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Date: 21/10/2021
विविध विदेशी मुद्रा सुविधाएं

(अक्टूबर 21, 2021 तक अद्यतन)

भारत में विदेशी मुद्रा लेन देन के प्रबंध के लिए विधिक ढांचा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 द्वारा प्रदान किया गया है। विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) जो कि 1 जून 2000 से लागू हुआ, के अंतर्गत विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी लेन देन को या तो पूंजीगत अथवा चालू खाता लेन देन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। किसी निवासी द्वारा किए गए सभी लेनदेन जिनसे भारत के बाहर उसकी आस्तियों अथवा देयताओं जिनमें आकस्मिक देयताएँ शामिल हैं, में परिवर्तन नहीं होता है को चालू खाता लेनदेन कहते हैं।

फेमा की धारा-5 के अनुसार भारत1 में निवास करने वाले व्यक्ति के पास किसी भी चालू खाता लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा खरीदने अथवा बेचने की स्वतन्त्रता है। इन में अपवाद केवल उन लेनदेन, जैसे कि लाटरी जीत में से विप्रेषण; रेसिंग / राइडिंग, आदि या अन्य किसी शौक से प्राप्त आय का विप्रेषण; लाटरी टिकट, प्रतिबंधित / वर्जित पत्रिकाओं,फुटबाल पूल्स, स्वीपस्टेक, आदि की खरीद के लिए विप्रेषण; किसी ऐसी कंपनी द्वारा लाभांश का विप्रेषण जिस पर लाभांश संतुलन की आवश्यकता लागू है ; रूपी स्टेट क्रेडिट रूट के अधीन निर्यात पर कमीशन का भुगतान, सिवाय चाय और तंबाकू के निर्यात के बीजक मूल्य के 10% तक कमीशन ; भारतीय कंपनियों की विदेश में संयुक्त उद्यमों / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक संस्थाओं में ईक्विटी निवेश के लिए किए गए निर्यात पर कमीशन का भुगतान; नॉन – रेसीडेंट स्पैशल रूपी (खाता) योजना में धारित निधियों पर ब्याज आय का विप्रेषण तथा टेलीफोन की “काल बॅक सर्विसेज” से संबंधित भुगतान, के संबंध में है जिन के लिए विदेशी मुद्रा आहारित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाएं हैं।

दिनांक 3 मई 2000 (अनु-I) की अधिसूचना सं जी.एस.आर. 381 (ई) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 (बाद में उन्हें “नियम” कहा जाएगा) तथा 26 मई 2015 की अधिसूचना जीएसआर 426 (ई)में दिए गए नियमों की संशोधित अनुसूची-III सरकारी राजपत्र में तथा हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध “अन्य विप्रेषण सुविधाएं”पर हमारे मास्टर अनुदेश के अनुबंध के रूप में उपलब्ध है।

यह “अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का यह प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें।

प्रश्न 1: प्राधिकृत व्यापारी(एडी) कौन है?
प्रश्न 2: यात्रा के प्रयोजन से विदेशी मुद्रा बेचने के लिए रिज़र्व बैंक ने किसे प्राधिकृत किया है?
प्रश्न 3. विदेश यात्रा के लिए नकद रूप से कितनी विदेशी मुद्रा साथ ले जा सकते हैं?
प्रश्न 4. भारत आते समय कितनी भारतीय मुद्रा साथ ला सकते हैं?
प्रश्न 5. भारत का दौरा करते समय कितनी विदेशी मुद्रा ले आ सकते हैं?
प्रश्न. 6. क्या विदेश यात्रा करने के लिए खरीदी जाने वाली विदेशी मुद्रा की रुपये में समतुल्य राशि का पूर्ण भुगतान नकद रूप से किया जा सकता है?
प्रश्न 7. क्या भारत में लौटने वाले यात्री को विदेशी मुद्रा अभ्यर्पित करने के लिए कोई समय-सीमा है?
प्रश्न 8. क्या विदेश से लौटने पर विदेशी सिक्कों को किसी प्राधिकृत व्यापारी को अभ्यर्पित करने चाहिए?
प्रश्न 9 क्या यात्रा की कोई ऐसी श्रेणी है जिसके लिए रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार का पूर्वानुमोदन आवश्यक है?
प्रश्न 10. क्या विदेशी अभिदाय विनियमन अधिनियम, 1976 के अंतर्गत विदेश से अनुदान/ दान प्राप्त करने के लिए अनुमति अपेक्षित है?
प्रश्न 11. विदेशी मुद्रा लेनदेन करने के लिए किसे अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड(आईसीसी) तथा अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड(आईडीसी) धारित करने की अनुमति है?
प्रश्न 12. विदेश जाते समय कितने गहने ले जा सकते हैं?
प्रश्न 13. क्या कोई निवासी, किसी अनिवासी की स्थानीय मेजबानी कर सकता है?
प्रश्न 14 क्या निवासी व्यक्ति अपनी ऐसी यात्रा के लिए भारत में हवाई टिकिट खरीद सकते हैं जिसमें वे भारत में नहीं आ रहे हैं?
प्रश्न 15. क्या निवासी व्यक्तियों द्वारा भारत में अपने अनिवासी भारतीय निकट संबंधी के चिकित्सा व्यय की पूर्ति करने की अनुमति है?
प्रश्न 16. क्या भारत में निवास करने वाला व्यक्ति भारत के बाहर आस्तियां धारित कर सकता है?

प्रश्न 1: प्राधिकृत व्यापारी (एडी) कौन है ?

उत्तर: "प्राधिकृत व्यापारी" का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 अधिनियम की धारा-10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा अथवा विदेशी प्रतिभूतियों में व्यापार करने के लिए प्राधिकृत किये गए व्यक्ति से है (एडी की सूची www.rbi.org.in पर उपलब्ध है) और समान्यतः इनमें बैंक शामिल हैं।

प्रश्न 2: यात्रा के प्रयोजन से विदेशी मुद्रा बेचने के लिए रिज़र्व बैंक ने किसे प्राधिकृत किया है?

उत्तर: विदेशी मुद्रा किसी भी प्राधिकृत व्यक्ति जैसे कि एडी श्रेणी-I बैंक तथा एडी श्रेणी- II बैंक से खरीदी जा सकती है। संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफ़एफ़एमसी) को भी कारोबारी तथा निजी दौरों के लिए विदेशी मुद्रा देने की अनुमति है।

प्रश्न 3. विदेश यात्रा के लिए नकद रूप से कितनी विदेशी मुद्रा साथ ले जा सकते हैं?

उत्तर: नीचे (ए) तथा (बी) में उल्लिखित देशों से इतर सभी देशों की यात्रा पर जा रहे यात्रियों को प्रतियात्रा 3000 अमरीकी डालर तक के विदेशी मुद्रा नोट / सिक्के खरीदने की अनुमति है। शेष राशि को स्टोर वैल्यू कार्ड, यात्रा चेकों अथवा बैंकर्स ड्राफ्ट के रूप में ले जा सकते हैं। इस के अपवाद हैं: (ए) इराक या लीबिया को जा रहे यात्री, जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में प्रतियात्रा 5000 अमरीकी डालर या उसके बराबर से अनधिक राशि आहारित कर सकते हैं; (बी) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, रशियन फेडरेशन तथा स्वतंत्र देशों के कामनवैल्थ के अन्य गणतंत्र की यात्रा करने वाले यात्री जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में पूरी विदेशी मुद्रा (250,000 अमरीकी डॉलर) आहारित कर सकते हैं

एफ़एफ़एमसी / एडी बैंकों द्वारा हज / उमराह की तीर्थयात्रा पर जा रहे यात्री – पात्रता की पूरी (250,000 अमरीकी डॉलर) राशि नकदी में या भारत की हज समिति द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा तक नकदी जारी कर दी जाए।

प्रश्न 4. भारत आते समय कितनी भारतीय मुद्रा साथ ला सकते हैं?

उत्तर: भारत का कोई निवासी, जो भारत के बाहर अस्थायी दौरे पर गया है, भारत के बाहर किसी भी स्थान (नेपाल और भूतान को छोड़कर) से अपनी भारत वापसी के समय भारत सरकार के मुद्रा नोट तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के नोट ला सकता है जिनका मूल्य रु25,000/- से अधिक न हो। कोई व्यक्ति नेपाल अथवा भूटान से रु100 से अधिक मूल्यवर्ग के भारत सरकार के मुद्रा नोट तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के नोट नहीं ला सकता। भारत का दौरा करने वाला भारत के बाहर का निवासी कोई व्यक्ति, जो पाकिस्तान तथा बांग्लादेश का नागरिक नहीं है तथा जो पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से न तो आ रहा है और न वहाँ जा रहा है, अगर किसी हवाई अड्डे के माध्यम से भारत में प्रवेश करता है केवल तभी भारत सरकार के मुद्रा नोट तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के नोट ला सकता है परंतु उनका मूल्य रु25,000/- से अधिक नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 5. भारत का दौरा करते समय कितनी विदेशी मुद्रा ले आ सकते हैं?

