Download
the hindi
font
 
   हमारा परिचय     उपयोग सूचना     अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न     वित्तीय शिक्षण     शिकायतें   अन्य संपर्क     अतिरिक्त विषय 
Home >> Notification - Display
Note : To obtain an aligned printout please download the (128.00 kb ) version to your machine and then use respective software to print the story.
Date: 01/07/2014
मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों/गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण

आरबीआई/2014-15/9
मास्टर परिपत्र सं. 4/2014-15

1 जुलाई 2014

सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों/गैर-भारतीय मूल
के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण

अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों/गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 21/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा (3), (4) तथा (5) के अनुसार विनियमित किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में जारी विनियामक संरचना(फ्रेमवर्क) तथा अनुदेशों को इस मास्टर परिपत्र में समेकित किया गया है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है।

2. नए अनुदेश जारी होने पर, इस मास्टर परिपत्र को समय-समय पर अद्यतन किया जाता है। मास्टर परिपत्र किस तारीख तक अद्यतन है, इसका उचित रूप में उल्लेख किया जाता है।

3. सामान्य मार्गदर्शन के लिए इस मास्टर परिपत्र का संदर्भ लिया जाए। आवश्यक होने पर विस्तृत जानकारी के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक संबंधित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं का संदर्भ लें।

भवदीय,

(सी॰डी॰श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

1.

प्रस्तावना

2.

भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण

 

ए. अनिवासी भारतीय (एनआरआई)

 

बी. भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ)

3.

विदेशी दूतावासों/ राजनयिकों/ महा वाणिज्यदूतावासों द्वारा अचल संपत्ति का अधिग्रहण

4.

भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा अनुमत कार्यकलाप करने के लिए अचल संपत्ति का अधिग्रहण

5.

अचल संपत्ति की बिक्री-आगम राशि का प्रत्यावर्तन

6.

खरीद प्रतिफल वापस लौटाना

7.

भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण अथवा अंतरण के लिए कतिपय देशों के नागरिकों द्वारा पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता

8.

भारत के बाहर के निवासी गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) द्वारा भारत में अचल संपत्ति की खरीद

संलग्नक-1

भारत सरकार की प्रेस प्रकाशनी

संलग्नक-2

फॉर्म आईपीआई

परिशिष्ट

अधिसूचनाओं/ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्रों की सूची

1.प्रस्तावना

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) रिज़र्व बैंक को भारत से बाहर के निवासी कतिपय व्यक्तियों द्वारा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण अथवा अंतरण को रोकने, प्रतिबंधित करने अथवा नियंत्रित करने के लिए विनियमों को बनाने का अधिकार देता है। भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण अथवा अंतरण को नियंत्रित करने वाले विनियम, समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा सं. 21/2000-आरबी के तहत अधिसूचित किये गये हैं।

2. भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण

ए. अनिवासी भारतीय (एनआरआई)1

(i) अचल संपत्ति की खरीद

अनिवासी भारतीय भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि/बागवानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) को खरीद के मार्फत अर्जित कर सकता है।

(ii) अचल संपत्ति का अंतरण

अनिवासी भारतीय भारत में किसी निवासी व्यक्ति को अचल संपत्ति अंतरित कर सकता है। वह भारत से बाहर के निवासी किसी भारतीय नागरिक अथवा भारत से बाहर के निवासी भारतीय मूल के व्यक्ति को अचल संपत्ति (कृषि भूमि/बागवानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) अंतरित कर सकता है।

(iii) अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान

अनिवासी भारतीय अचल संपत्ति (कृषि भूमि/ बागवानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) के अधिग्रहण के लिए निम्नलिखित में से भुगतान कर सकता है:

ए. भारत से बाहर के किसी स्थान से आवक विप्रेषण के रूप में सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये भारत में प्राप्त निधियों अथवा अपने अनिवासी विदेशी/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक)/अनिवासी सामान्य खाते में नामे डालते हुए।

बी. ऐसे भुगतान यात्री चेकों द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा नोटों द्वारा अथवा उपर्युक्त में विशेष रूप से उल्लिखित को छोड़कर किसी अन्य तरीके से नहीं किये जा सकते हैं।

(iv) अनिवासी भारतीय जिसने सामान्य अनुमति के तहत रिहायशी/वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद की है, उसे रिज़र्व बैंक के पास कोई दस्तावेज फाइल करने की आवश्यकता नहीं है।

