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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 ए के तहत निदेश (सहकारी समितियों पर यथा लागू) श्री आनंद को-ऑपरेटिव बैंक लि. चिंचवड़, पुणे, महाराष्ट्र

26 जुलाई 2019

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 ए के तहत निदेश
(सहकारी समितियों पर यथा लागू)
श्री आनंद को-ऑपरेटिव बैंक लि. चिंचवड़, पुणे, महाराष्ट्र

भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से सहमत है कि लोकहित में श्री आनंद को-ऑपरेटिव बैंक लि. चिंचवड, पुणे, महाराष्ट्र को कतिपय निदेश जारी किया जाना आवश्यक है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35ए की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा यह निदेश दिया जाता है कि श्री आनंद को-ऑपेरटिव बैंक लि., चिंचवड, पुणे, महाराष्ट्र 25 जून 2019 को कारोबार की समाप्ति से, भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमा राशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा, भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और नीचे निर्धारित सीमा अथवा पद्धति को छोड़कर अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा:

i. प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते या किसी भी अन्य नाम से किसी भी अन्य जमा खाते में कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को 1,000/- (एक हजार रुपये मात्र) से अधिक राशि आहरित करने की अनुमति न दी जाए, बशर्ते कि जमाकर्ता की किसी भी तरीके से बैंक में देयता हो, यानी या तो उधारकर्ता या ज़मानतकर्ता के रूप में, तो वह राशि पहले समायोजित की जाए।

ii. एक ही नाम और एक ही क्षमता में परिपक्वता पर मौजूदा सावधि जमा को नवीनीकृत किया जा सकता है।

iii. निम्नलिखित मदों के संबंध में बैंक द्वारा व्यय किया जा सकता है।

  1. कर्मचारियों का वेतन,

  2. किराया, दर और कर

  3. बिजली बिल

  4. प्रिंटिंग, स्टेशनरी आदि.

  5. डाक आदि.

  6. कानूनी खर्च जिसमें स्टांप शुल्क/ पंजीकरण शुल्क / मध्यस्थता शुल्क शामिल हैं, जो न्यायालय / आरसीएस / डीआरटी के संबंधित विधियों अथवा नियमों में निर्धारित दरों पर देय हैं।

  7. न्यायालय के आदेशों / विधियों के प्रावधानों के अनुपालन में न्यायालय शुल्क।

  8. वकीलों के शुल्क का भुगतान प्रत्येक मामले में 5000/- (केवल पांच हजार रुपये) से अधिक नहीं होना चाहिए।

iv. निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम को देय प्रीमियम का भुगतान किया जा सकता है।

v. किसी अन्य मद पर व्यय जो बैंक के विचार में दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के लिए आवश्यक है, बशर्ते कि कैलेंडर माह में मद पर किया गया व्यय, पिछले छह महीने की अवधि के दौरान उस मद पर औसत मासिक कुल खर्च से अधिक न हो और यदि निदेश की तारीख से पहले उस मद के खाते में कोई व्यय नहीं किया गया है, तो यह व्यय 1000/- (केवल एक हजार रुपये) की राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए ।

vi. सरकार/एसएलआर अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश किया जा सकता है।

vii. मासिक आधार पर रिज़र्व बैंक के सूचना के अधीन बैंक के मौजूदा सदस्यों से पूंजी के लिए योगदान स्वीकार किया जा सकता है।

viii. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उपदान/ भविष्य निधि लाभ के संबंध में भुगतान किया जा सकता है।

ix. रिज़र्व बैंक की स्वीकृति के साथ सेवानिवृत्त होने वाले/ सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अवकाश नकदीकरण और सेवानिवृत्ति लाभ के संबंध में भुगतान किया जा सकता है।

x. जब तक कि विशेष रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिखित रूप में अनुमोदित नहीं किया जाता है, तब तक किसी भी अन्य दायित्व को उपगत या समाप्त नहीं किया जा सकता है।

2. बैंक को जमा के खिलाफ ऋण निर्धारित करने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते उधारकर्ता के साथ ऋण समझौते की निबंधन एवं शर्तों के अनुसार उसके विशिष्ट जमा खाते में राशि (जो भी नाम दिया गया हो) बैंक द्वारा उसके ऋण खाते के लिए विनियोजित/ समायोजित की जा सकती हो। ऋण खाते में बकाया राशि की सीमा तक विनियोजन / समायोजन निम्नलिखित शर्तों के अधीन किया जा सकता है:

  1. समायोजन की तारीख तक खाते केवाईसी के अनुरूप होने चाहिए।

  2. किसी तृतीय पक्ष द्वारा धारित जमा, जो गारंटर / गारंटरों / जमानतदारों तक सीमित नहीं है, को समायोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  3. सामान्य रूप से इस विकल्प का उपयोग जमाकर्ता को उन मामलों में उचित सूचना के तहत किया जाना चाहिए, जहां आगे निपटान में देरी हो सकती हो जिसके परिणामस्वरूप ऋण खाता एनपीए हो सकता हो। मानक ऋणों के निपटान (नियमित रूपसे सर्विस किए जा रहे) और ऋण समझौते के निबंधन एवं शर्तों से किसी भी प्रकार का विचलन होने पर, जमाकर्ता- उधारकर्ता की पूर्व लिखित सहमति आवश्यक होगी।

  4. जमा या इसका निपटान किसी भी कुर्की आदेश / न्यायालय या वैधानिक प्राधिकरण या कानून के तहत अधिकार प्राप्त अन्य प्राधिकरण का निषेध आदेश, राज्य सहकारी समितियां अधिनियम के प्रावधानों के तहत बयाना धन जमा, विश्वास की बाध्यता, तीसरे पक्ष के ग्रहणाधिकार आदि जैसे प्रतिबंधों के अधीन नहीं होना चाहिए ।

3. इस निदेश की एक प्रति बैंक द्वारा प्रत्येक जमाकर्ता को भेज दी जानी चाहिए और इसे बैंक की वेबसाइट के मुख पृष्ठ पर भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

4. इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक निदेश देता है कि श्री आनंद को- ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड चिंचवड़, पुणे, महाराष्ट्र अपने परिचालन से संबंधित ऐसे विवरण, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस संबंध में निर्धारित किए गए हैं, मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, सी -8, भू-तल बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स, मुंबई- 400051 को प्रस्तुत करें।

5. ये निदेश 25 जून, 2019 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए लागू और समीक्षा के अधीन रहेंगे ।

योगेश दयाल
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/253

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