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अनुसंधान और आंकड़े

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प्रेस प्रकाशनी


राज्य वित्तः वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बज़ट का अध्ययन

12 जुलाई 2018

राज्य वित्तः वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बज़ट का अध्ययन

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने “राज्य वित्तः वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बज़ट का अध्ययन” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है, यह एक वार्षिक प्रकाशन है जो राज्य सरकारों के वित्त की सूचना, विश्लेषण और आकलन उपलब्ध कराता है। जबकि 2017 के अंक में राज्य सरकारों का 2016-17 का बज़ट कवर किया गया था, इस अंक में आंकड़ों की उपलब्धता में अंतराल को समाप्त किया गया है और 2015-16, 2016-17 के वास्तविक परिणामों तथा 2017-18 के संशोधित अनुमानों की पृष्ठभूमि में 2018-19 के बज़ट अनुमानों तक की गतिविधियों को कवर किया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य अंश निम्नानुसार हैं :

  • राज्यों का समेकित सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी), स्वयं के कर राजस्व में कमी और उच्चतर राजस्व व्यय के कारण 2017-18 में बज़ट अनुमानों से अधिक रहा।

  • 2018-19 के बजट में राज्यों ने मुख्यत: राजस्व में थोड़े अध‍िशेष की बदौलत घाटे को कम करने की व्यवस्था की है।

  • कई राज्यों के लिए व्यय पक्ष पर, विशेषकर वचनबद्ध शीर्षों और कृषि ऋण माफी जैसी अन्य राज्य विशिष्ट योजनाओं के अंतर्गत स्पष्ट राजकोषीय दबाव उभरकर सामने आ रहे हैं।

  • 2018-19 में, जीएसटी के स्थिर होने और परिणामस्वरूप कर आधार तथा उसकी प्रभावशीलता के बढ़ने के साथ राज्यों की राजस्व क्षमता में वृद्धि होने की संभावना है। अप्रैल 2018 से राज्यों के बीच माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल लागू करने के साथ राज्य अपनी कर व्यवस्था में दक्षता को बनाए रखते हुए अध‍िक राजस्व सृजित करने के लिए भी प्रयास कर सकते हैं।

  • बेहतर राजकोषीय लक्ष्यनिर्धारण कौशल और व्यय सक्षमता राज्यों के वित्त को मजबूती प्रदान करने में अनिवार्य प्रतीत होती है यदि राजस्व प्राप्तियां फिर से बज़ट किए गए स्तरों की तुलना में कम होती हो।

यह प्रकाशन आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग के राजकोषीय विश्लेषण प्रभाग (एफएडी) द्वारा तैयार किया गया है। वर्तमान अंक इस रिपोर्ट के पिछले अंकों के साथ वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है। इस प्रकाशन पर टिप्पणियां निदेशक, राजकोषीय विश्लेषण प्रभाग, आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को भेजी जा सकती हैं। टिप्पणियां ई-मेल के माध्यम से भी भेजी जा सकती हैं।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/117

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