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Date: 05/08/2016
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पायनीयर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश का लाइसेंस रद्द किया

5 अगस्त 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पायनीयर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 15 जुलाई 2016 के आदेश के तहत पायनीयर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश का बैंकिंग कारोबार करने का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह आदेश 25 जुलाई 2016 को कारोबार की समाप्ति से प्रभावी हो गया। रजिस्ट्रार, सहकारी समिति, उत्तर प्रदेश से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने संबंधी आदेश जारी करें।

रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है क्योंकि:

  • बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11(1) के अनुसार निर्धारित न्यूनतम पूंजी और आरक्षित निधि की अपेक्षा का अनुपालन नहीं किया।

  • बैंक का कारोबार मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं और जनता के हितों के विरूद्ध और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11 और 22(3) के उल्लंघन में किया जा रहा था।

  • बैंक अपने विद्यमान और भावी जमाकर्ताओं के दावे प्राप्त हो जाने पर उनका पूर्ण भुगतान करने की स्थिति में नहीं था।

  • बैंक की वित्तीय स्थिति के पुनरुज्जीवित होने की कोई गुंजाइश नहीं थी।

  • बैंक को इसी प्रकार से आगे कारोबार के लिए अनुमति देने से पूरी संभावना थी कि जनता के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप पायनीयर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से तत्‍काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

बैंक का लाइसेंस रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से पायनीयर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 के अनुसार जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। परिसमापन के बाद हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/335

 
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