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मौद्रिक नीति

"... मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।"


भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की प्रस्तावना

प्रेस प्रकाशनी


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मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2022-23 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 28-30 सितंबर 2022

30 सितंबर 2022

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2022-23
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
28-30 सितंबर 2022

वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (30 सितंबर 2022) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया जाए।

परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.65 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.15 प्रतिशत हो गई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

ये निर्णय, संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त की गई हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. यूक्रेन में दीर्घकालिक संघर्ष और दुनिया भर में आक्रामक मौद्रिक नीति कार्रवाइयों और रुख के प्रभाव में वैश्विक आर्थिक गतिविधि कमजोर हो रही है। जैसे-जैसे वित्तीय स्थितियां सख्त होती जा रही हैं, इक्विटी और बॉण्ड बाजारों में छिटपुट बिकवाली और अमेरिकी डॉलर मजबूत होकर 20 वर्ष के उच्च स्तर पर पहुंच जाने के कारण वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव का अनुभव हो रहा है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) को वैश्विक मुद्रास्फीति के झटके के अलावा पोर्टफोलियो प्रवाह में कमी, मुद्रा मूल्यह्रास, आरक्षित भंडारों में कमी और वित्तीय स्थिरता जोखिमों से तीव्र दबाव का सामना करना पड़ रहा है। जैसे-जैसे बाहरी मांग बिगड़ती है, उनकी समष्टि आर्थिक संभावना तेजी से प्रतिकूल होती जा रही है।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. 2022-23 की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वर्ष-दर-वर्ष (वाई-ओ-वाई) 13.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। जबकि घरेलू सकल मांग के सभी घटकों ने वर्ष-दर-वर्ष विस्तार किया और अपने महामारी-पूर्व के स्तर को पार कर लिया, निवल निर्यात में अवरोध ने एक ऑफसेट प्रदान किया। आपूर्ति पक्ष पर, 2022-23 की पहली तिमाही में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 12.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें सभी घटकों, विशेष रूप से सेवाओं ने वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की।

4. आपूर्ति की सकल स्थिति में सुधार हो रहा है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा का 29 सितंबर को दीर्घकालिक औसत (एलपीए) से 7 प्रतिशत अधिक होने और इसके कमी वाले कुछ क्षेत्रों में इसके स्थानिक वितरण के कारण, खरीफ की बुवाई जोर पकड़ रही है। इसका क्षेत्रफल 23 सितंबर को सामान्य बुवाई क्षेत्र से 1.7 प्रतिशत अधिक था और पिछले वर्ष के कवरेज से केवल 1.2 प्रतिशत कम था। प्रथम अग्रिम अनुमान (एफएई) के अनुसार खरीफ खाद्यान्न का उत्पादन पिछले वर्ष के चौथे अग्रिम अनुमान (पिछले वर्ष के एफएई से केवल 0.4 प्रतिशत कम) से 3.9 प्रतिशत कम था। उद्योग और सेवा क्षेत्रों में गतिविधि विस्तार में बनी हुई है, विशेष रूप से उत्तरवर्ती, जैसा कि क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) और अन्य उच्च आवृत्ति संकेतकों में परिलक्षित होता है। हालांकि, औद्योगिक उत्पादन वृद्धि का सूचकांक जुलाई में 2.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) तक धीमा हो गया।

5. मांग पक्ष पर, त्योहारी समय से पहले विवेकाधीन खर्च से शहरी खपत में वृद्धि हो रही है और ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। निवेश की मांग भी बढ़ रही है, जैसा कि बढ़ते आयात और पूंजीगत वस्तुओं के घरेलू उत्पादन, स्टील की खपत और सीमेंट उत्पादन में परिलक्षित होता है। पण्य निर्यात ने अगस्त में मामूली बढ़ोत्तरी हुई। तेल से इतर एवं स्वर्ण से इतर के आयात में तेजी रही।

6. अगस्त 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर 7.0 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गई, जो जुलाई में 6.7 प्रतिशत थी, क्योंकि अनाज, सब्जियों, दालों, मसालों और दूध की कीमतों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति अधिक हो गई थी। केरोसिन (पीडीएस) की कीमतों में कमी के कारण ईंधन मुद्रास्फीति में नरमी आई, हालांकि यह दोहरे अंकों में बनी रही। मूल सीपीआई (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति, विभिन्न घटक वस्तुओं और सेवाओं में ऊर्ध्वमुखी दबाव के साथ उच्च स्तर पर बनी हुई है।

7. जून-जुलाई में 3.8 लाख करोड़ की तुलना में अगस्त-सितंबर (28 सितंबर 2022 तक) के दौरान चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत 2.3 लाख करोड़ की औसत दैनिक अवशोषण के साथ सकल प्रणाली चलनिधि अधिशेष में बनी रही। 9 सितंबर 2022 तक मुद्रा आपूर्ति (एम3) में वर्ष-दर-वर्ष 8.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें वाणिज्यिक बैंकों की कुल जमाराशियों में 9.5 प्रतिशत और बैंक ऋण में 16.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 23 सितंबर 2022 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 537.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

