालू खाता (भारत में और भारत के बाहर)

 

 

 

2. अन्य खाते (भारत में और भारत के बाहर)

 

 

 

3. अन्य प्राथमिक सहकारी बैंकों के चालू खाते में शेष

 

 

 

II. मांग एवं अल्प सूचना पर मुदा

 

 

 

III. निवेश

 

 

 

(क) सरकारी और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियां *

 

 

 

(ख) अन्य (निवल प्रावधानीकृत मूल्यास)

 

 

 

IV. अग्रिम **

 

 

 

ऋण तथा अग्रिम खरीदी एवं भुनाई गई हुंडिया तथा अन्य ऋण सुविधाएं

 

 

 

(ए) भारत सरकार द्वारा गारंटीकृत दावे

 

 

 

(बी) राज्य सरकार द्वारा गारंटीकृत दावे

 

 

 

(सी) भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर दावे

 

 

 

(डी) राज्य सरकारों के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर दावे

 

 

 

(इ) अन्य

 

 

 

टिप्पणी : 1. समंजन केवल जमाराशि में नकदी मर्जित द्वारा संपार्श्विकृत अग्रिमों तथा ऐसी आस्तियों के संबंध में किया जा सकता है जहां अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के मूल्यास के लिए प्रावधान किए गए हैं ।
2. गौण, अमूर्त आस्तियों में ईक्विटी तथा टियर I पूंजी से घटाई गई निधियों को शून्य भार दिया जाएगा ।

V. परिसर (मूल्यास कुल प्रावधानीकृत)

 

 

 

VI. फर्नीचर एवं फिक्सचर (मूल्यह्रास)

 

 

 

VII. अन्य आस्तियां
(शाखा समायोजन गैर-बैंकिंग आस्तियां आदि सहित)

 

 

 

कुल

 

 

 

* सरकारी तथा अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश में मूल्यास के लिए किए गए प्रावधान, यदि कोई, को फुटनोट के जरिए प्रदर्शित किया जाए ।
** अशोध्य तथा संदिग्ध तथा मानक आस्तियों के लिए सामान्य या विशेष धारित प्रावधान, को फुटनोट के जरिए प्रदर्शित किया जाए ।

3. भाग ग - ग़ैर-निधिकृत ऋण / तुलन पत्रेतर मदें प्रत्येक तुलन पत्र मद को नीचे दर्शाए गए प्रारूप में प्रस्तुत किया जाए ।

(लाख रुपये में)          

मद का प्रकार

बही मूल्य

संपरिवर्तन कारक

समतुल्य मूल्य

जोखिम भार

समायोजित मूल्य

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

टिप्पणी : संमजन केवल जमाराशि में नकदी मार्जिन द्वारा संपाश्दिवकृत अग्रिमों तथा ऐसी आस्तियों के संबंध में किया जा सकता है जहां अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के मूल्यह्रास के लिए प्रावधान किए गए हैं ।


अनुबंध III

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैकों को अधिमानी शेयर जारी करने से संबंधित दिशानिर्देश

(पैरा सं. 4.1(iv) और 4.2.5(i))

अ. बेमियादी गैर संचयी अधिमानी शेयर (पी एन सी पी एस)

शहरी सहकारी बैंक संबंधित सहकारी समितियों के निबंधक/ केंद्रीय निबंधक द्वारा (आरसीएस/ सीआरसीएस) भारतीय रिजर्व बैंक के साथ परामर्श के आधार पर दी गयी पूर्वानुमति से बेमियादी गैर संचयी अधिमानी शेयर जारी कर सकते हैं। पी ए न सी पी एस के माध्यम से प्राप्त राशि जो निम्नलिखित नियम और शर्तो का पालन करती है, टियर I पूंजी के रूप मे हिसाब मे ली जाएगी।

2. जारी करने की शर्ते

2.1 सीमा

पी एन सी पी एस की बकाया राशि टियर । पूंजी मे शामिल करने के लिए पात्र है तथा कुल टियर I पूंजी से पी एन सी पी एस को छोडकर किसी भी समय 20% से अधिक नही होनी चाहिए उपर्युक्त सीमा टियर I पूंजी से साख (गुडविल) और अन्य अर्मूत आस्तियों को घटाकर तय की जाएगी।

