Click here to Visit the RBI’s new website

शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र- आहरण सीमा में छूट

05 मार्च 2020

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंतर्गत
निदेश – दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र- आहरण सीमा में छूट

दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को दिनांक 17 अप्रैल 2018 के निदेश सं. डीसीबीएस.केंका.बीएसडी-I/डी-5/12.22.039/2017-18 के माध्‍यम से दिनांक 17 अप्रैल 2018 की कारोबार समाप्ति से निदेशाधीन रखा गया था। निदेशों की वैधता को समय-समय पर बढ़ाया गया और पिछली बार इन निदेशों की अवधि को दिनांक 15 अक्तूबर 2019 के आदेश सं. डीसीबीआर.केंका.एआईडी/डी-27/12.22.039/2019-20 के माध्यम से दिनांक 17 अप्रैल 2020 तक बढ़ाया गया था। मौजूदा निदेश के अनुसार, अन्य शर्तों सहित, प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाता या किसी भी अन्य जमा खाता, जो किसी भी नाम से जाना जाता हो, से 5,000/- (केवल पांच हजार रुपये) तक की कुल राशि किसी भी जमाकर्ता को आहरण करने की अनुमति दी गई थी।

2. तदनुसार, सूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए की उपधारा (1) और (2) द्वारा निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निदेश देता है कि:

सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई को जारी दिनांक 17 अप्रैल 2018 के निदेश सं डीसीबीएस.केंका.बीएसडी-I/डी-5/12.22.039/2017-18 के पैराग्राफ 1 (i) जो दिनांक 12 दिसम्बर 2018 के निदेश सं. डीसीबीआर.केका.एआईडी/डी-24/12.22.039/2018-19 द्वारा संशोधित किया गया था, को निम्नवत आंशिक रूप से संशोधित किया गया है:

“प्रत्येक बचत बैंक खाते या चालू खाते या सावधि जमा खाते या किसी भी अन्य जमा खाते (जिसे किसी भी नाम से जाना जाता हो) के कुल जमा शेष से जमाकर्ता को 10,000/- (केवल दस हजार रुपये) तक के आहरण की अनुमति है; बशर्ते कि जहां कहीं भी ऐसे जमाकर्ता की बैंक में किसी भी तरह की देयता हों, यथा उधारकर्ता या प्रतिभू (surety) के रूप में, बैंक जमाराशि पर लिए गए ऋण सहित, को पहले संबंधित उधारकर्ता के खाता/खातों से समायोजित किया जाए।”

दिनांक 17 अप्रैल 2018 के निदेश सं डीसीबीएस.केंका.बीएसडी-I/डी-5/12.22.039/2017-18 के अन्य नियम और शर्तों यथावत है।

3. उपरोक्त संशोधन को सूचित करनेवाले दिनांक 03 मार्च 2020 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता की सूचना के लिए लगाई गई है।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त संशोधन करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2024

2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष