28 जुलाई 2021
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक्सिस बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 28 जुलाई 2021 के आदेश द्वारा, एक्सिस बैंक लिमिटेड (बैंक) पर रिज़र्व बैंक द्वारा 9 मई 2019 को 'प्रायोजक बैंकों और एससीबी/यूसीबी के बीच कॉर्पोरेट ग्राहक के रूप में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के नियंत्रण को मजबूत करने', 2 जून 2016 को 'बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचा', दिनांक 26 मई 2016 को 'भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सेवाएं) निदेश, 2016' (25 सितंबर 2017 तक अद्यतन), दिनांक 10 अगस्त 2012 को 'वित्तीय समावेशन - बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच - मूल बचत बैंक जमा खाता' और दिनांक 02 जुलाई 2012 को 'धोखाधड़ी - वर्गीकरण और रिपोर्टिंग' पर जारी निदेशों के कतिपय प्रावधानों का उल्लंघन / अननुपालन करने के लिए ₹5.00 करोड़ (पांच करोड़ रूपए केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
रिज़र्व बैंक द्वारा 31 मार्च 2017 (आईएसई 2017), 31 मार्च 2018 (आईएसई 2018) और 31 मार्च 2019 (आईएसई 2019) की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई) के लिए सांविधिक निरीक्षण किया गया था। (i) आईएसई 2017, आईएसई 2018 और आईएसई 2019 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, (ii) धोखाधड़ी और संबंधित पत्राचार से संबंधित घटना की पृष्ठभूमि में रिज़र्व बैंक द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट, और (iii) बैंक द्वारा जून 2020 में कुछ संदिग्ध लेनदेन और संबंधित पत्राचार के संबंध में प्रस्तुत घटना रिपोर्ट की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन/अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किए गए जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वे कारण बताएं कि उसमें उल्लिखित, उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर, वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और बैंक के अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपरोक्त निदेशों के उल्लंघन / अननुपालन की सीमा तक उपरोक्त रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन/उल्लंघन के आरोप सिद्ध हुए हैं और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/601 |