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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ड्यूश बैंक एजी पर मौद्रिक दंड लगाया

12 जनवरी 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ड्यूश बैंक एजी पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 12 जनवरी 2021 के आदेश द्वारा ड्यूश बैंक ए.जी. (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी "भारतीय रिज़र्व बैंक (जमाराशियों पर ब्याज दर) निदेश, 2016" में निहित निदेशों के कुछ प्रावधानों का अनुपालन न करने के लिए 2 करोड़ (दो करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर प्रश्न उठाना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन नहीं किया गया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे यह सूचित किया गया था कि वह कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उस पर दंड क्यों नहीं लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के जवाब तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान प्रस्तुत मौखिक प्रस्तुतियों और अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण की जांच पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाना अनिवार्य है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/930

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