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उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण

हमारी ग्राहक पहुंच नीति का लक्ष्य आमजनता को सूचना प्रदान करना है जिससे कि वे बैंकिंग सेवाओं के संबंध में अपनी अपेक्षाओं, विकल्पों और अधिकारों तथा बाध्यताओं के बारे में जान सकें। हमारे ग्राहक सेवा प्रयासों को ग्राहक के अधिकारों की रक्षा करने, ग्राहक सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने और संपूर्ण बैंकिंग क्षेत्र और रिज़र्व बैंक में शिकायत निवारण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए डिजाइन किया गया है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिजर्व बैंक ने लोकपाल योजनाओं की वार्षिक रिपोर्ट जारी की

17 दिसंबर 2019

भारतीय रिजर्व बैंक ने लोकपाल योजनाओं की वार्षिक रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने आज “वर्ष 2018-19 के लिए रिज़र्व बैंक की लोकपाल योजना” पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की।

क. बैंकिंग लोकपाल योजना

बैंकिंग लोकपाल योजना (बीओएस) को 1995 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 ए के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित किया गया था। वर्ष 2018-19 के दौरान बीओएस को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए 21 बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों (ओबीओ) के माध्यम से रिज़र्व बैंक द्वारा प्रशासित किया गया था। वर्ष 2018-19 के दौरान बैंकिंग लोकपाल (बीओ) द्वारा निपटाई गई शिकायतों का विश्लेषण निम्ननुसार है:

i) पिछले वर्ष की तुलना में 2018-19 में कुल 1,95,901 शिकायतें प्राप्त हुई जिसमें से ओबीओ में 32,311 शिकायतें दर्ज की गईं, जो वर्ष-दर-वर्ष 19.75 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्शाती है, इनमें से पिछले वर्ष में 63.61 प्रतिशत के मुकाबले इस वर्ष 72.19 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक रूप से अर्थात् ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से और ईमेल द्वारा प्राप्त हुई थी।

ii) 2017-18 में 96.46 प्रतिशत की तुलना में 2018-19 के लिए निपटान की दर 94.18 प्रतिशत रही। निपटान दर में कमी का मुख्य कारण था कि संसाधन उतने ही बने रहें और शिकायतें बड़े पैमाने पर प्राप्त हुई।

iii) शिकायतों की संख्या के बढ़ने का मुख्य कारण सर्वोत्तम प्रथा संहिता का गैर-अनुपालन रहा। हालांकि, 2017-18 में इसका हिस्सा 22.10 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में 19.17 प्रतिशत हो गया। 2017-18 में एटीएम और डेबिट कार्ड संबंधी शिकायते 15.08 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 18.65 प्रतिशत हो गई;

iv) पेंशन, नोटिस के बिना शुल्क वसूलने, क्रेडिट कार्ड से संबंधित मुद्दों और प्रेषण से संबंधित शिकायतों में 2017-18 की तुलना में 2018-19 में गिरावट आई है। ‘गलत विक्रय’ से संबंधित शिकायतों की संख्या 2017-18 में 579 से 92.57 प्रतिशत बढ़कर 2018-19 में 1,115 हो गई है;

v) समझौते द्वारा अर्थात् ओबीओ के हस्तक्षेप, मध्यस्थता और सुलह आदि के माध्यम से हल की गई शिकायतों की संख्या, 2017-18 के दौरान 65.82 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 70.40 प्रतिशत हो गई;

vi) बैंकिंग लोकपाल द्वारा जारी किए गए आदेश और अपीलों की संख्या 2017-18 में क्रमशः 133 और 125 की तुलना में 2018-19 में क्रमशः 98 और 78 हो गई;

vii) एक शिकायत को निपटाने की औसत लागत 2017-18 में 3,504/- से घटकर 2018-19 में 3,145/- हो गई।

ख. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना (एनबीएफ़सी-ओ योजना)

एनबीएफ़सी-ओ योजना को रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45एल के तहत 23 फरवरी 2018 को रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित किया गया था। इस योजना को संबंधित अंचलों से प्राप्त शिकायतों के निपटान के लिए चार महानगरों के केंद्रों अर्थात् चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली के एनबीएफ़सी-ओ के कार्यालयों द्वारा पूरे देश में प्रशासित किया गया। एनबीएफसी-ओ कार्यालयों द्वारा प्राप्त शिकायतों की प्रमुख बातें निम्ननुसार हैं:

i) संचालन के चार महीनों में एनबीएफ़सी-ओ में प्राप्त शिकायतों की संख्या 2017-18 के दौरान 675 से बढ़कर 2018-19 में 3,991 हो गई;

ii) सर्वोत्तम प्रथा संहिता का पालन न करने के संबंध में 40.44 प्रतिशत शिकायतें प्राप्त हुईं, इसके बाद रिज़र्व बैंक के निर्देशों का पालन न करने के संबंध में 17.21 प्रतिशत, बिना सूचना के शुल्क लगाए जाने के संबंध में 12.63 प्रतिशत और अनुबंध/ऋण समझौते में पारदर्शिता के अभाव के संबंध में 9.17 प्रतिशत शिकायतें प्राप्त हुईं;

iii) एनबीएफ़सी-ओ की निपटान दर 2017-18 में 95.41 प्रतिशत और 2018-19 में 99.10 प्रतिशत रही;

iv) एनबीएफसी-ओ के 2018-19 के फैसले के खिलाफ पिछले वर्ष में शून्य की तुलना में एक अपील प्राप्त हुई।

ग. वर्ष 2018-19 के दौरान हुए महत्वपूर्ण विकास

i) डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना 31 जनवरी, 2019 से आरंभ की गई जो 22 ओबीओ द्वारा प्रशासित की गई;

ii) एनबीएफ़सी-ओ योजना को 26 अप्रैल 2019 से प्रभावी किया गया था, ताकि 100.00 करोड़ और उससे अधिक की आस्ति आकार वाले जमा ग्रहण न करने वाले एनबीएफ़सी को विनियमित किया जा सके;

iii) आंतरिक लोकपाल (आईओ) की नियुक्ति पर रिज़र्व बैंक के अनुदेशों की समीक्षा की गई और आईओ योजना, 2018 को 3 सितंबर 2018 से लागू किया गया। आईओ व्यवस्था अब भारत में 10 से अधिक आउटलेट वाले सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) पर लागू है;

iv) शिकायतों के निपटान की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से रिज़र्व बैंक, नई दिल्ली में लोकपाल का तीसरा कार्यालय 1 जुलाई 2019 से स्थापित किया गया;

v) शिकायत दर्ज करने के लिए शिकायत प्रबंधन प्रणाली नामक एक अत्याधुनिक और उपयोगकर्ता के अनुकूल वेब-आधारित ऑनलाइन एप्लिकेशन आरंभ किया गया, जो ग्राहकों को उनकी शिकायतों को ट्रैक करने की भी अनुमति देता है;

vi) बड़े पैमाने पर ग्राहकों / सदस्यों के लाभ के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाए गए;

घ. उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने के भावी उपाय

वर्ष 2019-20 के दौरान, रिज़र्व बैंक एनबीएफ़सी तक विस्तार के लिए आईओ योजना, 2018 की समीक्षा करेगा; ओबीओ की तर्ज पर उन्हें सशक्त बनाने के लिए उपभोक्ता प्रशिक्षण और संरक्षण प्रकोष्ठों (सीईपीसी) की और रूपांतरण के माध्यम से अपडेशन और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए लोकपाल योजनाओं की समीक्षा करेगा; शिकायत के प्रमुख क्षेत्रों के मूल कारणों के विश्लेषण के आधार पर प्रणाली को मजबूत करने के लिए नीति तैयार करेगा; ग्राहकों को ऑनलाइन समर्थन के लिए सीएमएस में पारस्परिक श्रव्य प्रतिउत्तर प्रणाली (आईवीआरएस) आरंभ करेगा।

भारतीय रिज़र्व बैंक और लोकपाल योजनाओं की शिकायत निवारण व्यवस्था के बारे में जागरूकता निर्माण करने के साथ-साथ सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग और ग्राहक सुरक्षा पर विनियामक शर्तों पर अभियान भी जारी रखा जाएगा।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1444

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