Click here to Visit the RBI’s new website

प्रेस प्रकाशनी


(342 kb )
भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री महिला सेवा सहकारी बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

26 दिसंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री महिला सेवा सहकारी बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 21 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, श्री महिला सेवा सहकारी बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर आरबीआई द्वारा ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा सांविधिक आरक्षित निधि - आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने‘, ‘निदेशकों आदि को ऋण एवं अग्रिम - प्रतिभू / गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण’, 'निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों / संस्थाओं जिसमें उनके हित हैं को ऋण और अग्रिम', ‘शहरी सहकारी बैंकों द्वारा लाभांश की घोषणा’ तथा ‘जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014’ पर जारी निदेशों के अननुपालन के लिए 5.00 लाख (रुपये पाँच लाख मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

एक विशेष संवीक्षा एवं 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण और संवीक्षा रिपोर्ट के साथ निरीक्षण रिपोर्ट तथा उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ - साथ, यह पता चला कि बैंक ने न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को बनाए नहीं रखा था, ऐसे व्यक्तियों को ऋण सुविधा की मंजूरी दी थी जिनमें बैंक के निदेशकों / उनके रिश्तेदार गारंटीकर्ता थे, अपने निदेशक / उनके रिश्तेदारों के कुछ ऋण स्वीकृत किए थे, सीआरआर के रखरखाव में चूक के बावजूद भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना लाभांश घोषित किया था और, कुछ खातों में पड़ी शेष जमाराशियां, जो कि दस या अधिक वर्षों से अदावी थीं, को जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि में अंतरित नहीं किया और इसके बदले उसी के एक हिस्से को आय के रूप में दर्ज किया जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1438

2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष