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Date: 28/11/2014
भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) का कार्यान्वयन - दिशानिर्देश (26 मई 2022 को अद्यतन किया)

आरबीआई/2014-15/327
डीपीएसएस.सीओ.पीडी. सं 940/02.27.020/2014-2015

28 नवंबर 2014
(26 मई 2022 को अद्यतन किया)

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक /
शहरी सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक /
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
सभी प्रणाली प्रदाता, प्रणाली प्रतिभागी
और कोई अन्य संभावित भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयां

महोदय / महोदया,

भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) का कार्यान्वयन - दिशानिर्देश 

मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में एक इलेक्ट्रॉनिक जाइरो भुगतान प्रणाली को लागू करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति की स्थापना की घोषणा की। भारत में 2012-15 के भुगतान प्रणाली विजन में भी विभिन्न राष्ट्रीय / क्षेत्रीय और निजी / राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं के साथ एक विविध और एक जटिल बिलर बाजार संरचना के साथ एक विशाल बिल भुगतान बाजार के अस्तित्व पर प्रकाश डाला गया है।

2. तदनुसार, देश में इलेक्ट्रॉनिक जाइरो भुगतान प्रणाली के क्रियान्वयन की व्यवहार्यता के अध्ययन हेतु श्री जी पद्मनाभन, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिजर्व बैंक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। इसके बाद समिति की सिफारिशों के आधार पर, प्रोफेसर उमेश बेल्लूर, आईआईटी बॉम्बे की अध्यक्षता में जाइरो सलाहकार समूह (जीएजी) का गठन किया गया जिसका उद्देश्य था कि, वह देश में ग्राहकों द्वारा बिल के भुगतान के लिए ऐसे ढांचे का सुझाव दे जिसकी व्याप्ति सम्पूर्ण भारत में हो, चाहे बिलर्स की भौगोलिक स्थिति कोई भी हो। जाइरो सलाहकार समूह (जीएजी) ने अपनी रिपोर्ट 20 मार्च 2014 को प्रस्तुत की, जिसमें देश में बिल भुगतान प्रणाली के लिए एक स्तरों वाली संरचना की सिफारिश की थी जिसकी केंद्रीय इकाई, मानकों का निर्धारण करेगी और विभिन्न परिचालनरत इकाइयां बीबीपीएस द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार और उनके अनुसरण में कार्य करेंगी। तदनुसार भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देशों के मसौदे के संबंध में जनता की टिप्पणियों हेतु इसे भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर 7 अगस्त 2014 को उपलब्ध कराया गया था।

3. भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देशों के मसौदे पर प्राप्त जनता की टिप्पणियों के आधार पर अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं (अनुबंध)। बीबीपीएस प्रक्रियाएं, जिनका अनुपालन प्रणाली के अंतर्गत परिचालित सभी इकाइयों के द्वारा किया जाना है, के लिए मानकों को स्थापित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) प्राधिकृत भारत बिल भुगतान केंद्रीय इकाई (बीबीपीसीयू) के रूप में कार्य करेगा। बीबीपीसीयू के रूप में एनपीसीआई, दिशा-निर्देशों में निर्दिष्ट बीबीपीएस से संबन्धित समाशोधन एवं निपटान की गतिविधियों का उत्तरदायित्व भी लेगा।

4. भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के भावी प्रतिभागियों को सूचित किया जाता है कि वे बीबीपीएस के तौर-तरीकों के बारे में एनपीसीआई के साथ बातचीत करें और वे भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत प्राधिकरण / अनुमोदन, जैसा भी मामला हो, के लिए स्वयं की तैयारी रखें। प्राधिकरण के लिए आवेदन पत्र 2015 की पहली तिमाही से भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत किए जा सकते हैं। प्राधिकरण / अनुमोदन के लिए इस प्रकार के आवेदन प्रस्तुत करने की वास्तविक तिथि/ इस प्रकार के आवेदन प्रस्तुत करने का प्रारूप उचित समय में अधिसूचित कर दिया जाएगा।

5. ये दिशानिर्देश किसी भी अन्य कानून के तहत आवश्यक अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (अधिनियम 2007 का 51) की धारा 10 (2) के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत जारी किए जा रहे हैं।

भवदीय,

(विजय चुग)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) का कार्यान्वयन - दिशानिर्देश

