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Date: 06/04/2018
अग्रणी बैंक योजना को बेहतर बनाना - एसएलबीसी संयोजक बैंकों/ अग्रणी बैंकों के लिए कार्रवाई बिंदु

आरबीआई/2017-2018/155
विसविवि.केंका.एलबीएस.बीसी.सं.19/02.01.001/2017-18

06 अप्रैल 2018

अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी एसएलबीसी संयोजक बैंक/ अग्रणी बैंक

महोदया / प्रिय महोदय,

अग्रणी बैंक योजना को बेहतर बनाना - एसएलबीसी संयोजक बैंकों/ अग्रणी बैंकों के लिए कार्रवाई बिंदु

जैसा कि आप जानते हैं, अग्रणी बैंक योजना (एलबीएस) की पिछली समीक्षा श्रीमती उषा थोरात, तत्कालीन उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक, की अध्यक्षता में गठित एक "उच्च स्तरीय समिति" द्वारा 2009 में की गई थी। वित्तीय क्षेत्र में हुए पिछले वर्षों के बदलावों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस योजना की प्रभावकारिता का अध्ययन करने तथा सुधार संबंधी उपायों को सुझाने के लिए बैंक के “कार्यपालक निदेशकों की एक समिति” गठित की थी। समिति की सिफ़ारिशों पर विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा की गई तथा उनके द्वारा दिए गए प्रतिक्रियाओं के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि एसएलबीसी संयोजक बैंकों/ अग्रणी बैंकों द्वारा निम्नलिखित ‘कार्रवाई बिन्दुओं’ को कार्यान्वित किया जाए:-

  1. राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) की बैठकें प्राथमिक तौर पर नीतिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें तथा इन बैठकों में बैंकों/ सरकारी विभागों के केवल वरिष्ठ अधिकारी ही सहभागिता करें। सभी रूटीन मुद्दों को एसएलबीसी की उप-समिति(यों) को सौंपा जाए। एसएलबीसी बैठकों के लिए सुगठित कार्यसूची को अंतिम रूप देने तथा विभिन्न हितधारकों से प्राप्त कार्यसूची प्रस्तावों पर विचार-विमर्श करने के लिए एसएलबीसी में एक स्टीयरिंग उप-समिति बनाई जा सकती है। आमतौर पर, उप-समिति में, एसएलबीसी संयोजक, आरबीआई और नाबार्ड के प्रतिनिधियों तथा राज्य सरकार के संबंधित विभाग यथा वित्त/ संस्थागत वित्त के वरिष्ठ प्रतिनिधि एवं बृहद स्तर पर मौजूद दो से तीन बैंकों के प्रतिनिधि, को शामिल किया जा सकता है। एसएलबीसी की आगामी बैठकों के लिए कार्यान्वयन हेतु संशोधित कार्यसूची अनुबंध I में प्रस्तुत है।

  2. ऐसे मामलों में जहां एसएलबीसी संयोजक बैंक के प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी/ कार्यपालक निदेशक एसएलबीसी की बैठक में भाग लेने में असमर्थ हैं, वहां भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक संबंधित राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव/ विकास आयुक्त के साथ बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।

  3. बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अग्रणी बैंक योजना के अंतर्गत शाखाओं, ब्लॉकों, जिलों और राज्यों के कॉर्पोरेट व्यवसाय लक्ष्य को वार्षिक ऋण योजना (एसीपी) के साथ संरेखित किया जाए। अग्रणी बैंक योजना के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में स्थित बैंक के नियंत्रक कार्यालयों को अपने बैंक की आंतरिक व्यवसाय योजनाओं को एसीपी के साथ सिंक्रनाइज़ करना चाहिए।