बी. भारतीय मूल का व्यक्ति (पीआइओ) 2

(i) अचल संपत्ति की खरीद

भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) को खरीद के रूप में अर्जित कर सकता है।

(ii) अचल संपत्ति का उपहार/विरासत में अर्जन

(ए) भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में निवासी किसी व्यक्ति अथवा किसी अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति से उपहार के रूप में भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) अर्जित कर सकता है।

(बी) भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में निवासी किसी व्यक्ति अथवा भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति, जिसने उक्त संपत्ति, संपत्ति के अर्जन के समय प्रचलित विदेशी मुद्रा कानून अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम विनियमावली के प्रावधानों के अनुसार खरीदी थी, से विरासत के रूप में भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है।

(iii) अचल संपत्ति का अंतरण

भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में कोई अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) भारत में निवासी किसी व्यक्ति को बिक्री के रूप में अंतरित कर सकता है। वह भारत में कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस भारत में निवासी किसी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है, को उपहार अथवा बिक्री के रूप में अंतरित कर सकता है। वह भारत में रिहायशी अथवा वाणिज्यिक संपत्ति भी भारत में निवासी किसी व्यक्ति को अथवा भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है अथवा भारत के बाहर के निवासी भारतीय मूल के व्यक्ति को उपहार के रूप में अंतरित कर सकता है।

iv) भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान

भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) के अधिग्रहण के लिए भुगतान कर सकता है:

(ए) सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये आवक विप्रेषण द्वारा प्राप्त निधियों में से खरीद के रूप में अथवा उसके अनिवासी विदेशी/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक)/ अनिवासी सामान्य खाते में नामे डालते हुए।

(बी) ऐसे भुगतान यात्री चेकों द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा नोटों द्वारा अथवा उपर्युक्त में विशेष रूप से उल्लिखित को छोड़कर किसी अन्य तरीके से नहीं किया जा सकते हैं।

(v) भारतीय मूल का व्यक्ति, जिसने सामान्य अनुमति के तहत रिहायशी/ वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद की है, उसे रिज़र्व बैंक के पास कोई दस्तावेज फाइल करने की आवश्यकता नहीं है।

3. विदेशी दूतावासों/ राजनयिकों/ महा वाणिज्यदूतावासों द्वारा अचल संपत्ति का अधिग्रहण

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 के विनियम 5ए के अनुसार विदेशी दूतावास/ राजनयिक/ महा वाणिज्यदूतावास भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) की खरीद/ बिक्री कर सकते हैं बशर्ते-

(i) इस प्रकार की खरीद/ बिक्री के लिए भारत सरकार, विदेश मंत्रालय से मंजूरी (क्लियरंस), तथा

(ii) भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये विदेश से विप्रेषित निधियों में से किया जाता है।

4. भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा अनुमत कार्यकलाप करने के लिए अचल संपत्ति का अधिग्रहण

भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति, जिसने विदेशी मुद्रा प्रबंध (शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की भारत में स्थापना) विनियमावली, 2000 के अनुसार भारत में किसी कार्यकलाप करने के लिए संपर्क कार्यालय को छोड़कर किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना की है, वह –

(ए) भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है, जो इस प्रकार के कार्यकलाप करने के लिए आवश्यक तथा प्रासंगिक है, बशर्ते उस समय में प्रचलित सभी लागू कानूनों, नियमों, विनियमों अथवा निर्देशों का विधिवत् पालन किया जाता है; और वह व्यक्ति अधिग्रहण की तारीख से नब्बे दिनों के भीतर फॉर्म आइपीआइ (संलग्नक–2) में रिज़र्व बैंक को एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करता है।

(बी) उपर्युक्त खंड (ए) के अनुसार अर्जित अचल संपत्ति का किसी उधार के लिए प्रतिभूति के रूप में प्राधिकृत व्यापारी को बंधक के रूप में अंतरित कर सकता है।

5. अचल संपत्ति की बिक्री आगम राशि का प्रत्यावर्तन

(ए) खरीद के रूप में अर्जित अचल संपत्ति

(ए) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (5)3 में उल्लिखित व्यक्ति, अथवा उसका उत्तराधिकारी रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना उक्त उप-धारा में उल्लिखित अचल संपत्ति की बिक्री आगम राशि भारत के बाहर प्रत्यावर्तित नहीं करेगा।

(बी) भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति है, द्वारा भारत में कृषि भूमि/फार्म हाउस/ बागबानी संपत्ति को छोड़कर अचल संपत्ति की बिक्री के मामले में, प्राधिकृत व्यापारी बिक्री आगम राशि भारत से प्रत्यावर्तित करने के लिए अनुमति दे सकता है, बशर्ते निम्नलिखित शर्तों को पूर्ण किया जाता हो, अर्थात्:

(i) बिक्रेता द्वारा अचल संपत्ति, अधिग्रहण के समय लागू विदेशी मुद्रा कानून के प्रावधानों अथवा इन विनियमों के प्रावधानों के अनुसार अर्जित की गयी थी;

(ii) प्रत्यावर्तित की जानेवाली राशि निम्नलिखित से अधिक नहीं होनी चाहिए:

  • सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए प्राप्त विदेशी मुद्रा में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए अदा की गयी राशि, अथवा

  • विदेशी मुद्रा अनिवासी खाते में धारित निधियों में से अदा की गयी राशि, अथवा

  • जहां संपत्ति के अधिग्रहण के लिए इस प्रकार का भुगतान अनिवासी बाह्य खाते में धारित निधियों से किया गया था, अदा की गयी राशि के समतुल्य विदेशी मुद्रा (भुगतान की तारीख को);और

(iii) रिहायशी संपत्ति के मामले में, बिक्री आगम राशि का प्रत्यावर्तन इस प्रकार की दो संपत्तियों से अनधिक तक प्रतिबंधित है।

(बी) विरासत/वसीयत के रूप में/रूपया निधियों में से अर्जित अचल संपत्ति

अनिवासी भारतीय (एनआरआई)/भारतीय मूल का व्यक्ति (पीआईओ) अनिवासी सामान्य खाते में धारित/खरीद के रूप में आस्तियों की बिक्री आगम राशि/विरासत/वसीयत के रूप में/रुपया निधियों में से उसके द्वारा अर्जित भारत में आस्तियों के शेष में से प्रति वित्तीय वर्ष 1,000,000 (केवल एक मिलियन अमरीकी डॉलर) अमरीकी डॉलर तक की राशि विप्रेषित कर सकता है। यह विप्रेषण विप्रेषक द्वारा अधिग्रहण, विरासत अथवा आस्तियों के वसीयत के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्यों के प्रस्तुतीकरण और समय-समय पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा यथा विनिर्दिष्ट लागू करों का भुगतान करने की शर्त के अधीन है। किसी वित्तीय वर्ष में 1,000,000 (केवल एक मिलियन अमरीकी डॉलर) अमरीकी डॉलर से अधिक के विप्रेषणों के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है।

उसके माता-पिता अथवा किसी नजदीकी रिश्तेदार(कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित) द्वारा किये गये भुगतान विलेख और अधिवासी की मृत्यु होने पर किये जा रहे भुगतान के मामलों में, विप्रेषण के लिए मूल भुगतान विलेख प्रस्तुत किया जाए। सभी विप्रेषण समय-समय पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा यथा विनिर्दिष्ट लागू करों का भुगतान करने की शर्त के अधीन होंगे।

जब उपर्युक्तानुसार विप्रेषण एक से अधिक किस्त में किया जाए, तब ऐसी सभी किस्तों का विप्रेषण एक ही प्राधिकृत व्यापारी के जरिये किया जाएगा।

6. खरीद प्रतिफल वापस लौटाना

प्राधिकृत व्यापारी, रिहायशी/ वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद के लिए फ्लैट/ प्लॉट के अनाबंटन/ बुकिंग/ सौदे रद्द करने के कारण गृह निर्माण एजेंसियों / विक्रेताओं द्वारा आवेदन/ बयाना धन/ खरीद प्रतिफल की वापसी की राशि ब्याज सहित, यदि कोई हो, (उस पर दिये जाने वाला आय कर का निवल) अनिवासी विदेशी खाते/ विदेशी मुद्रा अनिवासी(बैंक) खाते में जमा करने की अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते मूल भुगतान, खाता धारक के अनिवासी विदेशी खाते/ विदेशी मुद्रा अनिवासी(बैंक) खाते में से किया गया हो अथवा भारत के बाहर से सामान्य बैंकिंग चैनलों से विप्रेषण किया गया हो तथा जिसके बारे में प्राधिकृत व्यापारी उसकी सत्यता से संतुष्ट हो।

7. कतिपय देशों के नागरिकों द्वारा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण (अर्जन) अथवा अंतरण पर प्रतिबंध

ऐसा कोई व्यक्ति जो पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल अथवा भूटान का कोई नागरिक है, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना भारत में, पाँच वर्षों से कम अवधि के लिए अचल संपत्ति पट्टे पर लेने के सिवाय कोई अन्य अचल संपत्ति अर्जित अथवा अंतरित नहीं करेगा।

