12 सितंबर 2017
डीआरजी अध्ययन संख्या 43: भारत में विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक व्यय का कुछ समष्टि-आर्थिक प्रभाव-गणनीय
सामान्य संतुलन मॉडल का उपयोग कर विश्लेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “भारत में विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक व्यय का कुछ समष्टि-आर्थिक प्रभाव- गणनीय सामान्य संतुलन मॉडल का उपयोग कर विश्लेषण” शीर्षक का डीआरजी अध्ययन जारी किया। इस अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर ए.गणेश-कुमार, विपुल के.घोष, ख्याजमंग मेट और प्रयाग सिंह रावत हैं।
यह अध्ययन 2011-12 से 2025-26 की अवधि के दौरान एक पुनरावर्तनीय गतिशील गणनीय सामान्य संतुलन (सीजीई) मॉडल का उपयोग कर भारतीय अर्थव्यवस्था पर विभिन्न प्रकार के सरकारी व्ययों के प्रभाव की जाँच करता है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
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तेजी के दौर में वित्तीय विस्तार से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, मंदी के समय, जब बेरोजगारी कायम है, राजकोषीय विस्तार के सकारात्मक प्रभाव किए गए व्यय के प्रकार और वित्तपोषण के पैटर्न पर निर्भर कर रहे हैं।
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मौजूदा व्यय के वैकल्पिक प्रकारों में, सरकारी उपभोग के विस्तार का स्कोर जीडीपी पर प्रभाव के संदर्भ में परिवारों के अतिरिक्त अंतरण से अधिक है।
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अतिरिक्त सरकारी उपभोग और निवेश के बीच, विकल्प सीधा नहीं है।
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सरकारी निवेश के विस्तार के वित्तपोषण के लिए परिवारों पर अतिरिक्त कर सरकार के उपभोग की तुलना में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है।
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वर्तमान उपभोग से निवेश पर सरकारी व्यय की शिफ्टिंग फायदेमंद नहीं है यदि विनिमय दर व्यवस्था तटस्थ है।
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इस अध्ययन में विचार किए गए सभी नीति विकल्पों में से, सरकारी व्यय का मौजूदा उपभोग से निवेश में शिफ्टिंग जिसके साथ भारतीय रुपए की विनिमय दर में सीमांत मूल्यह्रास रहा, का जीडीपी पर समग्र प्रभाव और घरेलू वास्तविक आय प्रति व्यक्ति सहित कई अन्य समष्टि-आर्थिक संकेतकों के संदर्भ में सर्वोत्तम रही ।
* मजबूत विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार के सहयोग से वर्तमान रुचि के विषयों पर तीव्र और प्रभावी नीतिगत अनुसंधान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग में विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन किया है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर के विशेषज्ञों तथा बैंक के अंदर अनुसंधान प्रतिभा के पूल के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से इन अध्ययनों को व्यापक प्रचलन हेतु जारी किया जाता है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर ही जारी किए जाते हैं और इनकी कोई मुद्रित प्रतियां उपलब्ध नहीं होंगी।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/705 |