परिचय

1. बिल भुगतान, खुदरा भुगतान लेनदेन का एक प्रमुख घटक है। जाइरो आधारित भुगतान प्रणाली के क्रियान्वयन की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए गठित समिति (अध्यक्ष : श्री जी पद्मनाभन, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिजर्व बैंक) (2013) ने यह अनुमाम लगाया था कि देश में शीर्ष 20 शहरों में 30,800 मिलियन से अधिक के बिल, जिनकी राशि 6223 रुपये है, प्रत्येक वर्ष जनरेट होते हैं। यद्यपि, भुगतान के विभिन्न प्रकार स्वीकार किए जाते हैं किन्तु, बिलर्स के खुद के संग्रह स्थल पर भुगतान प्रमुख रूप से नकद और चेक से किया जाता है।

2. जबकि, मौजूदा प्रणालियां सुरक्षित और मजबूत हैं, किन्तु वे उपभोक्ताओं / ग्राहकों के द्वारा यूटिलिटी बिल सहित विभिन्न प्रकार के "बिल" जैसे, स्कूल / विश्वविद्यालय शुल्क, नगरपालिका कर इत्यादि का भुगतान करने की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं क्योंकि बिल भुगतान की प्रक्रियाओं में अंतर-परिचालनीयता की कमी है और साथ ही साथ ज़्यादातर ग्राहकों के पास इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के विभिन्न माध्यमों तक पहुँच उपलब्ध नहीं है।

3. अत: देश में एक एकीकृत बिल भुगतान प्रणाली की आवश्यकता है जो एजेन्टों के नेटवर्क के माध्यम से ग्राहकों को अंतर-परिचालनीय और सुलभ बिल भुगतान सेवाएं प्रदान करे, कई भुगतान मोड की अनुमति दे और भुगतान की तत्काल पुष्टि प्रदान करे। बिल भुगतान प्रणाली को मौजूदा प्रणालियों की तुलना में एक कार्यक्षम, कम लागत वाले विकल्प के रूप में भी होना चाहिए, इस तरह से यह देश में बिल भुगतान के लिए मानकों की स्थापना करेगा और इससे उपभोक्ता का विश्वास बढ़ेगा और अनुभव बेहतर होगा। इन मुद्दों का समाधान करने के लिए, जाइरो सलाहकार समूह (जीएजी) (अध्यक्ष: प्रो उमेश बेल्लूर, आईआईटी बॉम्बे) (2014) स्थापित किया गया था जो देश में ग्राहकों द्वारा बिल के भुगतान के लिए ऐसे ढांचे का सुझाव दे जिसकी व्याप्ति सम्पूर्ण भारत में हो। तदनुसार भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए मसौदा दिशा-निर्देशों को सार्वजनिक टिप्पणी के लिए 7 अगस्त 2014 को भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था।

4. जीएजी की सिफारिशों पर प्राप्त सार्वजनिक टिप्पणियों के आधार पर, देश में भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीए) के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देशों के मसौदे को सार्वजनिक / हितधारकों की टिप्पणियों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था। प्रतिक्रिया की जांच की गई है और विस्तृत परामर्शी प्रक्रिया के पश्चात अंतिम दिशा-निर्देश जारी किया जा रहा है।

योजना

5. भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) देश में एकल ब्रांड छवि के रूप में बिल भुगतान प्रणाली के परिचालन के लिए एक स्तर वाली संरचना के रूप में कार्य करेगी जो कि, ग्राहकों को 'कहीं भी कभी भी' बिल भुगतान करने की सुविधा उपलब्ध कराएगी।

6. बीबीपीएस दो प्रकार की संस्थाओं से मिलकर बनेगी जो विशिष्ट प्रकार के कार्य करेगी –

(i) भारत बिल भुगतान केंद्रीय इकाई (बीबीपीसीयू) जो कि, बीबीपीएस का परिचालन करने वाली एकमात्र अधिकृत इकाई होगी। बीबीपीसीयू पूरे सिस्टम और अपने प्रतिभागियों के लिए आवश्यक परिचालनात्मक, तकनीकी और व्यावसायिक मानकों को स्थापित करेगी और समाशोधन और निपटान गतिविधियों का भी उत्तरदायित्व लेगी।

(ii) भारत बिल भुगतान परिचालनरत इकाइयां (बीबीपीओयू) जो कि, बीबीपीसीयू द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसरण में प्राधिकृत परिचालनरत इकाइयां होंगी। स्तरों वाली इस संरचना को बीबीपीओयू के प्रभावी एजेंट नेटवर्क/नेटवर्कों के माध्यम से और भी अधिक माजबूत बनाया जा सकता है। जबकि, बीबीपीसीयू एक ही होगा, किन्तु बीबीपीएस के अंतर्गत परिचालनरत कई बीबीपीओयू हो सकती हैं।

