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Date: 08/02/2017
भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री छत्रपति अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि. पिम्पले नीलख, पुणे, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया

8 फरवरी 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री छत्रपति अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.
पिम्पले नीलख, पुणे, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री छत्रपति अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि. पिम्पले नीलख,पुणे, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह आदेश 07 फरवरी 2017 को कारोबार की समाप्ति से प्रभावी हो गया। पंजीयक, सहकारी समिति, महाराष्ट्र से भी बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द किया क्‍योंकि:

  • बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11 (1) तथा 18 में निर्धारित न्यूनतम पूंजी आवश्यकताएं एवं प्रारक्षित निधि का अनुपालन बैंक द्वारा नहीं किया गया है।

  • बैंक का कारोबार विद्यमान और भावी जमाकर्ताओं और जनता के हित में नहीं था और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22(3)(क), 22(3)(ख), 22(3)(ग), 22(3)(घ),22(3)(च) और 24 के उल्लंघन में था।

  • बैंक अपने विद्यमान और भावी जमाकर्ताओं के दावे प्राप्त हो जाने पर उनका पूर्ण भुगतान करने की स्थिति में नहीं था ।

  • बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी संकटपूर्ण थी कि उसके पुनरुज्जीवित होने की कोई गुंजाइश नहीं थी।

  • बैंक को इसी प्रकार से आगे कारोबार के लिए अनुमति देने से जनता के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ता ।

लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप श्री छत्रपति अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि. पिम्पले नीलख,पुणे, महाराष्ट्र बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से तत्‍काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

बैंक का लाइसेंस रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से श्री छत्रपति अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि. पिम्पले नीलख,पुणे, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 के अनुसार जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। परिसमापन होने पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2133

 
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