6 नवंबर 2019
रिज़र्व बैंक ने कोर निवेश कंपनियों के विनियामक और पर्यवेक्षी ढांचे की समीक्षा करने के लिए गठित कार्य दल की रिपोर्ट जारी की
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 3 जुलाई 2019 को कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी) के विनियामक और पर्यवेक्षी ढांचे की समीक्षा के लिए श्री तपन राय, पूर्व सचिव, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में एक कार्य दल (डब्ल्यूजी) का गठन किया था।
कार्य दल ने अपनी रिपोर्ट गवर्नर को सौंप दी है। कार्य दल की प्रमुख सिफारिशें निम्नानुसार हैं:
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सीआईसी द्वारा एक स्टेप-डाउन सीआईसी में अपनी निधि के 10% से अधिक के पूंजी निवेश की कटौती उसकी समायोजित मालियत से की जाए, जैसाकि अन्य एनबीएफ़सी के लिए लागू है। इसके अलावा स्टेप-डाउन सीआईसी को किसी अन्य सीआईसी में निवेश करने की अनुमति नहीं दी जाए, जबकि उन्हें अन्य समूह कंपनियों में स्वतंत्र रूप से निवेश करने की अनुमति दी जा सकती है;
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एक समूह में सीआईसी के स्तरों की संख्या दो तक सीमित होनी चाहिए। अत: एक समूह के भीतर कोई भी सीआईसी, सीआईसी के कुल दो से अधिक स्तरों के माध्यम से निवेश नहीं करेगा जिसमें वह स्वयं शामिल है;
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सीआईसी वाले प्रत्येक समूह में एक समूह जोखिम प्रबंधन समिति (जीआरएमसी) होनी चाहिए;
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बोर्ड स्तरीय समितियों जैसे लेखा परीक्षा समिति और नामांकन और पारिश्रमिक समिति का गठन अनिवार्य किया जाना चाहिए;
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अप्रत्यक्ष लाभ रिज़र्व बैंक द्वारा डिज़ाइन किया जा सकता है और अन्य एनबीएफ़सी के अनुसार सीआईसी के लिए निर्धारित किया जा सकता है। सांविधिक लेखा परीक्षकों के प्रमाण पत्र की वार्षिक प्रस्तुति भी अनिवार्य की जा सकती है; तथा
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सीआईसी का प्रत्यक्ष निरीक्षण आवधिक आधार पर किया जा सकता है।
शेयरधारकों और जनता की टिप्पणियों के लिए रिपोर्ट आज रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखी गई है। रिपोर्ट पर टिप्पणियां 30 नवंबर, 2019 तक ई-मेल के माध्यम से भेजी जा सकती हैं।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1118 |