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Date: 21/12/2016
6-7 दिसंबर 2016 को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के कार्यवृत्त

21 दिसंबर 2016

6-7 दिसंबर 2016 को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के कार्यवृत्त
[भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अंतर्गत]

संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी के अंतर्गत गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दूसरी बैठक भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में 6 और 7 दिसंबर 2016 को आयोजित की गई।

2. बैठक में सभी सदस्य – डॉ. चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान; डॉ. पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स तथा डॉ. रविन्द्र एच. ढ़ोलकिया, प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद;, डॉ. माइकल देबब्रत पात्र, कार्यपालक निदेशक (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी(2)(सी) के अंतर्गत केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित बैंक का अधिकारी); श्री आर. गांधी, उप गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी उपस्थित थे और इस बैठक की अध्यक्षता डॉ. उर्जित आर. पटेल, गवर्नर द्वारा की गई।

3. संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अनुसार, रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति समिति की प्रत्येक बैठक के चौदह दिन के बाद बैठक की कार्यवाहियों के कार्यवृत्त प्रकाशित करेगा जिनमें निम्नलिखित शामिल होगा :–

(क) मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अपनाया गया संकल्प;

(ख) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्पों पर मौद्रिक नीति समिति के प्रत्येक सदस्य को प्रदान किया गया वोट; और

(ग) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर धारा 45जेडआई की उप धारा (11) के अंतर्गत मौद्रिक नीति समिति के प्रत्येक सदस्य का वक्तव्य।

4. उपभोक्ता विश्वास, परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा, कॉर्पोरेट क्षेत्र कार्यनिष्पादन, क्रेडिट स्थिति, औद्योगिक, सेवाओं और बुनियादी सुविधा क्षेत्रों की संभावनाओं का आकलन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा कराए गए सर्वेक्षणों तथा व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुमानों की एमपीसी द्वारा समीक्षा की गई। समिति ने स्टाफ की समष्टि आर्थिक अनुमानों और संभावना के लिए विभिन्न जोखिमों के ईर्द-गिर्द वैकल्पिक परिदृश्यों की विस्तार से समीक्षा की। उपर्युक्त और मौद्रिक नीति रुख पर विस्तार से चर्चा करने के बाद एमपीसी ने नीचे दर्शाया गए संकल्प को अपनाया है।

संकल्प

5. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज आयोजित अपनी बैठक में वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के नीति रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी जाए।

6. परिणामस्वरूप, चलनिधि समायोजना सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्रतिवर्ती रेपो दर 5.75 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.75 पर अपरिवर्तित रहेंगी।

7. एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के उदार रुख के अनुरूप है जो वृद्धि को सहारा देते हुए वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति का 5 प्रतिशत का उद्देश्य हासिल करने और +/- 2 प्रतिशत के बैंड के अंदर 4 प्रतिशत के मध्यावधि लक्ष्य के अनुरूप है। इस निर्णय को रेखांकित करने वाले मुख्य विचारों को नीचे वक्तव्य में दिया गया है।

आकलन

8. वर्ष 2016 की पहली छमाही में कमजोरी के बाद वैश्विक वृद्धि ने दूसरी छमाही में गति पकड़ी। अमेरिका में स्थिति के उल्टा होने से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में गतिविधि में झिझक के साथ सुधार हुआ। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में वृद्धि नरम रही किंतु चीन में नीतिगत प्रोत्साहन और बड़े पण्य-वस्तु निर्यातकों में दबाव के कुछ सहज होने से गति में मजबूती आई। विश्व व्यापार गर्त से बाहर आना शुरू हो रहा है जो जुलाई-अगस्त में निम्न स्तर पर पहुंच गया था और स्थिर होने का संकेत दिखा रहा है। कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओँ में मुद्रास्फीति बढ़ गई है, हालांकि यह लक्ष्य से नीचे ही है और कई उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में सहज हो रही है। अमेरिका, जापान और चीन में प्रत्यवस्फीति (रिफ्लेशनरी) राजकोषीय नीतियों की संभावनाओं और मंदी के समय में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं पर नीचे की ओर दबावों के कम होने की गति यूरो क्षेत्र और यूके में वर्तमान में व्याप्त राजनीतिक जोखिमों से धीमी हो गई है, इन जोखिमों से भौगोलिक-राजनीतिक जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं और वित्तीय बाजार अस्थिरता छायी हुई है।

9. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार पर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव और आगामी आंकड़ों के परिणाम का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा जिन्होंने फेडरल रिज़र्व द्वारा कड़ा मौद्रिक रुख अपनाने की संभावना बढ़ा दी। चूंकि अस्थिरता के झटकों से अमेरिकी इक्विटी में जोखिम मुक्त उछाल बढ़ गया और स्थायी आय बाजारों से जोखिम भरी हड़बड़ी ने उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं से पूंजीगत प्रवाह बाहर कर दिया, इससे मुद्रा का मूल्य कम हो रहा है और इक्विटी बाजार अपने हाल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हालांकि बॉन्ड प्रतिफल अमेरिकी प्रतिफलों के साथ मिलकर सख्त हो गए। चुनाव के परिणामों के बाद अक्टूबर के उत्तरार्द्ध से अमेरिकी डॉलर में वृद्धि तेज हो गई और विश्वभर की मुद्राओं में काफी मूल्यह्रास शुरू हो गया। अमेरिकी चुनाव के परिणामों के मद्देनजर मांग संभावना में सुधार होने से नवंबर के मध्य से सभी जगह स्वर्ण को छोड़कर पण्य–वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई, स्वर्ण की सुरक्षित आश्रय वाली चमक मजबूत अमेरिकी डॉलर में गुम हो गई। उत्पादन कम करने के ओपेक के निर्णय के बाद कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई।

