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सरकार का बैंक और ऋण प्रबंधक

सरकार के बैंकिंग लेनदेनों का प्रबंध करना रिज़र्व बैंक की प्रमुख भूमिका है। सरकार को व्‍यक्ति, कारोबार और बैंकों की भांति अपने वित्‍तीय लेनदेनों, जिसके अंतर्गत जनता से संसाधनों का जुटाया जाना भी शामिल है, को दक्षतापूर्वक और प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए एक बैंकर की आवश्‍यकता पड़ती है।

प्रेस प्रकाशनी


सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड का अभौतिक स्वरूप

24 नवंबर 2017

सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड का अभौतिक स्वरूप

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत सरकार के परामर्श से आज की तारीख तक कुल 6400 करोड़ के मूल्य के लिए सॉवरेन स्वर्ण बॉन्डों की पंद्रह किश्त जारी की हैं। इन बॉन्डों के निवेशकों को विकल्प दिया गया है कि वे इन्हें भौतिक और अभौतिक रूप में रख सकते हैं।

अभौतिक स्वरूप के अनुरोधों को काफी हद तक सफलतापूर्वक प्रोसेस किया गया है। तथापि, रिकार्डों का एक सेट विभिन्न कारणों से प्रोसेस नहीं किया गया जिनमें अन्य कारणों के अतिरिक्त नाम और पैन नंबर में बेमेलता, असक्रिय या बंद डीमेट खातों का होना शामिल है। ऐसे असफल डीमेट अनुरोधों की सूची अब https://sovereigngoldbonds.rbi.org.in पर उपलब्ध कराई गई है। इसमें दी गई सूचना किश्तवार है और इसमें प्राप्तकर्ता कार्यालय का नाम, निवेशक आईडी और बॉन्ड के गैर-अभौतिक स्वरूप के कारण शामिल हैं। निवेशक इन आंकड़ों को देख सकते हैं जिससे कि यह निश्चित किया जा सके कि क्या उनकी निवेशक आईडी इस सूची में दी गई है। सभी प्राप्तकर्ता कार्यालयों को अपने ग्राहकों के लिए इस सूचना को एक्सेस करने तथा अपने ग्राहकों के परामर्श से उचित सुधार करने की भी जरूरत है। इस प्रयोजन हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक की ई-कुबेर एप्लिकेशन में आवश्यक माड्यूल उपलब्ध कराए गए हैं।

हम यह भी कह सकते हैं कि लंबित स्थिति के बावजूद भी सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड भारतीय रिज़र्व बैंक की बहियों में रखे रहेंगे और उनका नियमित रूप से भुगतान होता रहेगा।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/1429

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