बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने आंध्रा बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

05 दिसंबर 2019

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आंध्रा बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धन शोधन निवारण (एएमएल) मानकों और चालू खाता खोलने संबंधी निदेशों के कुछ प्रावधानों के गैर अनुपालन के लिए आंध्रा बैंक (बैंक) पर 05 दिसंबर 2019 के आदेश द्वारा 25 लाख का मौद्रिक दंड लगाया है।

यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त दिशानिर्देशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और 51 (1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

एक शिकायत के आधार पर आंध्रा बैंक में दो संस्थाओं द्वारा खोले गए चालू खातों की जांच की गई और यह पाया गया कि बैंक केवाईसी मानदंड / एएमएल मानकों और चालू खातों को खोलने संबंधी रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के कुछ प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है। निष्कर्षों के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि वह यह बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन न करने हेतु बैंक पर मौद्रिक दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के गैर अनुपालन संबंधी आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1358

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