10. घरेलू मोर्चे पर, औद्योगिक गतिविधि में अपेक्षा से अधिक मंदी के कारण वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में जीवीए की वृद्धि अनुमान की अपेक्षा ज्यादा कम रही। कमजोर मांग स्थिति और निगमों की लाभप्रदता को कम करने वाली इनपुट लागतों के बढ़ने के साथ विनिर्माण क्रमिक रूप से और वार्षिक आधार, दोनों पर कम हआ। सकल स्थायी पूंजी निर्माण लगातार तीसरी तिमाही में कम हुआ। हालांकि, सरकार का अंतिम उपभोग व्यय क्रमिक रूप से कम हुआ, फिर भी इससे निजी अंतिम उपभोग व्यय में सहायता मिली जो कुल मांग का आधार है। समग्र मांग की तुलना में निवल निर्यात का योगदान सकारात्मक रहा किंतु यह निर्यात की तुलना में आयात में तेज कमी के कारण था।

11. तीसरी तिमाही पर बात करते हुए, समिति ने महसूस किया कि विनिर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के वापस लेने से अभी भी प्रकट प्रभावों द्वारा किए गए आकलन पर बादल छाए हुए हैं। प्रमुख फसलों में रबी की बुआई के अंतर्गत रकबे में स्थिर विस्तार होने से पिछले वर्ष की तुलना में दूसरी तिमाही में कृषि का मजबूत निष्पादन होना चाहिए। इसके विपरीत, औद्योगिक गतिविधि कमजोर बनी हुई है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मुख्य उद्योगों में, कोयले के उत्पादन में मंद मांग के कारण अक्टूबर में कमी आई जबकि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में संरचनागत बाधाओं के बाध्यकारी प्रतिबंध के कारण कमी आई। सीमेंट, उर्वरकों और विद्युत के उत्पादन में गिरावट जारी रही, जो आधारभूत आर्थिक गतिविधि में सुस्ती दर्शाती है। दूसरी तरफ, प्रतिकारी शुल्कों के लागू होने से इस्पात के उत्पादन में निरंतर विस्तार दर्ज किया गया है। निर्यात में वृद्धि और क्षमता संवर्धन के सहारे रिफानरी उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। विनिर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के वापस लेने से मजदूरी और इनपुटों की खरीद के भुगतान में विलंब के कारण नवंबर-दिसंबर में औद्योगिक गतिविधि के कुछ हिस्से पर कुछ समय के लिए अड़चन आ सकती है, हालांकि पूरा आकलन करना बाकी है। सेवा क्षेत्र में, मिश्रित संभावना है जिसमें निर्माण, व्यापार, परिवहन, होटल और संचार पर एसबीएन का अस्थायी प्रभाव पड़ा है जबकि लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाएं 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) अवार्ड और वन रैंक वन पेंशन से उत्साहित हैं। वित्तीय सेवाओं द्वारा जीवीए में छोटी लागत की जमाराशियों के बड़े अंतर्वाह से लघुकालिक प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।

12. सब्ज़ियों की प्रत्याशित से अधिक तेज़ अपस्फीति के परिणामस्वरूप हेडलाइन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा आकलित खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीसरे माह अक्तूबर में अपेक्षा से अधिक कम हो गई है। तथापि इस कमतर मात्रा के बावजूद विभिन्न स्तरों पर माह-दर-माह मूल्य बढ़ने के कारण इसकी गति में एक उछाल आया। अनाज, दलहन तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ी कीमतों के साथ चीनी तथा प्रोटीनयुक्त उत्पादों की अभी भी ऊंची कीमतों से खाद्य पदार्थों की कीमतों की गति में उछाल आया जिसने सुदृढ़ अनुकूल आधार प्रभाव से खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में आई नरमी को आंशिक रूप से बराबर कर दिया। एल.पी.जी. के मूल्यों में वार्षिक अधार पर हुई गिरावटों के कारण और एक माह पहले बिजली की कीमतों में गिरावट के कारण ईंधन की श्रेणी में कमी आई है। खाद्य पदार्थों तथा ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति निरंतर जारी है। हालांकि आवासीय तथा व्यक्तिगत देखभाल से संबंधित मुद्रास्फीति अत्यल्प कम हुई है, शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं और परिवहन तथा संचार में मुद्रास्फीति की निरंतर तेजी ने इस श्रेणी की मुद्रास्फीति में स्थिरता प्रदान की है।

13. तीसरी तिमाही में अब तक चलनिधि स्थिति में भारी परिवर्तन हुए हैं। अक्तूबर में तथा नवंबर के शुरुआत में अधिशेष की स्थिति पर 9 नवंबर से विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को वापस लेने के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। दिनांक 2 दिसंबर तक प्रचलन में मुद्रा में 7.4 ट्रिलियन की गिरावट आई। उसके बाद नोट बदलने से और बैंकिंग प्रणाली में जमा की तेज़ बढ़त से अतिरिक्त आरक्षित निधि में भारी वृद्धि हुई। रिज़र्व बैंक ने ओवरनाइट से लेकर 90 दिनों तक की व्यापक अवधियों की परिवर्तनीय दर प्रतिवर्ती रेपो की नीलामियों के माध्यम से अपने चलनिधि परिचालन में वृद्धि की जिसमें 5.2 ट्रिलियन (निवल) चलनिधि को कम किया गया। रिज़र्व बैंक ने सरकार द्वारा जारी तेल बांडों को एलएएफ के अंतर्गत पात्र प्रतिभूति की अनुमति दी। प्रणाली से अतिरिक्त चलनिधि के निकास के लिए अस्थाई उपाय के रूप में 16 सितंबर 2016 से 11 नवंबर 2016 के बीच निवल मांग तथा मियादी देयता (एन.डी.टी.एल) में वृद्धि पर 26 नवंबर को प्रारंभ पखवाडे से 100 प्रतिशत वृद्धिशील सी.आर.आर. लागू की गई। दिनांक 28 नवंबर से चलनिधि के अवशोषण में गिरावट आई और रिज़र्व बैंक ने 28 नवंबर को 3.3 ट्रिलियन के परिवर्तनीय दर प्रतिवर्ती नीलामी की। जैसा कि अपेक्षित था, इसके बाद मुद्रा बाज़ार संकुचित हो गए और भारित औसत कॉल दर का 30 नवंबर की नीति रेपो दर के स्तर तक आने से पहले उस दिन एलएएफ कोरिडॉर की उच्चतम सीमा के निकट कारोबार किया गया। प्रणाली की अन्य सभी दरें इसके सहयोग में बढ़ने लगी और सावधि प्रीमियमों में धीरे-धीरे सुधार हुआ। इस घटना से सक्रिय चलनिधि प्रबंधन ने डब्ल्यू.ए.सी.आर को स्थिर दर प्रतिवर्ती रेपो दर तक गिरने से रोका जो कि एल.ए.एफ. कॉरिडॉर की निचली सीमा है। बाज़ार स्थिरता योजना (एम.एस.एस.) के अंतर्गत प्रतिभूति की सीमा में 29 नवंबर को 0.3 ट्रिलियन से 6 ट्रिलियन वृद्धि के कारण चलनिधि प्रबंधन को सहारा मिला। एम.एस.एस. के अंतर्गत 06 दिसंबर 2016 को 1.4 ट्रिलियन के लिए नकद प्रबंधन बिल का तीन बार निर्गम हुआ।

14. बाहरी क्षेत्र में, भारत का उत्पाद निर्यात सितंबर तथा अक्तूबर में बढ़ा। दोनों पी.ओ.एल तथा गैर-पी.ओ.एल आयातों की मदद से सकारात्मक स्थिति में वापसी हुई। 22 महीनों की लंबी गिरावट के बाद, सोने के आयात की मात्रा में तीव्र वृद्धि तथा पी.ओ.एल आयात के लिए बढ़े हुए भुगतान के बाद अक्तूबर में आयात में वृद्धि हुई। गैर-तेल गैर-स्वर्ण आयात में वृद्धि ने भी सात माह के अंतराल के बाद सकारात्मक मोड़ लिया। अप्रैल-अक्तूबर की अवधि के लिए उत्पाद व्यापार घाटा गत वर्ष की तुलना में अपने स्तर से 25 बिलियन यू.एस. डॉलर कम रहा। तदनुसार प्रेषणों में कुछ हानि और सॉफ्टवेयर निर्यात के अदृश्य मदों में होने के बावजूद चालू खाता घाटा मंदा रहने की संभावना है। निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश समुचित रूप से मजबूत रहा जिसमें से आधे से अधिक विनिर्माण, संचार तथा वित्तीय सेवाओं को गया। इसके विपरीत, ऋण और इक्विटी बाजारों से अक्टूबर-नवंबर में 7.3 बिलियन का पोर्टफोलियो निवेश बहिर्वाह हुआ जैसा समान ईएमईजी में हुआ है, जो यू.एस. राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम से सक्रिय स्वदेशी झुकाव और यू.एस. की मौद्रिक नीति के कड़े होने की निकट निश्चितता दर्शाता है। दिनांक 02 दिसंबर 2016 को विदेशी मुद्रा की आरक्षित निधि का स्तर 364 बिलियन यू.एस. डॉलर रहा।

