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Date: 20/02/2019
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के तहत निर्देश - द मापुसा अर्बन को-
ऑपरेटिव बैंक ऑफ गोवा लिमिटेड, गोवा - निर्देशों की अवधि को बढ़ाना और आहरण सीमा में छूट

20 फरवरी 2019

बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के तहत निर्देश - द मापुसा अर्बन को-
ऑपरेटिव बैंक ऑफ गोवा लिमिटेड, गोवा - निर्देशों की अवधि को बढ़ाना और आहरण सीमा में छूट

रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के तहत द मापुसा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ़ गोवा लिमिटेड, गोवा को दिनांक 24 जुलाई 2015 को जारी तथा समय-समय पर संशोधित निर्देश जारी किया, जिसे दिनांक 13 अगस्त 2018 के पिछले निर्देश द्वारा 18 फरवरी 2019 तक निर्देश को बढ़ाया गया। मौजूदा निर्देशों के अनुसार, अन्य शर्तों के साथ, प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते या किसी भी अन्य जमा खाते चाहे उन्हें किसी भी नाम से बुलाया जाता है से कुल शेष राशि के 1,000/- से अधिक की राशि, जमाकर्ता द्वारा वापस लेने की अनुमति दी जा सकती है, प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते या किसी भी अन्य जमा खाते में कुल शेष राशि के 1,000/- से अधिक राशि नहीं, जिसे किसी जमाकर्ता द्वारा वापस लेने की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते कि ऐसे जमाकर्ता की किसी भी तरीके से बैंक के प्रति देयता हो, अर्थात बैंक जमाराशि के विरुद्ध ऋण सहित या तो उधारकर्ता या जमानत के रूप में, राशि को पहले संबंधित उधारकर्ता खाते में समायोजित किया जा सकता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की है और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उपधाराओं (1) और (2) के तहत निहित शक्तियों के प्रयोग से पूर्वोक्त निर्देशों को सार्वजनिक हित में संशोधित करना आवश्यक माना है।

आरबीआई ने अपने दिनांक 24 जुलाई 2015 के निर्देश के द्वारा यह संशोधन किया है

प्रत्येक बचत बैंक खाते या चालू खाते या टर्म डिपॉजिट खाते या किसी अन्य डिपॉजिट खाते (जिस भी नाम से कहा जाए) में कुल 50,000/- (केवल पचास हजार) से अधिक नहीं; जमाकर्ता द्वारा निकाले जाने की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते कि ऐसे जमाकर्ता की बैंक के प्रति किसी भी तरीके की देयता हो, अर्थात या तो एक उधारकर्ता या जमानती के रूप में, बैंक जमाराशि के विरुद्ध ऋण सहित, राशि को पहले संबंधित उधारकर्ता खाते में समायोजित किया जा सकता है।

बैंक द्वारा जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए आवश्यक राशि एस्क्रौ खाते में और / या प्रतिभूतियों में अलग से रखी जानी चाहिए, जिसका उपयोग बैंक द्वारा केवल संशोधित निर्देशों के अनुसार जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए किया जाएगा।

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक सहमत है कि जनता के हित में, द मापुसा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ गोवा लिमिटेड, गोवा को जारी तथा समय समय पर संशोधित, 24 जुलाई 2015 के निर्देश की परिचालन अवधि को आगे छह महीने की अवधि के लिए बढ़ाना आवश्यक है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उपधारा (1) के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करता है, साथ ही निर्देश देता है कि 24 जुलाई 2015 को द मापुसा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ गोवा लिमिटेड, गोवा को जारी तथा समय-समय पर संशोधित निर्देश जिसकी वैधता अंतिम बार 18 फरवरी 2019 तक बढ़ाई गई है, को बैंक में19 फरवरी 2019 से 18 अगस्त 2019 तक की छह महीने की आगे की अवधि के लिए बढ़ाया जाए, जो कि समीक्षाधीन होगा।

इस संदर्भ के तहत समय-समय पर संशोधित निर्देश के अन्य नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/1979

 
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