बीबीपीएस का दायरा

7. वर्तमान में देश में ऑनलाइन वाणिज्य स्थान में एक ओर तो सामग्री प्रदाता (कंटेन्ट प्रोवाइडर) हैं और दूसरी ओर भुगतान एग्रीगेटर्स होते हैं। जबकि, भुगतान पक्ष में बैंक और गैर-बैंक मध्यवर्तियों (इंटर्मीडियरीज) दोनों ही को शामिल किया जा सकता है जो कि भुगतान सेवाओं के एकत्रीकरण की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं, जबकि सामग्री पक्ष में विभिन्न प्रकार की मध्यवर्तियाँ शामिल हैं जिसमें डिजिटल मार्केट उपलब्ध कराने वाले से लेकर विशिष्ट वर्टिकलों से संबन्धित व्यापारियों को सुविधा प्रदान कराने वाले शामिल हैं। इनमें से कुछ मध्यवर्तियाँ बिल भुगतानों के एकत्रीकरण के कारोबार में भी शामिल हैं। इसी प्रकार से कुछ सामग्री प्रदाता भुगतान सेवाओं को स्वयं की व्यवस्था के माध्यम से उपलब्ध कराते हैं जबकि, अन्य विशेष भुगतान एग्रीगेटर्स की सेवाओं का उपयोग करते हैं।

8. बीबीपीएस का उद्देश्य देश में एक एकीकृत बिल भुगतान प्रणाली को लागू करने का है जो एजेन्टों के नेटवर्क के माध्यम से ग्राहकों को अंतर-परिचालनीय एवं सुलभ बिल भुगतान सेवाएं प्रदान करेगा और जो कई भुगतान के तरीके उपलब्ध कराएगा एवं साथ ही भुगतान की तत्काल पुष्टि प्रदान करेगा। अत: यह निर्णय लिया गया है कि, बिल भुगतान की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले एवं साथ ही साथ भुगतान सेवाओं के एकत्रीकरण के लिए मौजूदा सहभागी (बैंक और गैर-बैंक दोनो) बीबीपीएस का एक हिस्सा होंगे।

9. शुरुआत के तौर पर, बीबीपीएस में यूटिलिटी सेवा प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली रोज़मर्रा की यूटिलिटी सेवाओं के लिए बार-बार (मासिक, द्वि-मासिक, त्रैमासिक आदि) किए जाने वाले भुगतानों के संग्रहण की सुविधा उपलब्ध कराने वाली गतिविधियां शामिल होंगी। धीरे-धीरे, बीबीपीएस के दायरे को बढ़ाकर इसमें अन्य प्रकार के बार-बार किए जाने वाले भुगतानों के संग्रहण जैसे स्कूल / विश्वविद्यालय की फीस, नगरपालिका कर / भुगतान इत्यादि को शामिल किया जाएगा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर लिए गए निर्णय के अनुसार शामिल किया जाएगा।

10. अत: उपर्युक्त निर्दिष्ट गतिविधियों के दायरे में सेवाएं प्रदान करने वाली मौजूदा संस्थाओं को पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा और निम्नलिखित अनुसार प्राधिकार प्राप्त करना होगा।

प्रतिभागी

11. बीबीपीएस के सहभागियों में बीबीपीएस के अंतर्गत यथा अपेक्षित प्राधिकृत संस्थाएं शामिल होंगी, जैसे कि, बीबीपीसीयू, बीबीपीओयू और साथ ही साथ उनके एजेंट, पेमेंट गेटवेज, बैंक, बिलर और सेवा प्रदाता और प्राधिकृत प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ताओं सहित अन्य संस्थाएं। स्पष्टता के लिए इसे नीचे पुन: दुहराया जा रहा है:

क) भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) देश में एक एकीकृत बिल भुगतान प्रणाली है जो एजेन्टों के नेटवर्क के माध्यम से ग्राहकों को अंतर- परिचालनीय एवं सुलभ बिल भुगतान सेवाएं प्रदान करेगी और जो भुगतान के कई तरीके उपलब्ध कराएगी एवं साथ ही भुगतान की तत्काल पुष्टि प्रदान करेगी।

ख) भारत बिल भुगतान केंद्रीय इकाई (बीबीपीसीयू), बीबीपीएस का परिचालन करने वाली एकमात्र अधिकृत इकाई होगी। बीबीपीसीयू, पूरे सिस्टम और इसके प्रतिभागियों के लिए आवश्यक परिचालनात्मक, तकनीकी और व्यावसायिक मानकों को स्थापित करेगी और समाशोधन और निपटान गतिविधियों का भी उत्तरदायित्व लेगी।

ग) भारत बिल भुगतान परिचालनरत इकाइयां (बीबीपीओयू, बीबीपीसीयू द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसरण में प्राधिकृत परिचालनरत इकाइयां होंगी।

प्रणाली प्रतिभागियों के लिए पात्रता मानदंड

12. बीबीपीएस की स्थापना के उद्देश्यों को देखते हुए, यह वांछनीय है कि बीबीपीसीयू, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत (कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के रूप में संशोधित) एक कंपनी हो और उसके पास पेशेवर वरिष्ठ प्रबंधन हो, उसके पास भुगतान, समाशोधन और लेनदेन प्रसंस्करण के संबंध में केंद्रीय बुनियादी ढांचे को हैंडल करने का अनुभव हो। तदनुसार यह निर्णय लिया गया कि, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (देश की सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों की एक प्राधिकृत छत्र संस्था) जो उपरोक्त मानदंडों को पूरा करती है, उसे बीबीपीएस लागू करने के लिए बीबीपीसीयू के रूप में प्राधिकृत किया जाएगा।

13. बीबीपीओयू के रूप में कार्य करने के लिए गैर बैंक संस्थाओं के लिए पात्रता मापदंड निम्नलिखित होंगे:

क) ऐसी संस्था को भारत में निगमित एवं कंपनी अधिनियम 1956 / कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पंजीकृत कंपनी होना चाहिए।

ख) आवेदक संस्था के संस्था ज्ञापन (एमओए) में बीबीपीओयू के रूप में कार्य करने की प्रस्तावित गतिविधि अवश्य शामिल होनी चाहिए।

ग) आवेदक की निवल मालियत प्राधिकरण के लिए आवेदन के समय 25 करोड़ होनी चाहिए और उसके बाद उसे हर समय बनाए रखा जाना चाहिए।

निवल मालियत मे, ‘चुकता इक्विटी पूंजी, अधिमान शेयर जो अनिवार्य रूप से इक्विटी पूंजी मे परिवर्तनीय हैं, निर्बंध आरक्षित निधियों, शेयर प्रीमियम खाते मे शेष राशि तथा पूंजीगत आरक्षित निधि मे परिवर्तनीय हों जो आस्तियों के बिक्री आगमों से उत्पन्न हुए अधिशेष को दर्शाते हों, न कि आस्तियों के पुनर्मूल्यांकन से सृजित की गई आरक्षित निधियों को दर्शाते हों’ जिन्हे ‘संचित हानि शेष राशि, अमूर्त आस्तियों के बही मूल्य तथा आस्थगित राजस्व व्यय, यदि कोई हो’ के लिए समायोजित किया गया हो, शामिल होंगे। निवल मालियत गणना के लिए आकलित अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय अधिमान शेयर या तो गैर-संचयी अथवा संचयी हो सकते हैं, इन्हे अनिवार्य रूप से इक्विटी शेयर मे परिवर्तनीय होना चाहिए तथा शेयरधारकों के करारों मे विशेष रूप से इस बात का निषेध हो कि इस प्रकार की अधिमान शेयर पूंजी को कभी भी वापसी नहीं लिया जा सकेगा।

प्राधिकरण के लिए आवेदन जमा करते समय लागू निवल मालियत आवश्यकता के अनुपालन के साक्ष्य के लिए संस्था अपने सनदी लेखाकार (सीए) से संलग्न प्रारूप (अनुबंध-2) में एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगी।

मौजूदा गैर-बैंक बीबीपीओयू हर समय न्यूनतम 25 करोड़ रुपये की निवल मालियत बनाए रखेंगे।

घ) प्राधिकार की मांग करते समय, आवेदक संस्था में किसी भी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के मामले में, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा अधिसूचित एफडीआई पर समेकित नीति और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के अंतर्गत बनाए गए विनियमों के तहत सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक अनुमोदन अवश्य प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

ई) कंपनी के पास बिलर्स के लिए बिल संग्रह / सेवाओं के क्षेत्र में डोमेन अनुभव और न्यूनतम एक वर्ष की अवधि के लिए लेनदेन प्रसंस्करण में प्रासंगिक अनुभव अवश्य होना चाहिए।

च) संस्था को भारतीय रिजर्व बैंक से भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करना आवश्यक है।

14. ऐसे बैंक जो बीबीपीओयू का परिचालन करना चाहते हैं उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक से भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।