संभावना

15. समिति ने कई वस्तुओं में कीमतों की बढ़त को नोट किया जो अक्तूबर के दौरान आधार प्रभाव पर मुद्रास्फीति कम होने के कारण प्रभावित हुईं। कतिपय आपूर्ति कमियों के बावजूद एस.बी.एन. के वापस ले लेने के कारण नवंबर में मांग के आकस्मिक संकुचन दिसंबर के लिए उपलब्ध होने वाले आकलित विकारी खाद्य की कीमतों में गिरावट लाएगा। दूसरी ओर, गेहूँ, चना तथा चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं। जबकि खाद्य तथा ईंधन को छोड़कर सी.पी.आई. में उत्पाद तथा सेवाओं पर विवेकपूर्ण व्यय –जिसमें सी.पी.आई. बास्केट का 16 प्रतिशत शामिल है- को नकद की सीमित पहुँच से प्रभावित किया जा सकता था, इन वस्तुओं की कीमत इन अस्थाई प्रभावों को बदल सकती है क्योंकि सामान्यत: इन्हें पूर्व नियोजित चक्रों के अनुसार संशोधित किया जाता है। आवास, ईंधन तथा बिजली, स्वास्थ्य, परिवहन तथा संचार, पान, तंबाखू और मादक वस्तुओं, और शिक्षा की कीमतें-एक साथ मिलाकर सी.पी.आई. बास्केट का 38 प्रतिशत हैं - मुख्यत: अप्रभावित रहेंगी। इसके अलावा संभावना है कि दिसंबर और फरवरी में आधार प्रभाव परिवर्तित होगा और प्रतिकूल हो जाएगा। यदि कमियों के कारण सामान्य शीत ऋतु का अनुकूलन नहीं होता है तो खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति का दबाव वापस आ सकता है। इसके अलावा, खाद्य पदार्थों तथा ईंधन को छोड़कर सी.पी.आई. मुद्रास्फीति गिरावटी प्रवर्तनों के प्रति प्रतिरोधी ही रहा है और मुद्रास्फीति के शीर्ष के लिए सीमा निर्धारित कर सकता है। उत्पादन कम करने के ओपेक करार के साथ आने वाले महीनों में कच्चे तेल की कीमत बढ़ सकती है। वैश्विक गतिविधियों, विशेषकर यू.एस. मौद्रिक एवं राजस्व नीति के भावी रवैये में वित्तीय बाज़ारों का प्रभावित होना, विदेशी विनिमय दर को अस्थिरता प्रदान करा सकती है जिससे मुद्रास्फिति को बल मिल सकता है। एस.बी.एन वापस ले लेने के कारण तिसरी तिमाही में मुद्रास्फिति में 10-15 आधार अंक संभावित अस्थाई गिरावट हो सकती है। इन मदों को ध्यान में रखते हुए, 2016-17 के तिमाही 4 में शीर्ष मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत संभावित है जिसमें जोखिम ऊपर की ओर हैं मगर अक्तूबर की मौद्रिक समीक्षा से कम हैं। सातवें सी.पी.सी. अवार्ड के आवास भत्ते का आकलन, लंबित कार्यान्वयन का पूर्ण प्रभाव अभी बाकी है और मुद्रास्फीति कार्यप्रणाली की बेसलाइन में इसका आकलन नहीं किया गया है (चार्ट 1)।

16. 2016-17 के लिए जीवीए वृद्धि का आउटलुक दूसरी तिमाही में 50 आधार अंक गति की अप्रत्याशित कमी और एसबीएन की वापसी, जो अभी भी चालू है, के प्रभाव से अनिश्चित बदल गया है। निकट भविष्य में नकारात्मक जोखिम दो प्रमुख चैनलों के माध्यम से आ सकते हैं: (क) नकदी गहन क्षेत्रों में जैसे कि खुदरा व्यापार, होटल और रेस्तरां और परिवहन, और असंगठित क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में कम अवरोधों; (ख) प्रतिकूल धन प्रभाव के साथ जुड़े कुल मांग दवाब। पहले चैनल का प्रभाव बहरहाल, और अर्थव्यवस्था में नए नोटों के संचलन और गैर नकद भुगतान आधारित लिखतों का अधिक से अधिक उपयोग से प्रगतिशील वृद्धि, जबकि दूसरे चैनल के प्रभाव का सीमित होने की संभावना है। अक्तूबर 2016 में, एच 2 में जीवीए वृद्धि 7.7 प्रतिशत और पूरे वर्ष के लिए 7.6 प्रतिशत अनुमानित की गई थी। तीसरी तिमाही में वृद्धि की में अपेक्षित हानि को शामिल करते हुए और उच्च कृषि उत्पादन और 7वें सीपीसी फैसले के कार्यान्वयन से खपत मांग को बढ़ावा देने के साथ-साथ चौथी तिमाही में ढलते प्रभाव के कारण, 2016-17 के लिए जीवीए वृद्धि 7.6 प्रतिशत से 7.1 प्रतिशत तक नीचे परिशोधित की गई, समान रूप से संतुलित जोखिम (चार्ट 2) के साथ।

17. चलनिधि प्रबंधन ढांचे को अप्रैल में परिष्कृत किया गया जिसका उद्देश्य नियमित सुविधाओं के माध्यम से अल्पकालिक चलनिधि जरूरतों, उत्कृष्ट ट्यूनिंग संचालन के माध्यम से अवरोधी और मौसमी बेमेल और सकल विदेशी आस्तियों और सकल घरेलू आस्तियों के नियमन द्वारा वृद्धि को सुविधाजनक बनाने के लिए और अधिक टिकाऊ चलनिधि की आवश्यकता को पूरा करना है। रिजर्व बैंक ने इस ढांचे के साथ चलनिधि प्रबंधन को संचालित किया, उत्तरोत्तर पूर्व चलनिधि स्थिति के स्तर को तटस्थता के समीप पहुंचाया। तीसरी तिमाही में नवंबर के पहले तक, चलनिधि की स्थिति हल्के अधिशेष मोड में बनी रही। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष के दौरान ओएमओ खरीद के माध्यम से अब तक 1.1 ट्रिलियन की चलनिधि डाली, जिसमें अक्टूबर में 100 बिलियन की ओएमओ खरीद नीलामी भी शामिल है।हालांकि एसबीएन के प्रतिस्थापन ने बड़ी अधिशेष चलनिधि को इकठ्टा किया है जिसके लिए असाधारण संचालन की आवश्यकता है, इसे अस्थायी रूप से देखें जाने की जरूरत है। रिजर्व बैंक अप्रैल में बनाए गए संशोधित ढांचे के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चलनिधि संचालन का आयोजन करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि अधिशेष चलनिधि के दबाव कम होने पर सिस्टम के स्तर में तटस्थता की स्थिति तक चलनिधि को बहाल रखा जा सके।

