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Date: 02/07/2012
मास्टर परिपत्र- कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी) के लिए विनियामक संरचना

भारिबैं/2012-13/30
गैबैंपवि (नीति प्रभा.) कंपरि.सं.291/03.02.001/2012-13

2 जुलाई 2012

सभी कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

महोदय,

मास्टर परिपत्र- कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी) के लिए विनियामक संरचना

जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतित परिपत्र/अधिसूचनाओं जारी करता है। 12 अगस्त 2010 का परिपत्र डीएनबीएस (पीडी) सीसी सं: 197/03.10.001/2010-11 तथा 05 जनवरी 2011 का अधिसूचना सं. डीएनबीएस (पीडी) 219 /सीजीएम (युएस) - 2011, डीएनबीएस (पीडी) 220 सीजीएम (युएस) - 2011, तथा डीएनबीएस (पीडी) 221 /सीजीएम (युएस) - 2011 में अंतर्विष्ट सभी अनुदेशों का अद्यतन यथा 30 जून 2012 तक करने के बाद नीचे पुनरुत्पादित किया गया है। अद्यतित अधिसूचना बैंक की वेबसाइट (http://www.rbi.org.in) पर भी उपलब्ध है।

भवदीया,

(सी.आर.संयुक्ता)
मुख्य महाप्रबंधक


विषय सूची

पैरा नं :

विवरण

1

पृष्ठभूमि

2

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

3

संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)

4

संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनियां

5

कोर निवेश कंपनियों के समक्ष अड़चने

6

संचरण अवधि

7

शर्तों के अनुपालन के लिए कार्य योजना

8

कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 2011 का विस्तार

9

परिभाषायें

10

पंजीकरण

11

सांविधिक लेखा परीक्षक का वार्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना

12

छूट

13

व्याख्या

पृष्ठभूमि

बैंक ने वर्ष 2010-2011 की वार्षि‍क नीति‍ में यह घोषणा की थी कि‍ वे कंपनि‍याँ जि‍नकी परि‍संपत्ति‍याँ प्रमुखत: ग्रुप कंपनि‍यों में हि‍स्सेदारी (स्टेक) के लि‍ए उनके शेयरों में नि‍वेश के रूप में हैं कि‍न्तु ट्रेडिंग के लि‍ए नहीं हैं और वे कोई अन्य वि‍त्तीय गति‍वि‍धि‍/कार्य नहीं करती हैं अर्थात ये कोर नि‍वेश कंपनि‍याँ हैं। जमाराशि‍याँ न स्वीकार करने वाली और संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण ये कंपनि‍याँ गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों पर लागू वि‍नि‍यामक नि‍र्धारणों से भि‍न्न व्यवहार की अपेक्षा की न्यायत: हकदार हैं। इस संबंध में की गई घोषणा के तहत दि‍शानि‍र्देशों का प्रारूप बैंक की वेबसाइट पर 21 अप्रैल 2010 को रखा गया था। वि‍त्तीय बाजार में भागीदारी करने वालों से मि‍ले फीडबैक पर वि‍चार कि‍या गया और यह नि‍र्णय लि‍या गया है कि‍ कोर नि‍वेश कंपनि‍यों के लि‍ए नि‍म्नलि‍खि‍त वि‍नि‍यामक ढांचे को लागू कि‍या जाए।

2. कोर नि‍वेश कंपनि‍यों के संबंध में यह माना गया था कि‍ नि‍म्नलि‍खि‍त परि‍स्थि‍ति‍यों में वे शेयरों तथा प्रति‍भूति‍यों के अर्जन का कारोबार करती हुई भी इन गति‍वि‍धि‍यों में लगी हुई नहीं मानी जाएंगी अर्थात,

(i) नि‍वि‍ष्टी(इन्वेस्टी) कंपनी में हि‍स्सेदारी (स्टेक) के प्रयोजन से उसके शेयरों में कि‍या गया नि‍वेश कंपनी की परि‍संपत्ति‍यों के 90% से कम न हो;