15. ऐसी संस्थाएं जो बीबीपीएस के दायरे में आती हैं और उपर्युक्त के अनुसार पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं, किन्तु इस डोमेन में बीबीपीओयू के रूप में कारोबार जारी रखना चाहती हैं उन्हें, पात्रता मानदंडों को पूरा करने के लिए ऐसी समय सीमा की मांग करनी होगी जो बीबीपीएस के परिचालन की तिथि से एक वर्ष से अधिक न हो। वैकल्पिक रूप से, वे अन्य पात्र और प्राधिकृत बीबीपीओयू प्रतिभागियों के साथ भागीदारी करने का निर्णय ले सकती हैं। बीबीपीएस के दायरे में आने वाली मौजूदा संस्थाएं यदि, ऊपर दर्शाए गए दो कार्यों में से किसी भी एक को करने में असफल रहती हैं तो उन्हें उसके पश्चात बिल भुगतान सेवाओं के एकत्रीकरण की अनुमति नहीं होगी।

प्राधिकरण

16. अपने दो घटकों – बीबीपीसीयू और बीबीपीओयू के साथ बीबीपीएस प्रणाली, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत एक प्राधिकृत भुगतान प्रणाली के रूप में कार्य करेगी।

17. जहां तक बीबीपीओयू का संबंध है, प्राधिकरण के लिए प्रक्रिया नीचे उल्लिखित है:

क) बीबीपीएस के दायरे में आने वाले और बीबीपीओयू के रूप में भाग लेने के लिए इच्छुक बैंकों को बीबीपीओयू के रूप में कार्य करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से एक बार अनुमोदन लेना होगा।

ख) पात्र गैर - बैंक संस्थाओं को भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम 2007 के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक से प्राधिकरण प्राप्त करने के बाद, बीबीपीएस के अंतर्गत बीबीपीओयू स्थापित करने की अनुमति होगी।

ग) भुगतान प्रणाली के संचालन के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करने के लिए किसी गैर-बैंक संस्था के लिए सामान्य दिशा निर्देश http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/86707.pdf. पर उपलब्ध हैं।

घ) संस्थाएं (बैंक और गैर-बैंक दोनों) जिन्हें सैद्धांतिक रूप में अनुमोदन प्राप्त होता है उन्हें अंतिम प्राधिकरण / अनुमोदन प्राप्त करने के लिए पात्र बनने से पूर्व बिल भुगतान के प्रसंस्करण लिए बीबीपीएस मानकों के पालन के संबंध में बीबीपीसीयू से आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। यह भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम 2007 के अंतर्गत अंतिम प्राधिकरण / अनुमोदन के संबंध में सामान्य निबंधन एवं शर्तों के अतिरिक्त होगा।

ङ) अन्य भुगतान प्रणाली परिचालित करने के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम 2007 के अंतर्गत प्राधिकृत मौजूदा गैर-बैंक संस्थाओं को बीबीपीएस के अंतर्गत बीबीपीओयू के परिचालन हेतु पृथक प्राधिकार प्राप्त करना होगा।

निपटान मॉडल

18. निपटान की प्रक्रिया किसी भी अंतर-परिचालनीय भुगतान प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा होती है। बीबीपीएस के अंतर्गत बीबीपीओयू के एजेंट ऐसे बिलर्स जो कि, उनके स्वयं के बीबीपीओयू के सदस्य (ऑन बोर्डेड) नहीं हैं, के सहित विभिन्न बिलर्स के लिए भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। अत: केंद्रीकृत बिल भुगतान प्रणाली के स्तरीय मॉडल में लेनदेन की प्रकृति को ऑन-अस (बिलर और भुगतान संग्रहणकर्ता एजेंट एक ही बीबीपीओयू से संबन्धित हैं) और ऑफ-अस (बिलर और भुगतान संग्रहणकर्ता एजेंट किसी अन्य बीबीपीओयू से संबन्धित हैं) लेनदेनों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

19. लेन-देन के प्रकार के आधार पर, बिल के भुगतानों हेतु एकीकृत अंतर-परिचालनीय परिदृश्य के अंतर्गत निपटान के समय और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने, दोनों ही के संबंध में निपटान की प्रक्रिया को अधिकतम क्षमता सुनिश्चित करनी होती है। तदनुसार, केंद्रीकृत बिल भुगतान प्रणाली के अंतर्गत, बीबीपीओयू ऑन-अस लेनदेनों का निपटान करेगा। ऑफ-अस लेनदेनों के लिए बीबीपीसीयू सभी बीबीपीओयू द्वारा रिपोर्ट किए गए सभी ऑफ-अस लेनदेनों का निपटान करेगा और विभिन्न बीबीपीओयू के मध्य प्रत्येक बिलर के लिए यथोचित निपटान करेगा। बीबीपीसीयू, निपटान बैंक को यह निर्देश देने की व्यवस्था करेगा कि वह बिलर के खाते में क्रेडिट करने के लिए संबन्धित बिलर के बैंक में पे-आउट करे।