18. समिति के विचार में, यह द्विमासिक समीक्षा बढ़ी अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में की गई है। वैश्विक स्तर पर, अमेरिका में मौद्रिक नीति के आसन्न कसाव से वित्तीय बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति ट्रिगर हो सकती है, जिसमें बड़े फैलाव की संभावना है जिसका ईएमई पर व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है। जबकि भारत में, मुद्रा प्रतिस्थापन की लहर से आपूर्ति अवरोधों के कारण इस साल वृद्धि दर नीचे आ सकती है। उनके पूर्ण प्रभाव और उनकी दृढ़ता - अल्पकालिक घटनाएं जो आउटलुक पर अलग-अलग अनुपात से प्रभाव डालती हैं, मौद्रिक नीति के रुख के निर्धारण के संबंध में सतर्कता आवश्यक बना देती हैं, इनको पहचानने से पहले अधिक जानकारी और अनुभव का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है। व्यापक उम्मीद के अनुसार यदि प्रभाव क्षणिक है, तो वृद्धि में मजबूती से सुधार होना चाहिए। मुद्रास्फीति की बात करते हुए, सब्जियों के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में मजबूती दिख रही है और इसमें गति आ रही है। हाल की घटनाओं का एक चिंताजनक विषय खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में कड़ी गिरावट है जो हेडलाईन में भविष्य की निचली गतिविधियों के लिए एक प्रतिरोध स्तर सेट कर सकता है। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वित्तीय बाजार में उथल-पुथल बढ़ने से 2016-17 की चौथी तिमाही के मुद्रास्फीति लक्ष्य में कुछ जोखिम हो सकता है। अंतर्निहित मुद्रास्फीति के इन संकेतकों को देखते हुए, मौद्रिक नीति का रुख निर्धारित करते हुए एसबीएन के क्षणिक किंतु अस्पष्ट प्रभावों को देखना उपयुक्त है। इसलिए, इसके संतुलन के लिए, इंतजार करना और यह देखना आवश्यक है कि कैसे ये कारक आउटलुक पर प्रभाव डालते हैं और उससे टकराते हैं। तदनुसार, उदार नीति का रुख कायम रखते हुए इस समीक्षा में नीति रेपो दर वैसी ही रखी गयी है।

19. मौद्रिक नीति निर्णय के पक्ष में छह सदस्यों ने मतदान किया। एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 21 दिसंबर 2016 को प्रकाशित किया जाएगा। एमपीसी की अगली बैठक 7 और 8 फरवरी 2017 को होनी निर्धारित है और उसके संकल्प को 8 फरवरी 2017 को रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर डाला जाएगा।

नीति रेपो दर को 6.25 पर अपरिवर्तित रखने के संकल्प पर मतदान

सदस्य मतदान
डॉ. चेतन घाटे हां
डॉ. पामी दुआ हां
डॉ. रविन्द्र एच. ढ़ोलकिया हां
डॉ. माइकल देबब्रत पात्र हां
श्री आर. गांधी हां
डॉ. उर्जित पटेल हां

डॉ. चेतन घाटे का वक्तव्य

20. विनिर्दिष्ट बैंकनोटों (एसबीएन) को वापस लिए जाने के कारण बड़ी हुई अनिश्चितता और नवंबर के लिए आभासिक रूप से कोई ठोस आंकड़े नहीं होने के कारण, ‘प्रतीक्षा और निगरानी’ करना विवेकपूर्ण होगा।

21. जबकि एसबीएन वापस लिए जाने के कारण एक नकारात्मक मांग रूपी झटके से उपभोग मांग में गिरावट आएगी, समग्र निवेश भावना और निवेश गतिविधि पर ऐसी कटौती के दीर्घावधि प्रभावों के जोखिम कम हैं। ये जोखिम कि कमजोर होती समग्र मांग वर्तमान के क्रेडिट चक्र को बढ़ा सकती है जहां वास्तविक अर्थव्यवस्था के कमजोर होने से बैंकों के लाभ में कमी आएगी जो क्रेडिट प्रतिबंधों को बढ़ावा देंगे और आगे वास्तविक अर्थव्यवस्था को कमजोर करेंगे, भी कम हैं। एसबीएन के वापस लिए जाने के प्रतिकूल प्रभावों का प्रतिकार डिजीटलीकरण की आक्रामक गति और रि-टेंडरिंग प्रक्रिया से मुद्रा के लिए लेनदेन मांग को तीव्रता से पुनः स्थापित करने के रूप में होगा। इसलिए, मुझे उम्मीद है कि एसबीएन वापस लिए जाने से मांग और आपूर्ति प्रभाव क्षणिक होने चाहिए तथा आउटपुट अंतराल में इसके बाद की वृद्धि भी अस्थायी होने की संभावना है। ये बातें दर में कटौती को अनुचित बना रही हैं।