(ii) वे (होल्डिंग को कम करने या बेचने) के लि‍ए ब्लाक सेल के अलावा इन शेयरों में ट्रेडिंग नहीं कर रही थीं;

(iii) वे कोई अन्य वि‍त्तीय गति‍वि‍धि‍/कार्य नहीं कर रही थीं;

(iv) उनके पास जनता की जमाराशि‍याँ नहीं थीं/वे जनता से जमाराशि‍याँ स्वीकार नहीं करती थी।

इसलि‍ए, उक्त मानदण्डों को पूरा करने वाली कंपनि‍यों के लि‍ए यह जरूरी नहीं था कि‍ वे भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 की धारा 45-झक के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करें। व्यवहार में यह पाया गया है कि‍ कि‍सी कंपनी ने कि‍सी अन्य कंपनी में अपनी हि‍स्सेदारी (स्टेक) के लि‍ए उसके शेयरों में नि‍वेश कि‍या है या ट्रेडिंग के लि‍ए, यह नि‍श्चि‍त करना मुश्कि‍ल है। यहाँ तक कि‍ कुछ मामलों में जहाँ प्रारंभ में कि‍सी नि‍वि‍ष्टी कंपनी में हि‍स्सेदारी के लि‍ए नि‍वेश कि‍या गया था, अनेक कारणों से ये शेयर या तो बेच दि‍ए गए थे या अति‍रि‍क्त शेयर खरीद लि‍ए गए थे। पारदर्शि‍ता में ऐसी कमी वि‍त्तीय प्रणाली के हि‍त में नहीं पायी गई। अस्तु यह नि‍र्णय लि‍या गया कि‍ अन्य कंपनि‍यों के शेयरों में नि‍वेश, भले ही वह हि‍स्सेदारी के प्रयोजन से कि‍ये गये हों, को भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम की धारा 45-झ(ग)(ii) के अनुसार शेयरों के अर्जन के कारोबार के रूप में भी माना जाना चाहि‍ए।

3. संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍याँ:

वर्ष 2006 में, गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों की बैंक उधारों, कमर्शि‍यल पेपर, आदि‍ जैसी जनता की नि‍धि‍यों तक पहुंच एवं वि‍त्तीय प्रणाली से उनके अंतर्संबंधों से उत्पन्न प्रणालीगत जोखि‍म के मद्देनज़र वि‍नि‍यामक चिंता का फोकस जमाराशि‍याँ न स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को भी शामि‍ल करने तक बढ़ गया। तदनुसार, अंति‍म लेखापरीक्षि‍त तुलनपत्र के अनुसार `100 करोड़ एवं अधि‍क की परि‍संपत्ति‍यों वाली जमाराशि‍याँ न लेने वाली गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण जमाराशि‍याँ न लेने वाली गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों के रूप में परि‍भाषि‍त कि‍या गया था तथा उनके लि‍ए वि‍नि‍यामक संरचना 12 दि‍संबर 2006 के परि‍पत्र सं. 86 के द्वारा लागू कि‍या गया था।

4. कोर नि‍वेश कंपनि‍यों का संपूर्ण प्रणालीगत महत्त्व:

उल्लि‍खि‍त पैरा 1 में दि‍ए गए कारणों से अन्य कंपनि‍यों के शेयरों में कि‍ए गए नि‍वेश, भले ही वे हि‍स्सेदारी (स्टेक) के प्रयोजन से कि‍ए गए हों, को गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी का कारोबार करना माना जाना चाहि‍ए। इसके मद्देनज़र, कोर नि‍वेश कंपनि‍यों के लि‍ए यह अपेक्षि‍त होगा कि‍ वे भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 की धारा 45-झक के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करें। तथापि‍, ` 100 करोड़ से कम की परि‍संपत्ति‍यों वाली कोर नि‍वेश कंपनि‍यों को भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 की धारा 45-झक के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करने से छूट प्रदान की जाएगी 1 । (गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा राशि नहीं स्वीकार करने वाली या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 में अंतर्विष्ट 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना सं: डीएनबीएस.193/डीजी(वीएल)-2007 , कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 20112 में संदर्भित कोर निवेश कंपनी बननेवाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होगा) ।

