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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल योजना की समीक्षा करने के लिए कार्य समूह का गठन

4 जनवरी 2013

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल योजना की
समीक्षा करने के लिए कार्य समूह का गठन

बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 से संबंधित बैंकों में ग्राहक सेवा संबंधी समिति और अधीनस्थ विधि निर्माण संबंधी राज्य सभा समिति की सिफारिशों के अनुरूप, भारतीय रिजर्व बैंक में बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 की समीक्षा करने, उसे अद्यतन करने और उसमें संशोधन करने के लिए एक कार्यसमूह (अध्यक्षाः श्रीमती सुमा वर्मा) का गठन किया गया है। इसका पता भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आज यहां प्रकाशित बैंकिंग लोकपाल योजना, 2011-12 की वार्षिक रिपोर्ट से चला।

बैंकिंग लोकपाल योजना के परिचालनों की संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत करते हुए, वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2011-12 में भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल (बीओ) कार्यालयों में प्राप्त कुल ग्राहक शिकायतें 72,889 थी। पिछले वर्ष बैंकिंग लोकपाल कार्यालय में 71,274 शिकायतें प्राप्त हुई थी। वर्ष 2011-12 में कानपुर और दिल्ली सबसे अधिक ग्राहक शिकायत प्राप्त करने वाले केन्द्र रहे, इनके बाद चैन्ने और भोपाल का स्थान रहा

वर्ष 2011-12 के दौरान बैंकिंग लोकपाल द्वारा ग्राहक शिकायत निपटान की दर 94 प्रतिशत थी जो पिछले वर्ष के दौरान निपटाई शिकायतों की दर के समान थी।

अधिकांश ग्राहक शिकायतें (25 प्रतिशत) वचनबद्धता पूरी नहीं करने/उचित पद्धति कोड का अनुपालन नहीं करने के बारे में थी, इनके पश्चात् कार्ड संबंधित (एटीएम/डेबिट/क्रेडिट) शिकायतें और जमा खातों से संबंधित शिकायतें (12 प्रतिशत) रही। जबकि कार्ड संबंधित शिकायतें कुल प्राप्त शिकायतों का 21 प्रतिशत रही जो प्राप्त शिकायतों का एक सबसे बड़ा आधार बनी, पिछले वर्ष की तुलना में प्राप्त की गई शिकायतों की संख्या में 3 प्रतिशत की कमी रही। कार्ड संबंधित कुल 14,492 शिकायतों में से, 9348 शिकायतें एटीएम/डेबिट कार्ड से संबंधित थी। व्यापक रूप से शिकायतों के कारण थेः अनचाहे कार्ड, अनचाही बीमा पॉलिसी और प्रीमियम की वसूली, निशुल्क कार्ड के रूप में प्रस्तावित होने के बावजूद वार्षिक शुल्क वसूलना, फोन पर ऋण की अनुज्ञा, गलत बिल, निपटान प्रस्तावों का टेलीफोन पर दिया जाना, कार्ड धारक की मृत्यु के बाद बीमा दावों का निपटान नहीं करना, अत्यधिक प्रभार, खाते में गलत डेबिट, एटीएम से पैसे का वितरण नहीं होना, कार्डों की स्किमिंग आदि।

बैंकिंग लोकपाल कार्योलयों ने विशेषकर ग्रामीण और उप-नगरीय क्षेत्रों में व्यापक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 की जागरूकता और दृश्यता बढाने में अपने प्रयास जारी रखे। इनमें टाउन हाल कार्यक्रम, ऑडियों विजुअल मीडिया का प्रभावी उपयोग, स्थानीय भाषा में वृत्तचित्रों का प्रदर्शन, दूरदर्शन, रेडियो पर विज्ञापनों का प्रसारण, टीवी कार्यक्रमों में लाइव फोन में हिस्सेदारी जिसमें दर्शकों के प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है, स्वदेशी समाचार पत्रों में विज्ञापन अभियान, प्रचार सामग्री जैसे बैंकिंग लोकपाल योजना पर बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न, स्वदेशी भाषाओं में पत्रक शामिल थे।

पृष्ठभूमि

बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 35क के द्वारा बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के विरूद्ध शिकायतों के निपटान की प्रणाली मुहैया कराने के लिए 14 जून, 1995 को बैंकिंग लोकपाल योजना, 1995 अधिसूचित की गई। इसके बाद से इस योजना को अधिक संगत और प्रभावी बनाने के लिए वर्ष 2002, 2006, 2007 और 2009 में चार बार संशोधित किया गया है। वर्तमान में भारत के 29 राज्यों और सात संघ राज्य क्षेत्रों को कवर करने के लिए विशेष अधिकारक्षेत्र के साथ 15 बैंकिंग लोकपाल हैं। जनवरी 2006 से बैंकिंग लोकपाल योजना का पूरी तरह से निधियन और प्रशासन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जा रहा है और मुख्य महाप्रबंधक और महाप्रबंधक के रैंक में इसके कार्यरत अधिकारियों को बैंकिंग लोकपाल के रूप में तैनात किया जाता है।

इस योजना में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, अनुसूचित प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा दी जाने वाली बैंकिंग सेवा में होने वाली कमी से संबंधित व्यापक शिकायतों को कवर किया जाता है। इस योजना के तहत कवर की जाने वाली ग्राहक शिकायतों के प्रमुख क्षेत्रों में क्रेडिट कार्ड शिकायतें, इंटरनेट बैंकिंग, दोनों बैंक और इसके बिक्री एजेंटों (डीएसए) द्वारा वचन दी गई सेवा मुहैया कराने में होने वाली कमी, ग्राहक को पूर्व सूचना दिए बिना सेवा प्रभार लगाना, वैयक्तिक बैंकों द्वारा अपनाए गए उचित पद्धति कोड का अनुपालन न करना, ग्राहकों के लिए बैंक वचनबद्धता के बैंकिंग कोड और भारतीय मानक बोर्ड कोड का अनुपालन नहीं करना आदि शामिल हैं। इस समय, 27 ऐसे आधार हैं, जिनपर ग्राहक बैंकिंग सेवाओं में कमी का हवाला देते हुए बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते हैं।

आर.आर. सिन्हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1137


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