22. इस समय मेरी सबसे बड़ी चिंता खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति की निश्चलता (स्टिकीनेस) से निपटना है। जबकि अक्तूबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति में गिरावट आई, फिर भी अक्तूबर में खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गई जो अनुकूल आधार प्रभावों के बावजूद बरकरार बनी हुई है। यह हो सकता है कि मुद्रास्फीतिकारी प्रत्याशाओं में काफी गिरावट के बाद ही मुख्य गतिविधियों में गिरावट आए। पिछली समीक्षा के बाद से, गैर-खाद्य पण्य-वस्तु चक्र (उदाहरण के लिए धातु, तेल) में बिल्कुल विपरीत स्थिति भी आई है। यह कहने के बाद, अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति में काफी गिरावट आई, हालांकि मोटे अनाज संबंधी मुद्रास्फीति धीरे-धीरे बढ़ रही है और दलहन तथा उत्पाद खाद्य मुद्रास्फीति के प्रमुख योगदानकर्ता बने हुए हैं। जबकि बफर स्टॉकों से मोटे अनाज की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है, सब्जी मुद्रास्फीति स्वरूप में क्षणिक है, इसकी प्रवृत्ति में विपरीत स्थिति होने की संभावना है। यह राहत की बात है कि पिछले महीने की तुलना में अभी कुछेक पण्य-वस्तुओं में मुद्रास्फीति बढ़ रही है जिसका अर्थ है कि मुद्रास्फीति का सामान्यीकरण कम हो रहा है। एसबीएन के वापस लिए जाने के कारण कुछ अपस्फीति भी आएगी, हालांकि ऐसा कुछ अंतराल के बाद होगा।

23. जनवरी 2015 से नवंबर 2016 के बीच नीति दर में 175 आधार अंकों की कमी के बावजूद सितंबर 2016 तक के आंकड़ों हेतु बकाया रुपया ऋण पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में कमी केवल 71 आधार अंकों तक की गई है। अब तक के अपूर्ण ब्याज-दर पास थ्रू के कारण इस समय पर एक अतिरिक्त कटौती से बैंक शायद कटौती का और अधिक लाभ नहीं दें।

24. फरवरी के पहले सप्ताह में केंद्रीय बज़ट की घोषणा होने के बाद एक और आंकड़ा बिंदु मिलेगा।

25. इन पर विचार करते हुए, मैं मौद्रिक नीति समिति की आज की बैठक में नीति रेपो दर को 6.25 पर अपरिवर्तित रखने के लिए अपना मत देता हूं। मैं यह भी विश्वास करता हूं कि समिति को अब मौद्रिक नीति के अंतरण से जुड़े अंतरालों को देखते हुए 4 +/- 2 प्रतिशत के मध्यावधि मुद्रास्फीति लक्ष्य के मध्य-बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

डॉ. पामी दुआ का वक्तव्य

26. इकॉनोमिक साइकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (ईसीआरआई) द्वारा उपलब्ध कराए गए भारतीय अग्रणी संकेतकों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एसबीएन वापस लिए जाने के निर्णय से पहले लचीली स्थिति में थी। यह नोट किया जाए कि एक अग्रणी सूचकांक आर्थिक गतिविधि में बदलाव का पूर्वानुमान लगा रहा है और इस प्रकार अर्थव्यवस्था में चक्रीय पलटाव का पूर्वानुमान है। विशेषकर, भारतीय अग्रणी सूचकांक वृद्धि में स्पष्ट चक्रीय उछाल और एसबीएन वापस लिए जाने से पहले दो वर्ष के सबसे उच्च स्तर पर पहुंचने के साथ पतझड़ के महीनों के आते ही आर्थिक वृद्धि का दृष्टिकोण काफी अधिक आशावादी हो गया है, संभावित नकारात्मक झटकों के लिए अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को रेखांकित कर रहा है। इस प्रकार, इस समय पर कारोबारी चक्रीय दृष्टिकोण से भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं थी। इसके अलावा, ईसीआरआई के भारतीय अग्रणी सूचकांक जो भारतीय निर्यात की वृद्धि का अग्रदूत है, में भी वृद्धि में निर्णायक चक्रीय उछाल हो रहा था। यह दर्शाता है कि निर्यात वृद्धि में सुधार से आर्थिक गतिविधि, विशेषकर ईसीआरआई के वैश्विक अग्रणी सूचकांकों द्वारा दर्शाए गई उज्ज्वल वैश्विक वृद्धि के संदर्भ में वृद्धि को अतिरिक्त सहायता मिल सकती है। इस पृष्ठभूमि में, एसबीएन के वापस लेने से आर्थिक गतिविधि पर केवल क्षणिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

27. इसके अलावा, जनवरी 2015 से नीति दर में कुल 175 आधार अंकों की कटौती के साथ बैंकों द्वारा उधार दरों में और लाभ देने के लिए स्थितियां अनुकूल हैं। इसी बीच, उच्चतर अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड प्रतिफलों और ईसीआरआई के यू.एस. भावी मुद्रास्फीति आकलन (जो यूएस मुद्रास्फीति को प्रत्याशित करता है) में मजबूत वृद्धि के आलोक में, यूएस फेडरल रिज़र्व से अपेक्षित है कि वे इस महीने में अपनी नीति दर में वृद्धि करेंगे।

28. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, मैं पूरी तरह से नीति रेपो दर को 6.25 पर अपरिवर्तित रखने के संकल्प का समर्थन करती हूं।

डॉ. रविन्द्र एच. ढ़ोलकिया का वक्तव्य

29. दिसंबर समीक्षा में नीति दर को स्थिर रखने के पक्ष और विपक्ष में सभी तर्कों पर ध्यान से विचार करने के बाद, मैं अपने मत के लिए निम्नलिखित कारणों को विश्वसनीय मानता हूं :

30. मार्च 2017 की समाप्ति पर सीपीआई बास्केट में पण्य-वस्तु समूहों के आकलन द्वारा प्राप्त सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति दर के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमान लगभग 5 प्रतिशत का है जिसमें कुछ अपसाइड जोखिम हैं। जबकि अधिक समग्र इकॉनोमेट्रिक मॉडल पर आधारित मेरा स्वयं का पूर्वानुमान कम है, फिर भी इन अनुमानों का दायरा मुद्रास्फीति दर में मार्च 2017 और जून 2017 के थ्रेशोल्ड से बढ़ने का बड़ा अवसर दर्शाता है।

31. पिछले कुछ महीनों से मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति को 5 प्रतिशत के पास बरकरार रहना देखा गया है। रिज़र्व बैंक सर्वेक्षणों द्वारा प्रकट की गई सीमांत रूप से कम होती किंतु अभी भी उच्च मुद्रास्फीतिकारी प्रत्याशाओं के साथ इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

32. एसबीएन और संबंधित नीतियों पर हाल की गतिविधियों को देखते हुए, बैंकिंग क्षेत्र से संभावना है कि आने वाले कुछ समय में काफी अधिक चलनिधि आएगी और वह स्वयं रेपो दर की तुलना में बैंकों की उधार दरों पर बहुत अधिक प्रभाव डाल सकती है।

33. जनवरी 2015 से रेपो दर में 175 आधार अंकों की संचयी कटौती का लाभ अभी तक बकाया रुपया ऋण के लिए भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में 50 प्रतिशत से कम और नए रुपया ऋणों के लिए डब्ल्यूएएलआर में लगभग 60 प्रतिशत की कमी के रूप में दिया गया है, जबकि जमा दरों में यह 70 प्रतिशत से ऊपर है। इस प्रकार, बैंकों की ओर से उधार दरों में और लाभ देने की पर्याप्त गुंजाइश है।

34. बाह्य और घरेलू दोनों आर्थिक परिवेशों पर वर्तमान में कुछ विशिष्ट अनिश्चितताओं का प्रभाव है जैसाकि समिति के संकल्प में बताया गया है। व्यक्तिगत और निवल प्रभाव की मात्रा इस समय पर बहुत स्पष्ट दिखाई नहीं दे रही है। अनिश्चितता के ऐसे वातावरण में ज्ञापित बड़े बाहरी अंतरालों के साथ रेपो दर के मामले में किसी भी प्रकार के नीतिगत हस्तक्षेप से अनिश्चितता में वृद्धि होने की संभावना है जो अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होगी।

35. जबकि एसबीएन पर हाल की गतिविधियों को अर्थव्यवस्था के लिए बाहरी झटके के रूप में देखा जा सकता है जिसका परिणाम जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को कम करने के रूप में हुआ है, लेकिन इसे व्यापक रूप से क्षणिक अथवा अस्थायी घटना के रूप में माना गया है। यदि ऐसा होता है तो नीतिगत हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है। इसमें बड़े वितरणकारी अंतराल है क्योंकि अन्यथा रूप से यह प्रणाली को अस्थिर कर सकता है या भविष्य में नीति के रुख और कार्रवाई में अपरिहार्य अनिश्चितता उत्पन्न कर सकता है।

डॉ. माइकल देबब्रत पात्र का वक्तव्य

36. जैसाकि मौद्रिक नीति समिति के संकल्प में बताया गया है, कारकों की अपवादात्मक संरचना (कन्फिगरेशन) से संभावना का स्पष्ट आकलन धुंधला हो रहा है। जबकि घरेलू आपूर्ति अवरोध और मांग में कमी क्षणिक प्रतीत होते हैं, राजनीतिक बदलावों के समष्टि आर्थिक जोखिमों में परिवर्तन सहित वैश्विक गतिविधियां संभवतः ज्यादा समय के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण नहीं हो सकती हैं। इन परिस्थितियों में पहले से सावधानी बरतने से सावधानपूर्ण निगरानी के तरीका की गारंटी है जिसमें ये ताकतें निकट अवधि से मध्यावधि में प्रभाव डालती हैं। विशेषकर, वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में 5 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय सब्जियों को छोड़कर अनेक खाद्य मदों की कीमतों में बढ़ोतरी, अंतरराष्ट्रीय पण्य-वस्तुओं की कीमतों, विशेषकर कच्चे तेल की कीमतों में कड़ाई और खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में नीचे की ओर लचीलापने के रूप में कम होते किंतु अभी भी अपसाइड जोखिम बने हुए हैं। 5 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त करने से 4 प्रतिशत का मुद्रास्फीति लक्ष्य अर्थात लक्ष्य बैंड के मध्य बिंदु के लिए मौद्रिक नीति वचनबद्धता में विश्वास उत्पन्न होगा। तदनुसार, मैं जनवरी 2015 से प्रभावी 175 आधार अंकों की नीति दर कटौती लाभ की अनुमति देते हुए नीति दर को अपरिवर्तित रखने के लिए मत देता हूं जिससे कि मौद्रिक नीति के रुख में उदारता बनाई रखी जजा सके।

