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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इण्डियन मर्केंटाइल को-आपरेटिव बैंक लि.,लखनऊ, उत्तर प्रदेश को जारी निदेश की वैधता बढ़ाई गई

11 मार्च 2019

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इण्डियन मर्केंटाइल को-आपरेटिव बैंक लि.,लखनऊ,
उत्तर प्रदेश को जारी निदेश की वैधता बढ़ाई गई

भारतीय रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई) ने इंडियन मर्केंटाइल को-आपरेटिव बैंक लि., लखनऊ, उत्तर प्रदेश, को जारी निदेशों की वैधता अवधि को छ: महीने बढ़ाकर 12 मार्च 2019 से 11 सितम्बर 2019 तक कर दिया है, जो कि समीक्षाधीन होगा। बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35ए की उपधारा (1) के अंतर्गत जारी 04 जून 2014 के निदेश के तहत 12 जून 2014 से निदेशाधीन है।

उपर्युक्त निदेश को 30 जुलाई 2014, 8 दिसंबर 2014, 2 जून 2015, 7 सितम्बर 2015, 19 अक्तूबर 2015, 07 दिसम्बर 2015, 04 मार्च 2016, 02 सितम्बर 2016, 25 नवम्बर 2016, 09 मार्च 2017, 01 सितम्बर 2017, 06 मार्च 2018 तथा सितम्बर 07, 2018 के भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों द्वारा संशोधित किया गया/उसकी वैधता अवधि को बढ़ाया गया था। निदेश की वैधता, जिसे पिछली बार 11 मार्च 2019 तक बढ़ाया गया था, को 05 मार्च 2019 के निदेश के तहत अगले छ: महीने की अवधि अर्थात 12 मार्च 2019 से 11 सितम्बर 2019 तक बढ़ाया गया है, जो कि समीक्षाधीन होगा। 05 मार्च 2019 के निदेश की प्रतिलिपि जनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है।

रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त निदेश में संशोधन का तात्पर्य उक्त बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार या गिरावट से नहीं लगाया जाना चाहिए। रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर निदेश में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/2152

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