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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश - दि कपोल को-ऑपरेटिव बैंक लि., मुंबई, महाराष्ट्र – अवधि बढ़ाई

31 जुलाई 2019

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश
- दि कपोल को-ऑपरेटिव बैंक लि., मुंबई, महाराष्ट्र – अवधि बढ़ाई

दि कपोल को-ऑपरेटिव बैंक लि., मुंबई को दिनांक 30 मार्च 2017 के निदेश के माध्‍यम से 30 मार्च 2017 की कारोबार समाप्ति से छह महीनों के लिए निदेशाधीन रखा गया था। उपरोक्त निदेश की अवधि समय-समय पर बढ़ाते हुए 24 जनवरी 2019 के निदेश के माध्यम से 31 जुलाई 2019 तक बढ़ाई गई थी।

जन साधारण के सूचनार्थ एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उपधारा (1) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए निदेश देता है कि उपर्युक्त बैंक को जारी 30 मार्च 2017 के निदेश, जिसकी वैधता दिनांक 24 जनवरी 2019 के निदेश के माध्यम से बढ़ाई गई थी, अब समीक्षा के अधीन उक्त बैंक पर 01 अगस्त 2019 से 31 जनवरी 2020 तक अगले छह महीनों की अवधि के लिए जारी रहेंगे ।

संदर्भाधीन निदेश के अन्य निबंधन एवं शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।

उपरोक्त वैधता को सूचित करनेवाले दिनांक 23 जुलाई 2019 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के अवलोकनार्थ लगाई गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता बढ़ाने या संशोधित करने का यह अर्थ नहीं है कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिती में मौलिक सुधार से संतुष्ट है।

योगेश दयाल
मुख्य महाप्रबंधक

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