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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

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भारतीय रिजर्व बैंक ने दि लक्ष्मी विलास बैंक लि. पर मौद्रिक दंड लगाया

14 अक्तूबर 2019

भारतीय रिजर्व बैंक ने दि लक्ष्मी विलास बैंक लि. पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी "आय निर्धारण और आस्ति वर्गीकरण (आईआरएसी) मानदंड" संबंधी निर्देशों के कुछ प्रावधानों का अनुपालन न करने हेतु दि लक्ष्मी विलास बैंक लि. (बैंक) पर दिनांक 14 अक्टूबर 2019 के आदेश द्वारा 1 करोड़ का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2017 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक का सांविधिक निरीक्षण करने पर, अन्य बातों के साथ साथ, यह पता लगा कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी "आय निर्धारण और आस्ति वर्गीकरण (आईआरएसी) मानदंड" संबंधी निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वह यह बताए कि निर्देशों का अनुपालन न करने हेतु उन पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। नोटिस पर बैंक के जवाब पर विचार करने और अतिरिक्त प्रस्तुति की जांच करने के बाद, रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक निर्देशों के गैर- अनुपालन के उपरोक्त आरोप सिद्ध होते हैं, अतः मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2019-2020/940

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