निपटान में बीबीपीसीयू की भूमिका

20. ऑन-अस लेनदेनों (एजेंट जिसने भुगतान एकत्र किया है एवं साथ ही साथ बिलर जिसे भुगतान प्राप्त करना है, एक ही बीबीपीओयू के सदस्य (ऑन बोर्डेड) हैं) के लिए लेन-देन के समाशोधन और निपटान में बीबीपीसीयू की कोई भूमिका नहीं होगी और इस संबंध में शुरू से लेकर अंत तक सारे कार्य जैसे एजेंट द्वारा ग्राहक से भुगतान एकत्र करने, बीबीपीओयू और एजेंट के बीच निधियों के निपटान और बिलर के खाते में अंतिम भुगतान से संबन्धित कार्य बीबीपीओयू द्वारा बीबीपीएस के अंतर्गत इस प्रयोजनार्थ स्थापित मानकों के अनुसार निपटाए जाएंगे।

21. ऑफ-अस लेनदेनों (ऐसा एजेंट जिसे ग्राहक से भुगतान प्राप्त हुआ है और बिलर जिसे विभिन्न बीबीपीओयू से संबन्धित भुगतान प्राप्त करना है), बीबीपीसीयू विभिन्न बीबीपीओयू के बीच समाशोधन और निवल निपटान की प्रक्रिया को देखेंगे। बीबीपीओयू ऑफ-अस लेनदेनों के लेनदेन आंकड़ों को (प्रक्रिया स्वचालित हो सकती है) बीबीपीसीयू को भेजेंगे, जिसका उपयोग करते हुए बीबीपीसीयू प्रत्येक बीबीपीओयू के लिए निवल निपटान निकालेगी। बीबीपीसीयू द्वारा निवल भुगतान दायित्व निकालने के बाद, प्रत्येक बीबीपीओयू निधियों का भुगतान/प्राप्ति बीबीपीसीयू द्वारा की गई निपटान बैंक व्यवस्था के माध्यम से करेगी। बीबीपीसीयू, निपटान के लेनदेन से संबन्धित आंकड़े संबन्धित बीबीपीओयू को उपलब्ध कराएगा ताकि वे संबन्धित बिलर को भुगतान कर सकें।

निपटान में बीबीपीओयू की भूमिका

22. ऑन-अस लेनदेनों (भुगतान एकत्र करने वाले एजेंट एवं साथ ही साथ बिलर जिसे भुगतान प्राप्त करना है वह उसी बीबीपीओयू से संबन्धित है), प्रत्येक बीबीपीओयू को एक निपटान बैंक की पहचान करनी होगी जहां एजेन्टों और बिलरों को सेटलमेंट खाता रखना होगा। बीबीपीओयू, कार्य दिवस की समाप्ति पर प्रत्येक भागीदार (एजेंटों और बिलर्स) की निवल स्थिति निकालेगी और निपटान फाइल को निपटान बैंक के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

23. बिलर्स एकत्र की गई एकत्रित मूल राशि प्राप्त करेंगे (या बीबीपीओयू और बिलर व्यापारियों के बीच वाणिज्यिक व्यवस्था के अनुसार राशि) जबकि, एजेन्टों को कमीशन / शुल्क (कमीशन / शुल्क के भुगतान के लिए व्यवस्था पर निर्भर करता है) मिलेगा।

24. निपटान के पश्चात, बीबीपीओयू को निपटान के लेनदेन संबंधी विवरण बिलर्स और अपने अधीन एजेन्टों को एमआईएस, समाधान और ग्राहक सेवा/शिकायत निवारण के लिए उपलब्ध कराने होंगे।

25. ऑफ-अस लेनदेनों के मामले में, बीबीपीसीयू पर प्राप्त निवल निपटान राशि का भुगतान /प्राप्ति बीबीपीओयू करेगी। हालांकि, उनके सदस्य बिलर्स (जिसके लिए भुगतान किसी अन्य बीबीपीओयू द्वारा एकत्र किया गया है) को भुगतान बीबीपीसीयू से लेनदेन आंकड़े प्राप्त होने के पश्चात बीबीपीओयू द्वारा किया जाएगा।

निपटान के संबंध में मानकों का निर्धारण

26. बीबीपीएस का उद्देश्य यह भी है कि वह बैंक सेवा से वंचित/ बैंकिंग सेवा की अल्पता वाली बड़ी जनसंख्या को सुलभ बिल भुगतान प्रणाली प्रदान करे। भुगतान के सभी प्रकार आवश्यक रूप से बिल भुगतान प्रणाली का एक हिस्सा होंगे।