  4. वर्तमान में, विभिन्न एलबीएस मंचों, जैसे कि राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी), जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति (डीसीसी) और ब्लॉक स्तरीय बैंकर समिति (बीएलबीसी), पर आयोजित तिमाही बैठकों में चर्चाएँ मुख्य रूप से वार्षिक ऋण योजना के अंतर्गत बैंकों को आबंटित लक्ष्य की तुलना में उनके द्वारा किए गए ऋण संवितरण निष्पादन पर केंद्रित होती है। बैंकों द्वारा इस प्रयोजन हेतु प्रस्तुत किए गए डेटा की प्रामाणिकता और समयबद्धता को सुनिश्चित करना एक चुनौती है क्योंकि इस डेटा के एक बड़े भाग को मैन्युअल रूप से संकलित करते हुए एसएलबीसी संयोजक बैंकों के डेटा प्रबंधन सिस्टम में दर्ज किया जाता है। इस डेटा को संबंधित बैंकों के सीबीएस में मौजूद डेटा से मिलाने पर यह काफी हद तक भिन्न पाया जाता है। अतः ब्लॉक, जिला साथ ही साथ राज्य से संबंधित डेटा को अपलोड और डाउनलोड करने के लिए प्रत्येक एसएलबीसी द्वारा संचालित वेबसाइट पर एक मानक प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। प्रासंगिक डेटा को बैंकों के सीबीएस और/ या एमआईएस से प्रत्यक्ष रूप से डाउनलोड करने की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि मैन्युअल हस्तक्षेप कम से कम हो। इस क्षेत्र में परिकल्पित हस्तक्षेप संबंधी प्रक्रिया अनुबंध II में दी गई है। परिकल्पित डेटा प्रवाह तंत्र को लागू करने के लिए एसएलबीसी वेबसाइटों और सभी बैंकों के सीबीएस और एमआईएस प्रणाली में आवश्यक संशोधन किया जाए।

  5. बीएलबीसी मंच, जो कि अग्रणी बैंक योजना के आधार स्तर पर कार्य करता है, को मजबूत बनाने हेतु यह आवश्यक है कि सभी शाखा प्रबंधक बीएलबीसी बैठकों में भाग लें तथा अपने मूल्यवान निविष्टियों के साथ चर्चा को समृद्ध करें। बैंकों के नियंत्रक प्रमुख भी बीएलबीसी की कुछ चुनिंदा बैठकों में भाग ले सकते हैं।

  6. ग्रामीण स्‍व रोजगार प्रशिक्षण संस्‍थान (आरएसईटीआई) की भागीदारी को और अधिक सक्रिय बनाया जाए तथा एलबीएस के विभिन्न मंचों विशेष रूप से डीसीसी स्तर पर उसकी निगरानी की जाए। क्षेत्र में ऋण खपत क्षमता को बढ़ाने हेतु कौशल के विकास और धारणीय लघु उद्यमों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को नवीनीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। ग्रामीण स्‍व रोजगार प्रशिक्षण संस्‍थान को जिले में ग्रामीण युवाओं को आवश्यक कौशल प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन के लिए कौशल ख़ाका तथा क्षेत्र की क्षमता को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक जिला/ ब्लॉक के लिए विशिष्ट कार्यक्रम तैयार करना चाहिए।

2. आपको सूचित किया जाता है कि आप ‘कार्रवाई बिंदुओं’ के कार्यान्वयन हेतु आवश्यक कार्य प्रारंभ करें तथा इस संबंध में बैंकों द्वारा की गई प्रगति/ अनुवर्ती कार्रवाई पर ध्यानपूर्वक निगरानी रखें।

3. कृपया इस विषय पर की गई कार्रवाई के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित करें।

4. इस परिपत्र की एक प्रतिलिपि सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भी परांकित की जा रही है।

भवदीय,

(गौतम प्रसाद बोरा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक :

I. एसएलबीसी बैठकों के लिए संशोधित कार्यसूची
II. एलबीएस मंच पर डेटा फ़्लो का प्रबंधन – प्रक्रिया


अनुबंध I:

एसएलबीसी बैठकों के लिए संशोधित कार्यसूची

1. वित्तीय समावेशन पहल, बैंकिंग नेटवर्क का विस्तार और वित्तीय साक्षरता की समीक्षा

  1. बैंकिंग रहित गांवों में बैंकिंग आउटलेट खोलने, बैंकिंग रहित ग्रामीण केंद्रों (यूआरसी) में सीबीएस-सक्षम बैंकिंग आउटलेट्स की स्थिति

  2. व्यवसाय प्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा – बाधाएँ/ मुद्दे

  3. राज्य में डिजिटल मोड द्वारा भुगतान को बढ़ाने में हुई प्रगति, पर्याप्त बैंडविड्थ के साथ निरंतर कनेक्टिविटी की सुविधा का प्रावधान, कनेक्टिविटी संबंधी मुद्दों/ कनेक्टिविटी विकल्पों (भारत नेट, वीसैट, आदि) को हल करना, एटीएम और पीओएस मशीनों की स्थापना और राज्य में ई-प्राप्तियों और ई-भुगतान के कार्यान्वयन की स्थिति

  4. राज्य में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रोलआउट की स्थिति। आधार सीडिंग और प्रमाणीकरण