2.2 राशि

पीएनसीपीएस के माध्यम से कितनी राशि जमा की जाएगी यह बैंक का निदेशक मंडल तय करेगा।

2.3 परिपक्वता

पीएनसीपीएस बेमियादी होना चाहिए।

2.4 विकल्प

  1. पीएनसीपीएस ` पुट ऑप्शन ' या ` स्टेप अप ऑप्शन ' के साथ जारी नही किया जाना चाहिए।

  2. यद्यपि बैंक पी एन सी पी एस विशेष तिथि के साथ कॉल ऑप्शन पर निम्नलिखित शर्तो के अधीन जारी कर सकता है:
    (क) लिखत कम से कम 10 साल चलाने के बाद लिखत पर कॉल ऑप्शन की अनुमति है तथा
    (ख) भारतीय रिजर्व बैंक (शहरी बैंक विभाग) की पूर्वानुमति से ही कॉल ऑप्शन का प्रयोग किया जाना चाहिए। कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय अन्य बातें के साथ साथ कॉल ऑप्शन प्रयोग करने का समय तथा कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के बाद के बैंक की सीआरएआर की स्थिति पर विचार करें।

2.5 तुलन पत्र मे वर्गीकरण

लिखतों को 'पूंजी' के रूप मे वर्गीकृत किया जाएगा और तुलन पत्र में अलग से दिखाया जाएगा।

2.6 लाभांश

निवेशकों को देय लाभांश दर बाजार निर्धारित रुपया ब्याज बेंचमार्क दर के संदर्भ मे स्थायी या अस्थायी दर होगा।

2.7 लाभांश का भुगतान

(ए) जारीकर्ता बैंक लाभांश का भुगतान करें बशर्ते चालू वर्ष की आमदनी से अधिशेष राशि उपलब्ध हो

  1. बैंक का सीआरए आर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम नियामक आवश्यकता से अधिक होना चाहिए।

  2. इस प्रकार के भुगतान के परिणाम स्वरूप से बैंक का पूंजी जोखिम भारित आस्ति अनुपात (सीआरएआर)भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम नियामक आवश्यकता से नीचे नहीं होना चाहिए या नीचे नहीं गिरना चाहिए।

  3. लाभांश का भुगतान करते समय यह सुनिश्चित करे कि चालू वर्ष के तुलन पत्र में कोई संचित हानि नहीं होनी चाहिए।

(बी) लाभाश संचयी नहीं होना चाहिए अर्थात पर्याप्त लाभ उपलब्ध होने तथा सीआरए आर नियामक न्यूनतम तक होने पर भी वर्ष में न दिया गया लाभांश आगामी वर्षों मे नही दिया जाएगा।

(सी) उपर्युक्त "क" मे दी गयी शर्तो के कारण लाभांश न दिए जाने की जानकारी जारी कर्ता बैंक द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक मुंबई को सूचित करें।

2.8 दावे की वरीयता

पीएनसीपीएस के निवेशकों के दावे इक्विटी शेयर निवेशकें के दावों से वरिष्ठ होने चाहिए तथा अन्य ऋणदाता और जमाकर्ता के दावें से गौण होने चाहिए।

2.9 मतदान का अधिकार

पीएनसीपीएस के निवेशकें को मतदान का अधिभार नहीं रहेगा।

2.10 अन्य शर्तें

(ए) पीएनसीपीएस पूर्ण भुगतान किए, गैर-जमानती तथा किसी प्रतिबंधात्मक खंड से मुक्त होने चाहिए।

(बी) पीएनसीपीएस की श्रेणी जारीकर्ता के विवेक पर होगी।

(सी) पीएनसीपीएस जारी करने के लिए यदि अन्य नियामक प्राधिकारी द्वारा निर्धारित कोई नियम और शर्तें हो तो बैंक को उसका अनुपालन करना होगा बशर्ते इन दिशानिर्देशों मे दिए गए नियम और शर्तो का उल्लंघन न होता हो। टियर I पूंजी में लिखत को शामिल करने हेतु पुष्टि प्राप्त करने की घटना भारतीय रिजर्व बैंक के ध्यान में लाए।

3. आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं का अनुपालन

(ए) इश्यू के लिए जमा की गयी तथा बैंक द्वारा टियर I अधिमानी शेयरों के अंतिम आबंटन के लिए रखी गयी राशि आरक्षित निधि आवश्यकताओं की गणना करते समय हिसाब मे ली जाएगी।

(बी) यद्यपि पी एन पी एस जारी करने के माध्यम से प्राप्त राशि आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं हेतु निवल मांग और समय देयताओं की गणना करते समय देयता के रूप मे नही गिनी जाएगी, अत: सीआरआर/ एसएलआर के लिए भी नही गिनी जाएगी।

4. रेपोर्टिंग संबंधी अपेक्षाएं

पीएनसीपीएल जारी करनेवाले बैंक को इश्यू पूर्ण होने पर जमा की गयी पूंजी के ब्यौरे ऊपर निर्धारित किए गए अनुसार इश्यू के नियम और शर्ते, दर्शानेवाली रिपोर्ट, प्रस्ताव दस्तावेज की प्रति सहित प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, मंबई को प्रस्तुत करनी चाहिए।

5. शहरी सहकारी बैंकों द्वारा जारी बेमियादी गैर संचयी अधिमानी शेयर मे वाणिज्य बैंकों द्वारा निवेश

(ए) शहरी सहकारी बैंकों द्वारा जारी पी एन सी पी एस में वाणिज्यिक बैंक गैर सूचीबद्ध प्रतिभूति के लिए 10% की सीमा के अधीन या बैंकिग परिचालन विकास विभाग (डीबीओडी) केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए अनुसार निवेश कर सकते है बशर्ते उनकी रेटिंग की गई हो।

(बी) शहरी सहकारी बैंकों द्वारा जारी पी एन सी पी एल में निवेश पूंजी पर्याप्तता हेतु जोखिम भारित होगा जैसा कि बैंकिंग परिचालन विकास विभाग द्वारा निर्धारित किया है।

6. टियर I अधिमानी शेयर के बदले निवेश/ अग्रिम प्रदान करना

शहरी सहकारी बैंकों को अन्य बैंकों के पी एन सी पी एस में निवेश नही करना चाहिए, तथा उनके द्वारा या अन्य बैंकों द्वारा जारी पी एन सी पी एस की जमानत पर अग्रिम नहीं देना चाहिए।

शेअ‍र लिंकेज मानदंड

7. विद्यमान शेअर लिंकिंग मानदंडों के अनुपालन हेतु धारित पीएनसीपी को शेयर समझे।

आ. बेमियादी संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस)/ प्रतिदेय गैर- संचयी अधिमानीयर(आरएनसीपीएस)/ प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस)

1. जारी करने की शर्त

शहरी सहकारी बैंक बेमियादी संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस)/ प्रतिदेय गैर-संचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस)/ प्रतिदेश संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) सहकारी समितियों के संबंधित निबंधक/ केंद्रीय निबंधक की पूर्वानुमति जो भारतीय रिजर्व बैंक के विचार विमर्श से दी गयी है। यह तीन लिखत एकत्रित रूप से टियर II अधिमानी शेयर के रूप मे जाने जाएंगे। टियर II अधिमानी शेयर सममूल्य पर जारी किए जाएंगे। टियर II शेयर के माध्यम से एकत्रित राशि जो निम्नलिखित नियम बशर्ते पूर्ण करती हो, उच्च टियर II पूंजी मे गिनने के लिए पात्र होगी।

2.1 लिखत के लक्षण

टियर II अधिमानी शेयर बेमियादी (पीसीपीएस)या 15 वर्ष की परिपक्वता के साथ दिनांकित लिखत (आरएनसीपीएस तथा आरसीपीएस) होने चाहिए।

2.2 सीमा

इन लिखतों की बकाया राशि टियर II पूंजी के अन्य घटकों के साथ किसी भी समय टियर I पूंजी के 100% से अधिक नहीं होनी चाहिए। उपयुक्त सीमा टियर I पूंजी से साख (गुडविल) और अन्य आस्ति को घटाने के बाद परंतु निवेश की राशि घटाने से पहले की राशि पर आधारित होगी।

