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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने द नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को निदेश जारी किए

29 अक्तूबर 2018

भारतीय रिज़र्व बैंक ने द नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र
को निदेश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने (26 अक्टूबर 2018 के निदेश डीसीबीएस.सीओ.बीएसडी-I/डी-3/12.22.163/2018-19 के तहत) द नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑ. बैंक लि. मुंबई, महाराष्ट्र को निदेशाधीन रखा है। निदेशों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक निदेशों में निर्धारित शर्तों के अधीन जमाकर्ताओं को प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते या किसी भी अन्य जमा खाते में, कुल शेष में से 1,000/- (एक हजार रुपये मात्र) तक राशि आहरित करने की अनुमति होगी। द नीड्स ऑफ लाइफ को-ऑ. बैंक लि. मुंबई भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना, भारतीय रिज़र्व बैंक के 26 अक्तूबर, 2018 के निदेशों में अधिसूचित सीमा और रीति को छोडकर, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा, भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा। दिशानिदेश 29 अक्टूबर, 2018 को बैंक के कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेंगे।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

उक्त निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35ए की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लागू किए गए हैं। निदेशों की प्रतिलिपि हित रखनेवाले जनता के सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है।

अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/994

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