Download
the hindi
font
 
   हमारा परिचय     उपयोग सूचना     अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न     वित्तीय शिक्षण     शिकायतें   अन्य संपर्क     अतिरिक्त विषय 
 सरकार का बैंक और ऋण प्रबंधक
 वाणिज्यिक बैंकिंग
 सहकारी बैंकिंग
 गैर-बैंकिंग
 वित्तीय समावेशन और विकास
 वित्तीय बाजार
 विदेशी मुद्रा प्रबंधन
 उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण
 मुद्रा निर्गमकर्ता
 भुगतान और निपटान प्रणाली
 अनुसंधान
 अन्य
 निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम
nesce >> FAQs - Display
Date: 02/09/2016
आस्तियों का विप्रेषण

(दिनांक 02 सितंबर 2016 तक अद्यतन)

यह “अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल विनियम हैं -1 अप्रैल 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 13 (आर)/2016- आरबी द्वारा जारी किए विदेशी मुद्रा प्रबंध (आस्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016। जारी किए गए दिशानिर्देश आस्तियों के विप्रेषण पर मास्टर निदेश सं. 13 में समेकित किए गए हैं।

प्रश्न (1) आस्तियों का विप्रेषण का अर्थ क्या है?
प्रश्न (2) ऐसी कौन-सी आस्तियां हैं जिनमें से निधियों का विप्रेषण किया जा सकता है और उसे कौन कर सकता है?
प्रश्न (3) “निवासी” का तात्पर्य किस से है?
प्रश्न (4) “स्थायी रूप से भारत में निवास न करने वाले” से तात्पर्य क्या है?
प्रश्न (5) आस्तियों के विप्रेषण से संबंधित ऐसे कौनसे मामले हैं जिन के लिए विप्रेषण करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है?
प्रश्न (6) आस्तियों के विप्रेषण के संबंध में कर निहितार्थ क्या होंगे?

प्रश्न 1. ‘आस्तियों का विप्रेषण’ का तात्पर्य क्या है?

'आस्तियों के विप्रेषण’ का तात्पर्य भारत से बाहर ऐसी निधियों के विप्रेषण से है जो किसी बैंक / किसी फर्म / किसी कंपनी में जमा धनराशि का प्रतिनिधित्व करती है, जैसे:

1. भविष्य निधि शेष
2. अधिवर्षिता लाभ
3. बीमा पॉलिसी के दावे की अथवा परिपक्वता राशि
4. शेयरों, प्रतिभूतियों, अचल सम्पत्ति अथवा भारत में धारित अन्य आस्ति की बिक्रीगत राशि

प्रश्न 2. ऐसी कौनसी आस्तियां हैं जिन में से निधियों का विप्रेषण किया जा सकता है और कौन कर सकता है?

भारतीय मूल के व्यक्ति न होने वाले व्यक्तियों द्वारा द्वारा विप्रेषण (नेपाल अथवा भूटान के नागरिकों अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) को छोड़कर) अनिवासी भारतीयों (NRIs) / भारतीय मूल के व्यक्ति (PIOs) भारतीय एंटिटी भारत के बाहर के निवासी द्वारा स्थापित शाखा अथवा कार्यालय
1. कोई व्यक्ति भारत में किसी नौकरी से सेवा-निवृत्त हुआ हो;

2. फेमा की धारा 6 (5)1 में उल्लिखित किसी व्यक्ति से उसने परिसंपत्तियों को उत्तराधिकार में पाया हो;

3. भारत से बाहर की/का निवासी कोई विधवा/विधुर है और जिसने अपने मृतक पति/ पत्नी, जो भारत का/ की निवासी भारतीय नागरिक था/थी, की परिसंपत्तियां उत्तराधिकार में पायी हों।

ऐसे विप्रेषण प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डालर से अधिक नहीं होने चाहिए।
1. अनिवासी (साधारण) (NRO) खाते में जमाशेष से-घोषणा के अधीन *

2. परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आगम राशि से

3. उत्तराधिकार / विरासत/ निष्पादित निपटान विलेख से अधिग्रहित आस्तियां

प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डालर तक की राशि का विप्रेषण कर सकते हैं

*जहां विप्रेषण एनआरओ (NRO) खाते में जमाशेष से किया जाता है/ जाना है, वहां खाताधारक व्यक्ति प्राधिकृत व्यापारी को इस आशय का वचनपत्र प्रस्तुत करेगा कि "विप्रेषक के खाते में जमाशेष से विप्रेषण किया जाना है, जिसमें जमाशेष भारत में उसे वैध रूप में प्राप्त हुई राशि है और जो किसी अन्य व्यक्ति से उधार नहीं लिया गया है अथवा किसी अन्य एनआरओ खाते से अंतरित नहीं किया गया है तथा यदि ऐसा पाया जाएगा तो खाताधारक फेमा के अंतर्गत स्वयं को दण्ड का भागी बनाएगा।"
किसी संस्था (एंटिटी) का अपने प्रवासी स्टाफ, जो भारत के निवासी है, परंतु “स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं करते”, की भविष्य निधि / अधिवर्षिता / पेंशन निधि में अंशदान अपेक्षित दस्तावेजों की प्रस्तुति के बाद समापन पर आगम राशि का विप्रेषण कर सकते हैं

प्रश्न 3. निवासी का तात्पर्य किस से है?