2.3 राशि

जुटाई जानेवाली राशि के संबंध में निदेशक मंडल निर्णय करेगा।

2.4 विकल्प

(i) लिखत "पुट ऑप्शन "के साथ जारी नहीं किए जाएंगे।

(ii) यद्यपि बैंक विशेष तिथि के साथ कॉल ऑप्शन पर निम्नलिखित शर्तो के अधीन लिखत जारी कर सकता है।

(ए) लिखत कम से कम 10 साल चलाने के बाद लिखत पर कॉल ऑप्शन की अनुमति है तथा

(बी) भारतीय रिजर्व बैंक (शहरी बैंक विभाग) की पूर्वानुमति से ही कॉल ऑप्शन का प्रयोग किया जाना चाहिए। कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय अन्य बातों के साथ साथ कॉल ऑप्शन प्रयोग करने के समय पर तथा कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के बाद के बैंक की सी आर ए आर की स्थिति पर विचार करें।

2.5 स्टेप-अप विकल्प

जारीकर्ता बैंक स्टेप-अप विकल्प का प्रयोग लिखत की पूर्ण अवधि में केवल एक बार कॉल ऑप्शन के साथ लिखत जारी करने के 10 वर्ष बाद कर सकता है। स्टेप-अप 100 बीपीएस से अधिक नहीं होना चाहिए। स्टेप-अप की सीमा जारीकर्ता बैंक को ऋण की सकल सीमा पर भी लागू है।

2.6 तुलन पत्र मे वर्गीकरण

लिखतों को उधार के रूप मे वर्गीकृत किया जाएगा और तुलन पत्र में अलग से दिखाया जाएगा।

2.7 कूपन

निवेशकों को देय कूपन बाजार निर्धारित रुपया ब्याज बेंचमार्क दर के संदर्भ मे स्थायी या अस्थायी दर होगा।

2.8 कूपन का भुगतान

2.8.1 कूपन का भुगतान केवल निम्नलिखित परिस्थिति में ही किया जाएगा।

(ए) बैंक का सी आर ए आर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम नियामक आवश्यकता से अधिक होना चाहिए।

(बी)  इस प्रकार के भुगतान के परिणाम स्वरूप भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा  निर्धारित न्यूनतम नियामक आवश्यकता से बैंक का सीआरएआर नीचे नहीं गिरना चाहिए।

(सी) कूपन का भुगतान करते समय यह सुनिश्चित करे कि चालू वर्ष के तुलन पत्र में कोई संचित हानि नहीं है।

(डी) बेमियादी संचयी अधिमानी शेयर/ प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर के मामले में भुगतान न किया गया कूपन देयता समझा जाएगा। बैंक को, उपर्युक्त शर्तों का पालन करने के अधीन न दिया गया ब्याज तथा शेष भुगतान आगामी वर्षों में करने की अनुमति है।

(इ) पर्याप्त लाभ उपलब्ध होने तथा सी आर ए आर नियामक न्यूनतम तक होने पर भी आरएनसीपीएस के मामले में न दिया गया कूपन आगामी वर्षों में नहीं दिया जाएगा।

2.8.2 ब्याज न दिए जाने की जानकारी जारी कर्ता बैंक द्वारा प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, शहरी बेंक विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक मुंबई को सूचित करें।

2.9 उच्च टियर II में शामिल प्रतिदेय अधिमानी शेयर का प्रतिदान/ भुगतान

परिपक्वता पर इन लिखतों का प्रतिदान निम्नलिखित शतों के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (शहरी बैंक विभाग) की पूर्वानुमति से ही होना चाहिए:

(ए)  बैंक का सीआरएआर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक आवश्यकता से अधिक होना चाहिए।

(बी) इस प्रकार के भुगतान के परिणाम स्वरूप भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम नियामक आवश्यकता से बैंक का सी आर ए आर नीचे नहीं गिरना चाहिए।