5. कोर नि‍वेश कंपनि‍यों के समक्ष अड़चनें

कोर नि‍वेश कंपनि‍यों के वि‍लक्षण कारोबारी मॉडल यथा ग्रुप कंपनि‍यों में हि‍स्सेदारी (स्टेक) तथा ग्रुप के उपक्रमों को नि‍धि‍याँ मुहैया कराने के मद्देनज़र कोर नि‍वेश कंपनि‍यों को भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों के लि‍ए वि‍नि‍र्दि‍ष्ट मौजूदा नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों एवं जोखि‍म मानदण्डों को पूरा करना मुश्कि‍ल प्रतीत हो सकता है। कोर नि‍वेश कंपनि‍यों के लि‍ए वि‍नि‍यामक ढांचा नि‍र्धारि‍त करते समय इन मुद्दों को ध्यान में रखा गया है।

6. संचरण अवधि‍ (transition period)

(i) संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण जमाराशि‍याँ न स्वीकार करने वाली कोर नि‍वेश कंपनि‍याँ भले ही वे वि‍गत में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक के पास पंजीकरण कराने से छूट प्राप्त हों या नहीं, अधि‍सूचना की तारीख से 6 माह के अंदर पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लि‍ए भारतीय रि‍ज़र्व बैंक को आवेदन करेंगी।

(ii) उल्लि‍खि‍त छूट को अबाध रूप में सक्रि‍य करने के लि‍ए वि‍नि‍र्दि‍ष्ट 6 माह में पंजीकरण प्रमाणपत्र के लि‍ए आवेदन करने वाली कंपनि‍याँ भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा उनके आवेदनपत्रों के नि‍पटान तक अपना मौजूदा कारोबार जारी रख सकेंगी।

(iii) यह भी स्पष्ट कि‍या जाता है कि‍ जो कंपनि‍याँ वि‍नि‍र्दि‍ष्ट 6 माह की अवधि‍ में आवेदन करने में वि‍फल होंगी और उनके संबंध में यदि‍ यह पाया गया कि‍ वे उल्लि‍खि‍त संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण जमाराशि‍याँ न स्वीकार करने वाली कोर नि‍वेश कंपनी का कारोबार रही हैं तो यह माना जाएगा कि‍ वे उल्लेखानुसार भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 की धारा 45-झक के उपबंधों का उल्लंघन कर रही हैं।

(iv) वे कंपनि‍याँ जि‍नकी परि‍संपत्ति‍याँ अभी ` 100 करोड़ से कम हैं उनसे अपेक्षि‍त है कि‍ वे ` 100 करोड़ रुपए की बैलेंसशीट सीमा प्राप्त करने से 3 माह के अंदर पंजीकरण प्रमाणपत्र के लि‍ए भारतीय रि‍ज़र्व बैंक को आवेदन करें।

7. शर्तों के अनुपालन के लि‍ए कार्ययोजना:

(i) कोर नोवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश, 2011 में वि‍नि‍र्दि‍ष्ट शर्तें पूरी न कर पाने वाली संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण जमाराशि‍याँ न स्वीकारने वाली कोर नि‍वेश कंपनि‍यों को चाहि‍ए कि‍ वे इन शर्तों के अनुपालन के लि‍ए कार्य योजना बनाकर भारतीय रि‍ज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय से पैरा 6(v) के तहत छूट के लि‍ए संपर्क करें जि‍सके अधि‍कार क्षेत्र में वे पंजीकृत हैं।

(ii) पंजीकरण प्रमाणपत्र के लि‍ए आवेदन करने वाली संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण जमाराशि‍याँ न स्वीकार करने वाली कोर नि‍वेश कंपनि‍यों की कार्य योजना की भारतीय रि‍ज़र्व बैंक जांच करेगा तथा ऐसी शर्तें व नि‍षेध/रोक लगा सकता है जि‍न्हे वह उचि‍त समझे।

कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश , 20113

8. निदेशो का विस्तार

यह निदेश सभी कोर निवेश कंपनियों पर लागू होंगे , अर्थात, एक ऎसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी, जो अंतिम लेखा परीक्षित तुलनपत्र के तारीख को निम्नलिखित शर्तें पूरी करते हुए, शेयरों तथा प्रतिभूतियों के अर्जन का कारोबार करती है.

(i) वह अपनी निवल परिसंपत्तियों के 90% से कम न हो, ग्रूप कंपनियों के ईक्विटी शेयर, प्रिफरेंश शेयर, बॉंडस, डिवेंचर , कर्ज या ऋण में किए गए निवेश के रूप में धारण करती है.

(ii) ग्रूप कंपनियों के ईक्विटी शेयरों (इनमें वे लिखत शामिल हैं जो अनिवार्यत: ईक्विटी शेयरों में उनके जारी होने से 10 वर्ष से अधिक अवधि में परिवर्तनीय नहीं है) में उसके निवेश का प्रतिशत उसकी निवल परिसंपत्तियों, जैसा कि उक्त धारा (i) में दर्शाया गया है, के 60% से कम न हो.

(iii) वह अपनी हिस्सेदारी कम करने या समाप्त करने के लिए एकमुश्त बडी मात्रा में बिक्री को छोडकर , ग्रूप कंपनियों के शेयरों, बॉंडो, डिबेंचरों कर्जो या ऋणों में किए गए निवेश की क्रय - विक्रय न करती हो;

(iv) वह भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 की धारा 45 झ (ग) तथा 45 झ (च) में यथा वर्णित कोई अन्य वित्तीय गतिविधियों , निम्नलिखित के इत्तर हो. निवेश करती है

i) बैंक जमाराशियों
ii) मुद्रा बाजार मिच्युअल फंड सहित मुद्रा बाजार लिखतों,
iii) सरकारी प्रतिभूतियां तथा
iv) ग्रूप कंपनियों द्वारा जारी बॉंड या डिबेंचर ग्रूप कंपनियों को ऋण स्वीकृत करना तथा ग्रूप कंपनियों के बदले गारेंटी जारी करना.

9. परिभाषायें

(1) इन निदेशों के प्रयोग हेतु, जबतक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:

"समायोजित निवल मालियत का अर्थ है"

i) वित्त वर्ष के अंत में अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र में दिखाई गई कुल राशि जिसमें स्वाधिकृत निधियां जैसाकि गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियां स्वीकार न करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेशिका, 2007 में परिभाषित है.

ii) जो निम्नवत बढाया गया हो:-

(ए) वित्त वर्ष के अंत में अंतिम लेखापरीक्षित तुलन पत्र की तारीख को कोटेड निवेशो के बही मूल्य में हुई वृद्धि की अवसूलित राशि का 50%, (निवेश के मूल्य में वृद्धि के गणना, उसके बही मूल्य की तुलना में उसके कुल बाजार मूल्य में हुई वृद्धि के अनुसार की जाएगी) तथा

(बी) अंतिम लेखापरीक्षित तुलन पत्र के तारीख को ईक्विटी शेयर पूंजी में हुई वृद्धि , यदि कोई होतो.

iii) जो निम्नवत घटाया गया हो :-

(ए) कोटेड निवेशों के बही मूल्य में घट गई राशि (जिसकी गणना कोटेड निवेशों के बाजार मूल्य की तुलना में उसके बही मूल्य में हुई घटोत्तरी के अनुसार की जाएगी) और,

(बी) अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख से ईक्विटी शेयर पूंजी में हुई घटोत्तरी, यदि कोई हो तो.