27. नामित निपटान बैंक में निपटान खातों की स्थापना के लिए परिचालनात्मक व्यवस्था, निपटान हेतु समय अनुशासन इत्यादि बीबीपीसीयू द्वारा तय किया जाएगा और यह बिल भुगतान प्रणाली मानकों का एक हिस्सा बन जाएगा।

28. उपभोक्ताओं द्वारा बिल का भुगतान करने ले लिए प्रयोग किए जाने वाले भुगतान के कई तरीके होंगे, इनमें से प्रत्येक का वसूली चक्र भुगतान के तरीके पर निर्भर करेगा। अत: बीबीपीसीयू प्रत्येक चरण (लेग) में भुगतानों की वसूली और संग्रहण से संबन्धित समय अनुशासन के संबंध में मानकों को निर्धारित करेगा अर्थात ऑन-अस निपटान के मामले में एजेंट से बीबीपीओयू को और बीबीपीओयू से बिलर को; और ऑफ-अस निपटान के मामले में बीबीपीओयू से बीबीपीसीयू और उसके पश्चात बिलर (संबन्धित बीबीपीओयू के माध्यम से) को।

29. बीबीपीसीयू के अंतर्गत स्थापित निपटान मानकों, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित हों, का पालन सभी बीबीपीएस सहभागियों को करना होगा।

ग्राहक संरक्षण और शिकायत निवारण

30. बीबीपीएस के अंतर्गत, बीबीपीओयू को सभी निबंधन एवं शर्तों को स्पष्ट और सरल भाषा में (प्राथमिकता के आधार पर अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय भाषा में) उपलब्ध कराना चाहिए जो कि इसकी सेवाओं का उपयोग करने वाले विभिन्न बिलर्स/उपयोगकर्ताओं की समझ में आ जाएं। इनमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिए :-

• बिल भुगतान सुविधा के उपयोग के साथ जुड़े हुए सभी प्रभार और शुल्क, और

• ग्राहक सेवा टेलीफोन नंबर और वेबसाइट का यूआरएल

31. बीबीपीएस ब्रांड को ग्राहकों का भरोसा और विश्वास तभी मिलेगा जब यह ग्राहकों की शिकायतों के निपटान के लिए प्रभावी, सक्षम और केंद्रीकृत तंत्र उपलब्ध कराएगा। इस प्रक्रिया में बीबीपीसीयू और बीबीपीओयू की भूमिका होगी:

क) सभी ऑन-अस और ऑफ-अस लेनदेनों के लिए शुरुआत से लेकर अंत तक एक केंद्रीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली की स्थापना करना।

ख) जब तक केंद्रीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली की स्थापना होगी तब तक बीबीपीएस कम से कम किसी भी बीबीपीएस स्थान पर केंद्रीकृत टिकेटिंग/ किसी ग्राहक द्वारा शिकायतें दर्ज कराने (किसी बिलर के विरुद्ध) की सुविधा उपलब्ध कराएगा, यद्यपि, अंतिम निवारण संबन्धित बिलर/बीबीपीओयू द्वारा किया जाएगा।

ग) बीबीपीएस के भीतर प्रत्येक शिकायत को एक विशिष्ट शिकायत संदर्भ संख्या प्रदान की जाएगी और इसकी पहचान इसी संख्या से होगी।

घ) किसी स्थान पर शिकायत दर्ज होने के पश्चात, बीबीपीसीयू और/अथवा संबन्धित बीबीपीओयू शिकायत को निपटान हेतु संबन्धित बिलर के पास भेजेगा।

ङ) एक उपयुक्त ट्रैकिंग प्रणाली उपलब्ध करानी होगी ताकि, ग्राहक किसी भी स्थान पर अपनी शिकायत की स्थिति से अवगत रहे (विशिष्ट शिकायत संदर्भ संख्या के आधार पर)।

च) बीबीपीएस में कोई शिकायत दर्ज कराने के लिए ग्राहक से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।

32. एकीकृत टर्नएराउंड समय के साथ मानकीकृत नियमों और विनियमों का गठन किया जाएगा और ये बीबीपीएस प्रणाली में उत्पन्न होने वाले सभी विवादों के संबंध में लागू होंगे। प्रणाली प्रतिभागियों के द्वारा यथोचित सेवा स्तरीय करार निष्पन्न किए जा सकते हैं ताकि, इन मानकों का अनुपालन किया जा सके।

33. इस बीच बीबीपीएस के शीघ्र कार्यान्वयन और परिचालन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शिकायत निवारण का कार्य संबन्धित बिलर्स के द्वारा वर्तमान व्यवस्था के अनुसार अपने परिचालन इकाइयों के माध्यम से किया जाएगा।

