8 अक्टूबर 2021
भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ऋण पर मूल सांख्यिकीय
विवरणी - मार्च 2021
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाटाबेस पोर्टल (डीबीआईई) (वेबलिंक https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!19) पर ‘भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा ऋण पर मूल सांख्यिकीय विवरणी – मार्च 2021’1 नामक वेब प्रकाशनी जारी किया। प्रकाशनी में वार्षिक मूल सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर)-1 प्रणाली के तहत एससीबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) द्वारा प्रस्तुत डाटा के आधार पर बैंक ऋण की विभिन्न विशेषताओं से संबंधित जानकारी दी गई है, जो उधारकर्ता के खाते का प्रकार, संगठन, पेशा/ गतिविधि और श्रेणी, ऋण उपयोग करने वाले स्थान का जिला और जनसंख्या समूह, ब्याज दर, ऋण सीमा तथा बकाया राशि से संबंधित जानकारी संग्रहित करता है।2
प्रमुख निष्कर्ष:
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शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं ने 2020-21 के दौरान दोहरे अंकों की ऋण वृद्धि दर्ज की, जबकि महानगरीय शाखाओं, जिसकी कुल बैंक ऋण में हिस्सेदारी 61.2 प्रतिशत थी, ने 1.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
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पिछले एक दशक में व्यक्तिगत ऋणों में तेज गति से वृद्धि जारी रही और बकाया बैंक ऋण में उनकी हिस्सेदारी मार्च 2021 में बढ़कर 25.9 प्रतिशत हो गई, जो दस साल पहले 16.4 प्रतिशत थी - इसने इस अंतराल के दौरान सभी वर्षों में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की।
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औद्योगिक ऋण वृद्धि, जो पिछले एक दशक के दौरान घट रही है, 2020-21 के दौरान पहली बार नकारात्मक हो गई क्योंकि कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक गतिविधि धीमी हो गई; नकद ऋण, ओवरड्राफ्ट और मांग ऋण के रूप में कार्यशील पूंजी ऋण, जो कुल ऋण का एक तिहाई था, 2020-21 के दौरान संकुचित हो गया।
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एससीबी के साथ ऋण खातों की संख्या 2020-21 के दौरान 9.5 प्रतिशत बढ़कर मार्च 2021 में 29.8 करोड़ हो गई; घरेलू क्षेत्र3 में इन खातों का 96.6 प्रतिशत हिस्सा और बकाया ऋण राशि का 53.7 प्रतिशत था।
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निजी क्षेत्र के बैंकों ने अन्य बैंक समूहों की तुलना में उच्च ऋण वृद्धि दर्ज की: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कीमत पर कुल ऋण में उनका हिस्सा मार्च 2015 में 20.8 प्रतिशत से लगातार बढ़कर मार्च 2021 में 35.4 प्रतिशत हो गया, इसी अवधि में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा 71.6 प्रतिशत से घटकर 56.5 प्रतिशत हो गया।
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चूंकि व्यक्तिगत ऋण और छोटे उधारकर्ताओं की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंकों के साथ छोटे आकार के ऋण खातों की संख्या में वर्षों से बढ़ोत्तरी हो रही है, बैंक ऋण खाते का औसत आकार मार्च 2021 में धीरे-धीरे घटकर ₹3.7 लाख हो गया है, जो मार्च 2015 में ₹4.8 लाख था। इसी अवधि में बैंकों की महानगरीय शाखाओं में औसत ऋण आकार में गिरावट तेज रही, जोकि ₹13.5 लाख से घटकर ₹7.7 लाख हो गई।
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2020-21 के दौरान बैंक ऋणों पर ब्याज दरों में और गिरावट आई; मार्च 2021 में 9 प्रतिशत से कम ब्याज दर वाले ऋणों की हिस्सेदारी 60.7 प्रतिशत थी, जो मार्च 2020 में 42.1 प्रतिशत और मार्च 2019 में केवल 16.4 प्रतिशत थी।
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देश के दक्षिणी क्षेत्र में ऋण उपयोग में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है और कुल ऋण में इसकी हिस्सेदारी मार्च 2021 में बढ़कर 30.1 प्रतिशत हो गई, जो पांच साल पहले 27.5 प्रतिशत थी; इसने पश्चिमी क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया, जिसकी इस अवधि में ऋण में हिस्सेदारी 32.4 प्रतिशत से घटकर 28.8 प्रतिशत हो गई।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1013
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