संभावना

8. उच्च और दीर्घकालिक अनिश्चिताओं से घिरी भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने मुद्रास्फीति की संभावनाओं को काफी प्रभावित किया है। हालांकि, कोमोडिटी की कीमतों में नरमी आई है और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में मंदी के जोखिम बढ़ रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर, बुवाई में देरी से हुए सुधार खरीफ उत्पादन के लिए शुभ संकेत है। जलाशयों के पर्याप्त स्तर के कारण रबी फसल की बफर में रहने की संभावनाएं हैं। हालांकि, अत्यधिक / बेमौसम बारिश से फसल के नुकसान का खतरा बना रहता है। इन कारकों का खाद्य मूल्य संभावना पर प्रभाव पड़ता है। उच्च आयातित मुद्रास्फीति दबाव, मुद्रास्फीति के भावी प्रक्षेपवक्र के लिए एक अर्ध्वगामी जोखिम बना हुआ है, जो अमेरिकी डॉलर की निरंतर मूल्यवृद्धि से बढ़ा है। आपूर्ति और मांग दोनों से संबंधित परिचारक चिंताओं के कारण कच्चे तेल की कीमतों से संबंधित संभावना काफी अनिश्चित है और भू-राजनीतिक गतिविधियों के साथ जुड़ा हुआ है। भारतीय रिज़र्व बैंक का उद्यम सर्वेक्षण, विनिर्माण, सेवाओं और अवसंरचना फर्मों में इनपुट लागत और आउटपुट मूल्य दबावों में कुछ कमी की ओर इशारा करता है; हालांकि, कीमतों के लिए इनपुट लागत का प्रभाव-अंतरण अधूरा है। इन कारकों और कच्चे तेल की औसत कीमत (भारतीय समूह) 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल को ध्यान में रखते हुए, 2022-23 में मुद्रास्फीति के 6.7 प्रतिशत होने का अनुमान है, जिसका दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है और जोखिम समान रूप से संतुलित है। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.0 प्रतिशत पर अनुमानित है (चार्ट 1)।

9. संवृद्धि के संबंध में, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए बेहतर संभावना और सेवाओं में सुधार से सकल आपूर्ति की संभावनाएं बढ़ रही हैं। पूंजीगत व्यय पर सरकार का निरंतर जोर, विनिर्माण में क्षमता उपयोग में सुधार और गैर-खाद्य ऋण में वृद्धि से जुलाई में रुकी औद्योगिक गतिविधि में सुधार होना चाहिए। ग्रामीण मांग में तेजी और वर्ष की दूसरी छमाही में सामान्य वृद्धि से शहरी मांग के और मजबूत होने की उम्मीद के कारण समग्र मांग की संभावना सकारात्मक है। भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षणों के अनुसार, उपभोक्ता संभावना स्थिर बना हुआ है और विनिर्माण, सेवा और अवसंरचना क्षेत्रों के फर्म, मांग की स्थिति और बिक्री की संभावनाओं के बारे में आशावादी हैं। दूसरी ओर, भू-राजनीतिक तनावों से संबंधित बाधाओं, वैश्विक वित्तीय स्थितियों की सख्ती और धीमी बाह्य मांग से प्रतिकूल परिस्थितियों ने निवल निर्यात और इसके कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद की संभावना के लिए नकारात्मक जोखिम उत्पन्न किया है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.0 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है, जिसका दूसरी तिमाही 6.3 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 4.6 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है तथा जोखिम व्यापक रूप से संतुलित हो। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए, यह 7.2 प्रतिशत पर अनुमानित है (चार्ट 2)।

Chart 1 and 2

10. एमपीसी के विचार में, मुद्रास्फीति 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान 6 प्रतिशत के ऊपरी सहन-सीमा स्तर से ऊपर रहने की संभावना है, जिसमें मूल मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति, वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति में व्यवधान को देखते हुए संभावना काफी अनिश्चित बनी हुई है। इस बीच, घरेलू आर्थिक गतिविधि में सुधार हो रहा है और उपभोक्ता और व्यापार आशावाद के बीच त्योहारी समय की मांग के कारण 2022-23 की दूसरी छमाही में इसके तेज होने की उम्मीद है। एमपीसी का विचार है कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों को नियंत्रित रखने, मूल्य दबावों के विस्तार को रोकने और दूसरे दौर के प्रभावों को स्थानांतरित करने के लिए और सुविचारित मौद्रिक नीति कार्रवाई की आवश्यकता है। एमपीसी को लगता है कि इस कार्रवाई से मध्यम अवधि की संवृद्धि की संभावनाओं को समर्थन मिलेगा। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। एमपीसी ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया कि आगे चलकर मुद्रास्फीति संवृद्धि का समर्थन करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

11. डॉ. शशांक भिड़े, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि करने के लिए मतदान किया। डॉ. आशिमा गोयल ने रेपो दर में 35 आधार अंकों की वृद्धि के लिए मतदान किया।

12. डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए मतदान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से के विरुद्ध मतदान किया।

13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 14 अक्तूबर 2022 को प्रकाशित किया जाएगा।

14. एमपीसी की अगली बैठक 5-7 दिसंबर 2022 के दौरान निर्धारित है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/967

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