(बी) "ग्रूप में कंपनी" का अर्थ ऎसी व्यवस्था जिसमें दो या दो से अधिक संस्थान (entities) का निम्नलिखित संबंधो में से किसी के द्वारा एक दुसरे से जुडा रहना. सहायक कंपनी- मूल कंपनी (एएस 21 के प्रावधानों के तहत परिभाषित), संयुक्त उपक्रम (एएस 27 के प्रावधानों के तहत परिभाषित) , सम्बद्ध (एएस 23 के प्रावधानों के तहत परिभाषित), प्रोमोटर - प्रोमोटी (सेबी विनियमन , 1997 (शेयरो का अधिग्रहण तथा टेकओवर) के आधार पर) , लिस्टेड कंपनी के लिए, संबंधित पार्टी (एएस 18 के प्रावधानों के तहत परिभाषित) , समान ब्रांड वाले नाम तथा ईक्विटी में 20% तथा अधिक का निवेश.

(सी) "निवेश" का अर्थ है सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा जारी प्रतिभूतियां या अन्य बाजार प्रतिभूतियां के तरह प्रकृति वाले या शेयर, स्टॉक, बॉंड डिबेंचर में शामिल निवेश.      

(डी) "कोट किए गए निवेशों" के बाजार मूल्य" का अर्थ वित्तीय वर्ष , जिसके लिए तुलनपत्र उपलब्ध है, की समाप्ति से ठीक पूर्ववर्ती 26 सप्ताहों की अवधि के दौरन किसी मान्यता प्राप्त शेयर बाजार, स्टॉक एक्सेंज, में जहां निवेश प्रमुखत: सक्रिय रूप से खरीदा - बेचा जाता (ट्रेड होता) रहा हो , में निवेश के कोट किए गए उच्च तथा न्यून भावों का औसत .

(ई) निवल परिसंपत्ति का अर्थ कुल परिसंपत्तियों में से निम्नलिखित को छोडकर -      

(i) नकदी एंव बैंक में जमाशेष;
       (ii) मुद्रा बाजार लिखतों में निवेश ;
       (iii) करों का अग्रिम भुगतान ;
       (iv) अस्थगित कर भुगतान .

(एफ) "वाह्य देयताओं" का अर्थ "प्रदत्त पूंजी " तथा "रिजर्व एंव अधिक" को छोडकर , लिखत को जारी करने की तारीख से अधिकत्म 10 वर्ष की अवधी के अंदर अनिवार्य रूप से ईक्विटी शेयर में बदल दिया गया हो, किंतु सभी प्रकार के कर्ज तथा देयताओं जिनके कर्ज की सभी विशेषताएं हो चाहे वे संमिश्र लिखत या अन्यथा जारी करके निर्मित किए गए हों तथा गारंटियों का मूल्य चाहे वे तुलन पत्र में दिखाई गई हो या नहीं सहित तुलनपत्र में देयता की ओर दिखाई देने वाली सभी देयताएं.      

(जी) "सार्वजनिक निधि" अर्थात जनता जमानिधि, वाणिज्यिक पत्र, डेबेंचर, अंतर कार्पोरेट जमायें तथा बैंक वित्त द्वारा प्रत्येक्ष या परोक्ष रूप से निधि बनाना किंतु लिखत को जारी करने की तारीख से अधिकतम 10 वर्ष की अवधी के अंदर अनिवार्य रूप से बदले गए ईक्विटी शेयर से बनाये गए निधियों को छोडकर.

(एच) "संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी" का अर्थ है सार्वजनिक निधियों का धारण या उगाही सहित अन्य कोर निवेश कंपनियों के साथ या तो ग्रूप में समग्र या केवल अकेले का कुल परिसंपत्ति रू 100 करोड से कम नहीं होना चाहिए.

(आई) "कुल परिसंपत्ति" का अर्थ तुलनपत्र में परिसंपत्ति के तरफ दिखाया जाने वाला कुल परिसंपत्ति.

विनियामन संरचना

10. पंजीकरण

(1) इस अधिसूचना को जारी करने की तारीख से छ: माह की अवधी के अंदर संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण - जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CIC-ND-SI) को, इस संबंधि पूर्व में जारी किसी भी सूचना के बावजुद, भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु आवेदन करना होगा.