उत्तर: निवासी अर्थात वह व्यक्ति जिसकी परिभाषा फेमा, 1999 की धारा (v)2 में की गई है। साथ ही यदि कियाई प्राधिकरण द्वारा उसकी आवासीय स्थिति पर सवाल उठाया जाता है तो अपनी आवासीय स्थिति को साबित करने का दायित्व उस व्यक्ति का है।

प्रश्न 4 “स्थायी रूप से भारत में निवास न करने वाले” से तात्पर्य क्या है?

उत्तर: “स्थायी रूप से भारत में निवास न करने वाले” अर्थात भारत में किसी विशिष्ट अवधि अथवा विशिष्ट जॉब/ असाइनमेंट, जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक न हो, में नियोजन के लिए भारत में निवासी व्यक्ति ।

प्रश्न 5. आस्तियों के विप्रेषण से संबंधित ऐसे कौन-से मामले हैं जिन के लिए विप्रेषण करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है?

उत्तर: आरबीआई का अनुमोदन तब आवश्यक है जब:

(i) प्रति वित्तीय वर्ष 10,00,000 अमरीकी डालर (एक मिलियन अमरीकी डालर) से अधिक के विप्रेषण हैं:

(ए) भारत से बाहर का निवासी जो किसी अन्य देश का नागरिक है, उसे विरासत, वसीयत अथवा उत्तराधिकार के कारण;

(बी) अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) उसके अनिवासी साधारण खाते (NRO Account) में धारित शेष राशियों से / परिसंपत्तियों / उत्तराधिकार / विरासत के तौर पर अधिग्रहीत परिसंपत्तियों की बिक्री से आगम राशि के कारण;

(ii) यदि भारत से विप्रेषण न किया गया तो ऐसे व्यक्ति को बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ेंगी ।

प्रश्न 6. आस्तियों के विप्रेषण के संबंध में कर निहितार्थ क्या होंगे?

उत्तर: सभी विप्रेषण भारत में लागू करों के भुगतानों के अधीन होंगे। प्राधिकृत व्यापारियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे यथा लागू कर क़ानूनों की अपेक्षाओं का पालन करें।


1भारत के बाहर निवास करने वाला कोई व्यक्ति भारतीय मुद्रा, प्रतिभूति अथवा भारत में स्थित किसी चल संपत्ति को धारित, स्वाधिकृत, अंतरित अथवा में निवेश कर सकता है यदि ऐसी मुद्रा, प्रतिभूति अथवा संपत्ति को ऐसे व्यक्ति द्वारा तब अर्जित, धारित क्यीअथवा स्वाधिकृत किया गया था जब वह भारत का निवासी था अथवा उसने उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति से विरासत में पाया हो जो भारत में निवास करता था।

2भारत में निवास करने वाले व्यक्ति ”को फेमा 1999 की धारा 2 (v) में निम्नानुसार परिभाषित किया गया है:

(i) पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान एक सौ बयासी दिन से अधिक दिन के लिए भारत में निवास करने वाला व्यक्ति लेकिन इसमें निम्नलिखित शामिल नहीं हैं:

(ए) कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित करणों से भारत के बाहर गया हो अथवा जो भारत के बाहर रेहता हो, दोनों मामले में:

   (ए) भारत के बाहर नौकरी करने के लिए अथवा नौकरी मिल जाने पर, अथवा

   (बी) भारत के बाहर कोई कारोबार करने अथवा भारत के बाहर कोई आजीविका करने, अथवा

   (सी) कोई अन्य प्रयोजन से, जिन परिस्थितियों में उसने किसी अनिश्चित अवधि के लिए अपने भारत के बाहर रहने के इरादे को निर्दिष्ट किया हो।

(बी) कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित कारणों से भारत में आया हो अथवा रेहता हो, दोनों मामलों में से अन्यथा

   (ए) भारत में नौकरी करने के लिए अथवा मिल जाने पर, अथवा

   (बी) भारत में कोई कारोबार करने अथवा भारत मे कोई आजीविका करने, अथवा

   (सी) कोई अन्य प्रयोजन से, जिन परिस्थितियों में उसने किसी अनिश्चित अवधि के लिए अपने भारत में रहने के इरादे को निर्दिष्ट किया हो।

(ii) भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई व्यक्ति अथवा निगमित निकाय;

(iii) भारत एक बाहर निवास करने वाले व्यक्ति द्वारा भारत में स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित कोई कार्यालय, शाखा अथवा एजन्सि

 
   भारतीय रिज़र्व बैंक सर्वाधिकार सुरक्षित

इंटरनेट एक्सप्लोरर 5 और उससे अधिक के 1024 X 768 रिजोल्यूशन में अच्छी प्रकार देखा जा सकता है।