2.10 दावे की वरियता

इस लिखत के निवेशकों के दावे टियर I पूंजी में शामिल किए जानेवाले लिखतों में निवेशकों के दावे से वरिष्ट होने चाहिए तथा निम्न टियर II के ऋणदाता सहित अन्य ऋण दाता और जमाकर्ता के दावो से गौण होने चाहिए। उच्च टियर II में शामिल विविध लिखतों के निवेशकों के बीच दावों की वरियता एकसमान होनी चाहिए।

2.11 मतदान का अधिकार

टियर II अधिमानी शेयर के निवेशको को किसी भी मतदान का अधिकार नही रहेगा।

2.12 सीआरएआर की गणना के लिए परिशोधन

प्रतिदेय अधिमानी शेयरों ( संचयी और गैर-संचयी दोनों) की परिपक्वता अवधि के अंतिम पांच सालों में नीचे की सारणी में दिए गए अनुसार टियर II पूंजी में शामिल होने की पात्रता के लिए जैसे जैसे उनकी परिपक्वता अवधि पूर्ण होती है,पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजन से उनपर क्रमिक रूप से बट्टा लगाया जाएगा।

लिखत की शेष परिपक्वता अवधि

बट्टे का दर (%)

एक वर्ष से कम

100

एक वर्ष और अधिक परंतु दो वर्षो से कम

80

दो वर्ष और अधिक परंतु तीन वर्षों से कम

60

तीन वर्ष और अधिक परंतु चार वर्षों से कम

40

चार वर्ष और अधिक परंतु पांच वर्षों से कम

20

2.13 अन्य शर्तें

(ए) टियर II अधिमानी शेयर पूर्ण भुगतान किए, गैर जमानती तथा किसी प्रतिबंधात्मक खंड से मुक्त होने चाहिए।

(बी) टियर II अधिमानी शेयरों की श्रेणी जारी कर्ता के विवेक पर होगी।

(सी) टियर II अधिमानी शेयर जारी करने के लिए यदि अन्य नियामक प्राधिकारी द्वारा निर्धारित कोई नियम और शर्ते हो तो बैंक को उसका अनुपालन करना होगा बशर्ते इन दिशानिर्देशों मे दिए गए नियम और शर्तो का उल्लंघन न होता हो। टियर II पूंजी मे लिखत को शामिल करने हेतु की पुष्टि प्राप्त करने के लिए की घटना भारतीय रिजर्व बैंक के ध्यान मे लाए।

3. आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं का अनुपालन

(ए) इश्यू के लिए जमा की गयी तथा बैंक द्वारा टियर I अधिमानी शेयर के अंतिम आबंटन के लिए रखा गयी निधि आरक्षित अपेक्षओं की गणना करते समय हिसाब मे ली जाएगी।

(बी) यद्यपि पी एन पी एस जारी करने के माध्यम से प्राप्त राशि आरक्षिति आवश्यकताओं हेतु निवल मांग और समय देयताओं की गणना करते समय देयता के रूप मे नही गिनी जाएगी, अत: सी आर आर / एस एल आर के लिए भी नही गिनी जाएगी।

4. रेपोर्टिग अपेक्षाएं

लिखित जारी करनेवाले शहरी सहकारी बैंक को इश्यू पूर्ण होने पर जमा की गयी पूंजी के ब्यौरे उपर निर्धारित किए गए अनुसार इश्यू के नियम आर शर्ते, दर्शानेवाली रिपोर्ट, प्रस्ताव दस्तावेज की प्रति सहित प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, मंबई को प्रस्तुत करनी चाहिए।

5. शहरी सहकारी बैंकों द्वारा जारी टियर II अधिमानी शेयरों में वाणिज्यिक बैंकों द्वारा निवेश

(क) शहरी सहकारी बैंकों द्वारा जारी टियर II अधिमानी शेयरों मे वाणिज्यिक बैंक गैर सूचीबद्ध प्रतिभूति के लिए 10% की सीमा के अधीन या बैंकिग परिचालन विकास विभाग (डी बी ओ डी) केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए निवेश कर सकते है बशर्ते उनकी रेटिंग की गई हो।

(ख) शहरी सहकारी बैंकों द्वारा जारी टियर II अधिमानी शेयरों में निवेश पूंजी पर्याप्तता हेतु जोखिम भारित होगा जैसा कि बैंकिंग परिचालन विकास विभाग द्वारा निर्धारित किया है।

6. लिखतों के बदले में निवेश/ अग्रिम प्रदान करना

शहरी सहकारी बैंकों को अन्य बैंकों के टियर II अधिमानी शेयरों में निवेश नही करना चाहिए, तथा उनके द्वारा या अन्य बैंकों द्वारा जारी टियर II अधिमानी शेयरों की जमानत पर अग्रिम नहीं देना चाहिए।


अनुबंध IV

दीर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि जारी करने के संबंध में
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए दिशानिर्देश
{ पैरा 4.2.5(II)}

1. जारी करने की शर्तें

शहरी सहकारी बैंक रिज़र्व बैंक के साथ परामर्श के आधार पर संबंधित निबंधक/ केंद्रीय निबंधक, सहकारी सासायटियां की पूर्वानुमति से दीर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि (एलटीडी) जारी कर सकते हैं। एलटीडी संबंधित शहरी सहकारी बैंक के सदस्यों तथा गैर-सदस्यों सहित उसके परिचालन क्षेत्र के बाहर के सदस्यों को जारी किया जा सकता है। एलटीडी के माध्यम से जुटाई गई राशि जो निम्नलिखित शर्तो का अनुपालन करती है, निम्न टियर II पूंजी मानी जाने की पात्र होगी।

2.1 परिपक्वता

एलटीडी की परिपक्वता अवधि न्यूनतम 5 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।

2.2 सीमा

एलटीडी की बकाया राशि जो टियर II के रूप में परिगणित किए जाने की पात्र है, टियर I पूंजी के 50 प्रतिशत तक सीमित होगी। उपर्युक्त सीमा साख (गुडविल) तथा अन्य अमूर्त आस्तियों के घटाए जाने के बाद लेकिन सहयोगी संस्थाओं, यदि कोई, में इक्विटी निवेश घटाए जाने से पहले टियर I पूंजी की राशि पर आधारित होगी।

2.3 राशि

बढ़ाई जाने वाली राशि बैंक के निदेशक मंडल द्वारा तय की जाएगी।

2.4 दावों की वरियता

एलटीडी का जमाकर्ताओं तथा अन्य ऋणियों के दावों के अधीन किया जाएगा लेकिन उनका स्थान शेयरधारकों के दावों से ऊपर होगा जिनमें अधिमानी शेयरधारक (टियर I तथा टियर II दोनों) शामिल होंगे। निम्न टियर II में शामिल लिखतों के निवेशकों में दावे एक दूसरे के प्रति पैरी पासू स्तर के होंगे।

2.5 विकल्प

(ए) एलटीडी 'पुट आप्शन' या 'स्टेप आप्शन' के साथ जारी नहीं किए जाएंगे।

(बी) 'कॉल आप्शन' की अनुमति होगी और उसका प्रयोग 5 वर्ष के बाद रिज़र्व बैंक की अनुमति से किया जाएगा। कॉल आप्शन का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते हुए रिज़र्व बैंक अन्य बातों के साथ कॉल आप्शन के प्रयोग के समय तथा कॉल आप्शन के प्रयोग के बाद बैंक की सीआरएआर स्थिति को ध्यान में रखेगा।

2.6 शोधन/ चुकौती

परिपक्व होने पर एलटीडी की प्रतिपूर्ति केवल भारतीय रिज़र्व बैंक (शहरी बैंक विभाग, केंद्रीय कार्यालय) के पूर्वानुमोदन से अन्य बातों के साथ निम्नलिखित शर्तों के अधीन किया जाएगा:

  1. बैंक का सीआरएआर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से ऊपर है।

  2. इस प्रकार की चुकौती के प्रभाव से बैंक का सीआरएआर गिरकर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से नीचे या ज्यों का त्यों उसके नीचे ही न बना रहे।

2.7 ब्याज दर

एलटीडी पर एक निर्धारित ब्याज दर अथवा बाजार नियंत्रित रुपया ब्याज की बेंचमार्क दर के संदर्भ में ब्याज की अस्थिर दर लगाई जाए।