(2) संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण- जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CIC-ND-SI) जिन्होंने ने कथित छ: माह की अवधि में भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्ति हेतु आवेदन किया है , वे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उनके आवेदन पर कार्यवाई के दिनांक तक अपनी मौजूदा कोर निवेश कारोबार जारी रखने का हकदार होगा.

(3) संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण- जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CIC-ND-SI) बनने की तारीख से तीन माह की अवधि के अंदर भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्ति हेतु आवेदन करनी होगी.

4(4) भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण की छूट प्राप्त करने वाली प्रत्येक कोर निवेश कंपनी को एक बोर्ड संकल्प पास करना होगा कि भविष्य में यह सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन नहीं करेंगी। तथापि कोर निवेश कंपनियों को उनके द्वारा अथवा उनके ग्रूप संस्थाओं की तरफ से लिये गये अन्य आकस्मिक देनदारियों पर गारेंटी जारी करने की आवश्यकता है। ऐसा करने के पूर्व, कोर निवेश कंपनियां यह अवश्य सुनिश्चित करें कि इसके तहत जब और जैसे कोई दायित्व उत्पन्न होगी वे इसे पूरा करेंगी। विशेष रूप से, कोर निवेश कंपनियां, जिन्हें पंजीकरण आवश्यकताओं से छूट प्राप्त है उन्हें सार्वजनिक निधियों के आश्रय के बगैर देनदारी के अंतरण की स्थिति के लिए आवश्यक रूप से तैयार रहना होगा, अन्यथा सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन के पूर्व उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण के लिए अनुरोध करना होगा। ` 100 करोड से अधिक परिसंपत्ति वाली अपंजीकृत कोर निवेश कंपनी यदि भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किये बगैर सार्वजनिक निधियों तक अभिगमन करती है तो इसे 05 जनवरी 2011 का कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 के उल्लघंन के रूप में देखा जाएगा।

पूंजी अपेक्षाएं

संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण- जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CIC-ND-SI) इस प्रकार न्यूनतम पूंजी अनुपात हमेशा बनाए रखाना चाहिए कि वित्त वर्ष के अंत में उसके अंतिम (last) लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को उसकी समायोजित निवल मालियत (Net worth) तुलनपत्रगत परिसंपत्तियों के समग्र जोखिम भार तथा तुलन पत्र से इत्तर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य के 30% से कम न हो.

स्पष्टिकरण

तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के संबंध में

(1) इन निदेशो में, ऋण जोखिम की मात्रा के रूप में व्यक्त प्रतिशत भार को तुलनपत्र के परिसंपत्ति से लिया गया है. अत: परिसंपत्ति/ मद को संबंधित परिसंपत्ति का जोखिम समायोजित मूल्य से प्राप्त जोखिम भार से गुणा करने की आवश्यकता है. कुल न्यूनतम पूंजी अनुपात की गणना में ध्यान रखा जाए. जोखिम भार परिसंपत्तियों की गणना निम्नलिखित कुल भार निधि मद के विवरण के अनुसार किया जाए.

भार जोखिम परिसंपत्तियां -तुलनपत्र में दी गई मदों के संबंध में

प्रतिशत भार

(i) बैंकों में मियादी जमा एंव उनके पास जमा प्रमाण पत्र - सहित नकदी और बैंक जमा शेष

0

(ii) निवेश

 

(ए) अनुमोदित प्रतिभूतियां (निम्न में से (सी) के अलावा)

0

(बी) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बॉंड

20

(सी) सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के बॉंड/ मीयादी जमा/जमा प्रमाणपत्र

100

(डी) सभी कंपनियों के शेयर तथा सभी कंपनियों डिबेंचर/ बॉंड/ वाणिज्यिक पत्र तथा मिच्युअल फंडस के यूनिटें

100

(iii) चालू परिसंपत्ति

 

(ए) किराये पर स्टॉक (निवल बही मूल्य)

100

(बी) अंतर- कंपनी ऋण / जमा

100

(सी) कंपनी के द्वारा ही धारित जमाराशियों की पूरी जमानत पर ऋण

0

(डी) स्टॉफ को ऋण

0

(ई) अन्य जमानती ऋण और अग्रिम जिन्हें अच्छा पाया गया है.