उत्तर: विदेश से भारत में आनेवाला व्यक्ति अपने साथ किसी सीमा के बिना विदेशी मुद्रा ले आ सकता है। तथापि यदि आए मुद्रा नोटों, बैंक नोटों, अथवा यात्री चेकों के रूप में साथ ले आए विदेशी मुद्रा का कुल मूल्य 10,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अधिक है तथा/ अथवा केवल विदेशी मुद्रा का मूल्य 5,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अधिक है तो भारत में आगमन पर मुद्रा घोषणा फॉर्म (सीडीएफ़) में एयर पोर्ट पर कस्टम्स प्राधिकारियों को उसे घोषित किया जाना चाहिए।

प्रश्न. 6. क्या विदेश यात्रा करने के लिए खरीदी जाने वाली विदेशी मुद्रा की रुपये में समतुल्य राशि का पूर्ण भुगतान नकद रूप से किया जा सकता है?

उत्तर: विदेश यात्रा करने के लिए विदेशी मुद्रा किसी प्राधिकृत व्यक्ति से रु. 50,000 से कम राशि का रुपये में नकद भुगतान कर खरीद सकते हैं। तथापि यदि विदेशी मुद्रा की बिक्री रु. 50,000 के समतुल्य अथवा उससे अधिक राशि के लिए है तो समग्र भुगतान रेखांकित चेक/ बैंकर्स चेक/ पे ऑर्डर/ डिमांड ड्राफ्ट/ क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड/ प्रीपैड कार्ड के माध्यम से किया

प्रश्न 7. क्या भारत में लौटने वाले यात्री को विदेशी मुद्रा अभ्यर्पित करने के लिए कोई समय-सीमा है?

उत्तर: विदेश यात्रा से वापस आने पर यात्रियों को मुद्रा नोट तथा यात्री चेकों के रूप में धारित खर्च न की गई विदेशी मुद्रा को वापस आने की तारीख से 180 दिन के भीतर अभ्यर्पित कर देनी चाहिए। तथापि वे भविष्यकालीन उपयोग के लिए विदेशी मुद्रा नोटों अथवा यात्री चेकों के रूप में 2000 अमरीकी डॉलर के रूप में अथवा अपने निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू)[आरएफ़सी(घरेलू)]खातों में जमा कर विदेशी मुद्रा रख सकते हैं।

प्रश्न 8. क्या विदेश से लौटने पर विदेशी सिक्कों को किसी प्राधिकृत व्यापारी को अभ्यर्पित करने चाहिए?

उत्तर: निवासी किसी सीमा के बिना विदेशी सिक्के धारित कर सकते हैं।

प्रश्न 9 क्या यात्रा की कोई ऐसी श्रेणी है जिसके लिए रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार का पूर्वानुमोदन आवश्यक है?

उत्तर: डांस ट्रौप्स , कलाकार आई, जो विदेश में सांस्कृतिक यात्रा करना चाहते हैं, को मानव संसाधन विकास मंत्रालय(संस्कृति एवं शिक्षा विभाग) , भारत सरकार, नई दिल्ली से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना चाहिए।

प्रश्न 10. क्या विदेशी अभिदाय विनियमन अधिनियम, 1976 के अंतर्गत विदेश से अनुदान/ दान प्राप्त करने के लिए अनुमति अपेक्षित है?

उत्तर: विदेशी अभिदाय विनियमन अधिनियम, 1976 गृह मंत्रालय द्वारा लागू किया जाता है तथा उसकी निगरानी भी उनके द्वारा की जाती है। उनका पता नीचे दिया गया है:-

गृह मंत्रालय, एफसीआरए विंग, पहली मंज़िल, मेज़र ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम, प्रगति मैदान के पास, नई दिल्ली- 110001.

इस संबंध में रिज़र्व बैंक से कोई विशिष्ट अनुमोदन अपेक्षित नहीं है।

प्रश्न 11. विदेशी मुद्रा लेनदेन करने के लिए किसे अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड(आईसीसी) तथा अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड(आईडीसी) धारित करने की अनुमति है?

उत्तर: विदेशी मुद्रा में व्यापार करने के लिए प्राधिकृत बैंक आईडीसी जारी कर सकते हैं जिनका प्रयोग निवासी द्वारा उसके विदेश में दौरे के दौरान नकदी आहरण के लिए या किसी व्यापारिक स्थापना के भुगतान के लिए किया जा सकता है । आईडीसी प्रयोग केवल चालू खाता लेनदेनों के लिए अनुमत है और इन कार्डों के प्रयोग एलआरएस सीमा के भीतर किया जाएगा।

प्राधिकृत डीलर बैंक विदेश में निजी / कारोबारी यात्रा पर जा रहे निवासियों को स्टोर वैल्यू कार्ड/चार्ज कार्ड/स्मार्ट कार्ड जारी कर सकते हैं जो विदेशी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भुगतान करने और एटीएम टर्मिनलों से नकदी निकालने के लिए प्रयोग किए जाते हैं । ऐसे कार्ड जारी करने के लिए रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमती आवश्यक नहीं है। तथापि, ऐसे कार्डों का प्रयोग अनुमत चालू खाता लेनदेनों तक सीमित है और इन कार्डों के प्रयोग एलआरएस सीमा के अधीन होगा।

भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ या विदेश में किसी बैंक के साथ, जैसा कि वर्तमान विदेशी मुद्रा विनियमों के अधीन अनुमत है, विदेशी मुद्रा खाते रखने वाले निवासी व्यक्ति, विदेशी बैंकों तथा अन्य विख्यात एजेंसियों से आईसीसी प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। भारत में या विदेश में, कार्ड पर प्रभार, कार्डधारक के विदेशी मुद्रा खाते (खातों में रखी निधियों में से या भारत से, केवल बैंक के माध्यम से जहां कार्ड धारक का चालू या बचत खाता है, से विप्रेषण, यदि कोई हो, में से दिए जा सकते हैं । इस प्रयोजन के लिए विप्रेषण विदेश में कार्ड जारी करने वाली एजेंसी को सीधे भी भेजा जा सकता है, और किसी अन्य पार्टी को नहीं । यह भी स्पष्ट किया जाता है कि लागू ऋण सीमा कार्ड जारी करने वाले बैंकों द्वारा निर्धारित ऋण सीमा होगी । इस सुविधा के अधीन रिज़र्व बैंक द्वारा कोई विप्रेषण, यदि कोई हो की मौद्रिक सीमा निर्धारित नहीं की गई है । ऐसे व्यक्ति के भारत के बाहर दौरे पर होते समय उसके द्वारा अपने व्यय के भुगतान के लिए किए गए आईसीसी के प्रयोग पर एलआरएस सीमा लागू नहीं होगी।

विभिन्न प्रयोजनों से विदेश यात्रा के लिए आईसीसी/आईडीसी का उपयोग किया जा सकता है तथा विदेशी जर्नल के लिए अभिदान, इंटरनेट अभिदान नीआदि के लिए व्यक्तिगत भुगतान करने के लिए भि किया जा सकता है। तथापि लाटरी टिकट, प्रतिबंधित पत्रिकाओं, आदि की खरीद जैसी फेम(कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची 1 में निर्दिष्ट प्रतिबंधित लेनदेन के लेई आईसीसी/आईडीसी के प्रयोग की अनुमति नहीं है।

नेपाल तथा भूटान में विदेशी मुद्रा में भुगतान करने के लिए इन लिखतों के प्रयोग की अनुमति नहीं है ।

प्रश्न 12. विदेश जाते समय कितने गहने ले जा सकते हैं?

उत्तर: भारत के बाहर व्यक्तिगत गहने ले जाना कस्टम्स विभाग, भारत सरकार द्वारा शासित तथा लागू किए जाने वाले बैगेज नियमों के अनुसार होता है। जहां इस मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक का किसी प्रकार का अनुमोदन आवश्यक नहीं है, फिर भी यदि कोई अनुमोदन अपेक्षित हो तो उसे कस्टम्स विभाग से प्राप्त किया जाए।

प्रश्न 13. क्या कोई निवासी, किसी अनिवासी की स्थानीय मेजबानी कर सकता है?

उत्तर: भारत में निवास करने वाले व्यक्ति भारत के दौरे पर आए भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति के रहने- खाने तथा उससे संबंधित सेवाओं अथवा भारत में आने जाने तथा उसके भीतर की गई यात्रा के संबंध में किए गए व्यय के प्रति भारतीय रुपये में भुगतान करने के लिए स्वतंत्र है।

प्रश्न 14 क्या निवासी व्यक्ति अपनी ऐसी यात्रा के लिए भारत में हवाई टिकिट खरीद सकते हैं जिसमें वे भारत में नहीं आ रहे हैं?

उत्तर: निवासी किसी तीसरे देश में की जाने वाली अपनी यात्रा के लिए भारत में टिकिट बुक कर सकते हैं। उदाहरण के लिए निवासी लंडन से न्यू यॉर्क यात्रा के लिए भारत में देशी/ विदेशी हवाई कंपनियों के माध्यम से टिकिट बुक कर सकते हैं। तथापि वे एयर टिकिट यात्री की 250,000 अमरीकी डॉलर की समग्र एलआरएस पात्रता का भाग होंगे।

प्रश्न 15. क्या निवासी व्यक्तियों द्वारा भारत में अपने अनिवासी भारतीय निकट संबंधी के चिकित्सा व्यय की पूर्ति करने की अनुमति है?

उत्तर: जहां किसी अनिवासी भारतीय निकट संबंधी (कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77)में यथा प्रभाषित किए गए “निकट संबंधी ”) का चिकित्सा व्यय किसी निवासी व्यक्ति द्वारा उठाया जाता है, ऐसा व्यय निवासी से निवासी को लेनदेन होने के कारण अधिसूचना सं फेमा 14(आर) / 2016- आर बी दिनांक 2 मई 2016 के विनियम 6(2) के अधीन “उससे संबंधित सेवाओं” के अधीन कवर किया जाए ।

प्रश्न 16. क्या भारत में निवास करने वाला व्यक्ति भारत के बाहर आस्तियां धारित कर सकता है?

उत्तर: विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा (6) की उप-धारा 4 के अनुसार भारत का निवासी कोई भी व्यक्ति विदेशी मुद्रा, विदेशी प्रतिभूति अथवा भारत के बाहर स्थित किसी अचल संपत्ति को धारित करने, उसका स्वामित्व प्राप्त करने, अंतरण करने अथवा उसमे निवेश करने के लिए स्वतंत्र है यदि इस प्रकार की मुद्रा, प्रतिभूति अथवा संपत्ति को ऐसे व्यक्ति द्वारा तब अर्जित, धारित अथवा उसका स्वामित्व तब प्राप्त किया गया हो जब वह भारत के बाहर का निवासी था अथवा ऐसे व्यक्ति से विरासत पाया हो जो भारत के बाहर का निवासी है ।

साथ ही कोई निवासी व्यक्ति एलआरएस के अंतर्गत विदेशों में संपत्ति तथा अन्य आस्तियां भी अर्जित कर सकता है।


1“भारत में निवास करने वाले व्यक्ति ”को फेमा 1999 की धारा 2 (v) में निम्नानुसार परिभाषित किया गया है:

(i) पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान एक सौ बयासी दिन से अधिक दिन के लिए भारत में निवास करने वाला व्यक्ति लेकिन इसमें निम्नलिखित शामिल नहीं हैं:

(ए) कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित करणों से भारत के बाहर गया हो अथवा जो भारत के बाहर रहता हो, दोनों मामले में:

(ए) भारत के बाहर नौकरी करने के लिए अथवा नौकरी मिल जाने पर, अथवा

(बी) भारत के बाहर कोई कारोबार करने अथवा भारत के बाहर कोई आजीविका करने, अथवा

(सी) कोई अन्य प्रयोजन से, जिन परिस्थितियों में उसने किसी अनिश्चित अवधि के लिए अपने भारत के बाहर रहने के इरादे को निर्दिष्ट किया हो।

(बी) कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित कारणों से भारत में आया हो अथवा रेहता हो, दोनों मामलों में से अन्यथा

(ए) भारत में नौकरी करने के लिए अथवा मिल जाने पर, अथवा

(बी) भारत में कोई कारोबार करने अथवा भारत मे कोई आजीविका करने, अथवा

(सी) कोई अन्य प्रयोजन से, जिन परिस्थितियों में उसने किसी अनिश्चित अवधि के लिए अपने भारत में रहने के इरादे को निर्दिष्ट किया हो।

(ii) भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई व्यक्ति अथवा निगमित निकाय;

(iii) भारत एक बाहर निवास करने वाले व्यक्ति द्वारा भारत में स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित कोई कार्यालय, शाखा अथवा एजन्सि

(iv) भारत में निवास करने वाले व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित कोई कार्यालय, शाखा अथवा एजन्सि

 
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