2.8 डीआईसीजीसी कवर

एलटीडी निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) कवर की पात्र नहीं होगी।

2.9 क्रमिक बट्टा

पूंजी पर्याप्तता प्रयोजन के लिए इन जमाराशियों पर क्रमिक रूप से बट्टा लगाया जाएगा जिसका विवरण नीचे दिया गया है:

परिपक्वता की शेष अवधि

बट्टे की दर

एक वर्ष से कम

100%

एक वर्ष से अधिक तथा दो वर्ष से कम

80%

दो वर्ष से अधिक तथा तीन वर्ष से कम

60%

तीन वर्ष से अधिक तथा चार वर्ष से कम

40%

चार वर्ष से अधिक तथा पांच वर्ष से कम

20%

2.10 तुलन पत्र में वर्गीकरण

इन लिखतों को 'उधार' के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा तथा उन्हें तुलन पत्र में अलग से दर्शाया जाएगा।

2.11. आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षा

एलटीडी जारी करके बैंक द्वारा जुटाई गई कुल राशि की गणना आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं (सीआरआर एवं एसएलआर) के प्रयोजन के लिए निवल मांग मियादी देयताओं की गणना के लिए की जाएगी।

4. सूचना देने से संबंधित अपेक्षाएं

ऐसी दीर्घकालिक जमारशियां (एलटीडी) जारी करने वाले बैंक अपनी रिपोर्ट प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को प्रस्तुत करेंगे जिसमें जुटाई गई जमारशि का ब्यौरा दिया जाए जिसमें ऊपर किए गए उल्लेख के अनुसार एलटीडी जारी करने की शर्तें भी शामिल होंगी ।

5. एलटीडी में निवेश /एलटीडी पर अग्रिमों की मंजूरी

शहरी सहकारी बैंकों को अन्य शहरी सहकारी बैंकों की एलटीडी में निवेश नहीं करना चाहिए और न ही अपने या अन्य बैंकों द्वारा जारी की गई एलटीडी की जमानत पर अग्रिम मंजूर करना चाहिए।


परिशिष्ट

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

सं.

परिपत्र

दिनांक

विषय

1

शबैंवि.बीपीडी.(एससीबी)परिपत्र सं.4/16.20.000/2012-13

10.06.13

कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में तैयार वायदा संविदा

2

शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).सं.49/09.14.000/ 2010-11

24.05.2011

उपदान सीमा में बढ़ोतरी - विवेकपूर्ण विनियामकीय पद्धति

3

शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).सं.
22/09.18.201/ 2010-11

15.11.2010

शहरी सहकारी बैंकों में उधार से शेयर को जोडने वाले मानदंड

4

शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).सं.42/09.11.600/ 2009-10

08.02.2010

बाजार जोखिम के लिए पूंजी रखने पर विवेकपूर्न दिशानिर्देश

5

शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).सं.30/09.14.000/ 2008-09

16.12.2009

ऋण संविभाग से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण प्रयोग

6

शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).सं.24/09.14.000/ 2009-10

27.11.2009

दीर्घ कालिक जमाराशि जारी करने के माध्यम से पूंजीगत निधि में वृद्धि

7

शबैंवि.पीसीबी.सं.73/09.14.000/2008-09

29.06.2009

ऋण संविभागों के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण निरूपण

8

शबैंवि.पीसीबी.सं.61/09.18.201/2008-09

21.04.2009

पूंजीगत निधि में वृद्धि करने वाले लिखत

9

शबैंवि.पीसीबी.सं.32/09.18.201/2008-09

13.01.2009

पूंजीगत निधि में वृद्धि करने वाले लिखत

10

शबैंवि.पीसीबी.सं.29/09.11.600/2008-09

01.12.2008

विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधान तथा वाणिज्यिक स्थावर संपदा तथा ग़ैर -बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को ऋण पर जोख़िम-भार

11

शबैंवि.पीसीबी.सं.4/09.18.201/2008-09

15.07.2008

पूंजीगत निधि में वृद्धि करने वाले लिखत

12

शबैंवि.पीसीबी.सं.53/13.05.000/2007-08

16.06.2008

आवासीय संपत्ति द्वारा सुरक्षित दावे - जोखिम भारों के लिए सीमाओं में परिवर्तन

13

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.31/09.11. 600/2007-08

29.01.2008

पूंजी पर्याप्ता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड - शैक्षणिक ऋणों के लिए जोखिम भार

14

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.40/13.05.000/2006-07

04.05.2007

वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - रिहायशी आवासीय ऋण - जोखिम भार में कमी

15

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.39/13.05.000/2006-07

30.04.2007

वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - स्वर्ण एवं चांदी के आभूषणों पर दिए गए ऋण - जोखिम भार में कमी

16

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.30/09.11.600/2006-07

19.02.2007

वर्ष 2006-07 के लिए मौद्रिक नीति पर वार्षिक वक्तव्य की तीसरी तिमाही समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण संबंधी अपेक्षा

17

शबैंवि.बीपीडी.परि.सं.7/09.29.000/2006-07

18.08.2006

केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में 'जब जारी' लेनदेन - लेखाकरण तथा संबंधित पहलू

18

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.55/09.11.600/2005-06

01.06.2006

वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - वाणिज्यिक स्थावर संपदा को ऋण पर जोखिम - भार

19

शबैंवि.पीसीबी.बीपीडी.परि.सं.46/ 13.05.000 /2005-06

19.04.2006

साख पत्र के अंतर्गत भुनाई गई हुंडियां - जोखिम -भार एवं ऋण सीमा संबंधी मानदंड

20

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.9/13.05.00/2005-06

09.08.2005

पूंजी बाजार ऋण के लिए जोखिम भार

21

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.8/09.116.00/2005-06

09.08.2005

पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - आवासीय वित्त /वाणिज्यिक स्थावर संपदा ऋणों पर जोखिम भार

22

शबैंवि.डीएस.परि.सं.44/12.05.00/2004-05

15.04.2005

अग्रिमों पर अधिकतम सीमा - व्यक्तियों / उधारकर्ताओं के समूह को ऋण पर सीमाएं

23

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.33/09.116.00 /2004-05

05.01.2005

आवासीय वित्त तथा उपभोक्ता ऋण पर जोखिम भार

24

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.26/09.140.00/2004-05

01.11.2004

विवेकपूर्ण मानदंड - राज्य सरकार द्वारा गारंटीकृत ऋण

25

शबैंवि.बीपीडी.पीसीबी.परि.सं.52 /09.116.00 /2003-04

15.06.2004

सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं को ऋण के लिए जोखिम भार

26

शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.37/13.05.000 /2003-04

16.03.2004

बैंकों द्वारा हुंडियों की भुनाई /पुनर्भुनाई

27

शबैंवि.सं.बीपीडी.पीसीबी.परि.34 /13.05.00/2003-04

11.02.2004

अग्रिमों पर उच्चतम सीमा - व्यक्तियों/ उधारकर्ताओं के समूह को ऋण की सीमाएं

28

शबैंवि.सं.पॉट.पीसीबी.परि.18/ 09.22.01/2002-03

30.09.2002

आवासीय वित्त पर जोखिम भार

29

शबैंवि.सं.पॉट.पीसीबी.परि.45 / 09.116.00/2000-01

25.04.2001

शहरी (प्राथमिक ) सहकारी बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता संबंधी मानदंड का प्रयोग


बासल समिति 27 सदस्य देशों के बैंक पर्यवेक्षकों की एक समिति है (अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राझिल, कनाडा, चायना, फ्रांस, जर्मनी, हॉगकॉग, एसएआर, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, लक्जामबर्ग, मेक्सिको, नीदरलैंड, रशिया, सौदिअरेबिया, सिंगापुर, साउथ आफ्रिका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, टर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमरीका)। इसकी स्थापना 1974 में अनेक पर्यवेक्षी प्राधिकारियों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सुनिस्चित करने के लिए किया गया था। इसकी बैठक आम तौर पर बासल, स्विटज़रलैंड स्थित अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक में होती है जहाँ इसका सचिवालय स्थित है।

 
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