श्री आर. गांधी का वक्तव्य

37. मैं एमपीसी के मौद्रिक नीति संकल्प में बताए गए आकलन से पूरी तरह से सहमत हूं और निम्नलिखित कारणों से रेपो दर में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करने के पक्ष में अपना मत देता हूं :

38. 500 और 1000 मूल्यवर्ग के बैंकनोटों के वैध मुद्रा दर्जे को वापस लेने के निर्णय का समष्टि अर्थव्यवस्था पर लघुकालिक प्रभाव के बारे में अनिश्चितता है, हालांकि प्रभाव क्षणिक रहने की संभावना है। तथापि, मुझे अर्थव्यवस्था के मध्यावधि वृद्धि अनुमानों के लिए कोई उल्लेखनीय नीचे की ओर जोखिम दिखाई नहीं दे रहे हैं। फिर भी, अन्य अनिश्चितताएं हैं, विशेषकर तेल की कीमतों की स्थिति और भौगोलिक-राजनीतिक स्थिति। दूरदर्शी मौद्रिक नीति के लिए मौद्रिक नीति अंतरण में अंतरालों को देखते हुए काफी अधिक अनिश्चितता के बीच नीति दर कार्रवाई से केवल स्पष्ट रूप से लघुकालिक गतिविधियां और प्रत्याशाएं बढ़ेंगी जो मध्यावधि दृष्टिकोण पर प्रभाव डालेगा जिनसे बचने की आवश्यकता है।

39. अनिश्चितता के परिवेश में, मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के लिए स्थितियां उत्पन्न करना या उन्हें बल प्रदान करना महत्वपूर्ण है जिससे कि आगे कार्य अधिक प्रभावी ढ़ंग से किया जा सके। इसलिए, नीति दर को वर्तमान स्तर पर कायम रखने के लिए मत देता हूं।

डॉ. उर्जित आर. पटेल का वक्तव्य

40. खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति निश्चल बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। वैश्विक वित्तीय स्थितियां समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा हैं जहां पूंजीगत प्रवाहों में उतार-चढ़ाव हो रहे हैं और आस्ति मूल्यों से अस्थिरता आ रही है जो मुद्रास्फीति में अंतरित हो रही है। इस अनिश्चितता के थमने के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं और जब अमेरिकी समष्टि आर्थिक और व्यापार नीतियों को पुनः निर्धारित किया जाएगा तब आने वाले वर्ष में अनिश्चितता के बढ़ने की संभावना है। यद्यपि, भारत में अपस्फीति प्रक्रिया में बढ़ती विश्वसनीयता से परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं कम हुई हैं जो दिसंबर 2015 तक दोहरे अंकों में थी, वे बढ़ी हुई रहेंगी और मुद्रास्फीति के सेवा घटक में जाएंगी। हाल ही में, खाद्य मुद्रास्फीति में स्थिर सहजता से मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं के सर्वेक्षण के नवीनतम दौर में गिरावट आई है।

41. एसबीएन वापस लेने से वृद्धि और मुद्रास्फीति पर प्रभाव क्षणिक है, हालांकि अभी अनिश्चित है। इस पृष्ठभूमि में, यह महत्वपूर्ण है कि मौद्रिक नीति में मध्यावधि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए और टिकाऊ आधार पर अधिसूचित मुद्रास्फीति लक्ष्य अर्थात 4 प्रतिशत के मध्य बिंदु को प्राप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के अन्य जोखिम हैं। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग अवार्ड के अंतर्गत उच्चतर भत्तों के पूर्ण लागत प्रेरित प्रभावों से वर्ष 2017-19 में मुद्रास्फीति परिणामों और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं पर प्रभाव पड़ेगा। वस्तु और सेवाकर के कार्यान्वयन से भी मुद्रास्फीति में एक बार बढ़ोतरी हो सकती है, हालांकि यह ज्यादा नहीं होगी। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) द्वारा उत्पादन कम करने के निर्णय, जिसे मुख्य गैर-ओपेक सदस्यों से समर्थन मिला है, से कच्चे तेल की कीमतें कड़ी होंगी क्योंकि मांग और आपूर्ति बराबर हो गए। अन्य पण्य-वस्तु कीमतों में हुई हाल की गतिविधियां भी दर्शाती हैं कि वैश्विक पण्य-वस्तु कीमत चक्र बदल सकता है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति शुरुआती समय में बढ़ रही है और अपेक्षित है कि यह वर्ष 2017 में 2016 के स्तर से काफी बढ़ जाएगी। वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के लिए 5 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करना और अधिसूचित लक्ष्य दायरे के मध्य बिंदु अर्थात 4 प्रतिशत को प्राप्त करना प्रमुख उद्देश्य है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2016-2017/1606

 
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