34. बीबीपीएस में सभी प्रतिभागियों से यह अपेक्षित होगा कि, ग्राहकों की शिकायतों पर रिपोर्ट यथा निर्दिष्ट प्रारूप और समय में करें।

भूमिकाएँ और उत्तरदायित्व

35. बीबीपीएस में प्रणाली प्रतिभागियों को इस अंतर-परिचालनीय बिल भुगतान प्रणाली के सुचारू रूप से परिचालित होने के लिए एक समान मानकों एवं प्रक्रियाओं का अनुपालन करना होगा। तदनुसार, बीबीपीसीयू और बीबीपीओयू की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की एक व्यापक रूपरेखा नीचे उल्लिखित है। बीबीपीएस के प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश, विभिन्न प्रतिभागियों की विशिष्ट भूमिका और जिम्मेदारियों को विस्तृत रूप में उपलब्ध कराएंगे।

36. बिल भुगतान प्रणाली के लिए विकास और मानकों के कार्यान्वयन में सहभागी निर्णय लेने को प्रोत्साहित करने के लिए बीबीपीएस में एक संचालन समूह होना अनिवार्य है। संचालन समूह में प्रतिनिधित्व बीबीपीएस के लिए अनुमोदित प्रक्रियात्मक दिशा निर्देशों के अनुसार किया जाएगा।

37. भारत बिल भुगतान केंद्रीय इकाई (बीबीपीसीयू) की भूमिका और जिम्मेदारियां

क) बीबीपीसीयू मानकों की स्थापना के लिए जिम्मेदार होगा - (i) भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकृत बीबीपीओयू में ऑन-बोर्डिंग हेतु व्यापार मानक, नियम और प्रक्रियाएं; इसमें कई बिलर्स और बीबीपीओयू के बीच संबंध, शामिल हैं (ii) एजेंट नेटवर्क की स्थापना सहित बीबीपीसीयू और बीबीपीओयू दोनों के स्तर पर विभिन्न कारोबारी/तकनीकी/परिचालनात्मक आवश्यकताओं के लिए प्रक्रियाएँ और कार्य प्रणालियाँ, (iii) सुरक्षा मानकों सहित सूचना के आदान-प्रदान संबंधी मानक; और (iv) जोखिम कम करना।

ख) बीबीपीसीयू, विपणन और अखिल भारतीय भारत बिल भुगतान प्रणाली की ब्रांड पोजीशनिंग, बीबीपीओयू के परिचालनों की निगरानी और प्रमाणन के लिए उत्तरदायी होगा।

ग) विभिन्न बीबीपीओयू और उनके एजेन्ट के पास, ऑन-अस और ऑफ–अस दोनों ही के संबंध में किए गए लेनदेनों के भुगतान, समाशोधन और निपटान के संबंध में मानकों की स्थापना के लिए बीबीपीसीयू उत्तरदायी होगा।

घ) प्रणाली प्रतिभागियों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को निपटाने के लिए बीबीपीसीयू एक विवाद समाधान तंत्र स्थापित करेगा।

ङ) बीबीपीसीयू को बीबीपीएस के लिए एक उपयुक्त धोखाधड़ी और जोखिम प्रबंधन ढांचे की स्थापना सुनिश्चित करनी होगी।

च) उपयुक्त एमआईएस प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।

38. भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयों (बीबीपीओयू) की भूमिका एवं उत्तरदायित्व

क) मानकों/नियमों के अनुसार बिलर्स और एग्रीगेटर्स की ऑन-बोर्डिंग,एजेंटों की नियुक्ति; उचित मूल्यांकन करना (उप-एजेंटों की नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं और नियमों के अनुसार); और गोपनीयता और गोपनीयता मानकों को सुनिश्चित करना।

ख) मूलभूत संरचना विकास – बीबीपीसीयू द्वारा निर्धारित मानकों के अनुपालन में संबन्धित बीबीपीओयू द्वारा जहां कहीं अपेक्षित हो वहाँ एपीआई सहित एप्लीकेशन विकास।

ग) लेनदेन का निपटान – लेनदेनों की सुरक्षा, बिलर की जानकारी का सत्यापन, बीबीपीसीयू द्वारा निर्धारित लेन-देन प्रवाह मानकों / नियमों का पालन।

घ) बिलर्स / एजेंटों / ग्राहकों के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं और मानकों के अनुसार ग्राहकों की शिकायतों और विवादों का निपटान करना।

ङ) मूल्य वर्धित सेवाएं - बिलर्स / एग्रीगेटर्स / एजेंटों को एमआईएस और रिपोर्टिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करना।

बीबीपीएस मानकों को समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए सभी मौजूदा विनियामक दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

 
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