शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस्) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश - दि नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र - अवधि का विस्तार

29 अक्तूबर 2020

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस्) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत
निदेश - दि नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र - अवधि का विस्तार

दि नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट् को दिनांक 26 अक्तूबर 2018 के निदेश सं. DCBS.CO.BSD-I/D-3/12.22.163/2018-19 के माध्यम से 29 अक्तूबर 2018 को कारोबार की समाप्ति से छह महीनों के लिए निदेशाधीन रखा गया था। इन निदेशों की वैधता को अंतिम बार दिनांक 24 अप्रैल 2020 के आदेश सं. DOR.CO.AID/No.D-76/12.22.160/2019-20 के माध्यम से 31 अक्तूबर 2020 तक बढ़ाया गया था।

2. जन साधारण के सूचनार्थ एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उपधारा (1) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा निदेश देता है कि दि नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई को जारी दिनांक 26 अक्तूबर 2018 के निदेश सं. DCBS.CO.BSD-I/D-3/12.22.163/2018-19, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया था तथा जिसकी वैधता अवधि को अंतिम बार 31 अक्तूबर 2020 तक बढ़ाई गई थी, उक्त बैंक पर दिनांक 26 अक्तूबर 2020 के निदेश सं. DOR.CO.AID/No.D-32/12.22.160/2020-21 के अनुसार 1 नवंबर 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक अगले छह महीनों के लिए लागु रहेंगे तथा ये निदेश समीक्षाधीन रहेंगे।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य निबंधन एवं शर्तें अपरिवर्तित रहेंगे। वैधता अवधि में उपरोक्त विस्तार को सूचित करने वाले दिनांक 26 अक्तूबर 2020 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर मे जनता के अवलोकनार्थ लगाई गई है।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वैधता अवधि में उपरोक्त विस्तार तथा/ अथवा संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/572

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