100

(एफ) भुनाए गए / खरीदे गए बिल

100

(जी) अन्य (विनिर्दिष्ट करें)

100

(iv) अचल परिसंपत्ति (मूल्यह्रास घटाने के बाद)

 

(ए) पट्टे पर दी गई परिसंपत्तियां (निवल बही मूल्य)

100

(बी) परिसर

100

(सी) फर्निचर और फिक्सचर

100

(v) अन्य परिसंपत्तियां

 

(ए) स्रोत पर काटे गए आयकर (प्रावधान घटाकर)

0

(बी) अदा किया गया अग्रिम कर (प्रावधान घटाकर)

0

(सी) सरकारी प्रतिभूतोयों पर देय (Due/ ड्यू) ब्याज

0

(डी) अन्य (स्पष्ट किया जाए)

100

टिप्पणी :

(1) घटाने का कार्य केवल उन्हीं परिसंपत्तियों के संबंध में किया जाए जिनमें मूल्यह्रास या अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान किए गए हों.

(2) निवल स्वाधिकृत निधि की गणना के लिए जिन परिसंपत्तियों को स्वाधिकृत निधि से घटाया गया है उस पर भार " शून्य" होगा.

(3) जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता के समग्र निधिक जोखिम की गणना करते समय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां उधारकर्ता के खाते में कुल बकाया अग्रिमों से नकदी मार्जिन/ प्रतिभूति जमा/ जमानती राशि रूपी संपार्श्विक प्रतिभूति, जिसकी मुजरायी (Set off) के लिए अधिकार उपलब्ध है , का समायोजन कर सकती है.

(4) भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (CCIL) प्रति संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण - जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CICs-ND-SI) के (संपार्श्वीकृत उधार और ऋण्दायी बाध्यताएं / CBLOs) प्रतिभूतियों में किए गए वित्तीय लेनेदेनों के कारण जो जोखिम प्रतिपक्षी क्रेडिट रिस्क के रूप में उत्त्पन्न होते हैं, उन पर जोखिम भार शून्य होगा क्योंकि इनके बाबत यह माना जाता है कि भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड के प्रति प्रतिपक्ष से हुए जोखिम दैनिक आधार पर पूर्णत: संपार्श्विक प्रतिभूति से अवतरित होते हैं जो केंद्रीय प्रतिपक्ष पार्टी (CCP) के क्रेडिट रिस्क को सुरक्षा प्रदान करते है. तथापि, संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वप्पूर्ण- जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CICs-ND-SI) द्वारा भारतीय समासोधन निगम लिमिटेड (CCIL) के पास रखी जमाराशियों/ समपार्श्वीक प्रतिभूतियों के लिए जोखिम भार 20% होगा.

तुलन पत्र से इत्तर मद

(2) इन निदेशों में, तुलनपत्र से इतर मदों से संबंद्ध ऋण जोखिम (एक्सपोजर) की मात्रा को ऋण परिवर्तन कारक के प्रतिशत के रूप में दर्शाया गया है. अत: तुलनपत्र से इत्तर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना के लिए सबसे पहले प्रत्येक मद के अंकित मूल्य को उसके संगत परिवर्तन कारक (कंवर्सन फैक्टर) से गुणा करना होगा. इसके सकल को न्युनतम पूंजी अनुपात निकालने के लिए हिसाब में लिया जाएगा. इसे पुन: जोखिम भार 100 से गुणा किया जाएगा. तुलनपत्र से इत्तर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना , गैर - निधिक मदों के ऋण परिवर्तन कारकों द्वारा निम्नानुसार की जाएगी:-

मद का स्वरूप

ऋण परिवर्तक कारक प्रतिशत

i) वितीय तथा अन्य गारेंटी यां

100

ii) शेयर / डिबेंचर हामीदारी दायित्व

50

iii) अंशीक प्रदत्त शेयर/ डिबेंचर

100

iv) भुनाए/ पुन: भुनाए गए बिल

100

v) किए गए पट्टा करार जो निष्पादित होने है.

100

लेवरेज़ (Leverage) अनुपात

6. संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वप्पूर्ण- जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनी (CIC-ND-SI) यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी वाह्य देयताए वित्त वर्ष के अंत में उसके अंतिम (last) लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को उसकी समायोजित निवल मालियत के 2.5 गुने से अधिक न हों.

छूट

(i) अधिनियम 45-I क (1)(ख) का प्रावधान, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी वाली कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में परिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर लागू नहीं होती, बशर्ते यह उक्त निदेश में निहित पूंजी आवश्यकताओं तथा लाभ अनुपात का अनुपालन करती है 5.

(ii) गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा राशि नहीं स्वीकार करने वाली या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश 2007 में अंतर्विष्ट 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना डीएनबीएस.193/डीजी(वीएल)-2007 के पैराग्राफ 15,16 तथा 18 के प्रावधान कोर निवेश कंपनी निदेश में पारिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर लागू नहीं होंगे बशर्ते कोर निवेश कंपनी वार्षिक लेखापरीक्षा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करती है तथा कोर निवेश कंपनी निदेश में निहित पूंजी आवश्यकताओं तथा लाभ अनुपात के आवश्यकताओं का अनुपालन करती है6.

11. सांवि‍धि‍क लेखापरीक्षक का वार्षि‍क प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना

प्रत्येक संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि‍ से महत्त्वपूर्ण जमाराशि‍याँ न स्वीकार करने वाली कोर नि‍वेश कंपनि‍यों से अपेक्षि‍त है कि‍ वे तुलनपत्र को अंति‍म रूप देने की तारीख से एक माह के अंदर उक्त दि‍शानि‍र्देशों के अनुपालन के संबंध में सांवि‍धि‍क लेखापरीक्षक का वार्षि‍क प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें।

विविध

12. छुट

भारतीय रिजर्व बैंक, यदि किसी कठिनाई को टालने अथवा किसी अन्य उचित एंव पर्याप्त कारण से ऎसा आवश्यक समझता है, तो वह किसी संपूर्ण प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण-जमाराशियां न स्वीकार करने वाली कोर निवेश कंपनियां (CIC-ND-SI) को इन निदेशों के सभी अथवा किसी प्रावधानों के अनुपालन के लिए और समय प्रदान कर सकता है अथवा या तो सामान्य रूप से या किसी विशिष्ट अवधि के लिए छूट दे सकता है, जो उन शर्तों के अधीन होगा, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ने उन पर लगाए है.

13. व्याख्या (Interpretattions)

इन निदेशों के प्रावधानों को लागू करने के प्रयोजन से, भारतीय रिजर्व बैंक यदि आवश्यक समझता है तो इसमें शामिल किसी भी मामले के बारे में आवश्यक स्पष्टिकरण जारी कर सकता है और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इन निदेशों के किसी प्रावधान की दी गई व्याख्या अंतिम होगी और सभी संबंधित पक्षों पर बाध्यकारी होगी.


परिशिष्ट

क्रम

परिपत्र सं

दिनांक

1.

डीएनबीएस(पीडी)सीसी.सं: 206/03.10.001/2010-11

5 जनवरी 2011

2.

डीएनबीएस.पीडी.सीसी.सं. 274/03.02.089/2011-12

11 मई 2012


1 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस(पीडी) 220/सीजीएम(यूएस)-2011

2 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस(पीडी) 221/सीजीएम(यूएस)-2011

3 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस(पीडी)219/सीजीएम(यूएस)-2011

4 11 मई 2012 की अधिसूचना सं:डीएनबीस(पीडे)245/सीजीएम(यूएस)-2012 द्वारा शामिल किया गया

5 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस (पीडी) 220/सीजीएम (यूएस) 2011

6 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना सं:डीएनबीएस पीडी)221/सीजीएम(यूएस) 2011

 
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