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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने रूपी को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, पुणे को जारी निदेश बढ़ाया

28 मई 2018

भारतीय रिज़र्व बैंक ने रूपी को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, पुणे को जारी निदेश बढ़ाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने (दिनांक 23 मई 2018 के अपने निदेश सं. डीसीबीआर.सीओ.एआईडी/ डी-42/12.22.218/2017-18 के माध्‍यम से) रूपी को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्‍ट्र पर लगाए गए निदेश की अवधि को 01 जून 2018 से 31 अगस्त 2018 तक तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है तथा ये निदेश समीक्षाधीन रहेंगे। निदेश को मूल रूप से 22 फरवरी 2013 से 21 अगस्त 2013 तक लगाया गया था जिसे आठ अवसरों पर छह महीनों के लिए और चार अवसरों पर तीन महीनों के लिए बढ़ाया गया था। अंतिम बार इसे 22 नवम्बर 2017 से 31 मई 2018 छह महीने के लिए बढ़ाया गया था।

भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 क की उप धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निदेश लगाया गया था। इन निदेशों की प्रति को बैंक के परिसर में जनता की सूचना के लिए लगाया गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त संशोधन जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/3106

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