8. भारत के बाहर के गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) द्वारा भारत में अचल संपत्ति की खरीद

(i) भारत के बाहर के गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) को भारत में कोई अचल संपत्ति अर्जित करने के लिए अनुमति नहीं है, जब तक कि ऐसी संपत्ति किसी व्यक्ति, जो भारत का निवासी था, से विरासत के रूप में अर्जित की गयी हो। तथापि वे भारत में अचल संपत्ति, पट्टे पर, रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना पाँच वर्षों से कम अवधि के लिए अर्जित अथवा अंतरित कर सकते हैं।

(ii) पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल अथवा भूटान के नागरिकों को छोड़कर गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2(v) के अनुसार भारत के निवासी होने पर भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकते हैं। इस संबंध में उसे रहने की अवधि संबंधी शर्त पूरी करनी चाहिए। प्रदान किये गये विज़ा के प्रकार में विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2(v) के अनुसार उसकी निवास संबंधी स्थिति निर्धारित करने हेतु अनिश्चित अवधि के लिए भारत में रहने का उद्देश्य स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए।(भारत सरकार द्वारा जारी 1 फरवरी 2009 की प्रेस प्रकाशनी संलग्न-1 के रूप में संलग्न की गयी है)।

(iii) गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक), जिन्होंने रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन से विरासत के रूप में भारत में अचल संपत्ति अर्जित की है अथवा रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन से अचल संपत्ति की खरीद की है, वे ऐसी संपत्ति रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना अंतरित नहीं कर सकते हैं।


परिशिष्ट

इस मास्टर परिपत्र में समेकित अधिसूचनाओं/ए.पी.(डीआइआर सीरीज़) परिपत्रों की सूची

क्रम सं.

अधिसूचना/ परिपत्र

दिनांक

1.

फेमा 21/2000 –आरबी

3 मई 2000

2.

फेमा 62/2002-आरबी

13 मई 2002

3.

फेमा 65/2002 –आरबी

29 जून 2002

4.

फेमा 64/2002 –आरबी

29 जून 2002

5.

फेमा 93/2003 –आरबी

9 जून 2003

6.

फेमा 146/2006 –आरबी

10 फरवरी 2006

7.

फेमा 200/2009 –आरबी

5 अक्तूबर 2009


1.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.1

2 जुलाई 2002

2.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.5

15 जुलाई 2002

3.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19

12 सितंबर 2002

4.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.35

1 नवंबर 2002

5.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.46

12 नवंबर 2002

6.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.27

28 सितंबर 2002

7.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.56

26 नवंबर 2002

8.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.67

13 जनवरी 2003

9.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19

23 सितंबर 2003

10.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.5

16 अगस्त 2006

11.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.25

13 जनवरी 2010

12.

ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.79

15 फरवरी 2012

13.

30 जून 2014


1 अनिवासी भारतीय भारत से बाहर का निवासी भारत का नागरिक है।

2 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 21/2000-आरबी के विनियम 2(सी) के अनुसार भारतीय मूल के व्यक्ति (जो पाकिस्तान अथवा बांगलादेश अथवा श्रीलंका अथवा अफगानिस्तान अथवा चीन अथवा ईरान अथवा नेपाल अथवा भूटान का नागरिक न हो) का अर्थ उस व्यक्ति से है-

  • जिसके पास किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट रहा हो; अथवा

  • कोई व्यक्ति अथवा उसके पिता अथवा माता में से कोई अथवा उसके पितामह अथवा मातामही में से कोई भारत के संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955(1955 का 57) की हैसियत से भारत के नागरिक थे।

3 भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति भारतीय मुद्रा, प्रतिभूति अथवा भारत में स्थित अचल संपत्ति धारित कर सकता है, स्वामित्व में रख सकता है, अंतरित कर सकता है अथवा निवेश कर सकता है, यदि इस प्रकार की मुद्रा, प्रतिभूति अथवा संपत्ति जब वह भारत का निवासी था तब उसने प्राप्त की थी, धारित की थी, अथवा उसके स्वामित्व में थी अथवा भारत के निवासी व्यक्ति से विरासत में प्राप्त हुई थी ।

 
   भारतीय रिज़र्व बैंक सर्वाधिकार सुरक्षित

इंटरनेट एक्सप्लोरर 5 और उससे अधिक के 1024 X 768 रिजोल्यूशन में अच्छी प्रकार देखा जा सकता है।