  5. स्कूल पाठ्यक्रम में वित्तीय शिक्षा को शामिल करने की समीक्षा, बैंकों द्वारा वित्तीय साक्षरता पहल (विशेषकर डिजिटल वित्तीय साक्षरता)

  6. विभिन्न योजनाओं, सब्सिडीयों, सुविधाओं जैसे कि फसल बीमा, नवीकरणीय ऊर्जा, आदि के बारे में जागरूकता फैलाना

  7. आपूर्ति श्रृंखला में सम्मिलित सभी हितधारकों से जुड़े परियोजनाओं में शुरू से अंत तक के प्रयासों की समीक्षा

2. बैंकों द्वारा किए गए ऋण संवितरण की समीक्षा

  1. राज्य के एसीपी के तहत उपलब्धि, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार,

  2. सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं (डीएवाई-एनआरएलएम, डीएवाई-एनयूएलएम, मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, पीएमईजीपी, आदि) के लिए ऋण देने पर चर्चा और इन योजनाओं का प्रभाव

  3. एमएसएमई और किफायती आवास हेतु ऋण प्रवाह

  4. केसीसी ऋण, पीएमएफबीवाई के तहत फसल बीमा

  5. शिक्षा ऋणों की स्वीकृति

  6. एसएचजी-बैंक सहबद्धता के अंतर्गत प्रगति

3. किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करना

4. सीडी अनुपात, 40% से नीचे के सीडी अनुपात वाले जिलों और डीसीसी (एससीसी) की विशेष उप-समितियों के कार्य की समीक्षा।

5. योजनाबद्ध उधार के संबंध में एनपीए की स्थिति, सर्टिफिकेट मामलें और एनपीए की वसूली

6. राज्य में प्राकृतिक आपदा प्रभावित जिलों, यदि कोई हो, में ऋण पुनर्गठन की समीक्षा

7. केंद्र/ राज्य सरकार/ आरबीआई की नीतिगत पहलों (औद्योगिक नीति, एमएसएमई नीति, कृषि नीति, स्टार्ट-अप नीति, आदि) पर चर्चा, और बैंकों की अपेक्षित भागीदारी

8. ग्रामीण बुनियादी ढांचे/ ऋण खपत क्षमता में सुधार पर चर्चा।

  1. सी-डी अनुपात में सुधार लाने के लिए लिए राज्य सरकार द्वारा किसी बड़े परियोजना पर विचार करना।

  2. राज्य-विशिष्ट संभावित विकास क्षेत्रों के दायरे का अन्वेषण और आगे की राह - सहयोगी बैंकों को चुनना।

  3. क्षेत्र केंद्रित अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों पर चर्चा, यदि कोई हो, और सुझाए गए समाधानों को लागू करना

  4. ग्रामीण और कृषि बुनियादी ढांचे के गैप की पहचान जिसे वित्तपोषण की आवश्यकता है (ग्रामीण गोदाम, सौर ऊर्जा, कृषि प्रसंस्करण, बागवानी, संबद्ध गतिविधियों, कृषि विपणन, आदि)

  5. मॉडल भूमि पट्टा अधिनियम, 2016 का कार्यान्वयन (संभावनाओं की तलाश)

9. आरसेटी (RSETIs) के कामकाज की समीक्षा सहित केवीके, बागवानी मिशन, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम, एएससीआई, आदि के साथ साझेदारी करके मिशन मोड पर कौशल विकास की दिशा में प्रयास।

10. भूमि रिकॉर्ड में सुधार, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण में प्रगति और निर्बाध ऋण संवितरण के लिए प्रयास करना

11. जिला स्तर पर घटित सफलता की कहानियों और नई पहलों को साझा करना जिसे अन्य जिलों या राज्य भर में दोहराया जा सके।

12. बाजार इंटेलिजेंस मुद्दों पर चर्चा, जैसे

  1. पोन्ज़ी योजनाएं/ असंगठित निकायों की अवैध गतिविधियां/ फर्मों/ कंपनियाँ जो आम जनता से जमाराशियाँ मांगती है

  2. बैंकिंग संबंधित साइबर धोखाधड़ी, फ़िशिंग, आदि

  3. क्षेत्र में संस्थाओं द्वारा उधार देने के दौरान अत्यधिक ब्याज की घटनाएं, ऋणग्रस्तता के अधिक मामलें

