Click here to Visit the RBI’s new website

अनुसंधान और आंकड़े

रिज़र्व बैंक में बेहतर, नीति उन्मुखी आर्थिक शोध करने, आंकड़ों का संकलन करने और ज्ञान साझा करने की समृद्ध परंपरा है।

प्रेस प्रकाशनी


केएलईएमएस डेटाबेस पर कार्यशाला

16 जुलाई 2018

केएलईएमएस डेटाबेस पर कार्यशाला

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने केएलईएमएस-कैपिटल (के), लेबर (एल), एनर्जी (ई), मैटरियल (एम) और सर्विसेज (एस) – डेटाबेस पर मुंबई में कार्यशाला आयोजित की। केएलईएमएस परियोजना दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स (डीएसई) के विकास अर्थशास्त्र केंद्र (सीडीई) में है। इसे आरबीआई द्वारा प्रायोजित और पूरी तरह से वित्तपोषित किया जाता है तथा केएलईएमएस डेटाबेस (1980-2016) भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (डेटा/मैनुअल) पर उपलब्ध है। इस कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. विरल वी. आचार्य, उप गवर्नर द्वारा किया गया। पांच कारोबारी सत्रों के साथ, यह कार्यशाला केएलईएमएस टीम द्वारा डेटाबेस पर प्रस्तुतियों के साथ शुरू हुई। प्रोफेसर के.एल. कृष्णा जो टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, ने भारतीय - केएलईएमएस को ऐतिहासिक और वैश्विक दृष्टिकोण में उपलब्ध कराया। प्रोफेसर बी.एन. गोलदर ने डेटाबेस का स्पष्ट परिचय प्रस्तुत किया। श्री पिलु चंद्र दास ने आउटपुट और मध्यस्थ इनपुट श्रृंखला के निर्माण के विभिन्न डेटा स्रोतों के उपयोग का वर्णन किया। प्रोफेसर सुरेश चंद अग्रवाल ने कारक इनपुट के रूप में श्रम की भूमिका – रोजगार स्तर और उनकी गुणवत्ता के बारे में बताया। प्रोफेसर देब कुसुम दास ने पूंजी स्टॉक और सेवाओं से संबंधित मुद्दों पर संबोधन किया।

दूसरे सत्र में केएलईएमएस टीम द्वारा दी गई दो प्रस्तुतियां कवर की गई। प्रोफेसर देब कुसुम दास ने 21वीं शताब्दी में वृद्धि और उत्पादकता का मूल्यांकन किया जिसमें उन्होंने भारत और चीन की तुलना की। प्रोफेसर बी.एन. गोलदर ने भारतीय उद्योगों में ऊर्जा सघनता और भारत में समग्र आर्थिक वृद्धि के लिए ऊर्जा के योगदान पर चर्चा की।

तीसरे सत्र में, भारतीय रिज़र्व बैंक के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (डीईपीआर) के अधिकारियों द्वारा भारत में फर्म के आकार/उत्पादकता पर बहस (सुश्री श्रोमोना गांगुली), कृषि के पक्ष में ट्रेड टर्म्स में परिवर्तन के संचालक कारकों (सुश्री प्रियंका बजाज और श्री सार्थक गुलाटी), अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए उत्पादकता और मुद्रास्फीति अस्थिरता के बीच के संबंध (श्री सौरभ शर्मा), भारत में मुद्रास्फीति गतिकी का आकलन करने के लिए फिलिप-कर्व (पीसी) संबंध का अनुमान लगाने के लिए नए दृष्टिकोण (श्री सिलु मुदुली और श्री भानु प्रताप) तथा अंततः डॉ. हरेन्द्र के. बहेरा द्वारा केएलईएमएस आंकड़ों का उपयोग करते हुए भारत के संभावित आउटपुट पर प्रस्तुति की।

यह कार्यशाला पैनल चर्चा के साथ संपन्न हुई जिसका नेतृत्व प्रोफेसर के.एल. कृष्णा द्वारा किया गया और इसमें डीएसई के प्रो. टी.सी.ए. अनंत और प्रो. पामी दुआ, भारतीय सांख्यिकीय संस्थान, दिल्ली से प्रो. चेतन घाटे. आईआईटी बंबई से प्रो. पुष्पा त्रिवेदी और प्रो. के. नारायणन तथा आईजीआईडीआर से प्रो. गणेश कुमार सहभागियों के रूप में शामिल हुए जिन्होंने केएलईएमएस आंकड़ों में सुधार करने के तरीकों और भारत में अनुसंधान के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया, जिन मुद्दों का समाधान इन आंकड़ों का उपयोग करते हुए किया जा सकता है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय) के प्रतिनिधियों ने चर्चा के जरिए आंकड़ों की गुणवत्ता और उनकी उपलब्धता पर अंतर्दृष्टि डाली।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/144

2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष