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सितंबर 2017 का मासिक बुलेटिन

11 सितंबर 2017

सितंबर 2017 का मासिक बुलेटिन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का सितंबर 2017 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में शीर्ष प्रबंध-तंत्र के भाषण, दो आलेख तथा वर्तमान सांख्यिकी शामिल है। दो आलेखों में शामिल हैं – I. चयनित आर्थिक समय-श्रृंखला, 2016-17 के मासिक मौसमी कारक और II. निजी कॉर्पोरेट निवेशः वर्ष 2016-17 में वृद्धि और वर्ष 2017-18 की संभावनाएं।

I. चयनित आर्थिक समय-श्रृंखला, 2016-17 के मासिक मौसमी कारक

समष्टि आर्थिक चरों का मौसमी समायोजन अंतर्निहित क्रमिक बदलावों का अनुमान लगाने और अंतर-संबंधों को समझने में सहायता करता है। यह वार्षिक आलेख जो इस श्रृंखला का 38वां आलेख है, 76 प्रमुख समष्टि आर्थिक चरों के मासिक मौसमी कारक उपलब्ध कराता है जिसमें पांच श्रेणियों को कवर किया गया है जैसे मौद्रिक और बैंकिंग संकेतक (14 श्रृंखला), मूल्य सूचकांक (30 श्रृंखला), औद्योगिक उत्पादन (23 श्रृंखला), सेवा क्षेत्र संकेतक (6 श्रृंखला) और व्यापारिक वस्तुओं का व्यापार (3 श्रृंखला)।

यूएस जनगणना ब्यूरो द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर पैकेज X-13-ARIMA जिसे भारतीय परिस्थिति (उदाहरण के तौर पर, ट्रेडिंग दिवस का प्रभाव, दिवाली त्यौहार का प्रभाव) के अनुरूप उचित ढंग से कॉन्फिगर करने के बाद उपयोग करते हुए मौसमी कारकों का अनुमान लगाया गया है। मौद्रिक और बैंकिंग समग्र आंकड़ों में नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान उच्च मूल्य करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण तथा बाद में तीव्र पुनर्मुद्रीकरण के कारण प्रमुख बदलाव देखा गया। ऐसे बदलावों की उपस्थिति में मौसमी अनुमान में आउटलायरों का उचित निपटान शामिल था।

मुख्य निष्कर्ष:

  • औद्योगिक उत्पादन के संकेतकों, मौद्रिक/बैंकिंग और सेवाक्षेत्र के संकेतकों ने मार्च में मौसमी शीर्ष दर्ज किया जबकि अधिकांश मूल्य संकेतकों ने मार्च-मई में मौसमी ट्रॉफ दर्ज किया।

  • सब्जियों के लिए सीपीआई ने बहुत उच्च मौसमी बदलाव दर्शाया। दलहन और उत्पादों का मौसमीपन हाल के समय में काफी बढ़ गया।

  • आईआईपी श्रृंखला के अंदर पूंजीगत माल और मध्यस्थ माल ने उच्चतम स्तर और न्यूनतम मौसमीपन दर्ज किया। कोयला, सीमेंट और इस्पात उत्पादन में भी मजबूत मौसमीपन देखा गया।

  • 42 समष्टि आर्थिक चरों में मौसमी बदलावों की क्रमिक सुस्ती देखी गई जबकि 20 श्रृंखलाओं के मौसमी घट-बढ़ में वृद्धि हुई।

  • अधिकांश मौद्रिक और बैंकिंग संकेतकों ने पिछले दशक से मौसमीपन में काफी नरमी देखी है। व्यापारिक वस्तुओं के व्यापार संकेतकों का मौसमीपन हाल के वर्षों के दौरान बढ़ रहा है।

II. निजी कॉर्पोरेट निवेशः वर्ष 2016-17 में वृद्धि और वर्ष 2017-18 की संभावनाएं

निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र निवेश के प्रमुख निवेशकों से एकत्र आंकड़ों के आधार पर, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए एक वार्षिक अध्ययन से संकेत मिलता है कि चुनिंदा बैंकों / वित्तीय संस्थानों (एफआई) द्वारा सहायता प्राप्त परियोजनाओं की कुल लागत 2016-17 में काफी बढ़ी; हालांकि, 2016-17 के दौरान निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा वास्तविक पूंजीगत व्यय में लगातार छठे साल के लिए गिरावट आई।

मुख्य निष्कर्ष:

  • चुनिंदा बैंकों / वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत ऋण 2015-16 में 954 बिलियन से दोगुना होकर 2016-17 में 1,828 बिलियन हुआ।

  • परियोजनाओं की कुल लागत में ऊर्जा क्षेत्र की एक प्रमुख हिस्सेदारी (45.1 प्रतिशत) रही, हालांकि इसकी हिस्सेदारी पिछले वर्ष के 57.2 प्रतिशत से नीचे आई।

  • जिन राज्यों में 2016-17 में बड़े निवेश की योजना बनाई गई थी उनमें गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं, जो परियोजनाओं की कुल लागत का 64 प्रतिशत हिस्सा हैं।

  • अध्ययन के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि निजी और संयुक्त व्यापार क्षेत्रों द्वारा पूंजीगत व्यय 2016-17 में 11 प्रतिशत कम हो जाएगा।

  • 2017-18 में नियोजित पूंजीगत व्यय पिछले वर्ष की मौजूदा स्थिति में थोड़ा सुधार दर्शाता है।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/691

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