  4. उधारकर्ता समूहों आदि, द्वारा ऋण संबंधी धोखाधड़ी

13. डीसीसी/डीएलआरसी बैठकों में न सुलझाए गए मामले

14. बैंक द्वारा समय पर डेटा प्रस्तुत करना, एसएलबीसी बैठक की समयसूची का पालन करना

15. अध्यक्ष की अनुमति से कोई अन्य विषय।


अनुबंध – II

एलबीएस मंच पर डेटा फ़्लो का प्रबंधन – प्रक्रिया

i. प्रत्येक बैंक के सीबीएस में एलबीएस संबंधी समस्त आंकड़े/ सारणी की रिपोर्ट एक्सेल में जनरेट करने का प्रावधान होना चाहिए। इन आंकड़ों में जिला तथा ब्लॉक के नाम के लिए फील्ड /कॉलम सहित राज्य में परिचालित समस्त शाखाओं से संबंधित जानकारी होनी चाहिए। बैंक के सीबीएस से इस डेटा को डाउनलोड तथा एक्सपोर्ट करने का अधिकार बैंकों के नियंत्रक कार्यालयों को दिया जाना चाहिए, जो कि अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों / ब्लॉक के लिए ‘डेटा फीडिंग’ की प्रक्रिया हेतु पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे।

ii. ‘डेटा फीडिंग’ प्रक्रिया इस एक्सेल शीट (उपरोक्त स्टेप (i) में डाउनलोडेड) को एसएलबीसी की वेबसाइट पर अपलोड करने की प्रक्रिया है। एसएलबीसी की वेबसाइट में इस एक्सेल शीट में मौजूद सभी आंकड़ो को एसएलबीसी वेबसाइट के डाटाबेस में ‘इम्पोर्ट/अपलोड’ करने का प्रावधान होना चाहिए। यह एसएलबीसी/ नियंत्रक कार्यालय स्तर पर की गई किसी भी मैनुअल ‘डेटा प्रविष्टि’ का निराकरण कर देगा।

iii. उपरोक्त कार्यशीलता को सुविधाजनक बनाने के लिए, प्रत्येक एसएलबीसी संयोजक बैंक को उनकी एसएलबीसी वेबसाइट पर बैक एंड संबंधी अपेक्षित क्षमताओं सहित इस ‘इम्पोर्ट/ अपलोड’ की सुविधा जोड़नी होगी।

iv. इस प्रकार, एसएलबीसी वेबसाइट, डेटा संग्रहक मंच के रूप में कार्य करेगा। साथ ही, उपलब्ध स्त्रोतों के आधार पर एसएलबीसी वेबसाइटों में डेटा विश्लेषण क्षमताएँ भी जोड़ी जा सकती हैं।

v. एसएलबीसी वेबसाइट में अग्रणी जिला प्रबंधकों को किसी विशिष्ट जिला तथा ब्लॉक का डेटा सीधे इस वेबसाइट से डाउनलोड करने का अधिकार दिया जाना चाहिए जिससे डेटा की प्रामाणिकता तथा समय से उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

vi. अभी भी राज्य सरकार की योजनाओं/ अन्य डेटा से संबंधित कुछ ऐसे आंकड़े हो सकते हैं, जो बैंकों के सीबीएस अथवा एमआईएस पर उपलब्ध नहीं है। इसे नियंत्रक कार्यालय स्तर पर संग्रहीत करना होगा जैसा कि अभी किया जाता है। एसएलबीसी वेबसाइट पर, इस डेटा की प्रविष्टि हेतु भी समुचित सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है। इसके पश्चात इसे अग्रणी जिला प्रबंधकों द्वारा जिला/ ब्लॉक स्तर के रिपोर्ट हेतु डाऊनलोड किया जा सकता है। बैंक ऐसे डाटा या सूचना के लिए ‘टेक्स्ट बॉक्स’ जैसे ओपेन फोर्मेट फील्ड जोड़ सकते हैं जो विशिष्ट हो या कभी-कभार प्रविष्ट/ उपयोग किया जाता हो।

vii. इस प्रकार की प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि एलडीएम एवं एसएलबीसी संयोजक बैंकों को शून्य या न्यूनतम डेटा एंट्री/ फीडींग करनी पड़े। साथ ही, सभी डेटा की प्रविष्टि एकल ‘डेटा अभिरक्षक’ द्वारा की जाती है, जो प्रत्येक बैंक का नियंत्रक कार्यालय है। सरकारी एक्सेटेन्शन एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली कोई भी सूचना इसी भांति अपलोड की जा सकती है।

 
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